*अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष*
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*बेटिया वैदिक ऋचाएं होती हैं*
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*बेटियां हिमालय की चोटियां सी हैं,*
*बेटियां पतित पावनी गंगा सी हैं,*
*बेटियां प्रेरणा की मूरत होती हैं,*
*बेटियां समर्पण की सूरत होती है,*
*बेटियां प्रभात की किरण होती है,*
*बेटियां बासन्ती बयार होती है,*
*बेटियां जीवन की व्याख्या होती हैं,*
*बेटियां ईश्वर की प्रार्थनाएं होती है,*
*बेटियां त्याग की खान होती है,*
*बेटियां कुल का गौरव होती है,*
*बेटियां संस्कृति की पोषक होती है,*
*बेटियां वैदिक ऋचाएं होती हैं,*
*बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी होती है,*
*बेटियां कुरान की आयतें होती हैं,*
*बेटियां गुनगुनी धूप सी होती हैं,*
*बेटियां वर्षा की फुहार सी होती हैं,*
*बेटियां गुलाब का फूल सा होती हैं,*
*बेटियां दक्षता का दीप होती हैं,*
*बेटियां जन्नत का नूर होती है,*
*बेटियां ईश्वर की विलक्षण रचना होती हैं,*
*आओ दे इनको संरक्षण,*
*करे इनका अभिरक्षण।।*
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*कालिका प्रसाद सेमवाल*
*मानस सदन अपर बाजार*
*रूद्रप्रयाग उत्तराखंड*
*पिनकोड 246171*
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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