लोग कहां पर ऐसे होंगे।
मिलजुल कर जो रहते होंगे।
इक दिन तो आए ऐसा भी।
रिश्ते गुड़ से मीठे होंगे।
हरियाली छाएगी हरसू।
दूर डगर से कांटे होंगे।
प्यार मिला जी भरकर उनको।
मात पिता ये कहते होंगे।
हसना देख ज़रा प्रेमी का।
प्रेम समझ कर रोते होंगे।
राह दिखाए सबको सच्ची।
रस्ते ऐसे होते होंगे।
जान लुटा दें सिर्फ वतन पर।
लोग वही तो भाते होंगे।
सुनीता असीम
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