*क्यों नफरत के रास्ते जा है आदमी।*
*।।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।।।।।*
बाग को तो अब बागवान
ही खा रहा है।
क्यों आदमी जिंदगी में
नफरत ला रहा है।।
अपनी करनी से ही तो
बनती जिंदगी स्वर्ग नर्क।
जाना था प्रेम की गली जाने
कौन राह जा रहा है।।
*रचयिता।।।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।।।।*
मोब 9897071046।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।
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