डॉ० धाराबल्लभ पांडेय, 'आलोक' अल्मोड़ा, 

विषय-  बंजारा 
विधा- मुक्तक


यायावर बंजारे दिन उनके होते हैं।
खोजी विचार वाले जो सीमित होते हैं।
यद्यपि होती क्षमता कुछ अनगिन लोगों में, 
जनहित, परहित भाव कुछों में ही होते हैं।।


खोज सत्य व ज्ञान की जो भी करते थे।
खोकर अपना सब कुछ यह पथ चलते थे। 
ज्ञानी, योगी, तापस, ऋषि व महापुरुष,
यायावर बन भ्रमण विश्व का करते थे।।


निज सुख वैभव  लेकर जो संसार विचरते। 
वे बस अपना स्वार्थ भाव लेकर ही चलते।
विश्व धरा परिवार मान जो विपदा हरते,
वे गिनती के महापुरुष ही जग में बनते।। 


मैं-मेरा का भाव जिन्होंने जग हित देखा।
अपनापन का भाव प्रजा के हित में रखा।
विश्व शांति आध्यात्म ज्ञान को जन-जन मन तक,
"अलख निरंजन" भाव लिए घर-घर को देखा।।
***********


डॉ० धाराबल्लभ पांडेय, 'आलोक', 
29, लक्ष्मी निवास, कर्नाटक पुरम, 
मकेड़ी, अल्मोड़ा, 
उत्तराखंड, भारत।
मोबा० 9410700432


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"त्याग -योग"


त्याग और योग
वियोग और संयोग
वियोग में संयोग
संयोग में वियोग
योग का संयोग
योग का वियोग
वियोग में योग
योग में वियोग
बात अटपटी है
समझ में आ जाये तो चटपटी है
यह ऐसे ही है जैसे-
जीवन में मरण
और मरण में जीवन
उत्थान में पतन
और पतन में उन्नयन
सयन में जागरण
और जागरण में सयन
दिन में रात
और रात में बारात
ज्ञान में अज्ञान
और अज्ञान में ज्ञान
बात पुनः अटपटी
लेकिन फिर भी चटपटी
पठन में तन्द्रा
तन्द्रा में निद्रा
निद्रा में स्वप्निल पठन
कल्पना लोक का गठन
दुःख और आनन्द
वीरगति और परमानन्द
सबकुछ सम्मिश्रण है
अशरण और शरण है
कष्ट में आराम है
पीड़ा में विश्राम है
मौज मेँ भी कष्ट है
पीड़ा स्पष्ट है
सुख दुःख अलग नहीं हैं
हाँ और नहीं विलग नहीं हैं
वैज्ञानिक धरातल हो
दार्शनिक वायुतल हो
धरा से उड़ रहे हैं
अनन्त में बूड़ रहे हैं
माया से परे
मोह से उबरे
आत्ममंगल पथ पर
लोक रथ पर
सारथी के संग
आध्यात्मिक रंग
आत्मविजय की कामना
सबके प्रति शुभ कामना
सादर नमन
सबका अभिनन्दन।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"समर्पण"


बिना भाव के नहीं समर्पण
बिना मंत्र कैसे हो तर्पण ?
मन का नियमित शुद्धिकरण हो
सुन्दर मन बिन नहिं उत्कर्षण।


चलना सीखो सुन्दर बनकर
रहना सीखो मानव बनकर
गन्दे भावों में क्या जीना ?
कहना सीखो गुरुतर बनकर।


देना सीखो दानी बनकर
कर सम्मान सम्मानी बनकर
करो अपेक्षा कभी न मित्रों
जीना सीखो ज्ञानी बनकर।


सहज समर्पण मूल्यवान है
जग प्रेमी ही ज्ञानवान है
सकल वंधनों की दूरी पर-
खड़ा निराला आत्मज्ञान है।


खुद को खो कर बनत समर्पण
परहित में है शिव-आकर्षण
सकल लोक के आत्मसात से
उठता उर में ज्वार सहर्षण।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"दृष्टि मेँ स्व बैठा है"


बिना अवलोकन  के संकलन नहीं हो सकता है,
बिना संकलन के संरचन नहीं हो सकता है,
हम जो देखते हैं, वही बनते हैं,
दोष देखनेवाले, दोष का ही संग्रहण करते हैं,
वैसा ही हो जाते हैं,
समाज में उपहास का पात्र बन जाते हैं,
लोग हेय दृष्टि से देखने लगते हैं,
गुण और अवगुण सर्वत्र विखरे हैं,
क्यों नहीं हम गुण का संकलन करते हैं ?
दोष देखकर क्यों दूषित बनते हैं?
हम दृष्टि हैं,
स्व की वृष्टि हैं।
आइये सुन्दर स्व का निर्माण करें,
उत्तम पुरुष को प्रणाम करें।
खुद की बुराई और दूसरों की अच्छाई देखें,
विश्व की भलाई करें।
इसी तरह से रहना सीखें,
सौहार्द का वातावरण बुनना सीखो,
दूब की तरह जमना सीखो,
अम्रुत कलश ले चलना सीखो,
अपने भीतर के सौंदर्य को चुनना सीखो,
पुरुषोत्तम की बस्ती में बैठना सीखो,
चाहो तो बन सकते हो,
स्व का अमर इतिहास गढ़ सकते हो,
अच्छा बनकर बना सकते हो,
कलुषित कालिमा को मिटा सकते हो।
अच्छा देखो
सुन्दर बनो
उत्तन रचो।
यही अभीष्ट है,
अंतस में बैठा इक मदनमोहन इष्ट है।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"मैँ मतिमंद मूढ़ अज्ञानी"


        (चौपाई)


