रामकेश एम यादव

डॉक्टर!

थकते नहीं ये रुकते नहीं
मौत से लड़ते हैं।
बाजी लगाकर जान की
ये निदान करते हैं।

ईश्वर के बाद हम डॉक्टर को 
याद करते हैं।
इस महामारी में उनका 
धन्यवाद करते हैं।

तारीफ में इनके शब्द तो
बेहद कम पड़ रहे।
कितने दिए ये जान
मगर आज भी लड़ रहे।

झुकता है ये मेरा शीश
ये हमारे लिए जी रहे।
सारे सुखों को त्यागकर
हमारे जख्म सी रहे।

दुनिया में कोई और नहीं
जो हो इनके समान।
विश्वास के साथ कह रहे 
ये धरती के भगवान।

रामकेश एम यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...