आलोक मित्तल

ग़ज़ल
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हम भी यार दिवाने है
वो लौ हम परवाने है ।।


दिल जला किसी का यारो,
दीये और जलाने है ।।


छोड़ना नही हाथ कभी,
रिश्ते सभी निभाने है ।।


हर दिन है नया बहाना,
जग मे बहुत बहाने है ।।


कर्जा ले कर आये हम,
इक इक सभी चुकाने है।।


साथ साथ रहना है तो,
झगड़े नही बढ़ाने है।।


इश्क मुश्क छुपते है कब,
उनके बहुत फ़साने है ।।


** आलोक मित्तल **


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