काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-43 राम-कथन सुनि उठा बिभीषन। कह कर छूइ मगन प्रभु-चरनन।।      दीन्ह नाथ मोंहि आजु पियूषा।      पियत जाहि मन मिटै...

सुनीता उपाध्याय

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 कहूं बात मोहन       तुम्हें रात की। कि शब भर तुम्हीं से मुलाकात की। ***** कभी तो करो बात आकर मिलो। करो कुछ कदर मेरे जज़्बात की। *****  मुहब...

दयानन्द त्रिपाठी दया

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 पौष मास में स्वागतम्, रवि करते हैं धनु परित्याग। मकर राशि के अतिथि रवि, करते  हैं  पर्व सुराग।। नववर्ष   का   नव  पर्व  है, मकर  संक्रांति ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-42 सुभ अरु असुभ न सोचै रावन। काम-लोभ-मद बिबस तासु मन।।       महामत्त गज रावन-दल मा।       गरजहिं जिमि कारे घन ...

नूतन लाल साहू

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 सादा जीवन उच्च विचार जीवन,जितना सादा होगा तनाव,उतना ही आधा होगा योग करें या ना करें लेकिन जरूरत पड़ने पर एक दूसरे का सहयोग जरूर करें समझ न ...

विनय साग़र जायसवाल

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 गीत नयनों में वही  समाया है। जिसने संसार रचाया है।। टुटे है भ्रम के ताजमहल  हैं सुस्मृतियों में चरण कमल | छूकर जीवन भी हुआ विमल  हर अंधकार ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *गीत*                  मकर संक्रांति उत्तम है चारोधाम से,स्नान गंगासागर।  सब देव-लाभ ले लो,संक्रांति को जाकर।। संक्रांति को दिनकर,होते हैं ...

मन्शा शुक्ला

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 मकरसंक्रांति विधा  छन्दमुक्त परिवर्तन नियम प्रकति का बदलती गति दिनकर की प्रवेश करते मकर राशि में हो  रहा  नवल  प्रभात मनाते संक्रांति त्योह...

सुनीता असीम

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 तू हौंसला ज़रा सा मेरे डर में डाल दे। या तो उबार दे या तो चक्कर में डाल दे। *****†* मुझको दे नूर ऐसा कि आकाश भी कहे। ऐसी चमक गगन के तू अख़्...

एस के कपूर श्री हंस

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 *।।रचना शीर्षक।।* *।।कल का सुंदर संसार,मिलकर आज ही संवार।।* यदि बनाना है कल अच्छा तो करो   आज    तैयारी। यदि पहुंचना मंजिल  पर कल तो करो आज...

निशा अतुल्य

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 *श्री गणेशाय नमः* *कान्हा मनुहार* मनहरण घनाक्षरी 8,8,8,7 वार्णिक विधा 15.1.2021 राधा जी निहारे बाट , कान्हा जी आएँगे आज । थके नैन राह देखें...

विनय साग़र जायसवाल

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 🌹ग़ज़ल ---🌹 मुफायलुन-फयलातुन-मुफायलुन फेलुन ये सर्द रात है जुगनू दुबक रहे होंगे हज़ारों दिल के दरीचे खटक रहे होंगे मुझे यक़ीन है महफ़िल में उन...

नूतन लाल साहू

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 यांदे खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता हैं जाने कब कौन जिंदगी का हिस्सा बन जाता हैं कुछ लोग जिंदगी में ऐसे मिलते हैं जिनसे कभी ना टूटने वाला...

डॉ0 हरिनाथ मिश्र

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 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-42 रावन सरथ बिनू रथ रामा। बिकल बिभीषन लखि छबि-धामा।।      बिजय होय कस बिनु रथ नाथा।       कहेउ बिभीषन अवनत माथ...

मकर संक्रांति आशुकवि नीरज अवस्थी

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  मकर संक्रांति के अवसर पर समस्त सहित्यप्रेमियो को सादर निवेदित चंद पंक्तियाँ~~ *********************** सप्त दिवस के अश्वों से युत, रथ पर ...

लोहड़ी आशुकवि नीरज अवस्थी

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 लोहड़ी तिल खुटिया रेवड़ी मिले तापो खूब अलाव। मन चंगा है गा मेरा सरदारा घर जाव। भांति भांति के बन रहे उनके घर पकवान हमे खिलाया प्यार से जैसे ह...

राजेश कुमार सिंह "श्रेयस" लघुकथा

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 #गद्य_ध्रुपद 43 #तब_रिश्ते_दिल_के_होते_थे l जाड़ा रजाई  मे घुसने की भरपूर कोशिश कर रहा था और  रजेशर उसको रोकने के सारे यत्न किये जा रहा था l...

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

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 दिनांकः ०९.०१.२०२१ दिवसः शनिवार विधाः गीत विषयः आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।           मंजिल     हमें    पुकार    रही  है।  शीर्षकः आओ   बढ़कर ...

सुषमा दीक्षित शुक्ला

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 ठंढ भी सुनती कहाँ  उफ़ ये कम्प लाती सर्द का, अलग अलग मिजाज है । बेबस ग़रीबो के लिए तो, बस सज़ा जैसा आज है । कुछ वाहहह वालों के लिए , तो मौज का...

डॉ० रामबली मिश्र

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 धैर्य चालीसा सदा धैर्य की दिव्य विजय हो। जय हो जय हो धैर्य अजय हो।। धैर्य पंथ पर जो चलता है। वही सफल मानव बनता है।। संकट में धीरज धारण कर। ...

डॉ0 हरिनाथ मिश्र

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 एक प्रयास          *रोटी* करतीं हैं बाध्य सबको केवल ये रोटियाँ, घर-बार छुड़ा देतीं केवल ये रोटियाँ। उद्योग-काम-धंधा कुछ करने के लिए- करतीं स...

वक्त मतदाता का है किस तरह काटें - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

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 वक्त मतदाता का है? चुप रहें या बोलकर डांटें, वक्त मतदाता का है किस तरह काटें।। क्या कहें? कब कहें? किससे कहें? कुछ कथ्य भी तो होना चाहिए बा...

विनय साग़र जायसवाल

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 ग़ज़ल--- तेरे दिल का अब हमको हर काशाना मंज़ूर हुआ तेरी ज़ुल्फ़ों के साये में मर जाना मंज़ूर हुआ उठने लगीं हैं काली घटायें छलके  हैं जाम-ओ-साग़र  ऐ...

एस के कपूर श्री हंस

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 *।।रचना शीर्षक।।* *।।हमारे बुजुर्ग,,,,दुआओं की*  *सौगात है बुजुर्गों के पास।।* क्षमा दुआ अनुभव  आशीर्वाद  है बुजुर्गों    के  पास। बहुत ही ...

नूतन लाल साहू

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 रहस्यमयी बातें पानी में गिरने से किसी की बन मृत्यु नहीं होती मृत्यु तभी होती हैं जब तैरना नहीं आता है परिस्थितियां कभी समस्या नहीं बनतीं सम...
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