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लखीमपुर खीरी में अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन करके साहित्यकार स्व0 आशुकवि नीरज अवस्थी को दी गयी श्रद्धांजलि - इण्डियन ट्रेडर्स टाइम्स

लखीमपुर खीरी में अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन करके साहित्यकार स्व0 आशुकवि नीरज अवस्थी को दी गयी श्रद्धांजलि

इण्डियन ट्रेडर्स टाइम्स ।
 उत्तर प्रदेश खमारिया पंडित जनपद खीरी लखिमपुर हिंदी साहित्य एव अवधि साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर नीरज अवस्थी जी का दिनांक 11/05/2021 को कोरोना के कारण स्वर्गवास होगया । नीरज अवस्थी जी की आकस्मिक मृत्यु की खबर आग की तरह फैल गयी जिसके कारण उनके पैतृक गांव खमारिया पंडित एव खीरी लखीमपुर, सीतापुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली , गोरखपुर, महराजगंज एवं आस-पास के जनपद और भारत के कई प्रदेशों के कवि लेखक साहित्य प्रेमियों के मध्य शोक की लहर दौड़ गयी स्वर्गीय नीरज अवस्थी जी द्वारा काव्य रंगोली साहित्यिक पटल श्याम सौभाग्य फाउंडेशन की स्थापना की गई थी जिसके माध्यम से उनको साहित्यिक सामाजिक गतिविधियों को संचालित करते थे । 

अल्प आयु एवं अल्पकाल में ही स्वर्गीय नीरज जी ने जनपद लखीमपुर खीरी और खमारिया पंडित का नाम देश विदेश में  रौशन किया। दिनांक 23/05/2021 को स्वर्गीय नीरज अवस्थी की श्रद्धांजलि के उपलक्ष्य में नीरज जी की अजेय कीर्ति काव्य रंगोली के माध्यम अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे देश -विदेश के कुल 106 साहित्यकारों कवियों ने हिस्सा लिया दिनांक 30/5/2021 को स्वर्गीय नीरज जी की श्रद्धांजलि के अवसर पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता का सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें नीरज स्मृति साहित्य सम्मान- 2021 सम्मान पत्र वितरित किया गया। स्वर्गीय नीरज जी की श्रद्धांजलि के उपलक्ष में आयोजित काव्य प्रतियोगिता दिनांक 23/5/2021 एव  दिनाक 30/05/2021 को श्रद्धांजलि सभा के प्रतिभागियों के सम्मान सम्मेलन के सार्थक सफल संचालन दायित्व की प्राभावी भूमिका दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल जी मधु शंखधर स्वतंत्र जी, डॉ इंदु झुनझुन वाला जी ने निभाया जिसमें सकारात्मक सशक्त सहयोग की भूमिका का निर्वहन शेषाद्री त्रिवेदी, नन्दलाल मणि त्रिपाठी पिताम्बर, अनिल गर्ग जी, मुन्नालाल मिश्र जी, शिवम् त्रिपाठी शिवम् जी ने प्रदान किया। 

इन अवसरों पर क्षेत्र के गणमान्य नागरिक मीडिया जगत के प्रमुख हस्तियों ने आभासी माध्यम से अपनी भावनाएं संवेदनाओं को व्यक्त किया। अन्त में आभार ज्ञापन रचना अवस्थी जी की धर्म पत्नी रचना अवस्थी जी ने इस भरोसे विश्वाश के साथ करते हुये अनुरोध किया कि उनके पति की विरासत उनके संकल्प निरंतर उद्देश्य पथ की तरफ अग्रसर होते रहेंगे।
  - काव्य रंगोली परिवार

लखीमपुर खीरी : स्व0 आशुकवि नीरज अवस्थी जी की श्रद्धांजलि के उपलक्ष्य में आयोजित वर्चुअल नीरज स्मृति काव्योत्सव 2021 में देश प्रदेश के कलमकारों ने किया सिरकत मिला 106 कलमकारों को नीरज स्मृति साहित्य सम्मान पत्र।

लखीमपुर खीरी : स्व0 आशुकवि नीरज अवस्थी जी की श्रद्धांजलि के उपलक्ष्य में आयोजित वर्चुअल नीरज स्मृति काव्योत्सव 2021 में देश प्रदेश के कलमकारों ने किया सिरकत मिला 106 कलमकारों को नीरज स्मृति साहित्य सम्मान पत्र।

लखीमपुर खीरी । उत्तर प्रदेश खमारिया पंडित जनपद खीरी लखिमपुर हिंदी साहित्य एव अवधि साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर नीरज अवस्थी जी का दिनांक 11/05/2021 को कोरोना के कारण स्वर्गवास होगया । नीरज अवस्थी जी की आकस्मिक मृत्यु की खबर आग की तरह फैल गयी जिसके कारण उनके पैतृक गांव खमारिया पंडित एव खीरी लखीमपुर, सीतापुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली , गोरखपुर, महराजगंज एवं आस-पास के जनपद और भारत के कई प्रदेशों के कवि लेखक साहित्य प्रेमियों के मध्य शोक की लहर दौड़ गयी स्वर्गीय नीरज अवस्थी जी द्वारा काव्य रंगोली साहित्यिक पटल श्याम सौभाग्य फाउंडेशन की स्थापना की गई थी जिसके माध्यम से उनको साहित्यिक सामाजिक गतिविधियों को संचालित करते थे । 

        फोटो: स्व0 आशुकवि नीरज अवस्थी जी

अल्प आयु एवं अल्पकाल में ही स्वर्गीय नीरज जी ने जनपद लखीमपुर खीरी और खमारिया पंडित का नाम देश विदेश में  रौशन किया। दिनांक 23/05/2021 को स्वर्गीय नीरज अवस्थी की श्रद्धांजलि के उपलक्ष्य में नीरज जी की अजेय कीर्ति काव्य रंगोली के माध्यम अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे देश -विदेश के कुल 106 साहित्यकारों कवियों ने हिस्सा लिया दिनांक 30/5/2021 को स्वर्गीय नीरज जी की श्रद्धांजलि के अवसर पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता का सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें नीरज स्मृति साहित्य सम्मान- 2021 सम्मान पत्र वितरित किया गया। स्वर्गीय नीरज जी की श्रद्धांजलि के उपलक्ष में आयोजित काव्य प्रतियोगिता दिनांक 23/5/2021 एव  दिनाक 30/05/2021 को श्रद्धांजलि सभा के प्रतिभागियों के सम्मान सम्मेलन के सार्थक सफल संचालन दायित्व की प्राभावी भूमिका दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल जी मधु शंखधर स्वतंत्र जी, डॉ इंदु झुनझुन वाला जी ने निभाया जिसमें सकारात्मक सशक्त सहयोग की भूमिका का निर्वहन शेषाद्री त्रिवेदी, नन्दलाल मणि त्रिपाठी पिताम्बर, अनिल गर्ग जी, मुन्नालाल मिश्र जी, शिवम् त्रिपाठी शिवम् जी ने प्रदान किया। 

इन अवसरों पर क्षेत्र के गणमान्य नागरिक मीडिया जगत के प्रमुख हस्तियों ने आभासी माध्यम से अपनी भावनाएं संवेदनाओं को व्यक्त किया। अन्त में आभार ज्ञापन रचना अवस्थी जी की धर्म पत्नी रचना अवस्थी जी ने इस भरोसे विश्वाश के साथ करते हुये अनुरोध किया कि उनके पति की विरासत उनके संकल्प निरंतर उद्देश्य पथ की तरफ अग्रसर होते रहेंगे।

रामचरितमानस पर आधारित प्रश्नोत्तरी सम्पन्न

 लखनऊ 25 अप्रैल नवीन परिवेश नवीन पहल के अंतर्गत मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट के द्वारा पूर्व की भांति ही रामचरितमानस पर आधारित प्रश्नोत्तरी


का कार्यक्रम रविवार को संपन्न हुआ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व मंत्री आदरणीय अवधेश मिश्रा जी प्रतापगढ़ से उपस्थित रहे कार्यक्रम का प्रारंभ सुप्रसिद्ध गायिका नृत्यांगना प्रोफेसर रेखा मिश्रा जी द्वारा सुंदर वाणी वंदना से हुआ,कार्यक्रम का संचालन साधना मिश्रा विंध्य द्वारा संपन्न किया गया कार्यक्रम में देश विदेश के बहुत से प्रतिभागी सम्मिलित हुए कार्यक्रम में नीलम शुक्ला जी कीर्ति तिवारी जी गीता पांडे जी शिवा सिंघल जी रजनी शुक्ला जी गायत्री ठाकुर जी सरला विजय जी अनीता त्रिपाठी जी डॉ.ज्योत्सना सिंह साहित्य ज्योति जी अपर्णा त्रिपाठी जी संतोष सिंह हसौर जी वैभवी सिंह जी वीना आडवाणी जी योगिता चौरसिया जी कामिनी श्रीवास्तव जी रेनू मिश्रा जी अर्चना चंचल जी आशुतोष जी मोहन सिंह जी रीमा ठाकुर जी चंद्र प्रकाश चंद्र जी सुशील कुमार जी अंशु तिवारी जी वरिष्ठ कवि आनंद खत्री जी नगेंद्र बालाजी डॉ.सुषमा तिवारी जी आराध्या दुबे जी शशि तिवारी जी कुमारी चंदा जी नूतन मिश्रा जी राजेश्वरी जी चंद्रकला जी इंदिरा जी नीलम वंदना जी चेतना चेतन जी आदरणीय विद्या शुक्ला जी अर्चना चंचला जी दीपिका शर्मा जी तथा अभिजीत शर्मा जीउपस्थित रहे और प्रतिभाग के द्वारा सभी ने कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की कार्यक्रम के अंत में मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट की संस्थापिका साधना मिश्रा विंध्य जी ने सभीका आभार व्यक्त करते हुए कहा कार्यक्रम का उद्देश्य वर्तमान में चल रही कठिन परिस्थितियों में नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मकता की ओर बढ़ने का एक प्रयास है जो कि मात्र धर्म और संस्कृति के  द्वारा ही संभव है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदरणीय अवधेश मिश्रा जी ने कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा रामचरितमानस त्यागी की कथा है हम सभी को अपने अंदर विद्यमान अन्याय का त्याग करना होगा हम बदलेंगे जग बदलेगा हम सभी को सुधार के साथ नई पीढ़ी को संस्कृति और संस्कारों से जोड़ना होगा।कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया ,संस्कृति के संवर्धन के साथ कार्यक्रम पूर्णता सफल रहा।

