स्नेहलता नीर

माहिया छंद
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1
लगता सबसे न्यारा
दिल में  बसता  वो
साजन  मेरा प्यारा
2
तुम दूर नहीं  जाना
तुमको अब  मैंने 
अपना सब कुछ माना
3
जग बैरी सारा है
कैसे समझाएँ
ये पहरा कारा है
4
मदिरा की प्याली है
चंचल सी चितवन
अधरों पर लाली है
5
आया कोरोना है
भय कंपित सारा
जन -मन का कोना है।
6
विरहा की मारी हूँ
आ  जाओ साजन
मैं अति दुखियारी हूँ
7
तू जब मुस्काती है
जादूगरनी सी
ये चित्त चुराती है
8
कोयल की सी बोली है
चाल हिरनिया सी
सजनी तू भोली है
9
मिलने आया बादल
शोर मचाती क्यों
क्या पागल है पायल 
10
दुख की बदरी बरसी
दर्शन को उनके
उम्मीद बड़ी  तरसी

-स्नेहलता'नीर'
प्रीत विहार रुड़की,उत्तराखण्ड

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