कालिका प्रसाद सेमवाल* *मानस सदन अपर बाजार* *रूद्रप्रयाग उत्तराखंड*

*अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष*
**********************
*बेटिया वैदिक ऋचाएं होती हैं*
~~~~~~~~~~~~~~~~
*बेटियां हिमालय की चोटियां सी हैं,*
*बेटियां पतित पावनी गंगा सी हैं,*
*बेटियां प्रेरणा की मूरत होती हैं,*
*बेटियां समर्पण की सूरत होती है,*
*बेटियां प्रभात की किरण होती है,*
*बेटियां बासन्ती बयार होती है,*
*बेटियां जीवन की व्याख्या होती हैं,*
*बेटियां ईश्वर की  प्रार्थनाएं होती है,*
*बेटियां त्याग की खान होती है,*
*बेटियां कुल का गौरव होती है,*
*बेटियां संस्कृति की पोषक होती है,*
*बेटियां वैदिक ऋचाएं होती हैं,*
*बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी होती है,*
*बेटियां कुरान की आयतें होती हैं,*
*बेटियां गुनगुनी धूप सी होती हैं,*
*बेटियां वर्षा की फुहार सी होती हैं,*
*बेटियां गुलाब का फूल सा होती हैं,*
*बेटियां दक्षता का दीप होती हैं,*
*बेटियां जन्नत का नूर होती है,*
*बेटियां ईश्वर की विलक्षण रचना होती हैं,*
*आओ दे इनको संरक्षण,*
*करे इनका  अभिरक्षण।।*
~~~~~~~~~~~~
*कालिका प्रसाद सेमवाल*
*मानस सदन अपर बाजार*
*रूद्रप्रयाग उत्तराखंड*
*पिनकोड 246171*


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...