राजेंद्र रायपुरी

😊😊 यही तो चाहत है 😊😊


दो वक्त की रोटी,
   उमर हो न छोटी।
      यही तो चाहत है,
         मिले तो राहत है।


हो छोटा सा आशियाना।
      बेघर न कहे ज़माना।
            यही तो चाहत है, 
                 मिले तो राहत है।


तन पे हो लॅ॑गोटी,
   बड़ी हो या छोटी।
      यही तो चाहत है,
         मिले तो राहत है।


भूखे को देकर कुछ खाएॅ॑,
  इतना तो धन रोज़ कमाएॅ॑।
        यही तो चाहत है,
            मिले तो राहत है।


संतों की सेवा हो जाए,
   दें आशीष सदा वो जाएॅ॑।
      यही तो चाहत है,
          मिले तो राहत है।


          ।। राजेंद्र रायपुरी।।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511