*कृष्ण कुमार क्रांति के गीत को मिला स्वीटी का स्वर

 *कृष्ण कुमार क्रांति के गीत को मिला स्वीटी का स्वर


*

कृष्ण कुमार क्रांति,अध्यक्ष,साहित्य साधक (अखिल भारतीय साहित्यिक मंच) सहरसा,बिहार के "कृषक" शीर्षक गीत को समस्तीपुर,बिहार की बेटी बहु चर्चित गायिका,लय-सुर-ताल की बेताज बादशाह और भोपाल के श्री संजय जी सिंह  के गीत "सच बात पूछती हूॅं,बताओ न बाबू जी"से चर्चा में आई मीनाक्षी ठाकुर 'स्वीटी' ने  स्वर दिया है । मैं यह बताता चलूं की मीनाक्षी जी के जादुई स्वर और कृषक शीर्षक गीत की अंतर्निहित वेदना के कारण  बहुश्रुत गीत की श्रृंखला में सिर्फ बीस-बाईस धंटे के भीतर फेसबुक और यूट्यूब पर १२००० हजार से अधिक लोगों ने गीत को सुना,गुना और भाव भींगी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं। ध्यातव्य है कि उल्लेख्य गीत 19 मार्च 2021 को यूएसए (अमेरिका) के हम हिंदुस्तानी साप्ताहिक अखबार में प्रकाशित हो चुका है।इस प्रकार यह गीत राष्ट्रीय सीमा को चीरता हुआ अंतरराष्ट्रीय पटल पर धाक जमा रहा है।

यह सहरसा के साथ-साथ साहित्य साधक मंच और मंच को शिखर तक पहुंचाने वाला चिंतक-युवा-गीतकार, कृष्ण कुमार क्रांति के लिए गौरव-भरा क्षण है ।मैं आने वाले दिनों में युवा गीतकार से बहुत अपेक्षाएं रखता हूॅं और कृषक गीत के लिए अनेक शुभकामनाएं व्यक्त करता हूॅं।

डॉ.राजश्री तिरवीर बनीं साहित्य साधक (अखिल भारतीय साहित्यिक मंच) के कर्नाटक राज्य प्रभारी



आज साहित्य साधक (अखिल भारतीय साहित्यिक मंच) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार क्रांति जी द्वारा डॉ. राजश्री तिरवीर जी   बेलगांव, कर्नाटक  निवासी ,मराठा मंडल कला और वाणिज्य महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापिका,कर्नाटक से हिंदी में एम.ए, पी.एच डी, स्लेट , डी.लिट, एम. ए में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने के उपलक्ष्य में कर्नाटक विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक प्राप्त को साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यिक मंच का कर्नाटक राज्य प्रभारी बनाया गया। वर्तमान में  डॉ. राणा जयराम सिंह 'प्रताप',राष्ट्रीय संरक्षक; सपना सक्सेना दत्ता एवं डॉ. शारदाचरण,राष्ट्रीय सलाहकार; उदय नारायण सिंह एवं माधुरी डड़सेना 'मुदिता' राष्ट्रीय उपाध्यक्ष; शशिकांत शशि,राष्ट्रीय महासचिव एवं  दिनेश कुमार पाण्डेय, राष्ट्रीय सचिव; सियाराम यादव 'मयंक', राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष; अमर सिंह निधि, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं अमन आर्या,सह मीडिया प्रभारी; वशिष्ठ प्रसाद,राष्ट्रीय कार्यालय सचिव के साथ  संजय श्रीवास्तव,बिहार राज्य प्रभारी; पूनम देवी,उत्तर प्रदेश राज्य प्रभारी; संतोष अग्रवाल,मध्य प्रदेश राज्य प्रभारी; रूपा व्यास,राजस्थान राज्य प्रभारी;  सरला कुमारी,हरियाणा राज्य प्रभारी; विनोद कश्यप,पंजाब राज्य प्रभारी; राधा तिवारी 'राधेगोपाल', उत्तराखंड राज्य प्रभारी; डॉ. लता, दिल्ली राज्य प्रभारी; प्रियंका साव, बंगाल राज्य प्रभारी;जितेंद्र कुमार वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य प्रभारी  एवं  अनूप शर्मा,असम राज्य प्रभारी द्वारा कर्नाटक राज्य प्रभारी डॉ. तिरवीर जी को शुभकामनाएं  प्रेषित की गई। इसके साथ ही साहित्य साधक मंच के रेखा कापसे जी, सुरंजना पाण्डेय जी सहित सभी सदस्यों ने डॉ.राजश्री तिरवीर को कर्नाटक राज्य प्रभारी बनने के शुभकामनाएं प्रेषित की।

2021 के "इंडियास वर्ल्ड रिकॉर्ड में"दर्ज डॉ मीना गोदरे

 न्यूज़


इंदौर की साहित्यकार समाज सेवी मीना गोदरे, अवनि क 2021 के "इंडियास वर्ल्ड रिकॉर्ड में"दर्ज किया गया।



         यह संस्था देश की प्रतिष्ठित संस्था है जो भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड , है अंडर इंडियन एक 

1882 के तहत, लीगली रजिस्टर्ड "इंडियास वर्ल्ड रिकॉर्डस" के अंतर्गत  राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की उन सभी प्रतिभाओं को सम्मानित करती है जो पूरे विश्व में कुछ अलग करने का हौसला रखते हैं और 

किसी भी क्षेत्र में अपनी विशेष योग्यता से एक  नया कीर्तिमान स्थापित करते हैं।


2021 मैं इंदौर की साहित्यकार समाज सेवी मीना गोदरे का नाम इस रिकार्ड में दर्ज किया गया।

उन्होंने अपनी विशेष उपलब्धि के रूप में भारत की ही नहीं विश्व की प्रथम पुस्तक के रूप में "नव लोकांचल गीत नामक साझा संग्रह  कोरोना काल में संकलित व संपादित किया जिसकी योजना उन्होंने स्वयं बनाई और उसे कार्य रूप में परिणित । 

जिसमें पूरे भारत की 40 लोक भाषाओं को गीत और कविताओं के रूप में देवनागरी लिपि में लिखा गया है।

पुस्तक का उद्देश्य भारत की लुप्त होती  लोकभाषाओं /बोलियों का संरक्षण और संवर्धन है। क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता  को पोषित करती हैं।

।दूसरे देशों में भी यह कार्य तीव्र गति से चल रहा है भारत में मीना गोदरे जी ने इसकी एक नए रूप में  पहल करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है जिसमें  सभी रचनाएं मौलिक व नई हैं।

देश के विभिन्न क्षेत्रों के 93 रचनाकारों की 187 रचनाएं भिंन्न भिंन्न लोक भाषाओं में है ,जो हिंदी की पांच उप भाषाओं उसकी 18 बोलियां और 12 बोलियों का प्रतिनिधित्व करती है ।साथ ही चार अन्य भाषाओं की 10 बोलियां भी पुस्तक में है जो भारत की एकता और अखंडता को दर्शा रही है

                     साहित्य और समाज सेवा में 40 वर्ष तक की कार्य व उपलब्धियों का रिकॉर्ड और नई   पुस्तक की विशेषता देखकर उन्हें यह सम्मान दिया गया है ।उनका नाम इंडियास   वर्ल्ड रिकॉर्ड में हमेशा दर्ज रहेगा ।

इससे देश ही नहीं महिला समाज का भी सिर गर्व से ऊंचा हो गया है

              । इस सम्मान की खुशी में उन्हें अनेकों साहित्य समूह वरिष्ठ साहित्यकारों और मित्रों ने शुभकामनाएं दी है

डा.सुबोध मिश्रा जी नाशिक ,जय भारद्वाज जी हरियाणा ,लक्ष्मी- नारायणजी इंदौर कवि हरीश आचार्य जी राजस्थान

डा. पद्मासिंह इंदौर, हरेराम बाजपेई जी इंदौर ,पत्रकार प्रवीण शर्मा इंदौर जय भारद्वाज तरावड़ी हरियाणा बसंती पवार राजस्थान सनत कुमार जैन छत्तीसगढ़ ,डॉक्टर रंजना फतेहपुर, मधु मिश्रा उड़ीसा, रमाकांत मिश्रा श्यामलाल संस्था, डॉ नरेन्द्र दीपक जी