मैं मतिमंद मूढ़ अज्ञानी।
सारी दुनिया बहुत सयानी।।


मुझसे ज्ञानी  हर प्राणी है।
यह जगती वीणापाणी है।।


मैँ सबके समक्ष नतमस्तक।
सीख रहा हूँ पढ़ना पुस्तक।।


ज्ञान पिपासु सहज मैँ भाई।
करता हूँ सबकी सेवकाई।।


थोड़ा सा भी मुझे पिला दो।
मुझ मरते को अद्य जिला दो।।


अति मति भ्रमित सुनो मैँ भाई।
ज्ञान रश्मि  दे बनो सहाई।।


मुझ मूरख की बाँह पकड़ लो।
मोह निशा से ऊपर कर दो।।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"जन्म संगिनी"


मृत्यु जन्म की सबसे बड़ी संगिनी है, 
जन्म के साथ आती है,
जीवन भर रहती है,
और फिर एक दिन
साथ छोड़कर जल देती है।
साथ-साथ रहते हुए भी
जीवन से कोई ममता नहीं,
जीवन के प्रति कोई विनम्रता नहीं,
सदैव निष्ठुर और क्रूर,
मद से भरपूर,
घमंड में चकनाचूर,
संवेदना से अत्यंत दूर।
पर मृत्यु ही तो सच्चा दर्शन है,
ह्रदय की धड़कन है,
भविष्य को वर्तमान में समेट लेने का प्रेरक है,
अच्छे कार्य को संपन्न करने के लिए सच्ची उपदेशक है।
मृत्यु तो हमेशा कहती रहती है--
मैँ कभी भी आ सकती हूँ,
तुम्हें समतल बना सकती हूँ,
सावधान रहना,
सूझ-बूझ से चलना,
बुद्धिमत्ता का परिचय देना,
नैतिकता की रक्षा करना,
मानवता का संवरण करना,
अपने सारे कार्यों का विवरण रखना,
तुम्हारे जीवन का दस्तावेज देखा जायेगा,
सबकुछ यमराज के समक्ष रखा जायेगा।
जीवन को अनुशासित बनाओ,
सत्कर्मों को हृदय से लगाओ,
सत्कर्म ही जीवन है,
गमकते हुये फूलों का मनमोहक चमन है।
दुष्कर्म करोगे तो वर्वाद हो जाओगे,
जन्मजन्मांतर तक पश्चाताप करोगे,
कोई बचा नहीं पायेगा,
दण्ड अवश्य मिलेगा,
स्वयं अपनी रक्षा करो,
संमार्ग पर चलते रहो।
मैँ मृत्यु हूँ,
अनवरत स्तुत्य हूँ।
जो मुझे नहीं मानता है,
वही दलदल में फँसता है,
शरीर अमर नहीं,
यह तो मृत्यु का ग्रास है,
 मृत्यु हमेशा जीवन के पास है ।


रचनाकार०डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"अनुशासन"


यदि स्वतः अनुशासन हो तो
प्रशासन का कोई अर्थ नहीं रह जातेगा,
बाह्य बल व्यर्थ हो जातेगा।
अनुशासन ही सबसे बड़ा धर्म है,
जीवन का सच्चा मर्म है,
यह गर्मजोश है,
सर्वोत्तम होश है,
प्रगति के लिये वांछित है,
स्वयं प्रकाशित है।
अनुशासनहीन जीवन अनर्थकारी होता है,
अत्याचारी व व्यभिचारी होता है।
अनुशासन महान सफलता की कुंजी है
जीवन की असली पूँजी है।
अनुशासन जीवन का सबसे बड़ा पर्व है,
मानव अस्मिता का सौन्दर्य है।
जीवन का तीर्थ है,
सच्चा मित्र है।
यह सदा लाभदायक है,
जन नायक है।
यह सार्वभौमिकता को आत्मसात करता है,
मानवीय दुर्वलताओं पर आघात करता है।
जो इसे नहीं मानता है
वह निरा जड़ है,
दूषित कण है।
अनुशासन को महत्व दें,
नियमों का अनुगमन करें,
सम्मानित जीवन का वरण करें।
सौहार्द का वातावरण बनायें,
सुन्दर सहज सुविधाजनक शीतल छायादार वृक्ष उगायें।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


संजय जैन (मुम्बई)

*निगाहें*
विधा: कविता


निगाहें बहुत कातिल है,
किसी को क्या मरोगी।
और इसका इल्जाम तुम,
न जाने किस पर डालोगी।
जबकि कातिल तुम खुद हो,
क्या तुम अपने को पहचानोगे।
और अपनी कातिल निगाहों से,
और कितनो को मरोगी।।


तेरा यौवन कितना अच्छा है,
जो सब को लुभाता है।
देख तेरे होठो की लाली,
दिलमें कमल सा खिलता है।
चलती हो लहराकर जब तुम,
दिल फूलों से खिलते है।
देखने तेरा हुस्न को यहां,
लोग इंतजार करते है।।


टूट जाएगी लोगो की आस,
जब तू किसीकी हो जाओगी।
और छोड़कर अपना घर,
उसके शहर चली जाओगी।
और चाँद सा सुंदर चेहरा,
उसके आंगन में चमकाओगी।
चाँद देखकर वो भी,
तुम से शर्मा जाएगा।
और तेरा दीवाना वो
हमेशा के लिए हो जाएगा।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
30/4/2020


निशा"अतुल्य"

निशा"अतुल्य"
देहरादून


रामायण
30.4.2020


रामायण चरित्र आधारा
पढ़ो अगर जीना सिखाता
पिता वचन माता की आज्ञा
शिरोधार्य है सिखलाता।


भाई त्याग की कथा निराली
भक्ति की है ये रस प्याली
राज धर्म की पराकाष्ठा
नीति धर्म है सिखलाती।


अहिल्या के सत की कहानी
भीलनी के बेरों की रवानी
निषाद राज केवट के सङ्गा
तार दिए विधना के सङ्गा।


राम हुए एक पत्नी व्रत धारी
शूपर्णखा की जिद्दी जिससे हारी
रावण कुल का नाश हो गया
या रावण ने पीढ़ी स्वयं की तारी ।


नर वानर का सँग हुआ कैसे
सागर पुल बांधा हिय जैसे
वियोग भार्या से आकुलाये 
लाये जीत वानर सँग जैसे।


