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श्री राम नवमी राम जन्म 2021श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ

 इस रामनवमी पर दो मुक्तक और "कलम आज कुछ ऐसा लिख" सीरीज का नया पुष्प, प्रभु श्रीरामके चरणों में समर्पित!

🙏💐🙏


हे राम! तुम्हारी धरती मां,

फिर से है तुम्हें पुकार रही!

रामत्व तुम्हारा  याद इसे,

आशा से तुम्हें निहार रही!!


मानवता करती त्राहि त्राहि,

दानवता फिर हुंकार रही!!

कोदंड धनुष पर रामबाण ,

संधानो , राह निहार रही !!  

**********************


कलम आज कुछ ऐसा लिख!

राम  अवतरण  जैसा लिख !!

आज अयोध्या पुण्यभूमि लिख,

तट  सरयू  के  जैसा  लिख!!

         कलम आज कुछ ऐसा लिख!

मध्य दिवस का सुखद समय हो,

तिथि, नवमी भी  मंगलमय हो,

लग्न  कर्क  हो , पुनर्वसू   हो,

सब ग्रह शुभ हों ऐसा लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

सूर्य, शुक्र,शनि,मंगल,ग्रह गुरु,

सभी उच्च हो, लग्न चंद्र ,गुरु!

ज्योतिष के शुभ योग सभी ये,

आज सफल हों ऐसा लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!

आज प्रकृति श्रृंगार कर रही,

वायु सुखद गुंजार कर रही!

सृष्टि प्रतीक्षा स्वयं कर रही,

वो पल आए ऐसा लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

कौशल्या का कक्ष अचानक,

ज्योतिर्मय हो गया अचानक!

तेज पुंज पर दृष्टि न ठहरे,

कोटि सूर्य के जैसा लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

फिर उस अनुपम तेजपुंज में,

ज्योत्सना के महाकुंज  में,

परम पुरुष वे चतुर्भुजी हो,

स्वयं प्रकट हों ऐसा लिख !! 

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

बाल रूप की कांति मिली जब,

मां के मन को शांति मिली तब,

जगत नियंता  बालरूप  में,

मिला  पुत्र  बन  ऐसा  लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

श्रीहरि बाल रूप में प्रकटित,

धरती हर्षित,जग आनंदित!

दर्शन पा सब देव प्रफुल्लित,

जीवन धन्य हुआ ऐसा लिख !!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

त्रेता बीता , द्वापर  बीता,

एक चरण कलयुग का बीता,

धरती करती त्राहिमाम फिर,

प्रभु फिर प्रकटें ऐसा लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

हो सुख शांति पुनः धरती पर,

स्वर्ग अवतरित हो धरती पर!

हर घर बने अयोध्या  जैसा,

रामराज्य  हो  ऐसा  लिख !!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!

        कलम आज कुछ ऐसा लिख!!


      ........ श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ


श्री राम जन्म रामनवमी आशुकवि नीरज अवस्थी

 राम जन्म राम नवमी 21 अप्रेल 2021

जब कौशलराज के भाग्य जगे ,

पट खोलि निहारि रही चपला।

हरि जन्म लियो अवधेश के घर ,

सब लोग निहारति राम लला।

महतारी बिलोकि रही सुत को

नहि लाल के लागै कोई बला।

नभ् से सुर पुष्प करै वर्षा,

घर आँगन डोलति राम लला

(


फोटो गूगल से साभार)

आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950

होली 2021 आशुकवि नीरज अवस्थी

 



 बसंत   एवम्  होली   

आशुकवि नीरज अवस्थी - KAVYA RANGOLI - https://kavyarangoli.page/article/aashukavi-neeraj-avasthee/ofOlBQ.html

माघी पूर्णिमा 28 फरवरी 2021
कविता लिखने से कभी लिख ना पाया गीत।
मातु शारदे की कृपा से लिख जाते गीत।1
खण्ड काव्य भी रच दिए समय हुआ अनुकूल।
एक पंक्ति में फंस गए गए व्याकरण भूल।2
नित्य सृजन साहित्य का करते सुकवि सुजान।
जैसे धरती शीश पर धरे शेष भगवान।3
जो जन्मा है जगत में,उसका होगा अंत।
सदा आपके ह्रदय में बीते सुखद बसन्त।। 4
नीरज नयनो से करूँ वन्दन बारम्बार।
हंस वाहिनी की कृपा बरसे अपरम्पार।।5
आशुकवि नीरज अवस्थी 2021

फाग महोत्सव
आज से  आपको नित्य ही एक नया छंद प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा यह पूरे माह चलेगा रात 10 बजे स्टेटस में।

देवर-भौजी,जीजा-साली, सरहज ते मनुहार।
फागुन में आ गले लगाऊं हो जाओ तैय्यार।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