भोपाल, व्यास जी सूत्रधार संस्था, शिक्षा समन्वयक दामोदर जी इंदौर, पुष्पा रानी गर्ग इंदौर ,विक्रम मुनाली लखनऊ, विजयी भरत हिमाचल, अमृता राजेंद्र छत्तीसगढ़,डा. स्वाति तिवारी लेखिका सघ ,डा. जय कुमार जी जलज, रतलाम ,डा.राजेश भट्ट जी आकाशवाणी भोपाल ,डॉक्टर बुंदेला जी आकाशवाणी सागर, डॉक्टर हरि सिंह पाल आकाशवाणी दिल्ली, डॉ अनीता कपूर अमेरिका, डॉक्टर तेजेंद्र शर्मा लंदन, रेनू गुप्ता नेपाल ,स्वतंत्रता कश्मीर , सरला जैन अध्यक्ष अखिल भारतीय महिला परिषद, प्रभा जैन नाइस चेयर पर्सन, मनोरमा जोशी नवनीत जैन, कल्पना बंडी अर्पणा जोशी ,ज्योति सिंह ,अचला गुप्ता ,प्रभा तिवारी इंदौरआदि अनेक वरिष्ठ साहित्यकार और संस्था अध्यक्ष के अलावा हिंदी सृजन समूह ,अवनि सृजन समूह ,साहित्य कला परिषद, श्यामलम कला ,लायंस क्लब ,वंदे भारत मंच ,अखिल भारतीय मंच ,हिंदी साहित्य सभा ,वूमेंस सद्भावना महिला मंडल ,भोपाल समाज समिति, लेखिका संघ ,एहसास संस्था, हिंदी रक्षक मंच,साहित्य कला ,वीर परिवार बस्तर पाती आदिअनेक समूह के  साहित्यकार पदाधिकारियो, मित्रों और रिश्तेदारों में लगभग 500 से अधिक लोगों ने बधाई और शुभकामनाएं दी मीना गोदरे जी इन सब का आभार माना है🙏

                 मीना गोदरे अवनि ,इंदौर

दिल्ली में ऐतिहासिक साहित्यिक कार्यक्रम पुस्तक विमोचन एवम महिला सम्मान समारोह सम्पन्न

 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विप्र फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में आयोजित श्री अभ्युदय उत्सव ऐतिहासिक रहा। देश भर से पधारी एक हजार से अधिक महिलाओं की पावन उपस्थिति में महिला स्वावलम्बन, संस्कार संरक्षण व कन्या विवाह में सहयोग जैसे विषयों पर मंथन व निर्णय हुए। समाज की दस तेजस्विनी युवतियों नूपुर शर्मा, बाँसुरी स्वराज, सुरभि मिश्रा, मीनाक्षी जोशी, युक्ति भारद्वाज, स्वाति शर्मा, शालिनी भारद्वाज, सुधा श्रीमाली, अंजलि कौशिक, सुमन जोशी का सम्मान हुआ। गृहिणियों द्वारा लिखित कविताओं की पुस्तिका श्री काव्य प्रवाह का प्रकाशन, विभिन्न प्रदेशों की सौ महिलाओं द्वारा पारंपरिक गीतमाला, कोरोना वारियर्स महिलाओं को सेवा श्री उपाधि अर्पण , विख्यात कलाकार सीमा मिश्रा द्वारा लोकगीतों की प्रस्तुति से सजा यह समारोह अविस्मरणीय रहेगा। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डॉ.मल्लिका नड्डा, मुख्य वक्ता श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी : सांसद, विशिष्ट अतिथि सात बार के विधायक श्रद्धेय श्री सत्यनारायण शर्मा, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा, सांसद श्री रमेश कौशिक, अर्थशास्त्री प्रो.गौरव वल्लभ, पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा, देश विख्यात आध्यात्म प्रचारक सुश्री जया किशोरी, दिल्ली विधानसभा सदस्य श्री अनिल वाजपेयी, jsw के उप प्रबन्ध निदेशक डॉ विनोद नोवाल व श्रीमती लता नोवाल प्रभृति शीर्षस्थजनों की प्रेरक उपस्थिति व सम्बोधन ने आयोजन को नई ऊँचाइयां प्रदान की।


स्वागताध्यक्ष श्रीमती ममता शर्मा पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग, स्वागतमंत्री श्रीमती सोनाली शर्मा व संयोजिका श्रीमती चन्द्रकान्ता राजपुरोहित के नेतृत्व में विप्र महिला नेतृत्व के शानदार सामंजस्य से संपन्न इस दिव्य आयोजन के कुछ चित्र आपके अवलोकनार्थ तीन खण्डों में प्रेषित हैं जो आपको अपने संगठन विप्र फाउंडेशन के प्रति और अधिक गौरव बोध कराएँगे।



असली कोरोना योद्धा

 *इस कहानी को जरूर पढ़िए यह सत्य कथा नही साहस की पराकाष्ठा है इसे पढ़कर जो विचार उतपन्न हो उनको इस समूह में पोस्ट कर सकते है* https://chat.whatsapp.com/FBKTJoR6IJGF83FY8f9CIh


#शिव_का_आत्मबल l


हिंदी के कुलीन साधक आँशुकवि नीरज अवस्थी जी की नजर उसपर पड़ी पर पड़ी l उन्होंने मुझसे जैसा बताया था, वह बिल्कुल उतना ही अद्भुत, अनोखा, प्यारा था   l वह सिर्फ शरीर से ही सुन्दर, नहीं दिल से भी सुन्दर था   l शारीरिक बल की बात तो नही कह सकता हुँ, लेकिन उसके भीतर गजब का आत्मबल था   l रचनाकार  की   पुस्तक की कम्पोर्जिंग करने  के लिए उसे चुना गया, तो त्रुटियां ढूढ़ने और सही कराने का कार्य भी रचनाकार का ही हुआ lअब रचनाकार  शिव से संपर्क में था l जी मै बात कर रहा हुँ, उसी शिव की जिसका आत्मबल एक विशाल पर्वत की तरह है  l रचनाकार का  अगला प्रश्न था  कि कब मिलोगे बेटा? तो उसका उत्तर हुआ, सप्ताह में तीन दिन, और शेष दिन भी जरुरी हुआ तो चार बजे शाम के बाद l  तो फिर अन्य दिनों में क्या करते हो? बरबस मुख से निकल गया l  सर जी शेष तीन दिन डायालीसिस कराने जाता  हुँ, चेहरे पर ना कोई दबाव, ना कोई शिकन l मुँह से बरबस निकल गया.. वाह l आत्मविश्वास के चरम पराकाष्ठा को देखकर रचनाकार  एक दम अवाक, और स्तब्ध रह गया l  रचनाकार को  बिल्कुल विश्वास नही हो रहा था, जटिल गुर्दा रोग से पीड़ित शख्स का इतना मजबूत आत्मबल l

आर्थिक बेबसी किसी पहाड़ से कम नही है , मगर वह भी उसकेआगे नतमस्तक है, उसे तोड़ने की कोशिश कर रही होगी, लेकिन वह वज्र है, नही टूटेगा l उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  का आभार जिसका अंशदान इस  प्रदीप्त दीप लव को  जलाने के लिए  तेल सा हुआ l लेकिन उसकी  यात्रा लम्बी है,मंजिल अभी काफी आगे है, संघर्ष लम्बा था l खैर उसके प्रति रचनाकार के मन में दिनों दिन प्रेम बढ़ता गया l अक्सर रात को सोते वक्त जब नीरज जी से रचनाकार उसकी बात करता तो दोनों उसके प्रति विह्वल होकर कारुणिक भाव से भर जाते l दोनों साहियकार  अपने अपने अनुसार शिव का साहित्य अपने दिलों में रचते l

  अचानक शिव के एक फोन ने रचनाकार को डरा दिया l  शिव ने बताया कि सर जी, वह कोविड पॉजिटिव हो गया है l रचनाकार डर गया l उसके मन में अनेक अशांकाओ  ने जन्म ले लिया लेकिन शिव तो अब भी वैसा ही था l उसका आत्मबल आज भी उसके साथ था l वह लगातार बोले जा रहा था कि वह बस कुछ दिन पी जी आई में रहेगा और एक दो सप्ताह में स्वस्थ होकर आ जाएगा l लेकिन रचनाकार डरा था, क्योंकि वह साहित्यिकार के साथ साथ स्वास्थ बिभाग से जुडा भी तो था l लेकिन शिव किसी चिकित्सक से ज्यादा सजग और जानकर हो गया था l वह तो हर दिन मौत को मात देता और अपने को विजेता साबित करता l अगले दश दिनों में शिव ने करोना को भी मात दे दिया l रचनाकार रोज उसको फोन करता l उसका हाल चाल लेता l लेकिन एक दिन रात को आये उसके फोन से एक आवाज निकली, सर जी मैंने करोना को हरा दिया l मुझे आज विश्वास हो गया था कि मनुष्य हारता है हिम्मत नहीं l हिम्मत तो जीतती ही जीतती है l हम इस योद्धा की क्या मदद करेगे l ईश्वर उसकी मदद आगे बढ़कर कर रहा है l हाँ हमें उसके आत्मबल को बढ़ाने की आवश्यकता है और उसके लिए जन सहयोग , भी अपेक्षित है, l जो हमें देना है l अंत में एकबार फिर कहुगा, कि उसका आत्मबल मजबूत ही नही, वज्र सदृश है l

रचनाकार ने यह सब लिखते हुए मन में एक बार और सोचा कि आत्मबल से भरे योद्धा के साथ हमें चलना होगा, क्योंकि हमें  उसके आत्मबल को टूटने नही देना है  l हमें उसके आत्मबल का कीर्तिमान बनते देखना है l रचनाकार की  लेखनी और  शब्द उसके शॉप के प्रमुख को भी धन्यवाद दे रहे थे , जिसकी हथेली एक श्रेष्ठ संरक्षक की तरह उसे उठाये रखी थी l 

रचनाकार  और उसका  साहित्य इस योद्धा से असीम स्नेह करता है l इस लिए उसने उसे अपनी इस कथा का नायक चुना  और ईश्वर से प्रार्थना किया कि हे ईश्वर! आप मेरे शिव के आत्मबल को इसी तरह और अधिक  मजबूत किये रखना l


