पल भर का प्यार
पल भर का प्यार पाने को,
तरसता रहा -
मन हर बार।
बढ़ती कटुता और घुटन से ही,
टूटे संबंध और-
टूटे घर बार।
मन की मन में रहती जो,
कैसे-होते जीवन में-
सपने साकार।
व्यापार हो जब संबंधों का,
क्या-करेगा जीवन में-
पल भर का प्यार।
समझ ले साथी जीवन मे,
पल भर का प्यार ही-
बनता जीवन आधार।
अपनत्व होता जीवन में,
अपनो का तभी -
होता सत्कार।
पल भर का प्यार मिले,
जीवन सपने-
ले नव आकार।।
सुनील कुमार गुप्ता
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