ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

विधा-कविता
विषय-जीवनयात्रा

जीवन यात्रा बड़ी अजब होती 
सुख अरु दुख का यह संगम होती।

यात्रा में मानव  बढ़ता जाता,
कभी हँसता कभी रोता जाता।
पर सच है साथी मेरे प्यारे,
हर पल यात्रा से सीखता जाता।
यात्रा एक शिक्षक होती है,
सुख अरु दुख का यह संगम होती।


कोई भी ग्रंथ उठा कर देखो,
वेद पुराणों में भी पाओगे। 
यात्रा एक हमसफर होती,
आदि से अंत तक इसे पाओगे।
यह मृत्यु के साथ बंद होती है,
सुख अरु दुख का यह संगम होती।

जीवन यात्रा बड़ी अजब होती 
सुख अरु दुख का यह संगम होती।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर

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