लाल लाल मुंह हमने रंगा, खा कर मीठा पान।
लाल लाल मुंह हमने रंगा, खा कर मीठा पान।
भर पिचकारी तेरे मेरी ओ मेरी दिलजान।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

पेड़ आम के लदे बौर से महके डाली डाली।
पेड़ आम के लदे बौर से महके डाली डाली।
हर प्राणी के जीवन मे हो जबरदस्त दससाली।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

पत्नी बिल्कुल नीकि न लागय जैसे डेली ड्यूटी।
पत्नी बिल्कुल नीकि न लागय, जैसे डेली ड्यूटी।
सारी सरहज मन का भावे, जैसे पेरिस ब्यूटी।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

दादा तो परदेस बसे है,घरे अकेली भौजी।
दादा तो परदेस बसे है,घरे अकेली भौजी।
लरिकन का टॉफी पकराई, बिस्कुट अउजी,अउजी।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

दुष्ट कोरोना पलटी मारे,
रंग फ़ाग सब फीका।।
दुष्ट कोरोना पलटी मारे,
रंग फ़ाग सब फीका।।
घर के लरिका मरे जाय,
ठेलुहन का बाटे टीका।
जोगीरा सारारारारा
जोगीरा सारारारारा
जोगीरा सारारारारा
आशुकवि नीरज अवस्थी

अबकी होली मा परिगा परधानी क्यार चुनाव।
अबकी होली मा परिगा परधानी क्यार चुनाव।
हरिजन सीट भई तो बड़े बड़ेंन कि बूड़ी नाव।
जोगीरा सारारारारा
जोगीरा सारारारारा
जोगीरा सारारारारा
आशुकवि नीरज अवस्थी


होली का त्योहार मनावै,दारू पी कै लल्लू।
होली का त्योहार मनावै,दारू पी कै लल्लू।
अपनी इज्जत खुदै गवावै बने काठ के उल्लू।
जोगीरा सारारारारा
जोगीरा सारारारारा
जोगीरा सारारारारा
आशुकवि नीरज अवस्थी


घर घर पापड़ चिप्स बने है,हमरे घर मा कचरी।
घर घर पापड़ चिप्स बने है,हमरे घर मा कचरी।
महगाई की मार पर रही, ताल भवा घर बखरी।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

लाल लाल हैं गाल तुम्हारे, उजली उजली खाल।
लाल लाल हैं गाल तुम्हारे, उजली उजली खाल।
पतली कमर छिपकली जैसी ,नैना बने रसाल।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

निजीकरण का चल रहा है भारत मे जोर।
निजीकरण का चल रहा है भारत मे जोर।
योगी मोदी ठीक है बाकी दिखते चोर।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

दाढ़ी लम्बी हो रही जाने क्या है राज।
दाढ़ी लम्बी हो रही जाने क्या है राज।
चिड़िया कुछ समझी नही क्या कर देगा बाज।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

नीक मीठ पकवान बनाओ खाओ ओर खिलाओ।
नीक मीठ पकवान बनाओ खाओ ओर खिलाओ।
अपने अपने आइटम के घर होली खेलै जाओ।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

पंचायती चुनाव आ गए,गुणा भाग का दौर।
पंचायती चुनाव आ गए,गुणा भाग का दौर।
पांच साल मा पेटु भरा ना ये दिल मांगे मोर।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

न्यायालय आदेश आ गया,प्रत्याशी बिल्लाय।
न्यायालय आदेश आ गया,प्रत्याशी बिल्लाय।
संशोधित आरक्षण सूची सीट बदल ना जाय।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

साली सरहज भाभियाँ हमसे रहती दूर।
साली सरहज भाभियाँ हमसे रहती दूर।
यह रिश्ते मस्ती भरे मौज लेव भरपूर
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा



फगुआ भौजी के लिए साली जी को नोट।
फगुआ भौजी के लिए साली जी को नोट।
आवे सरहज सामने मनवा लोटमपोट
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

होली में हो हँसी ठिठोली,नेह प्रेम की बोली।
होली में हो हँसी ठिठोली,नेह प्रेम की बोली।
प्यार मोहोब्बत से दिल जीतो छोड़ो लाठी गोली
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

मुझे भुलाने वालों तेरी याद बहुत है आई।
मुझे भुलाने वालों तेरी याद बहुत है आई।
अता पता सन्देश नही मिसकाल क्यो नही आई
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

साली जीजा से करे,अनुपम सच्चा प्यार।
साली जीजा से करे,अनुपम सच्चा प्यार।
सरहज धोखेबाज से रहो सदा हुशियार।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा


हमरे भौजी एकौ नाही,केहिके रंग लगाई।
हमरे भौजी एकौ नाही,केहिके रंग लगाई।
मेहरी कि भौजी लिफ्ट न देती,कहौ कहाँ मरिजाई।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा


जिसके घर मे दुःख दरिद्र हो उससे नाता रखना।
जिसके घर मे दुःख दरिद्र हो उससे नाता रखना।
बड़े आदमी होकर दुखियो के भी संकट हरना।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा
आशुकवि नीरज अवस्थी

राधा कृष्ण बाल योगेश्वर जैसा करिए प्यार।
राधा कृष्ण बाल योगेश्वर जैसा करिए प्यार।
जिसने याद किया दुख में पहुंचे करुणा अवतार।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

दुश्मन से कर प्रीति पर, मत करना विश्वास।
दुश्मन से कर प्रीति पर, मत करना विश्वास।
बूढ़ा भूखा भेड़िया नही करेगा घास।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

इस होली में दारू भांग नशे को देना त्याग।
इस होली में दारू भांग नशे को देना त्याग।
अपने जामा में रहकर लूटो फगुई का फाग।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

हमरी भौजी याक सुनीता सुकलाइन है टॉप।
हमरी भौजी याक सुनीता सुकलाइन है टॉप।
पछपन की है उमर मगर लगती है लल्लनटॉप।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा


रानी ऊषा निशा प्रभाती कुन्नी बबली डाली।
रानी ऊषा निशा प्रभाती कुन्नी बबली डाली।
बसी वन्दना मम नैनो में हाय रंजना साली।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

सोना मोना शिल्पी लाली शशीकला ओ पुतली,
सोना मोना शिल्पी लाली शशीकला ओ पुतली,
चन्द्रप्रभा पत्तो परभतिया, हमरी साली असली।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

फाग महोत्सव 28 मार्च 2021नित्य एक नया छंद
प्रियम आरती स्वीटी रानी हमसे रहती दूर।
प्रियम आरती स्वीटी रानी हमसे रहती दूर।
होली में भी मुंह ना बोली खट्टे है अंगूर।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा
आशुकवि नीरज अवस्थी

मेरी प्यारी सरहज मधु है ज्योति करे प्रकाश।
मेरी प्यारी सरहज मधु है ज्योति करे प्रकाश।
टोनी भाई लाल विदुर साले लोगन ते आस।।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

फाग महोत्सव 29 मार्च 2021नित्य एक नया छंद
इस होली में बाइस महिने का है सबका श्याम।
इस होली में बाइस महिने का है सबका श्याम।
मेरे सारे दुःख दर्दो को जिसने दिया विराम।
जोगीरा सा रा रा रा रा,
जोगीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा
आशुकवि नीरज अवस्थी

राम कृष्ण दुर्गा सहित, गौरी शंभु सुजान।
गणपति की कर वन्दना धर शारद का ध्यान।
इस होली नव वर्ष में मेरी विनती मान।
जिनको हमसे प्रेम है, उनका हो कल्याण।
होली में बोले नही,जिनको अति अभिमान।
वह मेरे संसार से होये अंतर्ध्यान।।
आशुकवि नीरज अवस्थी


मुक्तक ...
मुझे पग पग मिला धोखा, सहारा किस को समझूँ मै.
डुबाया हाथ से किश्ती, किनारा किस को समझूँ मै.
जो मेरे अपने थे, वो काम जब, आये नहीं मेरे..
तो तुम तो गैर हो, तुमको दुलारा कैसे समझूँ मै.
आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950       

इस होली में वह मिल जाये, जो बचपन मे खेली थी।
रीति प्रीति की मिलन बिछड़ना प्रीती एक पहेली थी।
बीस साल से खोज रहा हूँ कितनी हेली मेली थी।
दिल्ली में मिल गयी अचानक अब तक नई नवेली थी।।
आशुकवि नीरज अवस्थी

     
होली जलती दिलो में भस्म हो गया प्यार।
मेल मिलन की है बहुत ही ज्यादा दरकार।।
दूरी इतनी बढ़ गई ,जैसे धरती चंद।
इसी लिए फीकी लगी अग्नि होलिका मंद।
अग्नि होलिका मंद, तो,कैसे जले विषाद।
खाने में पकवान है,नही मिल रहा स्वाद।
द्वेष भावना का शमन करिए कृपा निधान।
मंगलमय होली रहे यह दीजै बरदान।
आशुकवि नीरज अवस्थी

अटल विश्वास हो भगवान पर तो काल भी टलता।
लगाया नेह था प्रह्लाद ने फिर किस तरह जलता।
वो फ़ायरफ़्रूफ़ लेडी जल गई भगवान की माया,
कभी उसकी इजाजत के बिना पत्ता नही हिलता।।
आशुकवि नीरज अवस्थी

बहुत कविताये है लेकिन यह मुक्तक सबसे अलग है ईश्वर पर भरोसा रखते हुए अटूट श्रद्धा रखिये उससे ऊपर कोई नही।होली की अशेष बधाइयां
आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


दिलों में प्रेम की गंगा बहाने आ रही होली.
सभी शिकवे गिलों को दूर करने आ रही होली.
धरा से दूर होती जा रही सर्दी कड़ाके की ,
सभी के उर मे अति स्नेह को उपजा रही होली..