©®राजेश_कुमार_सिंह

लखनऊ, उप्र, ( भारत )

+91 94152 54888


डॉ0 हरि नाथ मिश्र

 *दोहे*

          वासंतिक छवि(दोहे)

सुरभित वातावरण है,कोकिल-कंठ सुरम्य।

वासंतिक परिवेश में,प्रकृति-छटा अति रम्य।।


अलि-गुंजन अति प्रिय लगे,अति प्रिय सरित-तड़ाग।

पुष्प-गंध प्रिय नासिका,प्रिय आमों की बाग।।


सरसों से शोभा बढ़े,धरा-वस्त्र प्रिय पीत।

बार-बार मन यह कहे,आ जा प्यारे मीत।।


गुल गुलाब,टेसू खिले,आम्र-मंजरी गंध।

चहुँ-दिशि गंध प्रसार कर,बहती पवन-सुगंध।।


तन-मन प्रियतम याद में,विरही मन अकुलाय।

वासंतिक परिवेश भी,सके न अग्नि बुझाय।।


रवि-किरणें अति प्रिय लगें,चंद्र लगे बहु नीक।

पर,विरही मन को लगे,जैसे वाण सटीक।।


रति-अनंग का मास यह,मधु-मधुकर-मधुमास।

प्रकृति-छटा अति रुचिर है,प्रगति-प्रकाश-विकास।।

                   ©डॉ0हरि नाथ मिश्र

                    9919446372

भारत के इक्कीस परमवीर ग्रन्थ का लोकार्पण


 *शौर्य की भाषा का कालजयी ग्रन्थ है भारत के इक्कीस परमवीर-वी के सिंह* 
इक्कीस एपिसोड बनाये जायेंगे-सुरेश चव्हाणके
सभी भाषाओं में अनुवाद कराया जायेगा-पी के मिश्रा

हिन्दी भवन दिल्ली में सम्पन्न हुआ भव्य लोकार्पण समारोह
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भारतीय सेना के अद्भुत शौर्य एवं पराक्रम की भाषा का अद्भुत अंतर्राष्ट्रीय काव्यग्रँथ है *भारत के इक्कीस परमवीर* । इस ग्रन्थ में लिखी कविताओं से हमारी पीढ़ियों में देशभक्ति का  संचार होगा।
 वैश्विक स्तर पर हिंदी के लिये समर्पित काव्यकुल  संस्थान (पंजी.)  द्वारा हिंदी भवन दिल्ली में आयोजित 'भारत के इक्कीस परमवीर' अंतर्राष्ट्रीय काव्य संग्रह के लोकार्पण अवसर पर उपरोक्त विचार मुख्य अतिथि जनरल वी के सिंह(सेवानिवृत्त) केंद्रीय राज्य मंत्री सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने प्रकट किये।
जनरल वी के सिंह ने कहा इस ग्रन्थ के सम्पादक  एवं काव्यकुल संस्थान के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार पांडेय ने बड़ा श्लाघनीय कार्य कर देश की सेना का मान बढ़ाया है। इस प्रकार का कालजयी ग्रन्थ हिंदी साहित्य की अनुपम निधि है। 
कार्यक्रम के अध्यक्ष दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष महेश चन्द्र शर्मा पूर्व महापौर ने कहा भारत के परमवीरों की गाथा का   गायन करने वाला पहला काव्य ग्रन्थ है जहाँ एक साथ इक्कीस परमवीरों को पढ़ा जा सकता है। साथ ही कहा कि हिन्दी साहित्य सम्मेलन काव्यकुल संस्थान के साथ हमेशा खड़ा रहेगा।
मुख्य समीक्षक ख्यातिलब्ध साहित्यकार, समालोचक ओम निश्छल ने *भारत के इक्कीस परमवीर* ग्रन्थ को ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हुए कहा कि किसी धर्म ग्रन्थ की तरह पुनीत एवं पावन है जो भारतीय सेना की शौर्य  गाथा को  उद्घाटित करता है। वीररस की कविताएं उत्साह का संचार करती हुई हमें देश के प्रति अपने कर्तव्य का बोध कराती हैं।
विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी(से.नि.) ने  इस ग्रन्थ को अभूतपूर्व काव्य संग्रह की संज्ञा दी।
विशिष्ट अतिथि बी सी एफ के पूर्व एडिशनल डी जी पी के मिश्रा ने कहा कि इस ग्रन्थ का सभी सभी भाषाओं में अनुवाद कराया जाएगा। वरिष्ठ साहित्यकार इंदिरा मोहन, सुदर्शन चैनल के सी ई ओ सुरेश चौहाणके ने इसे संग्रहणीय ग्रन्थ बताया।
सुदर्शन चैनल के चेयरमैन सुरेश चौहान ने घोषणा की की इस किताब के आधार पर 21 एपिसोड बनाये जायेंगें।
जब मंच के द्वारा इस ग्रन्थ का लोकार्पण किया गया तब पूरा हिंदी भवन भारत माता की जय से गूँजने लगा।।
ग्रन्थ की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए संकलन कर्ता ओंकार त्रिपाठी ने बताया कि बीते वर्ष 22 नवम्बर में काव्यकुल संस्थान ने परमवीर चक्र विजेताओं पर 151 कवियों का ऑनलाइन कार्यक्रम किया था। उन्ही कवियों में से चयनित 101 कवियों की कविताओं को इस ग्रन्थ में संकलित किया गया है, जिसमें भारत अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, रूस, तंजानिया, दोहा कतर, केन्या आदि देशों के रचनाकार हैं।
इस लोकार्पण समारोह में भारत के कई राज्यों से आये वे साहित्यकार जिनकी कविताओं को इस ग्रन्थ में स्थान मिला ऐसे  51 साहित्यकारों को परमवीर सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस ग्रन्थ में प्रकाशित कवियों से उनकी कविता का पाठ कराया गया। इस अवसर पर प्रीतम कुमार झा,सुधा बसोर गाजियाबाद,सुनीता पुनिया दिल्ली,मोहन संप्रास, फरीदाबाद
साधना मिश्रा लखनऊअनुपमा पांडेय "भारतीय" गाजियाबाद,यशपाल सिंह चौहान नई दिल्ली,रीता गौतम गोरखपुर,  सूर्यप्रकाश श्रीवास्तव "सूर्य",डॉ राम निवास'इंडिया', दिल्ली,नेहा शर्मा,नोयडा, नोएडा,राजेश कुमार सिंह "श्रेयस" लखनऊ,सुनील सिंधवाल 'रोशन' दिल्ली,ब्रज माहिर फरीदाबाद,दीपा शर्मा गाजियाबाद,आचार्य शुभेन्दु(प्रदीप)त्रिपाठी दिल्ली,पं. विनय शास्त्री 'विनयचंद', डॉ भोला दत्त जोशी, पुणे,जय प्रकाश शर्मा , नागपुर,डॉ अशोक कुमार 'मयंक' दिल्ली,कुसुमलता 'कुसुम', नई दिल्ली, कुमार रोहित रोज़, दिल्ली,सन्तोष कुमार पटैरिया महोबा, उत्तर प्रदेश,राजकुमार छापड़िया, मुंबई,सन्तोष कुमार प्रजापति 'माधव' महोबा उत्तर प्रदेश,डॉ पुष्पा गर्ग 'हापुड़',रजनीश स्वछन्द दिल्ली,गार्गी कौशिक, गाजियाबाद,मीरा कुमार मीरू, ग़ाज़ियाबाद ,मधु शंखधर 'स्वतंत्र' प्रयागराज,शरद कुमार सक्सेना "जौहरी " एडवोकेट कानपुर
आचार्य प्रद्योत पाराशर,डॉ उदीशा शर्मा, गाजियाबाद,वेदस्मृति ‘कृती’ पुणे ,इंजी०अशोक राठौर, ग़ाज़ियाबाद,विद्या शंकर अवस्थी ,कानपुर,  चंचल पाहुजा, गाजियाबादडॉ. अनिता जैन 'विपुला'  उदयपुर राजस्थान ,राजीव कुमार गुर्जर मुरादाबाद,सोमदत्त शर्मा 'सोम' नोयडा
,ज्ञानवती सक्सैना ‘ ज्ञान’जयपुर, राजस्थान, ऋतु यादव अबूधाबी,डॉ अंजू अग्रवाल,डॉ रजनी शर्मा 'चंदा',रांची झारखंड,कैप्टन(डॉ)ब्रह्मानन्द तिवारी 'अवधूत' मैनपुरी, अवनीश अग्रवाल दोहा क़तार,बृंदावन राय 'सरल' सागर,मध्य प्रदेश, अशोक कुमार जाखड़ हरियाणा, कुन्ती हरिराम झाँसी आदि इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बने।
इस अवसर पर डॉ राजीव कुमार पाण्डेय  को सम्पादन कार्य के लिये एवं ओंकार त्रिपाठी को संकलन कार्य के लिये भी सम्मानित किया गया।
आयोजन समिति के सदस्य यशपाल सिंह चौहान, ब्रज माहिर,राजकुमार छापड़िया, ब्रह्मप्रकाश वशिष्ठ 'बेबाक' अनुपमा पाण्डेय भारतीय, कुसुमलता कुसुम,दीपा शर्मा,गार्गी कौशिक, अशोक कुमार राठौर, राजेश कुमार सिंह श्रेयस, राजीव कुमार गुर्जर ने सभी अतिथियों का बुके , शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कुसुमलता 'कुसुम'के द्वारा माँ वाणी की वंदना सुमधुर कंठ से की गयी। धन्यवाद ज्ञापन यशपाल सिंह चौहान किया। संचालन डॉ राजीव कुमार पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम के साथ हुआ।

