डा० भारती वर्मा बौड़ाई राजकुमारी  ————-


डा० भारती वर्मा बौड़ाई


राजकुमारी 
————-
पिता 
राजा है 
अपनी बेटी का 
तभी तो 
कंधे पर 
अपनी राजकुमारी को 
बैठा कर 
करता जा रहा 
उससे बातें
दुनिया/जहान की,
बता रहा 
क्या-क्या घट रहा आजकल,
जंगल कम हुए 
तो जानवर आ गए 
शहरों में,
सफेदपोश जानवर 
हो गए अधिक खूँखार,
आते हैं 
कई-कई रूप बदल 
नित नये भेष में,
डर मत 
मेरी राजकुमारी!
तू पढ़ेगी/लिखेगी 
समर्थ/सक्षम बनेगी 
जो झेला 
हमारी और बेटियों ने
उस आग को 
अपने भीतर कभी 
बुझने न देगी,
मिले कोई वहशी झपटता 
किसी राजकुमारी पर 
दरिंदे को मृत्यु देकर 
हर बेटी की रक्षा की आवाज बनेगी 
मेरी राजकुमारी 
हर काल में 
राजा का धर्म 
पूरा करेगी......!!!!!!
—————————
डा० भारती वर्मा बौड़ाई


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...