अगर अपना कोई रूठे,तो झट उसको मना लेना.
बिगड़  जाए कोई  रिश्ता तो झट ,उसको बना लेना.                                                                          नयन में नीर नीरज के,अमित अविरल असीमित है.
अगर मिल जाउ होली मे , गले मुझको लगा लेना     
2-किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना ,
बड़ा रंगीन है मौसम हमारे पास आ जाना. 
सभी  बागों मे अमराई है, मौसम खुशनुमा यारों,
कसम तुमको है"प्रीती"तुम मेरे ख्वाबों में आ जाना.
                                               
   
दिल के बागों में प्रीति पुष्प खिला कर देखों 
नेह  का रंग अमित प्रेम लुटा कर देखो..                            
तेरी यादें  मुझे लिपटी है अमरबेलों सी,
होली आती है मुझे फ़ोन लगा के देखो.. [5]    
                    
तेरे चेहरे को रंगदार बना सकता हूँ,। तुझको मे अपना राजदार बना सकता हूँ ।
दुनियाँ  की भीड़ में तुम खो गये,अकेले हम , 
जो मिले गम उसे मे यार बना सकता हूँ,, [6]     

गोरे गालों को न बदरंग  करो,
प्रीति के रंग को न भंग करो.
ये तो शालीन पर्व मिलने का ,
भूल कर इसमे ना हुड़दंग करो.[7] 

दुश्मनों को गले लगाते हैं,
प्रीति के गीत गुनगुनाते है,
नेह  रुपी गुलाल हाँथो से,
प्रीति के रंग हम लगाते हैं.. [8]     

दुख शोक परेशानी सारी,होलिका अगिन में जल जाए..                                  
सब बैर भाव बदरंग त्याग सब जन मन माफिक फल पाए.
घर घर मे प्यार अपार रहे,जन जन में भाईचारा हो.
दुश्मन भी आकर गले मिले ऐसा ब्यवहार हमारा हो .-

(9)

जिस जिस भाई बहनों ने होली की बधाई संदेश भेजे उनको मेरी चन्द पंक्तियां समर्पित है--💐💐

             आभार गीत

जिसने भी हमको भेजी होली की मित्र बधाई।
मेरे दर्द भरे मन में खुशियों की हवा चलाई।
उनके लिये प्रार्थना है वह बहने हो या भाई।
इसी वर्ष उनकी शादी हो बजे खूब शहनाई।।

जिनका है परिवार बस गया उनके होये बच्चे।
बिल्कुल मेरे तेरे जैसे सारे जग से अच्छे।
मैं भावुकता में बहता हूँ तुम मेरी परछाईं।
दुआ हमारी घर में सबके प्रतिदिन बटे मिठाई।

हर दिन होली के जैसा हो रात बने दीवाली।
जीवन के हर एक कोने में दिखे सिर्फ खुशहाली।
सुख समरद्धि विजय की धुन है कानो से टकराई।
सबका मैं आभारी हूँ जिस ने भी दिया बधाई।।

                     
दिल के बागों में प्रीति पुष्प खिला कर देखों 
नेह  का रंग अमित प्रेम लुटा कर देखो..                             तेरी यादें  मुझे लिपटी है अमरबेलों सी,
होली आती है मुझे फ़ोन लगा के देखो.. [5]    
                    
तेरे चेहरे को रंगदार बना सकता हूँ,। तुझको मे अपना राजदार बना सकता हूँ ।
दुनियाँ  की भीड़ में तुम खो गये,अकेले हम , 
जो मिले गम उसे मे यार बना सकता हूँ,, [6]     

गोरे गालों को न बदरंग  करो,
प्रीति के रंग को न भंग करो.                                                                   ये तो शालीन पर्व मिलने का ,
भूल कर इसमे ना हुड़दंग करो.[7]    
                                                  दुश्मनों को गले लगाते हैं, प्रीति के गीत गुनगुनाते है,                                                                            नेह  रुपी गुलाल हाँथो से,प्रीति के रंग हम लगाते हैं.. [8]     

जब बसंत का मौसम आया ऐसी हवा चली। 
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..।। 
नयी कोपले पेड़ और पौधो पर  हरियाली.
उनके मुख मंडल की आभा गालो की लाली.। 
चंचल चितवन उनकी नीरज खोजै गली गली।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली।1
कोयल कूकी कुहू कुहू और पपिहा पिउ पीऊ , 
अगर न हमसे तुम मिल पाई तो कैसे जीऊ।
मै भवरा मधुवन का मेरी तुम हो कुंजकली ।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.2

