डॉ0 हरि नाथ मिश्र

गीत
मान नहीं कर सकते हो तो,
मत करना अपमान कभी।
आदर करना जब सीखोगे,
पाओगे सम्मान तभी।।

यही सनातन धर्म राष्ट्र का,
यही तो रीति पुरानी है।
विश्व मानता लोहा अपना,
अपनी प्रीति कहानी है।
भारत की मानवता उत्तम,
जिसको करते नमन सभी।।
     पाओगे सम्मान तभी।।

रहे धरोहर सदा सुरक्षित,
बस प्रयास यह करना है।
मेल-जोल से जीवन बीते,
श्याम-श्वेत से बचना है।
उत्तर-दक्षिण,पूरब-पश्चिम,
सोच न उपजे गलत कभी।।
       पाओगे सम्मान तभी।।

बनो सहायक मानव हो तुम,
सुंदर सोच बढ़ाने में।
ऊँच-नीच का भाव न पनपे,
जीवन-बाग सजाने में।
आदर देकर मिलता आदर,
मान बढ़ेगा शीघ्र अभी।।
       पाओगे सम्मान तभी।।

तुम हो रचना श्रेष्ठ जगत की,
जग-आभूषण-शान तुम्हीं।
विधि-विधान के प्रतिनिधि जग में,
एकमात्र पहचान तुम्हीं।
शुद्ध सोच के हो परिचायक-
सबसे तेरी सदा निभी।।
     पाओगे सम्मान तभी।।
                © डॉ0 हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

अमरनाथ सोनी अमर

मुक्तक- देश प्रेम! 

मात्रा- 30.
देश- प्रेम रहता है जिसको,     लालच  कभी  न करता है! 
सर्व-समाजहित स्वजनोंका, 
वही  बिकास  तो करता है! 
किन्तुआजका कौनजमाना, 
खाते  जन - भण्डार  सभी! 
फिरभी उनका पेट न भरता, 
पेट- --पीटता  फिरता   है!! 

लालच जिन्हें  सवार हो गया, 
वह   चुनाव  तो   लड़ता  है! 
जनमत प्रेम दिखाता फिरता, 
झूँठा     वादा     करता    है! 
मत  लेकर  कुर्सी  जब पाया, 
देश --प्रेम  से   अलग   हुआ! 
जनता  वादा  भूल  गया  वह, 
वही    लुटेरा     बनता    है!! 

अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...