डॉ० रामबली मिश्र

काशी (चौपाई)

काशी की अति न्यारी महिमा।
अतिशय दिव्य परम प्रिय गरिमा।।
काशी देवलोक की नगरी।
इसे जानती दुनिया सगरी।।

महादेव की है यह काशी।
रहते यहाँ ब्रह्म अविनाशी।।
हरते शंकर त्रय तापों को।
सहज काटते सब पापों को।।

भोलेशंकर मोक्षप्रदाता।
इन्हें समझना महा विधाता।।
मानववादी संस्कृति रचना।
काशी की मोहक संरचना।।

परम प्रसिद्ध जगत कल्याणी।
काशी की है मधुरी वाणी।।
पावन सरिता गंगा-वरुणा।
प्रेमरूपिणी माता करुणा।।

यदि सच्चा आनंद चाहिये।
शिव जी का वरदान चाहिये।।
काशी में ही अलख जगाओ।
खुशियों का त्योहार मनाओ।।

रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801

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