बागन में है बौर और बौरन मां  अमराई 
कामदेव भी लाजै देखि तोहारी तरुनाई ,
तुमका कसम चार पग आवो हमरे संग चली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.. 3
जब बसंत का मौसम आया ऐसी हवा चली। 
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..।। 
हरी चुनरिया बिछी खेत  में सुन्दर सुघड़  छटा । 
नीली पीली तोरी चुनरिया काली जुल्फ घटा ।
आवै फागुन जल्दी नीरज गाल गुलाल मली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.. 4    
आशुकवि नीरज अवस्थी
खमरिया पण्डित खीरी
9919256950

                                                                                   बसंत में---------                                                                                                नीबू के फूल महके,है ,देखो बसंत में.
अमराई बौर की, है जी देखो बसंत में.
नव कोपले पेड़ो  में, है निकली  बसंत में .
पतझड़ सा मेरा जीवन, देखो  बसंत में.
मधुमक्खियों के छत्ते शहद से भरे हुए,
उनके बेचारे बच्चे भूख से मरे हुए.
कंजड़ के हाथ अमृत देखो बसंत में.
पतझड़ सा मेरा जीवन, देखो  बसंत में. 
सरसों की पीली पीली चुनरिया उतर गई.
गेहू की बाली खेत में झूमी ठहर गई.
गन्ना लगाये देखो ठहाके बसंत में..
पतझड़ सा मेरा जीवन ,देखो  बसंत में. 
लव मुस्कुरा रहे है दर्दे दिल बसंत में,
मिलाता नहीं है कोई रहम दिल बसंत में,
बस अंत लग रहा हमें नीरज बसंत में,.
पतझड़ सा मेरा जीवन देखो  बसंत में. 
30 वर्षो से यह वन्द आज बन्द हो गया 23 मई 2020
चिड़ियों की चहचहाना है किलकारियाँ नही,
होली का पर्व सर पे है , पिचकारियाँ नही..
सूना है घर दुवार नौनिहाल के बिना,
मनमीत बिना प्रीति के तड़पे बसंत मे ..
पतझर सा मेरा जीवन देखो बसंत में[५]''
भगवान के खेलों को तो भगवान ही जाने।
भगवान भरोसे को बहुत ठीक से जाने
वारिस मेरा है श्याम पुत्र बाप की तरह,
नीरज खुशी के सिंधु में डूबे बसन्त में।
आशुकवि नीरज अवस्थी
.....................................आप सभी का सादर आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950

होली पर आप सभी को चंद पंक्तियाँ अग्रिम समर्पित करता हूँ..---------------

       होली पर कविता
भारत की नारियां सभी हो राधिका के तुल्य,
मानंव हो जैसे वासुदेव कृष्ण श्याम से।।
कष्ट कट जाये दुःख दूर रहे जिंदगी से,
प्यार से मनाये होली दूर रहे जाम से।।
रंग रंग से रंगो कुरंग से बचो सदा,
लुटाते रहो प्रीती का गुलाल सुबह शाम में।
देश की अखण्डता व् एकता सलामती हो,
नीरज की एक ही प्रतिज्ञा प्रण प्राण से।
💐💐💐💐💐💐💐💐

 बसंत   एवम्  होली     
जब बसंत का मौसम आया ऐसी हवा चली। 
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..।। 
नयी कोपले पेड़ और पौधो पर  हरियाली.
उनके मुख मंडल की आभा गालो की लाली.। 
चंचल चितवन उनकी नीरज खोजै गली गली।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली।
कोयल कूकी कुहू कुहू और पपिहा पिउ पीऊ , 
अगर न हमसे तुम मिल पाई तो कैसे जीऊ।
मै भवरा मधुवन का मेरी तुम हो कुंजकली ।।
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.
बागन में है बौर और बौरन मां  अमराई 
कामदेव भी लाजै देखि तोहारी तरुनाई ,
तुमका कसम चार पग आवो हमरे संग चली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली.. 
हरी चुनरिया बिछी खेत  में सुन्दर सुघड़  छटा । 
नीली पीली तोरी चुनरिया काली जुल्फ घटा ।
आवै फागुन जल्दी नीरज गाल गुलाल मली.
लगा झूमने उनका यौवन हर एक कली खिली..     
आशुकवि नीरज अवस्थी
खमरिया पण्डित खीरी
9919256950

होली 2021 सभी को कल्याणकारी ओर प्रसन्नता दायक हो-
*प्रतिदिन प्रतिपल नवसंवत का,
तुमको मंगलकारी हो ।*
*घर आंगन द्वारे खेतों तक ,
*खुशियों की फुलवारी हो ।*
*मीत प्रीति की रीत यही है ,*
*अमित अगाध नेह बांटो,*
*दो हजार इक्किस की होली,*
*सबको ही सुख कारी हो।*