प्रेषक 
डॉ राजीव कुमार  पाण्डेय
राष्ट्रीय अध्यक्ष
काव्यकुल संस्थान(पंजी)
मोबाइल 9990650570

कवि डॉ. भोला दत्त जोशी जी होंगे परमवीर चक्र सहित्य सृजन सम्मान से सम्मानित

 परमवीर सृजन सम्मान


हमारा भारत देश प्राचीन काल से ही गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है फिर भले ही वह गार्गी के ध्वनि तरंगों द्वारा शब्द संप्रेषण के सिद्धांत की बात हो, महान वैज्ञानिक शून्य एवं दशमलव पद्धति के जनक आर्यभट हों, संसार के प्रथम नाटककार आचार्य भरत, शुल्वसूत्र के जनक बोधायनाचार्य , आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रमुख वैद्य चरक और सुश्रुत, एकेश्वरवाद के जनक आदि शंकराचार्य , शांति और अहिंसा सिद्धांत के प्रमुख प्रसारक भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी जी। वीरता के इतिहास को स्वर्णिम पन्नों में लिखने वाले वीर राणा प्रताप , वीर योद्धा शिवाजी, रानी लक्ष्मी बाई आदि ने अपने समर्पण और बलिदानी कार्यों से देश के गौरव को बढ़ाया और कभी उसके मान को आंच नहीं आने दी। 


भारत की अंग्रेजी शासन से आजादी के बाद भी यही परंपरा कायम रखते हुए जिन वीरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर देश की आन बान और शान को अक्षुण्ण बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी उन्हें देश ने सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा।ऐसे 21 वीरों को

विशिष्ट सम्मान देने के उद्देश्य से डॉ राजीव पांडेय जी के मार्गदर्शन में दुनिया भर से 151 कवियों ने परमवीर चक्र विजेताओं पर स्व रचित कविताएं आभासी गोष्ठी के माध्यम से गूगल मीट पर पढ़ीं और जिसे फेसबुक पर सीधा प्रसारित भी किया गया था। यह कवि सम्मेलन 22 नवंबर 2020 को संपन्न हुआ था। गौरव की बात है कि उनमें से 101 कवियों के उन काव्यों को पुस्तक रूप प्रकाशित कर अद्भुत कार्य किया है। गाजियाबाद से प्रकाशित इस पुस्तक के संपादक डॉ राजीव पांडेय जी एवं संयोजक श्री ओंकार त्रिपाठी जी हैं। सेना का सम्मान हमारा परम कर्तव्य है। उन वीरों के शौर्य के कारण ही हम नागरिक अपने घरों में चैन की नींद सो पाते हैं।


इस अंतरराष्ट्रीय हिंदी काव्य संग्रह में डॉ भोला दत्त जोशी, पुणे की दो कविताएं " परमवीर चक्र विजेताओं का हम शतश: वंदन करते हैं " और " सर्वोच्च बलिदानी वीर सपूत " प्रकाशित हुईं हैं जिनमें उन सभी वीरों की वीरगाथाओं का उल्लेख किया गया है। उनकी वीरता को नमन करते हुए कवि ने स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया है और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की है।

प्रख्यात कवि डॉ. भोला दत्त जोशी


ने लिखा - 


'सूबेदार बानासिंह संघर्ष कर सियाचिन में विजयी हुए थे

शहीद अरुण के वज्रप्रहार ने पाकटैंक बहु ध्वस्त किए थे

परमवीरचक्र-सम्मानित सैनिक-रज का पूजन करते हैं

परमवीर चक्र विजेताओं का,हम शतशः वंदन करते हैं।'

एक अन्य रचना वह लिखते हैं - 


'भारत मां की रक्षा में जिन वीरों ने सर्वोच्च बलिदान दिया 

उनकी अमर गाथाओं को,परमवीर चक्र देकर मान दिया।

मेजर सोमनाथ कुमाऊं रेजीमेंट के पाक सीमा पर डटे रहे

एक एक कर दुश्मन को मारा अंत तक बहादुरी से डटे रहे'


हर्ष का अवसर है कि प्रकाशित पुस्तक ' भारत के इक्कीस परमवीर ' का विमोचन सेना के सर्वोच्च अधिकारी पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह राज्य मंत्री, सड़क परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार के हाथों 14 फरवरी को दोपहर दो बजे दिल्ली के हिंदी भवन में देश एवं विदेशों से आए कई गणमान्य कवियों और सेना वरिष्ठ अधिकारी वर्ग की उपस्थिति में हो रहा है। परमवीर चक्र विजेताओं में ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव साक्षात् उपस्थित होने वाले हैं। डॉ भोला दत्त जोशी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए ' परमवीर सृजन सम्मान ' से सम्मानित किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि डॉ भोला दत्त जोशी की विभिन्न विधाओं में 15 किताबें एवं 19 सांझा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें पहले अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों मसलन अमेरिका के केंद्रीय विश्वविद्यालय से डी.लिट. से सम्मानित किया जा चुका है।

परमवीर चक्र विजेताओं पर यह एक अनूठा , अद्भुत और पहला काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है जो मील का पत्थर साबित होगा। देश सबसे ऊपर है इसी बात को लोगों के ध्यान में लाना और सेना के बलिदान को उचित सम्मान देने की भावना नई पीढ़ी में अंकुरित करना इसका उद्देश्य है।

अखिल भारतीय साहित्यिक मंच)सहरसा


 *साहित्य साधक मंच के द्वारा कवि सम्मेलन का शानदार आयोजन*


10 फरवरी 2021 के संध्या साहित्य साधक (अखिल भारतीय साहित्यिक मंच)सहरसा ,बिहार द्वारा आहूत आनलाईन काव्य गोष्ठी जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि साहित्यकार डॉ. राणा जयराम सिंह 'प्रताप' ने की।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री माधुरी डड़सेना 'मुदिता' जी थी l कार्यक्रम का श्री गणेश अध्यक्ष के द्वारा मां शारदे के प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं विशिष्ट अतिथि के द्वारा माल्यार्पण के साथ हुआ, शिव प्रकाश साहित्य जी के शानदार संचालन में

कवयित्री डॉ. लता जी द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की गई।

प्रथमतः हरियाणा से उपस्थित सरला कुमारी द्वारा  किसान पर एक कविता प्रस्तुत की गई - 

"लिखती मैं किसान के लिए, लिखती मैं इंसान के लिए।

नहीं लिखती मैं धनवान के लिए, नहीं लिखती मैं भगवान के लिए।"

लखनऊ उत्तर प्रदेश से सरिता त्रिपाठी ने अपने कविता के माध्यम से कहा-प्रियतम तेरी याद में, हाल हुआ बेहाल। नैनो से आंसू झरे, तुमको नहीं ख्याल।।

छत्तीसगढ़ से आरती मैहर गीत ने श्रृंगार रस की एक कविता:-  देखें मैंने हैं कई सपने, होते उनमें मेरे अपने। पूरे कहां होते सपने,दगा दे जाते हैं अपने।

रायबरेली उत्तर प्रदेश से गीता पांडे अपराजिता ने प्रस्तुत किया:-सागर की गहराई में, जैसे कोई फूल खिला हो। कौन कहेगा अबला नारी, सचमुच तू तो सबला हो। वहीं इस कार्यक्रम में डॉ. विनय सिंह, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश

,सुरंजना पाण्डेय, पश्चिमी चंपारण बिहार,प्रीति चौधरी "मनोरमा", बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश,अंजना सिन्हा रायगढ़,संदीप यादव, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय-इलाहाबाद,डॉ लता,नई दिल्ली,रेखा कापसे "होशंगाबादी" म.प्र.,नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़, मुंबई,जितेन्द्र कुमार वर्मा खैरझिटीया छत्तीसगढ़,संतोष कुमार वर्मा"कविराज' कोलकाता,डॉ राजश्री तिरवीर, बेलगांव कनार्टक,अमर सिंह निधि, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश,सुशीला जोशी, विद्योतमा, मुजफ्फरनगर,राधा तिवारी 'राधेगोपाल' उत्तराखंड,प्रियदर्शनी राज,जामनगर गुजरात,संतोष अग्रवाल,मध्य प्रदेश

मीना विवेक जैन, मंच के राष्ट्रीय सलाहकार सपना सक्सेना दत्ता, तोरणलाल साहू, अमित कुमार बिजनौरी, केवरा यदु मीरा, अनुश्री, सहित कई प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।


वही दूसरे चरण में वर्तमान राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शशिकांत शशि जी को राष्ट्रीय महासचिव, तथा सियाराम यादव मयंक को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया साथ ही राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अमर सिंह निधि एवं सह मीडिया प्रभारी अमन आर्या को बनाया गया।

अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि आदरणीया माधुरी डड़सेना 'मुदिता' जी ने कहा:- बड़े हर्ष की बात है, कि आज साहित्य साधक मंच अपने ऊंचाई को छूने के लिए लालायित है,और इस दृष्टिकोण से सप्ताह भर में कई विधाओं में साहित्यकार सृजन कर रहे हैं। उन्होंने नवांकुर साहित्यकारों के प्रति विशेष स्नेह व्यक्त किया जो अपने जिज्ञासानुरूप अपने भावों को सर्जन विधा में स्थान देकर आगे बढ़ा रहे हैं । उन्होंने साहित्य साधक मंच के मुख्य अतिथि पद के रूपमें सबों के प्रति साधुवाद एवं आभार जताया। अध्यक्षीय उद्बोधन में आदरणीय डॉ. राणा जयराम सिंह 'प्रताप' ने साहित्यकारों को मंचीय अनुशासन का अनुपालन करते हुए निरन्तर साहित्य-साधना करते रहने और मंच को प्रगति-शिखर की ओर गतिमान करने की अपील की। अंत मेंमंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण कुमार क्रांति ने धन्यवाद ज्ञापन में मंच के समस्त साहित्यकारों के प्रति उनके योगदान के लिए साधुवाद और बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया।

