सुनीता असीम

चली ही गई जान जब से जिगर से।
नहीं डर रहे बद-दुआ के असर से।
***
यही कोशिशें हैं सदा के लिए बस।
तेरा नाम निकले हमारे अधर से ।
***
कि मुझसे हो रूठे मेरे तुम कन्हैया।
परेशान हूँ सुनके ऐसी खबर से।
***
तेरा रूप सांवल मुझे भा गया यूं।
सदा देखती रूप दीदा ए तर से।
***
अगर मिल गए श्याम आकर के मुझसे।
तो जाने न दूँगी तुम्हें मैं नज़र से।
***
*दीदा ए तर=आंसू भरी आंखों से

सुनीता असीम
२०/५/२०२१

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