कविता - तैयारीअभी अधूरी है
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लिखना मेरी मजबूरी है ,
सरकारी ध्यान जरुरी है ।
कोरोना से लड़ने वाली ,
तैयारी अभी अधूरी है ।।
बच्चे बापू से रूठे हैं ,
अब काम काज सब छूटे हैं ।
अम्मा से पूछ रहे हैं वो ,
क्यों भाग्य हमारे फूटे हैं ।
इस कोरोना ने क्यों अम्मा ,
छीनी तेरी मजदूरी है ।।
कोरोना से लड़ने वाली,
तैयारी अभी अधूरी है ।।1
नेता जी ताली बजा रहे ,
हँस हँस के थाली बजा रहे ।
आटा व दाल हुए महंगे ,
व्यापारी हमको नचा रहे ।
भूखों की अंतड़ियों से क्यों ,
रोटी की इतनी दूरी है ।।
कोरोना से लड़ने वाली ,
तैयारी अभी अधूरी है ।।2
विज्ञापन में बजते गाने ,
नर्सों पे मास्क न दस्ताने ।
है सुविधा हीन चिकित्सक भी ,
रोते बिन साधन के थाने।
सच्चा दो दिन से प्यासा है ,
झूंठे के पास अँगूरी है ।।
कोरोना से लड़ने वाली ,
तैयारी अभी अधूरी है ।।3
क्यों निजी चिकित्सक सोए हैं ,
जो सरकारों ने बोए हैं ।
इनकी भी भागेदारी हो ,
किस गफलत में वो खोए हैं।
संयम से जीतेंगे "हलधर",
सच्चा एलान जम्हूरी है ।।
कोरोना से लड़ने वाली ,
तैयारी अभी अधूरी है ।।4
हलधर -9897346173
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