*वात्सल्य देवर भाभी का,*
*युगो युगो तक बना रहे।*
*लता सहारा हरदम पाए ,*
*तना हमेशा तना रहे ।*
*जीजा साली के रिश्तो की ,*
*मर्यादा गुमराह न हो,*
*हर रिश्तो में जन जन का,*
*विश्वास अलौकिक बना रहे।।*

आशुकवि नीरज अवस्थी
प्रबन्ध सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका
संस्थापक अध्यक्ष
श्याम सौभाग्य फाउंडेशन
पंजी ngo
खमरिया पण्डित खीरी
9919256950

कमर तोड़ महंगाई मे, त्योहार मनाना मुश्किल है.
दुशमन बाँह गले मे डाले जान बचाना मुश्किल है,
खोया पहुचा आसमान,पकवान बनाना मुश्किल है.
दारू तौ है महँगी, अबकी भाँग पिलाना मुश्किल है;[२]
नेता अइहै द्वारे-द्वारे चाय पिलाना मुश्किल है.
गन्ना भी अनपेड बिका कपड़ा बनवाना मुश्किल है;[३]
विरह वेदना अगनित पीड़ा मिलन प्रीति का मुश्किल है.
होली का त्योहार प्रीति की रीति निभाना मुश्किल है;[४]

आप सब का अपना ही ---आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950

जिसने भी हमको भेजी होली की मित्र बधाई।
मेरे दर्द भरे मन में खुशियों की हवा चलाई।
उनके लिये प्रार्थना है वह बहने हो या भाई।
इसी वर्ष उनकी शादी हो बजे खूब शहनाई।।

जिनका है परिवार बस गया उनके होये बच्चे।
बिल्कुल मेरे तेरे जैसे सारे जग से अच्छे।
मैं भावुकता में बहता हूँ तुम मेरी परछाईं।
दुआ हमारी घर में सबके प्रतिदिन बटे मिठाई।

हर दिन होली के जैसा हो रात बने दीवाली।
जीवन के हर एक कोने में दिखे सिर्फ खुशहाली।
सुख समरद्धि विजय की धुन है कानो से टकराई।
सबका मैं आभारी हूँ जिस ने भी दिया बधाई।

आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950

होली 2021

 हम किसी भी  त्योहार पर रोना नही रोना चाहते लेकिन कमर तोड़ महंगाई और पंचायत चुनाव के परिप्रेक्ष्य में चन्द लाइने देखे।


कमर तोड़ महंगाई मे, त्योहार मनाना मुश्किल है.

दुशमन बाँह गले मे डाले जान बचाना मुश्किल है,

खोया पहुचा आसमान,पकवान बनाना मुश्किल है.

दारू तौ है महँगी, अबकी भाँग पिलाना मुश्किल है;[२]

नेता अइहै द्वारे-द्वारे चाय पिलाना मुश्किल है.

गन्ना भी अनपेड बिका कपड़ा बनवाना मुश्किल है;[३]

विरह वेदना अगनित पीड़ा मिलन प्रीति का मुश्किल है. 

होली का त्योहार प्रीति की रीति निभाना मुश्किल है;[४]


