सुनीता असीम

अपने दिल में मेरा असर रख दे।
सूने उपवन में इक शज़र रख दे।
****
कह रहा मन मेरा यही मुझसे।
तेरे कदमों में ये जिगर रख दे।
****
कह रहे चाँद से सितारे ये।
रोशनी को इधर उधर रख दे।
****
फिर मिलेंगी तुझे सभी खुशियाँ।
सर उसीके ही दर अगर रख दे।
****
तब चमकती किसीकी हैं नजरें।
सामने इक नई ख़बर रख दे।
****
सुनीता असीम
25/3/2020


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511