डॉ० रामबली मिश्र

 *हाय मेरे...*

   *(ग़ज़ल)*


हाय! मेरे प्यार की तस्वीर तुम।

परम प्यारे मीत हो तकदीर तुम।।


दरश को व्याकुल बेचारा चक्षु है।

शांत करना चित्त को हे  पीर तुम।।


धधकता है दिल तड़पता आज है।

आ बुझाओ अग्नि को बन नीर तुम।।


खो रहा है धैर्य मन का भाव यह।

धर्म बनकर आ हृदय में धीर तुम।।


मधुर रस की चाह विह्वल कर रही।

उदर में आ मीत बनकर खीर तुम।।


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

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