अधर्मी का नाश बताती 
राज्य अभिलाषा नही जताती
दिया राज्य उसी के कुल को
सर्वधर्म समभाव सिखाती ।


लाये सिया मन हर्षाये
राज्य अभिषेक हुआ सब गुण गाये
लोगो की कथनी कुछ ऐसी
संतप्त जिया सुन अकुलाए।


राम स्वयं में मंथन करते
राजधर्म की है कठिनाई।
सीता जान दुःख हिय का
किया त्याग पिय राज्य का।


रामायण की कथा निराली
त्याग प्रेम की सुन्दर वाणी
जिसने मन से इसको ध्याया
भव से स्वयं को पार लगाया।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


एस के कपूर "श्री हंस"* *बरेली।*

*तोड़ा अनुशासन तो   जीवन*
*जाने पर सवाल मत कीजिये।*


हम सुरक्षित, समाज सुरक्षित
देश सुरक्षित, यही विधान है।
जो माने महामारी अनुशासन
को वही तो  सच्चा  इंसान है।।
मिलने से बनती कड़ी टूट भी
जाती  है यह  दूरी  बनाने से।
नहीं मानी तो   जान  लीजिये
कि    बस  मौत ही  अंजाम है।।


अपनी और अपनों  की  आप
रोज   ही     फिक्र     लीजिये।
हर सावधानी बरतने  के लिए
अपनों से रोज़ जिक्र कीजिये।।
खुद रहें सचेत और  आप  हर
किसी को भी सजग करते रहें।
तोड़ने को आप  लॉक  डाउन
कोई तर्क कुतर्क  मत  दीजिये।।


जाने  अनजाने    करके  गलती
आप जीना मुहाल मत कीजिये।
करके गलती यूँ  ही पछताने का
आप   मलाल भी  मत  कीजिये।।
घर में ही रहें अभी जानबूझ कर
बबाल   मत   लें   मोल     कभी।
नहीं माने तो फिर जिन्दगी जाने
पर कोई सवाल भी मत कीजिये।।


*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।*
मो      9897071046
          8218685464


सत्यप्रकाश पाण्डेय

आज जगत संतप्त है स्वामी
घर ही कारावास बना
कष्ट मुक्ति का न कोई रास्ता
कोरोना अविश्वास बना


दहशत सी बैठ गई है जन में
रहता है सदा भयभीत
और कोई नहीं आश्रय दिखता
बनो मोहन तुम्ही मीत


भक्त वत्सल हे नटवर नागर
सुनो"सत्य"का अनुरोध
अब तो त्राण दिलाओ भगवन
हो गया है शक्ति बोध।


राधे राधे श्याम मिला दे🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹


सत्यप्रकाश पाण्डेय


राजेंद्र रायपुरी।

🤣   लाकडाउन और हम   🤣


लाकडाउन ने  सिखाया  है बहुत,
मय बिना जीना हमें भी आ गया।


बंद  हैं  जब से  घरों में  यार हम,
सच कहूॅ॑ खाना  बनाना  आ गया।


कौन कहता कुछ हमें आता नहीं,
देख लो  पोछा  लगाना  आ गया।


लाकडाउन  क्यों  कहें  बेकार है,
धो हमें  कपड़े  सुखाना आ गया।


छुट्टियों   में  भागते   कश्मीर  थे।
अब हमें घर यार  रहना आ गया।


             ।। राजेंद्र रायपुरी।।


सुनीता असीम 

चाहत में तेरी नाम ये बदनाम ही तो है।
सर पर मेरे जो है लगा इल्जाम ही तो है।
****
इक बार जो देखे हमें कुछ मुस्करा के तू।
अरमान पूरे हो गए .....आराम ही तो है।
****
मैं इश्क का दूँ नाम अपनी इस मुहब्बत को।
दुनिया की नज़रों में मगर असकाम् ही तो है।
****
करता रहूं बेशक मुहब्बत उम्र भर उससे।।
ये आशिकी मेरी रही    निष्काम ही तो है।
****
तूने कबूली जो मुहब्बत क्या कहूं फिर मैं।
तेरी पनाहों में मिला     इकराम ही तो है।
***
सुनीता असीम 
२९/४/२०२०


डॉ. निर्मला शर्मा  दौसा, राजस्थान

" पायल की झनकार"
गोकुल धाम की कुंज गलिन मैं सिर पर लेकर मटकी
संग सखिन के जा रहीं राधा अखियाँ उन पर अटकी
चंचल चपल चाल हिरनी सी रूप बड़ा मनमोहक
कमल से कोमल चरण पड़े भूमि होवे नतमस्तक
चली कामिनी जैसे घटे यामिनी पथ उज्ज्वल हो जावे
पैरों मैं बजती पायलिया हृदय मैं प्रीत राग पनपावे
पायल की झनकार से टूटा वनभूमि का स्तब्ध मौन
पतझड़ मैं आई है मानो बसन्त बहार छाई चहुँ ओर
पायल के घुँघुरु जब खनके राग मल्हार छिड़ जाए
हुआ तरंगित हृदय कान्ह का संग मैं मिल रास रचाये
छम-छम ,छनन छनन की धुन पर बदरा भी घिर आये
कृष्ण राधिका के महारास मैं संगीत की धुन बिखराये
पायल की झनकार के साथ बजता मृदंग धा- धा धिन
तिरकिट -तिरकिट थाप पड़े झनके पायल की मधुर धुन
धीरे-धीरे पाँव उठाती नव वल्लरियाँ चली हैं जातीं
वन मैं झींगुरों की प्रतिध्वनि मैं पायल की झनकार
सुर मिलाती।
✍️✍️  डॉ. निर्मला शर्मा
 दौसा, राजस्थान


संजय जैन( मुम्बई)

*गौ को बचाना है*
विधा: गीत 


बनकर गौ माता के रक्षक,
बचाये कसाईयों से इन्हें।
लेकर एक गाय को गोद,
उसे जीवन आप दे सकते हो।
और जीव हत्या के इस,
खेल को आप रोक सकते हो।
और दुनियां में जीओ जीने दो को,
पुनः जिंदा हम कर सकते है।।