निशा अतुल्य

 लेखनी और विचार

10.2.2021



बहती मन की भावना

कभी आँखों के रास्ते राह बनाती 

कभी लेखनी से पिघल जाती 

मैं हो कभी आहत 

संभलती,उठती,चलती जाती ।


विचारों की लौ जलाती नकारात्मकता 

जिसे नहीं समझ पाती दुनिया

करती परिहास विचारों का मेरे 

चलती लेकर संग बेवज़ह स्वयं की कुंठा ।


मन के उद्गार मेरे 

निरन्तर करते यात्रा

मन से मस्तिष्क तक 

बन कर ज्वाला निकलते

लेखनी से मेरे ।


पिघलते,मचलते,जलते विचार 

करें खड़ा 

बनाने को एक भगत,राजगुरु, आजाद 

 फिर से पाने को स्वतंत्रता 

अपनी मानसिक परतंत्रता से 

मन से मस्तिष्क तक उमड़ते

बिखरते,संवरते,पिघलती लेखनी से

हो पंक्ति बद्ध साथ मेरे चलते 

बहते मनोभाव मेरे ।


स्वरचित 

निशा"अतुल्य"

भारत के इक्कीस परमवीर का लोकार्पण 14 फरवरी को हिंदी भवन दिल्ली में।

 भारत के इक्कीस परमवीर का लोकार्पण 14 फरवरी को हिंदी भवन दिल्ली में।


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हिन्दी साहित्य के लिये अनुपम  ऐतिहासिक,काव्य ग्रन्थ, शौर्य पराक्रम की भाषा का काव्य ग्रन्थ, देश के इक्कीस परम वीर चक्र विजेताओं की सर्वोच्च वीरता का अंतरराष्ट्रीय  काव्य ग्रन्थ " भारत के इक्कीस परम वीर"  का लोकार्पण समारोह 14 फरवरी 2021 को  देश की राजधानी दिल्ली के हिन्दी भवन में  होगा। जिसमें भारत के कई राज्यों के एवं विदेश के रचनाकार सहभागिता करेंगे।

भारत के इक्कीस परमवीर संकलन के सम्पादक प्रख्यात साहित्यकार एवं काव्यकुल संस्थान के अध्यक्ष डॉ राजीव कुमार पाण्डेय ने बताया  बताया कि  भारत ने अपने वीर जाँबाज सैनिक जिन्होंने अपने अदम्य साहस  बलिदान से देश के स्वाभिमान की रक्षा की और राष्ट्रीय ध्वज की मर्यादा को अक्षुण्ण बनाये रखा,युद्ध भूमि में दुश्मन के दांत खट्टे कर विजय पताका फहराई । उन्हें भारत ने अपने सर्वोच्च सैनिक सम्मान से परम वीर चक्र से सम्मानित किया। 

देश के ऐसे सच्चे वीर सपूतों की वीरता को हिंदी साहित्य में उचित स्थान मिले और हमारी पीढियां उनके चरित्र को पढ़कर गौरव कर सकें एवं देश के लिये सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा प्राप्त कर सकें । इसलिये काव्यकुल संस्थान ने  अंतरराष्ट्रीय स्तर नवम्बर में परम वीर चक्र विजेताओं पर डिजिटल रूप से 151 कवियों का कवितापाठ कराकर एक रिकॉर्ड स्थापित किया था। उन्हीं में से  चयनित 101 कवियों  की रचनाएं संकलित कर *भारत के इक्कीस परमवीर* काव्य संकलन तैयार किया गया जिसमें संकलन कर्ता के दायित्व को वरिष्ठ गीतकार ओंकार त्रिपाठी ने निभाया। इस ग्रन्थ को सुंदर कलेवर में जिज्ञासा प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। 

श्री पाण्डेय ने बताया  कि इस ग्रन्थ का भव्य लोकार्पण 14 फरवरी रविवार दोपहर 2 बजे हिंदी भवन विष्णु दिगम्बर मार्ग दिल्ली में होगा,जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जनरल (डॉ) वी के सिंह (सेवानिवृत्त) केंद्रीय राज्य मंत्री सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय  होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर एवं दिल्ली साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष महेश चंद्र शर्मा करेंगे।  इस भव्य समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) , एडीशनल डीजी बीसी एफ पी के मिश्र, प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया के चेयरमैन  सी एम प्रसाद, वरिष्ठ साहित्यकार समीक्षक ओम निश्छल, वरिष्ठ कवयित्री डॉ इंदिरा मोहन, के कर कमलों द्वारा इस ग्रन्थ का लोकार्पण भारत के कई राज्यों से आये साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों के समक्ष किया जाएगा।

इस अवसर पर इस ग्रन्थ के रचनाकारों को परमवीर सृजन सम्मान से अलंकृत किया जायेगा।

विराट कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये आयोजन समिति में यशपाल सिंह चौहान, ब्रज माहिर, अनुपमा पाण्डेय 'भारतीय' कुसुमलता 'कुसुम' दीपा शर्मा, गार्गी कौशिक, राजेश कुमार सिंह 'श्रेयस' डॉ रजनी शर्मा 'चन्दा' , अशोक राठौर,  राजीव कुमार गुर्जर को लिया गया है।


प्रेषक 

डॉ राजीव कुमार पाण्डेय 

राष्ट्रीय अध्यक्ष 

काव्यकुल संस्थान(पंजी) गाजियाबाद

मोबाइल -9990650570

ईमेल - kavidrrajeevpandey@gmail.com

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

 *मधुरालय*

              *सुरभित आसव मधुरालय का*7

अन्न-फूल-फल बदन सँवारें,

रक्त-तत्त्व  संचार  करें।

रचे रक्त इस तन की पुस्तिका-

यह अक्षर-रोशनाई  है।।

     अक्षर बिना न पुस्तक सार्थक,

      रक्त बिना तन व्यर्थ  रहे।

      रक्ताक्षर का मेल  निराला-

      पुस्तक-जतन बधाई  है।।

यह पुनीत मधुरालय-आसव,

मन स्थिर,तन स्वस्थ  रखे।

आसव औषधि है अमोघ इक-

करता रोग  छँटाई  है।।

        दान अभय का मिला सुरों को,

         पीकर ही अमृत -हाला।

         अमर हो गए सभी  देवता-

         माया नहीं  फँसाई  है।।

हाला कहो,कहो  या  आसव,

दोनों  मधुरालय -वासी।

दोनों की  है  जाति  एकही-

यह  सुर-पान  कहाई  है।।

      कह लो इसको अमृत या फिर,

      कहो सोमरस  भी  इसको।

      देव-पेय यह  देत  अमरता-

       लगती  नहीं  पराई  है।।

ताल-मेल सुर-नर में रखती,

अपन-पराया  भेद  मिटा।

दिया स्वाद जो सुर-देवों को-

नर को स्वाद  दिलाई  है।।

      जग-कल्याण ध्येय है इसका,

      करे मगन मन जन-जन का।

      तन-मन  मात्र  निदान यही है-

      रखे नहीं  रुसुवाई  है।।

कहते तन जब स्वस्थ रहे तो,

मन भी स्वस्थ अवश्य  रहे।

तन-मन  दोनों  स्वस्थ रखे यह-

हाला  जगत  सुहाई  है।।

      जब भी तन को थकन लगे यदि,

      मन भी  ढुल-मुल  हो  जाए।

      पर आसव  का  सेवन  करते-

       मिटती शीघ्र  थकाई  है।।

लोक साध  परलोक साधना,

सेतु  यही  बस  आसव  है।

साधन यह है पार देश का-

करता सफल  चढ़ाई  है।।

       मिटा के दूरी सब शीघ्र ही,

       मेल कराता  अद्भुत  यह।

       मिलन आत्मन परमातम सँग-

       कभी न  देर  लगाई  है।।

एक घूँट  जब करे गला तर,

अंतरचक्षु- कपाट  खुले।

भोग विरत मन रमे योग में-

भागे भव-चपलाई  है।।

       सकल ब्रह्म-ब्रह्मांड दीखता,

        करते आसव-पान तुरत।

       विषय-भोग तज मन  है रमता-

       जिससे  नेह  लगाई  है।।

                    ©डॉ0हरि नाथ मिश्र

                      9919446372

मैत्रीकाव्य सम्मेलन सहरसा

🤝🏼 *सम्पूर्ण हुआ त्रिदिवसीय ऐतिहासिक *🤝🏼


 


साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यक मंच सहरसा बिहार एवं बिलासा साहित्यिक संगीत धारा छत्तीसगढ़ के आपसी मैत्रीपूर्ण संबंधों को यादगार बनाने के लिए दोनों साहित्यिक पटल के बीच कई प्रस्ताव प्रस्तुत हुए,। त्रिदिवसीय मैत्री काव्य सम्मेलन में दोनों पटल की मित्रता को स्थाई बनाने हेतु कार्यान्वयन पर भी विशद चर्चा हुई । इसमें सम्मानित कवि , कवयित्रियों ने अपनी पूरी ऊर्जा उत्साह के साथ हिस्सा लिया और श्रोता दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया । कार्यक्रम विवरण कुछ इस प्रकार रहा ।


 


