सुखमिला अग्रवाल भूमिजा

*कैसा ये तूफान*
•••••••••🌹•••••••
घिरी जब मेरी किश्ती, बने हो तुम पतवार।
फंसा था तूफान में, बचा लिया हर बार।१।

तूफान सा जीवन मेरा, तुम लो हमको थाम।
चरणों का नित ध्यान हो,करना इतना काम।२।

घिर घिर चहुँओर घिरे,कैसा है तूफान।
सूझे ना राह कोई,सम्भालो अब आन।३।
*********🌹**********
सुखमिला अग्रवाल'भूमिजा'
स्वरचित मौलिक
कापीराइट ©️®️
मुंबई

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...