अतुल पाठक धैर्य

शीर्षक-सुकून मिलता है
विधा-कविता
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सबा में ठंडी हवा घुल जाए सुकून मिलता है,
तेरा ख़्याल दवा बन जाए सुकून मिलता है।

कुरेदने वाला गर दिल सिल जाए सुकून मिलता है,
बेक़रार दिल को क़रार आ जाए सुकून मिलता है।

बेशक़ तसव्वुर में आए पर हक़ से इस दिल में रुक जाए सुकून मिलता है,
मेरी ख़ामोशियों के मंज़र को मौसीक़ी-ए-मोहब्बत बना जाए सुकून मिलता है।

कोई सादापन का इंसान अपनापन दे जाए सुकून मिलता है,
बाहों में आकर अपने होने का एहसास करा जाए सुकून मिलता है।

अरमान-ए-गुल खिलकर दिल को कन्नौज सा महका जाए सुकून मिलता है,
दिन हो या रात संग रहे तू पास तेरे लिए जो लिखूँ गर वो अल्फ़ाज़ हमको हमराज़ बना जाए सुकून मिलता है।

रचनाकार-अतुल पाठक धैर्य
पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)
मौलिक/स्वरचित रचना

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