रामबाबू शर्मा राजस्थानी

.
            *दो जून की रोटी*
                  ~~~~
       संस्कृतियों की आन-बान-शान,
       अपनापन सा सिखलाती है।
       यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
       हम सबकी भूख मिटाती है।।

       ऋषि मुनियों का देश हमारा,
       मानवता की पहरेदारी।
       यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
       एक दूसरे की जिम्मेदारी।।

       जन्म-मरण तक का पावन बंधन,
       जैवविविधता का रखवाला।
       यह *दो जून की सब्जी* रोटी,
       मन से खाये,जो मतवाला।।

       रिश्तेदार, दोस्त,परिवार जन,
       मनभावन से तीज त्योहार।
       यह *दो जून की रोटी* सब्जी, 
       समय पर गाती मंगलाचार।।

       परमेश्वर से यही कामना
       हाथ जोड़ हमारी प्रार्थना।
       यह *दो जून की रोटी* सब्जी,
       जन जन को *बराबर* बाँटना।।

      ©®
     रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511