अतुल पाठक धैर्य

शीर्षके-रिश्तों की बुनियाद
विधा-कविता
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रिश्तों की बुनियाद होती विश्वास है,
जो रिश्ते जुड़ते विश्वास के सहारे वो होते ख़ास हैं।

भरोसे के बिन हर रिश्ता टूट जाता है,
बड़े अनमोल होते हैं वो रिश्ते जिनमें आपसी समझ और भावनाओं का समंदर बहता है।

रिश्तों में अपनेपन की मिठास दिल से जोड़े रखती है,
बिना समझ के हो कड़वाहट जो रिश्ते उधेड़ने लगती है।

रिश्तों में अपनेपन का क़ुरबत एहसास  होना चाहिए,
कभी डिग न पाए रिश्तों की बुनियाद दिल के तार इतने मज़बूत होने चाहिए।

रचनाकार-अतुल पाठक "धैर्य"
पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)
मौलिक/स्वरचित रचना

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