नूतन लाल साहू

पुतरी पुतरा के बिहाव

आज हे अक्षय तृतीया के तिहार
होही पुतरी पुतरा के बिहाव
बाजा ह बाजही ताकधिन ताकधिन
मन मा,खुशी भर जा ही
लक्षमिन के पुतरी हे,विष्णु के पुतरा
हो ही चुलमाटी, चघही तेल
रानी  अऊ राजा कस
सजाही, दुलहीन दूल्हा ल
बाजा ह बाजही ताकधिन ताकधिन
आज हे अक्षय तृतीया के तिहार
हो ही पुतरी पुतरा के बिहाव
बईसाख के मंझनिया
लक लक ले तपय भुईया
मड़वा छवाही तब
आही अड़बड़ मजा
दाई माई ह गाही गीत
बाजा ह बाजही ताकधिन ताकधिन
आज हे अक्षय तृतीया के तिहार
हो ही पुतरी पुतरा के बिहाव
लड्डू, बरा,पपची, पुड़ी अऊ सोहारी
 ढट्ठा मठ्ठा के पंगत म बइठके
सबों झन,खाही ओंसरी पारी
बेटी बिदा के बेरा मा संगी
करेजा ह हो जाही चानी चानी
दाई माई सहेली के आंखी म
बरसही आंसू, जइसे बरसथे पानी
खेल खेल म, सबो नेंग हो ही
हांसी खुशी सकलाही, जम्मो सहेली
मड़वा नाचें के बेरा म
बाजा ह बाजही ताकधिन ताकधिन
आज हे अक्षय तृतीया के तिहार
हो ही पुतरी पुतरा के बिहाव

नूतन लाल साहू

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