            प्रथम दिवस के अध्यक्ष आदरणीय डॉ.राणा जयराम सिंह 'प्रताप' जी मुख्य अतिथि आदरणीय केवरा यदु 'मीरा' जी मंच संचालिका आदरणीया व्यंजना आनंद जी एवं आदरणीया आशा आजाद "कृति" जी सरस्वती वंदना रामनाथ साहू 'ननकी' जी एवं नृत्य प्रस्तुति नेहा बड़गुजर वापी ने किया। वहीं द्वितीय दिवस के अध्यक्ष आदरणीय रामनाथ साहू 'ननकी' जी मुख्य अतिथि आदरणीय तेरस केवत्य 'आसूं' जी मंच संचालिका आदरणीया व्यंजना आनंद जी एवं माधुरी डड़सेना जी सरस्वती वंदना आशा आजाद 'कृति' जी नृत्य प्रस्तुति सोलापुर से शिवानी और नव्या ने किया और समापन समारोह सह मैत्री काव्य सम्मेलन की अध्यक्षता आदरणीय साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यक मंच के अध्यक्ष सह कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय शशिकांत शशि जी एवं बिलासा साहित्य संगीत धारा मंच की उपाध्यक्षा आदरणीया मनोरमा चंद्रा 'रमा' जी मुख्य अतिथि आदरणीय कृष्ण कुमार क्रांति, आदरणीय तेरस केवत्य आसूं जी मंच संचालिका आदरणीया व्यंजना आनंद जी सुकमोती चौहान रुचि जी आशा आजाद कृति जी सरस्वती वंदना सपना सक्सेना दत्ता जी एवं नृत्य प्रस्तुति चिनमय बर्मन एवं नेहा वडगूजर वापी ने कार्यक्रम को सुशोभित किया ।


             श्री शशिकांत शशि (सहरसा), धनेश्वरी देवाँगन धरा,रायगढ़ ,निक्की शर्मा( रश्मि)अमीत कुमार बिजनौरी ,सुकमोती चौहान "रुचि",रामनाथ साहू "ननकी",कृष्ण कुमार क्रांति, डिजेन्द्र कुर्रे"कोहिनूर,धनेश्वरी सोनी , गीता विश्वकर्मा नेह,देवब्रत'देव',सपना सक्सेना दत्ता,पुष्पा ग़जपाल" पीहू,,


डॉ ओमकार साहू "मृदुल",सुधा रानी शर्मा ,डॉ.दीक्षा चौबे दुर्ग,अमर सिंह'निधि',व्यंजना आनंद (मिथ्या) ,श्री अशोक कुमार जाखड़,


जितेन्द्र कुमार वर्मा, श्री रणविजय यादव ,शिव प्रकाश पाण्डेय,प्रखर शर्मा सिंगोली, कन्हैयालाल श्रीवास्तव ,आशा आजाद,डिजेन्द्र कुर्रे , आशा आजाद,तेरस कैवर्त्य आँसू,साक्षी साहू सुरभि महासमुंद ,विनोद कश्यप,माधुरी डड़सेना " मुदिता ",आशा मेहर 'किरण', सुधा देवांगन 'सुचि', तोरनलाल साहू रोहाँसी, दूजराम साहू "अनन्य पद्मा साहू "पर्वणी" नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़,अनपूर्णा जवाहर देवांगन ,अर्चना गोयल( माहि) आदि साहित्यकारों की शिरकत से तीन दिवसीय कवि सम्मेलन काफी सफल रहा।


साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यिक मंच के संस्थापक कृष्ण कुमार क्रांति ने बताया कि यह संयुक्त मैत्री महाकाव्य सम्मेलन, मैत्रीपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ । यह मैत्री संबंध ऑनलाइन साहित्य की दुनिया की एक बहुत ही सुंदर और सकारात्मक पहल है , जिस माध्यम से कलमकार जन-जन के मनोभावों को स्वर प्रदान कर सकेंगे। । अखिल भारतीय साहित्यिक मंच, बिहार के राष्ट्रीय संरक्षक डाॅ. राणा जयराम सिंह 'प्रताप' ने त्रिदिवसीय मैत्री काव्य सम्मेलन को सफल एवं सार्थक बताया। उन्होंने कहा कि इन दोनों मंचों की मैत्री से रचनाकारों को व्यापक उड़ान का अवसर उपलब्ध हो पायेगा और वे अपनी रचनाओं के माध्यम से जन-चेतना को जाग्रत करने में सफल हो पायेंगे।


काव्यकुल संस्थान अर्द्धशती काव्योत्सव

का पावन मंच और और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय का जन्मदिवस का अवसर तो परिवार के सभी वैश्विक कवि मित्रों द्वारा आयोजन *अर्द्धशती काव्योत्सव* भी विशेष रहा।


मण्डला मध्यप्रदेश से अनेकों किताबों के प्रणेता डॉ(प्रो) शरद नारायण खरे की अध्यक्षता में सम्पन्न इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि टोकियो से जापान हिंदी कल्चरल सेंटर की अध्यक्ष डॉ रमा शर्मा विशिष्ट अतिथि भूमिका में अबुधावी से ललिता मिश्रा, तंजानिया से सी ए अजय गोयल, अमेरिका से प्राची चतुर्वेदी सहित देश के जाने माने कवि कवयित्रियों ने अपनी सुमधुर वाणी से कार्यक्रम को शिखर तक पहुँचाया।


दिल्ली से कार्यक्रम के आयोजक रजनीश स्वच्छंद, संयोजक कुसुमलता कुसुम के इस अनूठे आयोजन में ऑनलाइन4 घण्टे बही काव्य रस धारा।


रांची से सुमधुर कण्ठ की धनी डॉ रजनी शर्मा चन्दा की वाणी वन्दना से कवि सम्मेलन हुआ।


संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय के 50वें जन्मदिन पर आयोजित इस कार्यक्रम में 25 कवियों ने अपनी प्रस्तुति देकर भाव विभोर कर दिया।


अबुधावी से ललिता मिश्रा ने जीवन के विभिन्न प्रसंगों को लेकर कहा


 आज पचासवे जन्मदिवस पर 


मेरे कुछ उदगार यहाँ


स्वीकार करें ये पुष्प सुगंधित 


मान हमारा बढ़ जाएगा ।


संस्थान के राष्ट्रीय समीक्षक नोयडा से सोमदत्त शर्मा सोम की भावाव्यक्ति ने कार्यक्रम को गरिमामय बना दिया-


हे विराट-व्यक्तित्व! हे देव-पुरुष! हे नवल-भागीरथ!!                   


छूकर व्योम तुमने पूर्ण किये सकल साहित्य -मनोरथ!!


काव्य कुल संस्थान में स्वर्ग से,ले आये ज्ञान-गंगा !                 


महाभाग! परमार्थी बनकर किया सभी का मन चंगा।


कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ शरद नारायण खरे ने अपने चिर परिचित अंदाज में मुक्तकों के माध्यम से अनुपम काव्य पाठ किया जो काफी सराहा गया।


अमेठी से प्रधानाचार्य डॉ राघवेन्द्र पाण्डेय द्वारा सृजित इन पंक्तियों को बहुत वाहवाही मिली


कीर्ति फैले दशों दिक् में आलोक-सी सूर्य,चंदा,सितारों की हो भव्यता;


घर में सौंदर्य सारे मिलें आपको 


प्रिय - स्वजन में समाई रहे नव्यता।


आजमगढ़ से कवि राजेश मिश्र नवोदयी की इन पंक्तियों ने बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया-


  हम सबके प्यारे हैं दुनिया में न्यारे हैं... 


हिंदी साहित्य के सच में जगमग ध्रुव तारे हैं... 


जिनकी छत्रछाया में हम कवि नवल कविता सुनाएं.... 


वाराणसी से विद्वान कवि डॉ ब्रजेंन्द नारायण द्विवेदी शैलेश के अनुपम गीतों ने झूमने पर मजबूर कर दिया 


अति उदार हैं ह्रदय के,ये डॉक्टर राजीव।


मुझ जैसे पाषाण से,रखते प्रीत अतीव।


इस समारोह में दिल्ली से ओंकार नाथ त्रिपाठी ने नयनों पर अदभुत गीत सुनाया।


अयोध्या से डॉ हरिनाथ मिश्र ने प्रेमगीत सुनाकर मोहित कर दिया। झांसी से कवयित्री कुंती जी ने आत्म मोक्ष की दार्शनिक कविता सुनाई।


नोयडा से नेहा शर्मा ने इतिहास को संकेतों से व्यक्त किया


 


जिसका घोड़ा है इतिहास के पन्नों में, उसका नाम मिटाया क्यूं?


शौर्य का बखान तो किया, किन्तु उस वो नाम ना मिला,


निर्भीकता का तांडव करता, दर्ज उसे सम्मान ना मिला।


जिसकी तलवार की धार से हुए भयभीत, उसे यूं दफनाया क्यूं? 