गौ के अंदर कितने,
देवी देवता बास करते है।
अनेको ग्रन्थों में इसके,
उदाहरण पढ़ने को मिलते है।
तभी तो हर जाती और,
धर्म में गौ पूजनीय है।
तो क्यो न इनकी हिंसा,
रोकने में हम भागीदार बने।।


तो आओ आगे बढ़कर,
करे संकल्प अब से हम।
नहीं काटने देंगे एक भी,
गौ को अब आगे से।
इसी कार्य को करने का बीड़ा,
उठाया है दयोदय महासंघ ने।
इसमें हम सब शामिल होकर,
करे अपने पुण्य का सृजन।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन( मुम्बई)
29/04/2020


कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार

*गाय माता की ममता*
********************
गाय माता ममता का भंडार है,
रूका सूखा भोजन करके,
हमको दुग्ध पान करती है,
हमारा इससे जन्म जन्म का नाता।


समुद्र मंथन से प्रकट हुई है,
वेदों ने इसकी महिमा गाई,
इसके दूध दही घी से
पंचगव्य बनता है,
यह रोग मुक्ति दिलाता है।


धन दौलत के लालच में हम,
गाय को बूचड़खानो में बेच रहे हैं,
अपने ही हाथों से गौ माता को,
बूचड़खानों में कटवा रहे हैं।


गौ माता का यूं अन्याय ना करो,
पृथ्वी पर पापाचार बड़ रहा है,
यदि विपत्तियों से छुटकारा पाना है
गौ को राष्ट्र माता बनाना है।
********************
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


निशा"अतुल्य"

हाइकु
29.4.2020


*प्रभु प्रणाम*


प्रभु प्रणाम
वंदन चंदन धूपदीप
करो स्वीकार 


त्राहिमाम है
क्यों कर जग सारा 
करो उद्धार।


निर्मल मन
दो भक्ति शक्ति ज्ञान
जग कल्याण।


कठिन घड़ी
पुकार रहे द्वार
दे दो सयंम ।


निर्गुण तुम
या सगुण हो तुम
भटका मन।


करो निदान
है ईश्वरीय सत्ता
मन ये जाने ।


तर्क वितर्क
है सभी निरर्थक
तुम अनन्त।


भटका मन
चाहे अब निदान
आया शरण ।


साँसों का लेखा
है तुम्हारे ही पास
सब ये जाने।


आई शरण
प्रभु करो उद्धार 
दो मुझे ज्ञान ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


सत्यप्रकाश पाण्डेय

जिसने हृदय की आँखों से,विश्व रूप को जान लिया।
अन्तर्मन की चेतनाओं से, परमब्रह्म को पहचान लिया।।


बिन देखे ही नटवर नागर के, बाल रूप का गुणगान किया।
जग वंदन हृदय चंदन  की, छवि को हिय में स्थान दिया।।


सौभाग्यशाली कौंन जगत में, श्याम सखा सूरदास सा।
रवि रश्मियां भी फीकी लगतीं, अनुपम दिव्य प्रकाश सा।।


किया आलोकित ज्ञान दीप से, प्रकाशमान हुआ जग सारा।
नक्षत्र मध्य ज्यों चन्द्र ज्योत्सना, कवियों बीच चमके वो तारा।।


सूर सखा श्याम की जय🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *" अतिथि"*
"अतिथि तुम अतिथि हो ,
मत आना अभी तुम-
कर न पायेगें सत्कार तुम्हारा।
अपनी और अपनो की रक्षा को,
अतिथि अभी घर में ही रहना-
सुरक्षित रहना होगा उपकार तुम्हारा।
कुछ दिनों की बात हैं साथी,
बदलेगे हालात-
मिलन होगा हमारा तुम्हारा।
दूर रहकर भी साथ है ,
मिलन की रहे आस -
हृदय हो प्रभु वास तुम्हारे।
सत्य है साथी अतिथि देव तुल्य,
देवत्य की खातिर.ही -
घर में रहना जरूरी अतिथि तुम्हारा।
अतिथि तुम अतिथि हो,
मत आना अभी तुम-
कर न पायेगे सत्कार तुम्हारा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः        सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःः
        29-04-2020


राजेंद्र रायपुरी

तालाबंदी  पर  कुछ दोहे  -----


तालाबंदी  में  नहीं, बाहर  रखना  पाॅ॑व।
बचे रहोगे  रोग से, और  मिलेगी  छाॅ॑व।


नहीं जरूरी बहुत तो,बाहर मत जा यार।
चौराहे  पर है पुलिस, पड़  जाएगी मार।


चाह सुरक्षित हम रहें, और रहे परिवार। 
तालाबंदी  में  रहो, कहती  है  सरकार।


कहना जो माने नहीं, भुगत रहे वे लोग। 
कोरोना ने डॅस लिया,मरने के अब योग।


कुछ ही दिन की बात है,कहना मानो तात। 
घर के अंदर ही रहो, होवे  दिन या रात।


              ।। राजेंद्र रायपुरी।।


डॉ. निर्मला शर्मा दौसा, राजस्थान

"अतिथि"
सनातन धर्म सदा ही कहता है
अतिथि देवो भवः यही प्रथा है
सम्पूर्ण वसुधा को कुटुम्ब मानता है
लगाता गले सभी को प्रेम करता है
अतिथि आगन्तुक और कहलाता पावणा 
हे देव!आशीष रखो हम पर यही है कामना
तन मन धन से समर्पण भाव रखकर
अतिथि सेवा मै सर्वस्व समक्ष रखकर
करते अतिथि सेवा स्वीकार देव कीजिये
घर मैं कभी न हो अनादर किसी का आशीष दीजिये
जिस घर मैं हो धर्म का वास वहीं लक्ष्मी है
उस घर पर सदैव प्रभु की कृपा ही बरसी है
प्रेम से की गई अतिथि सेवा ही सर्वोपरि है
चखकर मीठे बेर खिलाये प्रेम से वो माता शबरी है
कुरु आतिथ्य छोड़ मनमोहन ने दिखलाया
प्रेम भरा आतिथ्य ही सदा प्रभु के मन को भाया
✍️✍️डॉ. निर्मला शर्मा
🙏🙏 दौसा, राजस्थान


