"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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डॉ0 निर्मला शर्मा
प्रेरणा
इस जगत का निर्माण
मानव में डाले प्राण
अनुपम रची रचना
सृष्टि का किया विधान
वह प्रेरणा ही तो थी, जो
बन ईश का आधार
चराचर रूप साकार
नवनिर्मित यह पृथ्वी
बिखराती चहुँ दिसि
जीवन का उल्लास
धरती और आकाश
चाँद-तारों का प्रकाश
जीवन में नवल प्रभात
वह प्रेरणा ही तो थी, जो
बुने सपनों के पल खास
कराये हर रस का अभास
प्रसन्नता से नाचे मनमोर
लेकर नवरस मधुमास
सृजन हो जब सादृश्य
परिवर्तित हो हर दृश्य
चलता अनुक्रम अविरल
पीता जब कोई गरल
मंथन मथनी का साथ
करता है नव शुरुआत
सब बनता जाता सरल
प्रेरणा हो अगर मंजुल
सकारात्मक बनते भाव
सत्यम शिवम का अनुराग
जगाता सात्विक अनुभाव
हो आनन्दमगन संसार
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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