रीतु प्रज्ञा

आजादी हमको प्यारी,


वतन आसमाँ न्यारी,


जंजीर तोड़ते चले,


गीत गाते मान में।


 


नवीन विचार रचे,


घृणित कार्य से बचे,


खुशबू उड़ाए हम,


झूमे झंडा शान में।


 


नमन करते हम,


मस्तक झुकाते हम,


करेंगे वतन रक्षा,


सीख बलिदान में।


 


अमन वास्ते हैं दृढ,


फोड़ देते शत्रु दृग,


जुल्म तो सहना नहीं,


पग बढे आन में।


 


           रीतु प्रज्ञा


       दरभंगा, बिहार


     स्वरचित एवं मौलिक


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