संजय जैन बीना (मुम्बई)

*तू आमानात है....*
विधा : कविता


मचल रहा है मेरा दिल,
तुझे देखने के लिए।
करू क्या अब में,
बता दो तुम्ही कुछ।
जिस से देख सकू,
अपनी जानेमन को।
और मचलते दिल की,
तड़प को मिटा सके।।


जबसे चढ़ा है तेरा प्यार, 
मेरे दिल दिमाग पर।
कुछ भी दिखता नहीं,
तेरे सिवाये अब मुझको।
और न ही कुछ याद रहता,
बस तेरे नाम के अलावा।
इसलिए तो घायाल हूँ,
तेरी अदाओं के कारण।।
 
कहानी नई लिखी जाएगी,
तेरे हुस्न की खातिर।
न बदनाम होने दूंगा तुझे,
अपनी मोहब्बत की खातिर।
सजा कर दिल मे रखूंगा,
तेरी तस्वीर को जनाम।
अमानत है तू मेरे दिलकी,
तो कैसे होने दू और की।।


*जय जिनेन्द्र देव की*


गुड़ी पड़वा और नव वर्ष की बधाई और शुभकामनाएं


संजय जैन बीना (मुम्बई)
25/03/2020


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