सुनीता असीम

कौन है जो नशे में चूर नहीं।


चढ़ रहा अब किसे सुरूर नहीं।


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दिल तेरा धड़क रहा है जो।


इसमें मेरा कहीं कसूर नहीं।


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जो करे मां-बाप की सेवा।


पुत्र ऐसा मिले बेशऊर नहीं।


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कर लिया जो जतन बड़े मन से।


फिर तो दिल्ली है पास दूर नहीं।


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जो चमकती रहीं हरिक मौसम।


उन निगाहों में आज नूर नहीं।


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सुनीता असीम


१६/६/२०२०


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