ममता कानुनगो इंदौर

विधा -हायकू
विषय-परछाई


मैं साथ तेरे,
चलती रही सदा,
साथ ना छोड़ा।
~~~~~~~~~~~~
जीवन पथ,
अधूरा तुम बिन,
साथी है हम।
~~~~~~~~~~~~~~
हमराही हो,
परछाई है हम,
एक-दूजे की।
~~~~~~~~~~~~~~~
गठबंधन,
जनम जनम का,
मनमोहन।
~~~~~~~~~~~~~~~
छाया मैं तेरी,
तुम हो नरोत्तम,
श्यामसुंदर।
~~~~~~~~~~~~~~~~
हे सांवरिया,
छबि बनूं मैं तेरी,
हे प्रियतम।
~~~~~~~~~~~~~~~~
ममता कानुनगो इंदौर


संजय जैन (मुम्बई)

*पहचान बनो*
विधा : कविता


स्वंय के काम करके,
बनो स्वाभी लम्बी तुम।
तभी जिंदगी महकेगी,
स्वंय के किये कार्यो से।
जो तुमने किये है कार्य,
वो सारी दुनियां देखेगी।
उन्ही कामो से तुम्हें,
मरणउपरांत याद किये जाओगे।।


ये ऐसा युग है लोगो,
जहाँ कोई किसीका नही।
सभी अपने स्वार्थी में,
सदा लिप्त रहते है।
तभी तो भाई बहिन भी,
माँ बाप से लड़ते है।
और सभी मर्यादाओ को, 
ताक पर वो रखते है।।


बस पैसा ही उनका,
माई बाप होता है।
जिसकी खातिर वो लोग,
छोड़ देते अपने माईबाप।
परन्तु भूल जाते है,
आने वाले भविष्य को।
तुम्हारे साथ भी लोगो,
यही दौहराया जाएगा।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
28/04/2020


कवि✍️डॉ. निकुंज

🌅सुप्रभातम्🌅



भोर रोग से हो रहित , हो   विकास उजियार। 
रहें    प्रेम  सद्भाव।  से , रहे    अमन  संसार।। 


अंत   नहीं   मन चाह का , रोको उसे बलात। 
रुके योग   अभ्यास से , नहीं   रुके जज़्बात।।


भृगुनंदन जमदग्नि सुत ,  षष्ठ विष्णु अवतार।
मातु   रेणुका    लाडला , करे   जगत उद्धार।।  


महावीर    मंगल    करें , आंजनेय   बलबान। 
हरो सकल  जग आपदा ,करुणाकर हनुमान।। 


जय गणेश विघ्नेश प्रभु , लम्बोदर  हर  रोग।
शिवनंदन गिरिजा तनय, मंगलेश शुभ योग।। 



पुरुषोत्तम   मर्याद  का , राघव    जगदाधार।
सियाराम भज रे मनुज , कौशलेय  जग तार।। 


कैलाशी भुवनेश प्रभु , महाकाल  गिरिजेश । 
नीलकंठ शंकर  शिवम , गंगाधर        देवेश।। 


कवि✍️डॉ. निकुंज


सत्यप्रकाश पाण्डेय

जरा सोचिए...............


जरा सोचिए उनके लिए हे करुणा आगार
राष्ट्र समाज की खातिर न खुद से भी प्यार


मौत समक्ष खड़ी उनके नहीं डाले हथियार
बन के रक्षक मानवता के निशदिन है तैयार


कोई चिकित्सक कोई प्रहरी कोई जमादार
कोरोना को हरायेंगे नहीं मानेंगे हम हार


भूख प्यास आतप सह  नहीं त्यागे संस्कार
राष्ट्र मुसीबत में नहीं आये छोड़े है परिवार


मातृभूमि के लाडलों का करो सभी सत्कार
यही प्रार्थना ले माधव "सत्य"आया तेरे द्वार।


युगलरूपाय नमो नमः 🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कालिका प्रसाद सेमवाल

