वदी अष्टमी भाद्रपद, घिरी घठा घनघोर।
जन्मे कारागार मँह, कान्ह श्याम चितचोर।।
सोलह कला निरुपणा, श्रीहरि को अवतार।
तिथि अष्टमी काल सम, कीम्ह असुर संहार।।
दुर्गेश्वरि की अष्टमी, सौख्यप्रदा वर देय।
करै मनोरथ सुफल शुभ, चिंत ताप हर लेय।।
कदन्ब तमाल तरु घने, बहति जमुन जलधार।
गोचारण तहँ रास रस, गोपी गोप कुमार।।
प्रखर
फर्रुखाबाद
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