*गरूर अभिमान मिटा देता है*
*तेरे निशां।मुक्तक।*
तुम्हारा चेहरा बनता कभी तेरी
पहचान नहीं है।
अभिमान से मिलता किसी को
कभी सम्मान नहीं है।।
लोग याद रखते हैं तुम्हारे दिल
व्यवहार को ही बस।
न जाने कितने सिकंदर दफन
कि नामो निशान नहीं है।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस।।*
*बरेली।*
मो। 9897071046
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