🔔🕉️शुभ प्रभात🕉️🙏
~~~~~~~~~~~~~
*गौ माता राष्ट्र माता*
*******************
*गौ रस पीकर रहो निरोग*
*ममता मयी गाय के कारण*
*घर में आती है जय समृद्धि*
*और पास नहीं आता है रोग।*


*पर्यावरण सुधारें गोबर*
*गोमय करता रोग निदान*
*असाध्य रोगों में गोमय*
*जैसे ईश्वर का वरदानल।*


*गोपालन, गौ पूजन से*
*वास्तु दोष मिट जाते हैं*
*देता जो सम्मान गाय को*
*जीवन में वह सुख पाता है।*


*ममता का सागर गोमाता*
*जन्म जन्म का इससे नाता*
*इस लिए कहलाती माता*
*इसे बनाना है राष्ट्र माता*
********************
*कालिका प्रसाद सेमवाल*
*मानस सदन अपर बाजार*
*रूद्रप्रयाग उत्तराखंड*


कवि✍️डॉ. निकुंज

स्वतंत्र रचना क्र.सं. ३०७
दिनांकः २७.०४.२०२०
वारः सोमवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः 🤔परहित जीवन दान✍️


 मिथक  प्रपंची  लालची ,  संस्कार      लाचार ।
 गद्दारी    करता   वतन ,  बना   श्रेष्ठ      संसार।।१।।


 जन गण मन जयगान का , परहित मन संयोग।
 मृग द्विज देवासुर मनुज,  फँसे   प्रेममय   रोग।।२।।


 मानसरोवर   प्रेम  का  , शीतल जल अनमोल।
अवगाहन  कर हंस  सम , सद्भावन  मन  घोल।।३।।


कंचन संगति काँच की , मरकटि माणिक ज्योति।
सत्संगति  पा मनुज भी , ज्ञानवान   पथ  नीति।।४।।


शील त्याग गुण कर्म नित , मानुष की पहचान।
घीस  छेद  पीटे जले ,  शुद्ध  कनक  तू   मान।।५।।


नीति रीति सह प्रीति पथ , धीर ललित उदात्त।
कवि रचना शब्दार्थ रस  , अलंकार गुण जात।।६।।


रोग   शोक  मिथ्या  कपट , मुक्त  बने संसार।
कीर्ति मुकुट  माणिक बने , मानुष  प्रेम उदार।।७।।


मिटे रात्रि अब दीनता,कुसमित सुख मुस्कान।
प्रेम भक्ति अर्पण वतन, परहित  जीवन  दान।।८।।


सादर,
कवि✍️डॉ. निकुंज 🙏


सुनीता असीम

गीतिका


मिट गए हमको जमाने से मिटाने वाले।
आज कदमों में झुके हमको झुकाने वाले।
***
इंतिहाई है मुहब्बत यूं खूदा से हमको।
नाखुदा लगते रहे हमको जमाने वाले।
***
बेवफा दोस्त मुहब्बत हो गए हैं अब तो।
लोग मिलते ही नहीं साथ निभाने वाले।
***
दूर से देखके जिसने था सिकोड़ा मुंह को।
मिल रहे हैं आज वही नाम भुलाने वाले।
***
दूर जाकर जो कभी आए नहीं वापस भी।
खो  गए  जाने  कहां पास    बुलाने वाले।  
***
सुनीता असीम
२७/४/२०२०


सीमा शुक्ला अयोध्या

क्या स्वप्न सजाएं अंतर्मन?


जब अपने दामन छोड़ चलें,
खंडित कर अंतस तोड़ चलें।
पल- पल जीवन दुश्वार लगे
सांसों पर सांसे भार लगे
जब कोटि खंड में टूटा हो
संचित उम्मीदों का दर्पन,
क्या स्वप्न सजाएं अंतर्मन?


जब भोर तिमिर ने घेरा हो।
खुशियों का नहीं सवेरा हो।
पथ अंगारे हों पांव जले
जल रही धरा हो छांव तले।
जब घेर घटा सावन बरसे,
फिर- फिर मुरझाया हो उपवन
क्या स्वप्न सजाएं अंतर्मन?


जब नींद निशा भर रूठी हो,
जीवन से आशा टूटी हो।
जब वाणी में विष घोल उठे।
यह प्रेम हृदय का तोल उठे।
जब पीड़ा से मन व्याकुल हो
निर्झर सा बहता रहे नयन,
क्या स्वप्न सजाएं अंतर्मन?


जब रूठा- रूठा हो वसंत।
तम का लगता हो नहीं अंत।
जब नीरस मधु मकरंद लगे
जब पल पल जीवन द्वंद लगे
जब बीच सरोवर में प्यासा 
रह रह कर जल जाए जीवन।
क्या स्वप्न सजाएं अंतर्मन?


सीमा शुक्ला अयोध्या।


सोनी कुमारी पान्डेय

जय सरस्वती माँ 


 कोई दीवाना आँखों में         
        सपना बनकर छा जाता हो,
ख्वाबो ख्यालो की राहों से 
       हृदय में कोई समाता हो।


जब चंचल से खाली मनमें
        एक तस्वीर छप जाती हो 
जब मासूम निगाहें आकर
        बेसुध उन पर रुक जाती हो, 


जब सूरज की धानी चुनरी
         क्षिति पर लहराने लगती हो 
जब शर्म हया वाली लाली 
           मुख पर गहराने लगती हो 


जब रात का चांद धरती पर 
        स्वच्छ चाँदनी छलकाता हो, 
 अंबर भी पगली रजनी को 
            चांद तारो से सजाता हो 


जब उनसे मिलने जुलने का
         कभी मौसम ही न आता हो
कुछ कहने समझाने में भी 
           ये चंचल मन घबराता हो 


जब अनुभूतियों का तेज स्वर 
          मौन स्तब्ध खोने लगता हो
उदास रात की तनहाई मे
          अंतरमन रोने लगता हो 


तब अपने इस पागल दिल को 
        क्या कहकर समझाया जाए
प्रेम वियोग मे राधिका सा 
            धैर्य कहाँ से लाया जाए।



   सोनीकुमारी पान्डेय


मनोज श्रीवास्तव लखनऊ

जो भी लिखा भाग में मेरे देगा वह घट घट का स्वामी
****************************************


नहीं मुझे योगी जी देंगे और न मोदी जी ही देंगे 


जो भी लिखा भाग में मेरे देगा वो घट घट का स्वामी


!
जिनको लगता सत्य लिखा है वह करते हैं मेरा समर्थन


 और जिनको भ्रामक लगता है उनकी निंदा करती नर्तन 


वह संसार चलाने वाला कहलाता है अंतर्यामी 


जो भी लिखा भाग में मेरे देगा वह घट घट का स्वामी
!


 कुछ की सोच निरर्थक लगती सिर्फ बुराई और बुराई


 देश भले जो भी कर डालें इनको दिखती नहीं सच्चाई


