संजय जैन

*बहिन भाई बंधन*


विधा : कविता


 


छोटी बड़ी बहिनों का,


हमे मिलता रहे प्यार।


क्योकि मेरी बहिना ही,


है मेरी मातपिता यार।


जो मांगा वो लेकर दिया,


अपने आपको सीमित किया।


पर मांग मेरी पूरी किया,


और मेरे को खुश करती रही।


मेरी गलतियों को छुपाती रही, 


और खुद डाट खाती रही।


पर मुझे हमेशा बचती रही,


ऐसी होती है बहिना।


उन सब का उपकार में,


कभी चुका सकता नहीं।


अपनी बहिनों को मैं,


कभी भूला सकता नहीं।


रहेंगी यादे सदा उनकी 


मेरे दिल के अंदर।


जो कुछ भी हूँ आज में,


बना बदौलत उनकी ही।


ये कर्ज हमारे ऊपर उनका


जिसको उतार सकता नही।


में अपनी बहिन को 


जिंदा रहते भूल सकता नही।


रक्षा बंधन पर बहिना से मिलना तो एक बहाना है।


वो तो मेरी हर धड़कन में, बसती क्योंकि बहिन हमारी है।


इसलिए टूट सकता नही भाई बहिन का ये बंधन।


इसलिये भूल सकता नही, 


रक्षा बंधन रक्षा बंधन।।


 


उपरोक्त मेरी कविता सभी भाइयों की ओर से बहिनों के लिए समर्पित है।


 


संजय जैन (मुम्बई)


 


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