परमानंद निषाद

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चैत्र नवरात्र पर मां शेरोवाली पर आधारित मेरी कविता....


    *॥ मां शेरोवाली ॥*
          
आ रही मां शेरोवाली, 
सबकी दुख मिटाने को।


अन्नदायिनी,अन्नपूर्णा हो,
तू स्नेह भरी भवानी हो।


मां है मेरे शेरोवाली, 
शान है मां की बड़ी निराली।


किसी से क्या घबराना जब,
सर पर मां दुर्गा का हाथ हो।


जो मां दुर्गा का सच्चे मन से करे,
उपासना उसके कटे कलेश।


श्रध्दा भाव कभी कम ना करना,
दुःख में हंसना गम ना करना।


मां दुर्गा के कदम आएं,
आप खुशहाली से नहाएं।


आंसू भरी आंखों से मैं,
 कैसे तेरा दर्शन पाऊं मां


मां मेरे संताप भरा है,
 कैसे मैं मुस्काऊं मां।


आजा एक बार मां पुत्र ये पुकारता,
आने को तेरे मां नित बाट में निहारते।


आ रही मां शेरोवाली, 
सबकी दुख मिटाने को।


  *परमानंद निषाद*


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