सुधीर श्रीवास्तव

हाइकु 
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ग्रीष्म ऋतु
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तपती धूपच
जान ले लेगी जैसे
दम निकला।
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हाय रे गर्मी
चैन न पल भर
दम घुटता।
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ऐसा लगता
आग बरसे जैसे
जला डालेगी।
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बर्दाश्त नहीं
इस बार की गर्मी
भारी पड़ेगी।
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सहना होगा
हमेशा तो लगता
अबकी बार।
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◆ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
© मौलिक, स्वरचित

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