 अपने अंदर नहीं झांकते  बस औरों में देखें खामी 


जो भी लिखा भाग में मेरे देगा वह घट घट का स्वामी


!
 70 बरस हो गए पूरे 60 साल कविता को जी कर 


बाकी जीवन कट जाएगा गरल सुधा दोनों को पीकर


 जिस दिन सफल हो गया पूरा ले जाएगी कोई सुनामी


जो भी लिखा भाग में मेरे देगा वह घट घट का स्वामी
!
!
मनोज श्रीवास्तव लखनऊ 27अप्रेल ,2020


काव्य रंगोली अक्षय काव्योत्सव 2020

काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान उत्सव २०७७ अक्षय तृतीया 26 अप्रेल 2020समस्त रचनाये



 काव्य रंगोली हिंदी साहित्य पत्रिका के संरक्षक आदरणीय  दादा अनिल गर्ग जी कानपुर आपकी संस्था को अपना अतुलनीय सहयोग प्रदान करते रहते हैं जिस तरह से एक अभिभावक अपने बच्चों को अपने परिवार की देखरेख करता है इसी प्रकार से आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी का आशीर्वाद स्नेह अपनत्व और कभी कभी डांट भी हम लोगों को मिलती रहती है जो इस साहित्य फसल को ऊर्जा प्रदान करते हुए खाद पानी का कार्य करती है। मैं बहुत आदर और विनम्रता के साथ में निवेदन करता हूं आदरणीय संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी पधारें एवं इस कार्यक्रम को शुभारंभ करने का आदेश हम सभी को प्रदान करें ।इसके साथ ही आदरणीय मधु शंखधर जी प्रयागराज संपादक काव्य रंगोली मृदुला शुक्ला जी लखीमपुर संस्था प्रमुख रंगोली सखी संसार जय श्री तिवारी जी खंडवा आदरणीय इंजीनियर शिवनाथ सिंह जी लखनऊ आदरणीय दादा सुरेंद्र पाल जी पूर्व निदेशक एटीआई कानपुर सहित आचार्य गोपाल जी संपादक काव्य रंगोली बृजेश अग्निहोत्री पेंटर संपादक काव्य रंगोली मुन्नालाल मिश्र जी  आलोक शुक्ल जी शेषाद्रि त्रिवेदी जी रीता दीक्षित जी सभी संपादक गण रंगोली टीम एवं जो आपकी रचना को चयन करके वेबसाइट तक पहुंचाएंगे किन्ही  कारणवश उनके नामों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं पर्दे के पीछे रहने वाले उन महान व्यक्तित्व को कोटि नमन करते हुए आशा करता हूं कि आप सभी अपनी उपस्थिति से साहित्य वाटिका को पुष्पित पल्लवित और सुगंधित करने का सहयोग प्रदान करेंगे काव्य रंगोली परिवार खमरिया पंडित लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश


आये करें प्रणाम श्री गणेश जी को
करें श्री गणेश श्री परशुराम भगवान 
के काव्य समारोह को 🙏🏼
अनिल गर्ग


बहुत बहुत आभार आदरणीय दादा जी का आदेश हुआ
नीरज अवस्थी


 मैं काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका संबद्ध श्याम सौभाग्य फाउंडेशन का संस्था प्रमुख आशु कवि नीरज अवस्थी बहुत ही आदर और सम्मान के साथ में आदरणीय डॉक्टर इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर से हमारे बीच में है महान विदुषी महिला है तमाम राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़ी है, एवं आप की प्रिय पत्रिका काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका के संपादक मंडल में आपका अमूल्य योगदान और सहयोग रहता है आज के इस समारोह प्रतियोगिता उत्सव कुछ भी आप कहें अक्षय काव्य साहित्य सृजन समारोह कहें की अध्यक्षता का दायित्व मैं आप सभी के प्रतिनिधि के रूप में आदरणीय डॉक्टर साहब को निवेदन करता हूं। आदरणीय आज का अपना अध्यक्षीय आसन ग्रहण करते हुए कार्यक्रम को शुभारंभ करने का आदेश प्रदान करें जिससे कार्यक्रम का शुभारंभ किया जा सके
आशुकवि नीरज अवस्थी


उपस्थित  सभी गुणीजनों  का हार्दिक  स्वागत एवम्  अभिनन्दन ।🙏🌹
काव्य  रंगोली हिन्दी साहित्यिक पत्रिका का हार्दिक अभिनन्दन एवम्  धन्वाद मुझे आज के इस सुन्दर  महोत्सव की अध्यक्षता करने का सुअवसर प्रदान किया ।सभी को इस कार्यक्रम की सफलता की शुभकामनायें  देती हूँ  अब कार्यक्रम का शुभारम्भ  किया जाए।🙏🙏🌹🌹
डॉ इंदु झुनझुनवाला बंगलोर


 आज के इस आयोजन के प्रेरक परम आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी संपादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका से विनम्र निवेदन है कि वह पटल पर आकर के कार्यक्रम का शुभारंभ करने की औपचारिक घोषणा करते हुए अपनी आज की साहित्यिक सामग्री पोस्ट करते हुए इस कार्यक्रम के शुभारंभ करने की महती कृपा करें और गद्य पद्य की नई विधा धारा प्रवाह काव्य आलेख जो कि आप की अपनी विधा है और इस विधा के आप पुरोधा क्या जनक हैं चिर परिचित विधा में साहित्य सामग्री पोस्ट करने की महान कृपा करें।। ओर साथ ही सभी के लिए समूह को खोल दी ग्रुप सेटिंग में सेंड मेसेज ओनली एडमिन की जगह आल पार्टीसिपेट कर दे
नीरज अवस्थी



माँ  वीणापाणि का आह्वान करती हूँ  और दो पंक्तियाँ उनसे प्रार्थना की🙏🙏
या देवी स्वर भूतेषु, विधा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये,नमस्तस्ये,नमस्तस्ये,नमो नमः ।🙏🙏
इंदु झुनझुनवाला बंगलोर