आप सब का अपना ही ---आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


बसन्तोत्सव 2021 काव्य रंगोली आशुकवि नीरज अवस्थी

 कविता लिखने से कभी लिख ना पाया गीत।

मातु शारदे की कृपा से लिख जाते गीत।1

खण्ड काव्य भी रच दिए समय हुआ अनुकूल।

एक पंक्ति में फंस गए गए व्याकरण भूल।2

नित्य सृजन साहित्य का करते सुकवि सुजान।

जैसे धरती शीश पर धरे शेष भगवान।3

जो जन्मा है जगत में,उसका होगा अंत।

सदा आपके ह्रदय में बीते सुखद बसन्त।। 4

नीरज नयनो से करूँ वन्दन बारम्बार।

हंस वाहिनी की कृपा बरसे अपरम्पार।।5

आशुकवि नीरज अवस्थी


महाशिवरात्रि आशुकवि नीरज अवस्थी काव्य रंगोली

 महाशिवरात्रि

महादेव की अर्चना,मन में अति विश्वाश।

बम बम भोले जो कहे ,पूरी होती आस

कर्म और प्रारब्ध से जिनके सोये भाग्य

शिव शंकर की भक्ति से भाग्य जायगे जाग


राम कृष्ण शिव को भजे जीवन का आलम्ब।

बिगड़ी बात बनायेगे राघव कृष्णा संभु।


शिव शंकर को जो भजे केवल सुबहो शाम।

उनके दुःख दारुण हरे गंगा धर भगवान।


नीरज इस संसार में जो बदकिस्मत लोग।

शिव् भक्ती से मिटत है दुःख दरिद्र अरु रोग।।


          महाशिवरात्रि


महाशिवरात्री 11फरवरी 2021 पर--


करते है मंगल दूर करते अमंगल,

मृत्यु हरते अकाल त्रिपुरारी भोलेनाथ जी।

कर में त्रिशूल मृगचर्म परिधान धारी,

दीनन के नाथ हम अनाथ भोले नाथ जी।।

सृष्टि को बचाने हित पी गये हलाहल विष,

दानी महादानी हैं हमारे भोलेनाथ जी।

भाल में मयंक जिनकी जटाओं में गंग धार,

सर्पमाल भस्म को रमाये भोले नाथ जी।।

रात्रि महारात्रि शिवरात्रि शिव को प्यारी अति,

बार बार आपको मनाऊँ भोले नाथजी।

जीव जन्तु नीरज से जन जुड़े जो धरती के,

उनके दुःखो को दूर करो भोलेनाथ जी।।

आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक मङ्गलमय शुभकामनायें।

भगवान आशुतोष आप की सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करे।।

आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256959



समस्त जीवों के दुःख हर्ता ,हमारे भोले नमामि शम्भू।

समस्त सृष्टी के बिघ्न हर्ता ,हमारे भोले नमामि शम्भू।

हर एक से होवे जब निराशा ,त्रिनेत्र शम्भू से एक आशा।

दुर्भाग्य नाशक सौभाग्य दाता,हमारे भोले नमामि शम्भू।

बहुत सरलता से मान जाते,जन--हित में विष भी पी जाते।

त्रिशूल धारी बृषभ सवारी,हमारे भोले नमामि शम्भू।

है चंद्रमा भाल पे बिराजे,और जटाओं में गंग साजै।

अकाल मृत्यु को हरने वाले,हमारे भोले नमामि शम्भू।

आशुकवि नीरज अवस्थी मो.-9919256950




आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक मङ्गलमय शुभकामनायें।

भगवान आशुतोष

आप की सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करे।।

आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256959



मौनी अमावस्या आशुकवि नीरज अवस्थी

 आज मौनी अमावस्या के उपलक्ष्य में मेरे द्वारा रचितकुदरती दोहे--


घन के उर से कर रही रिमझिम बूंदे गान।

बिना भेद के कर रही अभिसिंचित श्रीमान।

भीग गया तन मन मेरा भीग गये है प्रान।

मौन अमावस्या सुखद हुआ करो स्नान।


मौन धरो दानी बनो जब तक यह में प्रान।

गुरुवारी मौनी पड़ी करो दान स्नान।

दान पुण्य के साथ ही करो प्रेम व्यवहार।

जन जन में उपजाइये शिक्षा प्रद सहकार।

ठिठुरन आयी लौट कर लगे सभी को शीत।

जीवन मे सबको मिले सीधा सच्चा मीत।

राग द्वेष मिट जाय सब संकट का हो अंत।

सबको शुभ कारी लगे सुंदर सुखद बसन्त।

सोमवती मौनी अमावस्या पर विशेष-

आत्मीय मित्रो आज सोमवती मौनी अमावस्या पर मौन व्रत एवम मौन रहते हुए स्नान का महत्व है।स्मृतिशेष मेरी पूज्य माता जी का कथन है कि "याक चुप्प म हजार बलाई टरती है" वास्तव में आप के पास सबसे बड़ा साधन अस्त्र शस्त्र है कोई तो वह मौन है अतः जब भी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े मौन आपको सारी समस्याओं से निजात देकर लक्ष्य तक पहुंचाएगा।आप सभी लोग सदैव प्रसन्न रहे।

आशुकवि नीरज अवस्थी मो0-9919256050

💐💐💐💐💐

गोवर्धन पूजा 2020

आप सभी को पर भगवान योगीराज कृष्ण की कदम कदम पर सहायता मिले।।


 


इंद्र के कोप से गोकुल को बचाने वाले।


अपने नाखून पे गिरिराज उठाने वाले।


भोर दीपावली का अन्नकूट पूजा है,


कृष्ण गोपाल की जय लाज बचाने वाले।।


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


चित्र गूगल से साभार डाउनलोड किया हुआ 


अतुल पाठक "धैर्य" हाथरस

करवाचौथ विशेष कविता


शीर्षक-कशिश महताब जैसी


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कशिश तेरी महताब जैसी, 


महताब में नज़र तू आने लगी।


 


इश्क और मुश्क तुझसे दीवाना तेरा,


दिल की गली प्यार की इक कली लगाने लगी।


 


संग तू है तो और कोई नहीं मेरी हमराज़~ए~तमन्ना,


तेरे होने से वीरान दिल में रोशनाई आने लगी।


 


लाज़मी है चाँद का गुमाँ टूटना,


आखिर मेरी चाँद के आगे उसकी चमक फीकी पड़ने लगी।


 


