सुनीता असीम

कौन है जो नशे में चूर नहीं।


चढ़ रहा अब किसे सुरूर नहीं।


*****


दिल तेरा धड़क रहा है जो।


इसमें मेरा कहीं कसूर नहीं।


*****


जो करे मां-बाप की सेवा।


पुत्र ऐसा मिले बेशऊर नहीं।


*****


कर लिया जो जतन बड़े मन से।


फिर तो दिल्ली है पास दूर नहीं।


*****


जो चमकती रहीं हरिक मौसम।


उन निगाहों में आज नूर नहीं।


******


सुनीता असीम


१६/६/२०२०


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...