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डॉ0 रामबली मिश्र
*प्रेम मिलन... (सजल)*
प्रेम मिलन का सुंदर अवसर।
मंद बुद्धि खो देती अक्सर।।
प्रेम पताका जो ले चलता।
पाता वही प्रेम का अवसर।।
उत्तम बुद्धि प्रेम के लायक।
बुद्धिहीन को नहीं मयस्सर।।
भाव प्रधान मनुज अति प्रेमी।
भावरहित मानव अप्रियतर।।
रहता प्रेम विवेकपुरम में।
सद्विवेक नर अतिशय प्रियवर।।
प्रेमातुर नर अति बड़ भागी।
पाता दिव्य प्रेम का तरुवर।।
प्रेम दीवाना सदा सुहाना।
प्रेमपूर्ण भाव अति सुंदर।।
जिसका दिल अति वृहद विशाला।
वही सरस मन प्रेम समंदर।।
जिसका मन विशुद्ध हितकारी।
उसको मिलता प्रेम उच्चतर।।
प्रेम मिलन अतिशय सुखदायी।
समझो दिव्य प्रेम जिमि ईश्वर।।
डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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