कविता:-
*"देश-प्रेम"*
"देश प्रेम में ही साथी,
शहीद हुए-
वीर अनेक।
देश प्रेम में ही तो साथी,
सीमा पर बैठे-
सैनिक अनेक।
देश पर आये जब जब ,
विपत्ति कोई-
हम सभी हो जाते एक।
कोई भी जाति धर्म का,
भेद नहीं-
हम सब भारत वासी है-एक।
अनेकता में एकता ही तो,
हमारी हैं पहचान-
सदा मिल जुल कर रहे एक।
मिल जुल कर रहना साथी,
नफरत का नहीं-
कोई काम।
देश प्रेम में हीं जीना ,
देश के लिये मरना-
यही है-पैग़ाम।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
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