रामकेश एम यादव

योग!

रहेगी बहुत दूर प्राणायाम से बीमारी,
फूल के सरीखे महकेगी दुनिया सारी।
जीने के लिए साँस तो है अत्यावश्यक,
हरी-भरी सदा रखना योग की क्यारी।
दवाइयों के बोझ से मिलेगा छूटकारा,
मजे में खूब रहेंगे जहां के नर -नारी।
सेहतमंद होने से बनेगा विश्व मजबूत,
सींचनी होगी ही ये योग की फूलवारी।
धमनियों में दौड़ेगा रोज ताज़ा खून,
हिन्द की इस देन की दुनिया आभारी।
योग दिवस की सदा जलती रहे ज्योति,
अनुलोम -विलोम तो हरेक पे है भारी।
आत्मा,परमात्मा से जोड़ता है योग,
मानों तो योगाभ्यास बहुत है जरुरी।

रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई

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