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अवधी विकास संस्थान सीतापुर ने आयोजित किए अवधी कवि/कवयित्री सम्मेलन

सीतापुर, कोरोना महामारी का सामना सम्पूर्ण विश्व डटकर कर रहा है। इस मुश्किल समय में अवधी विकास संस्थान सीतापुर,नवीन कदम  छत्तीसगढ़ और काव्य कला निखार मंच के संयुक्त तत्वावधान में अवधी कवयित्री,कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  इस आयोजन का प्रारंभ 2 मई सीता जयन्ती के उपलक्ष्य में हुआ था।इसकी दूसरी कड़ी 4 मई एवं तीसरी तथा अंतिम कड़ी मातृदिवस पर 11 मई को आयोजित की गई।
कार्यक्रमों की शुरुआत वरिष्ठ कवयित्री एवम्  अध्यक्षा श्रीमती निरुपमा श्रीवास्तव तथा अन्य कवयित्रियों ने अपनी वाणी वन्दना से की। उन्होंने सुनाया-"दुःख जब ना होये जीवन में, सुख की परिभाषा का होये," ऋचा तिवारी मंजरी ने सुनाया-" पहिलेन जइसे सबके इन्तिजाम रखि हो," डॉ कुसुम चौधरी ने सुनाया-"हमारे अंगना मा आई बहार बबुआ," डॉ गीता त्रिपाठी ने सुनाया-"तोहरे बिना हमरी जिंदगी अधूरी लगल," डॉ ज्ञानवती दीक्षित ने सुनाया-" सारी दुनिया से सुंदर ई हमार गाँव रे," मधु शंखधर स्वतंत्र ने सुनाया-"बहुत नीक लागइ हमका ऊ गउवा," कार्यक्रम का संचालन करते हुए बिंदुप्रभा जी ने सुनाया-"धीरे-धीरे मेघ घनन घन आये।"
इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में लक्ष्मी शुक्ला, सोनी मिश्रा, ज्योतिमा शुक्ला, कानपुर की श्रीमती रंजना मिश्रा एवं लखनऊ की स्वाति मिश्रा जी ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि सौरभ प्रताप गढ़ी, मनीष मगन, लखनऊ, डॉ हरी फैजाबादी, विशेष शर्मा ,
दुष्यंत शुक्ला , डॉ अमित अवस्थी ने काव्य पाठ करके सफल बनाया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राजेंद्र राठौर जी(संपादक दैनिक नवीन कदम) एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती मणि अग्रवाल जी(संपादक अविरल प्रवाह)  ,दैनिक हिन्दुस्तान  के  नीरज अवस्थी  एवं श्री जी एल गांधी जी ने अपनी सहभागिता एवं शुभाशीष  से कार्यक्रम की सफलता की नींव रखी। 
  अवधी विकास संस्थान, सीतापुर के जिलाध्यक्ष श्रीकांत त्रिवेदी जी ने हर कार्यक्रम को दिशा दी। एवं सचिव अविनाश मिश्र अंजान ने कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी दी। *श्रीकांत त्रिवेदी* जी ने सीता जी  के महत्व पर प्रतिदिन मानस की चौपाइयों "सिय शोभा नहि जाइ बखानी, जगदम्बिका रूप गुन खानी" आदि से सीता जी का स्तवन किया, तथा सभी से अवधी के विकास हेतु सतत प्रयास करने का आग्रह किया। प्रांत संयोजक तारा चंद ' तन्हा ' जी ने हर कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया।
  कार्यक्रम का आयोजन एवं संयोजन अवधी विकास संस्थान सीतापुर के उप जिलाध्यक्ष एवं नवीन कदम के को- कॉर्डिनेटर  अवनीश त्रिवेदी'अभय' ने किया।   
  संस्थान की ओर से अवधी विकास संस्थान के अध्यक्ष श्रीकांत त्रिवेदी जी द्वारा सभी कवि एवं कवयत्रियों एवं अतिथियों को प्रतिदिन *अवधी रत्न सम्मान* से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम बहुत सराहा गया।


