विनय साग़र जायसवाल

ग़ज़ल--

मौसम-ए-गुल है सनम लुत्फ़ उठाने के लिए
कितना अच्छा है समाँ प्यार जताने के लिए

दिल की बेताब तमन्नाएं मचल उठ्ठी हैं
साज़े -दिल छेड़ ज़रा गीत सुनाने के लिए 

यह बुज़ुर्गों ने बताया है कई बार हमें
बात बन जाती है गर सोचो बनाने के लिए

इससे बेहतर था मुलाकात न करते उनसे
जब भी मिलते हैं तो बस दिल को दुखाने के लिए

ऐसे रूठे कि न आने की क़सम  खाके गये
*हमने क्या क्या न किया उनको मनाने के लिए*

 उनके घरवाले मुहब्बत को तरस जाते हैं
जो भी परदेस गये रोज़ी कमाने के लिए 

हमने जो पेड़ लगाये है यहाँ पर *साग़र*
छोड़ जायेंगे  विरासत ये ज़माने के लिए

🖋️विनय साग़र जायसवाल, बरेली
1/6/2021

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