जब से दो जिस्मों में एक जान बसने लगी,


प्यार की दुनिया आबाद होने लगी।


@उत्तर प्रदेश)


करवा चौथ कर्क चतुर्थी पर रचना 04-11-2020


करवा चौथ


पति स्वस्थ चिरायु रहे अतः भूखी प्यासी रहती नारी।


कार्तिक की बदी चतुर्थी को गणपति पूजन करती नारी।।


पति पीड़ित हो बीमार भले निर्धन हो दीन हीन कितना,


पति पर सर्वस्व लुटा देती बलिहारी भारत की नारी।।


 


 


 


कार्तिक बदी चतुर्थी करवा क पर्व आया।


अर्धांगिनी ने मेरी पानी पिया न खाया।


पति की सलामती को करती कठिन तपस्या,


नारी महान है ये बेदो ने भी बताया।


 


चपला हो चंचला हो शादी के बाद नारी।


शादी के बाद सादी हो जाती है कुआंरी।


पुरुषों की क्या बताये होती अजब कहानी।


पत्नी के साथ खोये बातें लिए पुरानी।


 


पत्नी में खोजते है वह जीन्स वाली प्रीती।


कैसा दिमाग शातिर यह आदमी की रीती।


पत्नी बहन हैं माता परिवार की सृजेता।


हम जीत करके हारे वह हर कदम विजेता।


 


पश्चिम की सभ्यता को घर मे नही बसाना।


पूरी न मिल सके तो आधे ही पेट खाना।


पत्नी सुलक्षणा हो काली कुटिल कुरूपा।


एकल पतिव्रता पर बलिहार लाख रुपा।।


 


संकष्ट गणेश चतुर्थी करवा चौथ पर समस्त भारतीय नारियां अखण्ड सौभाग्यवती हो।यही प्रार्थना है भगवान गजानन से~


 


जिनने व्रत करवा चौथ रखा,जीवन भर मांगे लाल रहे।


झुर्री बिहीन हो गाल सुर्ख, घुटनो तँक लम्बे बाल रहे।


जीवन में हर सुख सुविधा हो,पति की भी आयु लंबी हो


हर नारी को मातृत्व मिले,सबकी गोदी में लाल रहे।।


================== प्रियतम की लम्बी उमर हेतु,अति भूख,प्यास सहती नारी| 


चन्द्रोदय दर्शन पूजनकार, सौभाग्य शालिनी हो नारी ||


तपसी शालीन न तुम जैसा, सबला,सफला हो कर्मठ हो | 


दिख रही धर्मता धीरज की प्रति मूर्ति बनी प्रमुदित नारी||


                                                                      -आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


===============


शरद पूर्णिमा


शरद पूर्णिमा के चन्दा से जन जन को अमरत्व मिले।


मेरी आर्य संस्कृति को भी बचा खुचा अस्तित्व मिले।


धवल खुशी से शांति भरा हम तुम सब ही का जीवन हो,


धरती के हर दम्पति को सुखमय ममता मातृत्व मिले।।


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


 


आशुकवि नीरज अवस्थी विश्वकर्मा जयंती

आज 17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा जी की जन्मोत्सव पर चन्द पंक्तियाँ


 


कला विज्ञान के दाता प्रदाता को नमन मेरा।


सकल ब्रम्हाण्ड निर्माणक विधाता को नमन मेरा।


बनाई द्वारिका सोने की लंका हाथ से अपने,


हमारे ईष्ट भगवन विश्वकर्मा को नमन मेरा।


 


सभी औजार के निर्माण प्रभुवर आप के द्वारा।


मेरी आजीविका जीवन रहा जी आप के द्वारा।


हमेशा कारखाने में मेरी रक्षा प्रभू करना,


हंमारी उन्नति का पथ प्रकाशित आपके द्वारा।


आशुकवि नीरज अवस्थी


विद्युत अभियंत्रण विभाग


गो0शु0मि0लि0 शुगर कोजेन एंड डिस्टलरी यूनिट जुआरी ग्रुप 262722 मो.-9919256950


फ़ोटो गूगल से साभार डाउनलोड करके रोचकता बढ़ाने (व्यवसायिक नहीं) हेतु अपलोड की गयी 


 


Teacher's day शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस 5 सितम्बर


 


जिसने हमे सिखाया उस इंसान को नमन।


शिक्षित किया प्रशिक्षित उस नाम को नमन।


नीरज क शीश आपके चरणों की पादुका,


शिक्षक के रूप में मिले भगवान को नमन


 


भूतल के गुरु राधाकृष्णन जिनकी आज जयन्ती है।


ईश्वर से भी पहले पूजित दुनियां गाथा कहती है।।


नीरज नत मस्तक है उनके जिनने हमको ज्ञान दिया,,


आज गुरु गोविन्द प्रभू दोनों की कृपा बरसती है।।


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


 


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