अवधी विकास संस्थान उ. प्र. के तत्वावधान में ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन

सीतापुर उत्तर प्रदेश


आज कोरोना महामारी का सामना सभी व्यक्ति अपने अपने तरीके से कर रहे है। इसी क्रम में अवधी विकास संस्थान एवं काव्य कला निखार मंच सीतापुर के संयुक्त तत्वावधान  में *सीता जयंती* पर अवधी ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन दो सत्रों में
2 मई और 4 मई को किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवि जगजीवन मिश्रा जी ने वाणी वन्दना से की। उन्होंने सुनाया-"मइया ललना समुझि दुलरावा करौ, हम बुलाई न बुलाई मुलु आवा करौ।"
रायबरेली की कवयित्री नेहा सोनी ने सुनाया -"कतो मिलति नाइ गांव की निशानी बताव गांव कैसे चली।"
बाराबंकी के प्रसिद्ध कवि रामकिशोर तिवारी ने गंगा को समर्पित छंद सुनाया-"पंथ चली सबका हर्षावति प्रेम पीयूष पियावति गंगा, सत्य सनातन त्याग दया करुणा ममता समुझावति गंगा।" अजय प्रधान ने दोहा सुनाया -"गाइ भैस पालव लगे, अब उनका बेकार।"
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे लखीमपुर खीरी के कवि फ़ारुख सरल ने सुनाया -"होइ गई मकई की फसल जवान कि घर अजा निर्मोइया। बीच खेतवा मा परिगे मचान कि घर आजा निर्मोइया।" विकास बौखल ने सुनाया -"पूस माह के जाड़े मा हमहूँ प्रयाग नहाइ गएन" समीर शुक्ला जी ने सुनाया-" भोरहे मा बोले चिरइया, कोऊ कोऊ का नइया।"
कार्यक्रम का संचालन कर रहे रायबरेली के कवि नीरज पाण्डेय ने सुनाया-"यहिमा सबकै हवै भलाई,राखा जाए साफ सफाई, बिना वजह न बाहर घूमौ सामाजिक दूरी अपनाई। इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में मधुप श्रीवास्तव नरकंकाल, समीर शुक्ला, ताराचंद तन्हा,राजमूर्ति सिंह सौरभ, मनीष मगन,दुष्यंत शुक्ला सिंहनादी,डॉ अमित अवस्थी,डॉ हरि फैजाबादी, आलोक सीतापुरी,श्रीमती विनीता मिश्रा एवं बिंदुप्रभा जी ने काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम का आयोजन एवं संयोजन काव्य कला निखार मंच के संस्थापक एवं अवधी विकास संस्थान सीतापुर के उप जिलाध्यक्ष *अवनीश त्रिवेदी'अभय'* ने किया।
दोनो सत्रों के अंत मे *अवधी विकास संस्थान* सीतापुर के *जिलाध्यक्ष, श्रीकांत त्रिवेदी* जो ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए दोनों संस्थाओं की ओर से सभी कवियों को *अवधी रत्न सम्मान* से सम्मानित किया।


डा0विद्यासागर मिश्र  सीतापुर/लखनऊ उ0प्र0

माँ


अवधी छन्द
महतारी पियारु करे हमका,
दिन रात हमें कनिया मा खेलावैं।
नह्वावैं धोवावैं सुबेरे हमें,
अरु लोरी सुनाके हमें बह्लावैं।
जब भूख लगे हमका कबहू,
महतारी हमै भरि पेट खवावैं।
नजराये कही मेरा लाल नहीं,
अंचरा मा छुपाय कै दूध पियावैं।।
रचनाकार
डा0विद्यासागर मिश्र 
सीतापुर/लखनऊ
उ0प्र0


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