सुनीता असीम

विषय-जीवन को बचाना है..



करोना के कहर से 
मौत को बांधकर
देहरी न लांघकर
जीवन को बचाना है...



सोच के विषांकुर को
जड़ से उखाड़ कर
भय को पछाड़कर
जीवन को बचाना है...



जात धर्म से ऊपर उठ
परहित को पालकर
मनुधर्म को ढालकर
जीवन को बचाना है...



मनभेद मतभेद को भूल
सबके साथ होकर
हाथों को धोकर
जीवन को बचाना है...



करोना के असर से
मास्क पहनकर
ले सैनिटाइजर
जीवन को बचाना है..



++++±+++++++++++
सुनीता असीम
21/4/2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...