भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

नव संवत्सर २०७७ एवं नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
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*"नव संवत्सर आया है।"*
(ताटंक छंद गीत)
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विधान- १६ + १४ = ३० मात्रा प्रतिपद, पदांत SSS, युगल पद तुकांतता।
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*शोभित शरिष्ठ शारित शुभकर, खुशियों का पल लाया है।
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।
नव हर्षित पल नयी उमंगें, नव विश्वास जगाया है।
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।


*नवल भोर की सुखद घड़ी है, नव संवत मनुहारें हैं।
सुरभित सुमन सुशोभित शाखें, भृंग भरें गुंजारें हैं।।
मौसम महका लहका बहका, मानस मद भर आया है।
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।


*भेदभाव की भित्ति ढहाकर, मन अवगुंठन को खोलो।
मन-मन मधुर मधु मदमाया, मधुर-मधुर सब ही बोलो।।
समशीतोष्ण भया मौसम है, दिग्दिगंत चहकाया है।
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।


*जग की सृष्टि विधाता ने की, अद्य दिवस को ही जानो।
भारत अपना है जग का गुरु, अपनी संस्कृति को मानो।।
हम सब आर्यों की संतति हैं, मन को क्यों भरमाया है?
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।


*'विक्रम' के विक्रम का दिन है, 'राम-राज्य' दिन है आया।
स्थापित 'आर्यसमाज' हुआ है, ताज 'युधिष्ठिर' ने पाया।।
चैत्र शुक्ल की पहली तिथि है, वैदिक नव दिन आया है।
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।


*रीति नहीं भूलो अपनी तुम, तज दो पश्चिम-धारा को।
हवन आरती करके तोड़ो, कलुषित विचार-कारा को।।
शीत सुवासित बहे समीरण, सुख का शुभ-घन छाया है।
पावन नव संवत्सर आया, सारा जग सरसाया है।।


*हिन्दी वर्ष सुमंगल हितकर, स्नेह सुधा सरसाया हो।
प्रमुदित हों पल-पल सब जग में, प्रेमभाव मन भाया हो।।
स्वागत नूतन वर्ष तुम्हारा, हरेक हिय हर्षाया है।
पावन नव संवत्सर सुखकर, सारा जग सरसाया है।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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