डा.नीलम

*प्यार की सौगात* देकर प्यार की सौगात आंख में आंसू दे गए साजन मेरे मुझसे मेरा चैन ओ' करार ले गए हवाओं को दी आजादी मेरे ख्वाब बंधक कर गए प्रीत-रीत की दे दुहाई मासूम दिल हमारा ले गए नेह की है बदली छाई मनाकाश पर कजरारी घन गर्जन सी धड़कनों की सौगात प्रियतम दे गए रातों की तन्हाई में सजा मदहोश ख्वाबों का बाजार सिरहानों को रात भर जागने की नशीली सजा साजन दे गए मिली निगाहें जब से निगाहों से उतर कर रुह रुह में संवर गई तन मन की सुध नहीं रही मुझे रुहानी सफर पर मितवा मुझे ले गए देकर प्यार की ................ डा.नीलम

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...