चिंतन चरित्र व्यवहार का मुरलीधर कैसे हो परिष्कार।
आत्म मूल्यांकन का ज्ञान नहीं न आध्यात्म से प्यार।।
न तत्वबोध न साधना नहीं जिनका श्रेष्ठ व्यक्तित्व।
झूठे दंभ की बेहोशी में जिनके सुंदर नहीं कृतित्व।।
नियोजन नहीं पुरुषार्थ का नहीं कोई जीवन लक्ष्य।
बौद्धिक विकास का प्रयास नहीं भोजन भक्ष्याभक्ष्य।।
हे माधव ऐसे जन को दीजिए जीवन जीने का ज्ञान।
बौद्धिक क्षितिज का विस्तार कर मेंटों तुम अज्ञान।।
व्यक्तित्व के हर आयाम को जाँचो परखो भगवान।
कृपा बनी रहे सदा सत्य पर रहे कृष्ण तेरा ध्यान।।
श्रीकृष्णाय नमो नमः🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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