डॉ शिव शरण "अमल" बसंत

बसंत


मिटाए वेदना चित की,
उसे हम संत कहते है ।
कला जीने कि सिखलाए,
उसे सदग्रंथ कहते है ।।
कहीं पतझड़,कहीं मधुवन,
ये तो बस ऋतु प्रवर्तन है,
जान मुर्दे में जो फूके,
उसे बसंत कहते है ।।


डॉ शिव शरण "अमल"


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