बुराई की अकेले ही खिलाफत क्यूँ नहीं करते।
अगर शिकवा किसी से हो शिकायत क्यूँ नहीं करते।
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नहीं जालिम अगर राजा तो उसका साथ भी देना।
बगावत की आवाजों पे मलामत क्यूं नहीं करते।
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सभी का है वतन अपना चमन इसको बना देंगे।
मुहब्बत है वतन से तो मुहब्बत क्यूँ नहीं करते।
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नहीं है फायदा कोई यूँ आपस में झगड़ने का।
अगर सम्मान है इसका जियारत क्यूँ नहीं करते।
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सही क्या है गलत क्या है डगर सच की बताकर यूँ।
सभी माँ-बाप बच्चों को हिदायत क्यूँ नहीं करते।
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सुनीता असीम
२०/२/२०२०
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