 


अर्द्धशती काव्योत्सव में राजेश सिंह श्रेयस , साधना मिश्रा लखनऊ, अहमदाबाद से नलिनी शर्मा कृष्णा, छत्तीसगढ़ से संजय बहिदार, दिल्ली से यशपाल सिंह चौहान , मण्डला मध्यप्रदेश से डॉ नीलम खरे, दिल्ली से कुसुमलता कुसुम, कुमार रोहित रोज, नालन्दा से रजनीश स्वछंद, गाजियाबाद से गार्गी कौशिक, आदि कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर कार्यक्रम को शिखर तक पहुंचाया।


कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय ने किया।


प्रस्तुति


डॉ राजीव पाण्डेय


राष्ट्रीय अध्यक्ष


काव्यकुल संस्थान(पंजी)


महराजगंज : चन्द्रभान प्रसाद एवं दयानन्द त्रिपाठी को गांधी जयंती के अवसर पर महादेवी वर्मा साहित्य शोध संस्थान सोनभद्र ने सहभागिता सम्मान प्रमाण-पत्र देकर किया सम्मानित

महराजगंज : चन्द्रभान प्रसाद एवं दयानन्द त्रिपाठी को गांधी जयंती के अवसर पर महादेवी वर्मा साहित्य शोध संस्थान सोनभद्र ने सहभागिता सम्मान प्रमाण-पत्र से दर किया सम्मानित।


 



 


महराजगंज । गांधी जयंती के अवसर पर महादेवी वर्मा साहित्य शोध संस्थान सोनभद्र द्वारा आयोजित दिनांक 02 अक्टूबर 2020 को "गांधी विचार दर्शन सत्य अहिंसा एवं स्वच्छता की प्रासंगिकता" विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार में सम्मिलित हुए । इसके लिए उत्तर प्रदेश के जनपद महराजगंज के शिक्षक साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी एवं चन्द्रभान प्रसाद को सहभागिता प्रमाण-पत्र देते हुए इनके उज्जवल भविष्य की कामना की। 


 


 


 


महादेवी वर्मा साहित्य शोध संस्थान सोनभद्र उत्तर प्रदेश एवं संयोजक डॉ बृजेश महादेव द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार ने बताया कि 02 अक्टूबर 2020 को हुए ऑनलाइन ई-संगोष्ठी पर मंच से देशभर के तमाम कलमकार जुड़े और अपने विचारों को भी रखा । 02 अक्टूबर को चलने वाले "गांधी विचार दर्शन सत्य अहिंसा एवं स्वच्छता की प्रासंगिकता" विषय पर के लिए चयनित कलमकारों को सम्मानित किया गया। इस राष्ट्रीय वबिनार के मुख्य वक्ता के रूप सर्वप्रथम गोरखनाथ पटेल जी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सोनभद्र, उत्तर प्रदेश, डॉ अमृता पाउल विद्यासागर विश्वविद्यालय वेस्ट बंगाल, डॉ रचना तिवारी राष्ट्रीय कवियत्री सोनभद्र , डॉ रामबरन पटेल भूगोल विभागाध्यक्ष डीडीयू विश्वविद्यालय गोरखपुर, डॉ स्वाहिदुल इस्लाम एसआरएम विश्वविद्यालय चेन्नई, डॉ बीएन दूबे अस्सिटेंट प्रोफेसर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी एवं संयोजक डॉ बृजेश महादेव जी के देखरेख एवं संचालन में सम्पन्न हुआ।


श्री मती व्यंजना आनन्द की गीता का लोकार्पण

बिहार की बेटी ने दिया जनमानस को प्रेरणा स्रोत- गीता


गत दिनाँक 23-09-2020 को सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ काव्य गीता के हिन्दी अनुवाद का सफलतापूर्वक विमोचन हुआ जो कि बेतिया(बिहार) के जी जो साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यिक मंच के उपाध्यक्षा भी है उसी की लेखनी की देन है।


23-09-2020 के शाम को व्यञ्जना आनन्द जी के हिन्दी गीता ग्रन्थ समीक्षात्मक विमोचन ऑनलाइन ज़ूम एप्पलीकेशन द्वारा भव्यता के साथ हुआ। गत कार्यक्रम की अध्यक्षता डा.कवि कुमार निर्मल ने किया जिन्होंने बताया कि ये ग्रंथ समाज को सरलता के साथ नैतिकता की राह दिखायेगा। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामनाथ साहू "ननकी भईया" जी व्यञ्जना आनन्द जी को ढेरों शुभकामनाएं देते हुए काव्यवक पाठ किया। विशिष्ट अतिथि विजय बागरी जी एवं डॉ० राणा जयराम सिंह प्रताप संरक्षक साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यिक मंच से थे। इस कार्यक्रम में सम्पूर्ण भारतवर्ष के कोने कोने से साहित्यकार उपस्थित हुए और इस ग्रन्थ पर अपना-अपना मत एवं काव्यपाठ प्रस्तुत किये कहीं पर  पंकज बजाज जी द्वारा बंगाली भाषा में भजन रोमांचित रहा तो वहीं सोलापुर (मुम्बई) की बेटी क्षितिजा व जयपुर की शान इशिता ने अपने नृत्य से सबके हृदय पर गहरा छाप छोड़ दिया कार्यक्रम में आदरणीया डा.सुनीता सिंह, आचार्य गुनिंद्रानंद अवधूत, पंकज बजाज, , शिव प्रकाश पाण्डेय, शर्मा, डॉ० राम प्रकाश पथिक, अशोक कुमार झाखड़, आदि साहित्यकार उपस्थित रहे एवं अपना मन्तव्य व प्रस्तुति दिए।


कार्यक्रम का संचालन श्री मती माधुरी मंजूषा जी एवं ग़ाज़ीपुर के शिव प्रकाश पाण्डेय जी ने सफलता पूर्वक किया। कहीं मंजूषा जी ने दोहे का रस छलकाया तो कहीं पाण्डेय जी ने मुक्तक द्वारा पत्थर में संवेदना जगाई। कार्यक्रम के सम्पन्नता की घड़ी में सभी उपस्थित साहित्यकारों को श्रीमती व्यञ्जना आनन्द द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करते समय उनके चक्षुओं में हर्ष के अंबार दिखाई दे रहे थे और उन्होंने बताया कि उनकी प्रेरणा के स्रोत उनके दादा जी कविवर विमल राजस्थानी जो बहुत अच्छे कवि थे वही रहें । वे सदा सृजन ऐसी कर जो जन कल्याण हेतु काम आए कहा करते थे और यह बताते हुए वह भाव विभोर हो गईं ।


इस लोकार्पण कार्यक्रम में साहित्य साधक मंच के संरक्षक डॉ.राणा जयराम सिंह प्रताप, सपना सक्सेना दत्ता, अध्यक्ष शशिकांत शशि , प्रियदर्शनी जी ,अमर सिंह निधि एवं संस्थापक कृष्ण कुमार क्रांति भी शामिल हुए और श्री कृष्ण कुमार क्रांति ने कहा व्यंजना आनंद जी द्वारा रचित श्रीमद्भगवद्गीता का सृजन जनमानस के लिए अमृत के समान है इनके पाठन एवं श्रवण से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होगी।


दयानन्द त्रिपाठी हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित "हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद" तेलंगाना के राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी ने प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर किया सम्मानित

दयानन्द त्रिपाठी हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित "हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद" तेलंगाना के राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी ने प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर किया सम्मानित



महराजगंज । हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद द्वारा उत्तर प्रदेश के जनपद महराजगंज के शिक्षक साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी को राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में प्रतिभाग लेने के उपलक्ष्य में प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित करते हुए इनके उज्जवल भविष्य की कामना भी करता है।


 


हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद के संयोजक और संस्थापक अध्यक्ष डॉ रियाज-उल अंसारी और संचालक डॉ विद्याधर जी ने बताया कि 20 सितम्बर को हुए राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी हिन्दी दिवस के अवसर पर मंच से देशभर के हिन्दी के पुरोधा ने जुड़कर मंच को गौरवान्वित किया। इसके साथ मंच ने 84 प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी करता है।


  


आप सबको बताते चलें हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद के मुख्य वक्ता श्री गिरीश्वर मिश्र पूर्व कुलपति महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा ने हिन्दी विश्व और नई सदी की सांस्कृतिक चुनौतियां विषय पर सारगर्भित व्याख्यान से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । तकनीकी विषय पर श्री विजय प्रभाकर नगरकर जी जो सेवानिवृत्त राजभाषा अधिकारी बीएसएनएल, महाराष्ट्र ने स्मार्ट फोन से स्मार्ट हिन्दी विषय पर तकनीकी जानकारियों को देते हुए अपना व्याख्यान दिया जिससे मंच से जुड़े सभी लोग लाभान्वित होते हुए तकनीकी जानकारियों के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त की। इसी क्रम में श्री ऋषभदेव शर्मा जी पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष द०भा०हि०प्र०स०, हैदराबाद सहित और तमाम मनीषीयों ने अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया जो सभी के लिए हिन्दी विषय की महत्ता और समाजिक पकड़ पर विचार रखने का श्रेष्ठतम माध्यम है।


 


अन्त में संयोजक और संस्थापक अध्यक्ष डॉ रियाज-उल अंसारी जी ने अलमारी, साबुन, कप्तान, तंबाकू, तौलिया (टावेल)बाल्टी, कमरा, पिस्तौल, पादरी, गिरजा किस भाषा के शब्द हैं, बताइए तो जरा? ये पुर्तगाली भाषा से हिन्दी में आए हैं। यदि आप इनका प्रयोग करते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि आप पुर्तगाली शब्द बोलते हैं।उस्ताद, रेशम, जहान, चाकू, आदमी, गुलाब, चश्मा, बाग (बगीचा), दुकान, कलम, दोस्त, कारखाना, खरगोश, जमीन, रूमाल, साकी, सिपाही, सितार, शहर, रास्ता, सुराही,फारसी के शब्द हैं । साथ ही गरीब, अमीर, ईमानदार, इन शब्दों से भला कौन परिचित न होगा? और दुनिया, अदालत, किताब, दौलत, हुक्का, किस्सा और मालिक शब्दों का प्रयोग भला ऐसा कौन होगा जो न करता होगा? ये सभी अरबी भाषा के शब्द हैं। जो बहुधा हिन्दी प्रयोग में आते हैं। ऐसे तमाम शब्द हैं जो हिन्दी के बोलचाल में प्रयोग होते हैं। हिन्दी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद तेलंगाना, भारत ने हिन्दी को विश्व की भाषा बनाने के लिए बीड़ा उठाया लिया है । सबका अभिवादन और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी के समापन की घोषणा की।


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दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...