: काव्य रंगोली हिंदी साहित्य पत्रिका से जुड़े हुए सभी जाने-अनजाने मित्रों को नंदलाल मणि त्रिपाठी का सादर वंदन अभिनंदन स्वागत एवं प्रणाम स्वीकार हो 
कवि ना होहुँ नहि चतुर कहांऊँ 
 ना तो मैं कवि हूं ना मैं चतुर हूं बस साहित्य की सेवा में रत हूं और अपनी टूटी फूटी शैली और विधा में जो कुछ बन सका है आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करता हूं आशा करता हूं आप लोग इसे स्वीकार करेंगे समस्त टीम का हार्दिक पुनः आभार व्यक्त करते हुए आदरणीय डॉक्टर इंदु झुनझुनवाला जी दादा अनिल गर्ग एवं सभी भाई बहनों को समर्पित 
देखिएगा💐💐--कवि एन एल एम त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर


भगवान परशुराम मेरी दृष्टि में-
धारा प्रवाह काव्य आलेख
ईश्वरीय अवतरण कि अवधारणा का मूल श्रोत है ब्रह्माण्ड  सृष्टि के युग की आवशयकता ।परम् शक्ति सत्ता ईश्वर भगवान् बिना उद्देश्य के पृथ्वी पर नहीं अवतरित होता उनके आने का निश्चित उद्देश्य होता है जिसकी पूर्ति और युग उद्धार और प्राणी मात्र के कल्याणर्थ ही होता है।जितने भी अवतारों का वर्णन है उनके पृथ्वी पर आने के कारक कारण होने के कारण ही उन्हें आना होता है अपना कार्य पूर्ण कर् पुनः अपने विराट स्वरूप् के साथ अंतर्ध्यान हो जाते है ।परम शक्ति सत्ता परब्रह्म परमेश्वर ईश्वर भगवान् यत्र तंत्र सर्वत्र है सर्व व्यापी सभी प्राणियो कण कण में सामान रूप में विद्यमान है आत्मा उसी परमात्मा का अंश है भगवान् परशुराम विष्णु जी के छठे अवतार है उनके अवतार का उदेशय एक लोक प्रिय शासन और शासन तंत्र कि स्थापना था  मगर इस उद्देश्य कि पूर्ति के बाद भी वे एक मात्र ऐसे अवतार है जिन्होंने पृथ्वी नहीं छोड़ा और अपने बाद के अवतार भगवान् श्री राम को उनके अवतरिय दायित्वों कि पूर्ति के लिये भगवन विष्णु का धनुष सौंप तपश्या में लींन हो गए ।परशुराम जी के रहते  कृष्णावतार आदि कई अवतार हुये और होंगे। परशुरामा अवतार जन्मदाता पालक  कि प्रतिष्ठा और मर्यादा स्थापित कर मार्ग दर्शन देना उनके अवतार का उत्कर्ष उद्देश्य था ।माँ बाप कि कि आज्ञा का पालन जीवन के सर्वोपरि मूल्यों में होती है को प्रथम प्रमाणित कर्ता अवतार भगवान् परशुराम आज के समाज के श्रेष्ठ प्रेरणा आदर्श और आस्था के सर्वोदय सर्वज्ञ सूर्योदय सांध्य दिन रात पल प्रहर का जीवन मूल्य जीवन दर्शन है ।अतः उनके आदर्श आराधना में जो भी भावो के पुष्प समर्पित कर सकने में समर्थ होंगे सदैव पीढ़ियों के लिये अनुकरणीय प्रेरक होगा ।ईश्वर परम शक्ति सत्ता परमेश्वर सबमे सबका  उद्धारक कल्याणकर्ता होता है।जय श्री भगवान परशुराम


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सम्पदक काव्य रँगोली गोरखपुर
मो0+98896 21993


बहुत सुंदर आज के इस साहित्य सृजन समारोह ऑनलाइन प्रतियोगिता का विधिवत शुभारम्भ हो चुका है समस्त काव्यरंगोली के वाणी पुत्रो पुत्रियों को पुनः  भाव भरा आवाहन है आप लोग अपनी अच्छी-अच्छी कविताएं पोस्ट कीजिएगा ध्यान रहे केवल एक बार ही पोस्ट कीजिएगा डबल कोई भी रचना पोस्ट नहीं होनी है अपने नंबर से ही समूह में रचना डालें अगर कोई दिक्कत है तो हमसे लिंक ले ले या किसी से ग्रुप का लिंक लेकर के कविता डालें



सरस्वती वन्दना नीरज


शारदे वन्दना  
शारदे माँ सार दे हज़ार बार प्यार दे,
अपार दे दुलार छन्द लेखनी सँवार दे .[१]   
नाम का प्रकाश दे,के पूरी कर आस दे माँ कंठ में निवास कर, बार-बार प्यार दे..[२]           
टूटे-फूटे शब्द मातु निकले मुखार से जो,बाँध के कतार,एक तार शब्द हार दे[३]               
दीन हूँ, मलीन हूँ,अधीन हूँ, तुम्हारे,'नीर' नीरज'' की नैय्या की खेवइया पतवार दे.. [४]     


आशुकवि नीरज अवस्थी
खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उप्र
9919256950


 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना 
*ऋषिवीर परशुराम*
फैला व्यभिचार चारों ओर मातृभूमि सत से अनजान, 
तब विष्णु के अवतार में जन्म लिया परशुराम भगवान ।।(1)
मचा था हा हा कार,आतताई कर रहे थे अत्याचार हैवान ।
तब छठा रूप धरि परशुराम किये जन जन का कल्याण ।।(2)
जमदग्नि-रेणुका पुत्र भृगुवंश हुआ त्रेता युग शुरूआत ।
ब्राह्मणों के थे कुल गुरू जन्म अक्षय तृतीया वैशाख।।(3)
आदेशावतार ,शास्त्र, शस्त्र के ज्ञाता भीष्म, कर्ण,द्रोण देय ज्ञान ।
दानी परशुराम जी ने कश्यप ऋषि को  दिये मातृभूमि धरा दान।।(4)
पृथ्वी पर किये इकिस-इकिस बार अत्याचारी क्षत्रियों का विनाश ।
स्वयं तपस्वी बन गये,मेहन्द्रगिरी पर किया निवास ।।(5)
जटाजूटी ऋषिवीर अनोखा अद्भुत सा तेज तरार।
भीषण क्रोध इनमें था व्याप्त गणपति पर किये फरसा प्रहार(6)
धरती का मान दिया, मुक्त कराकर कामधेनु को ।
दुष्ट रिपुओं का संहार किया, मार कर आतताइयों को।(7)
जब ध्यानमग्न पिता को,हैहय कार्तवीर्य ने काट दिया ।
प्रण लेकर दुष्टोंके शवों से धरती इकिस बार पाट दिया ।।(8)
शिव से परशु पाकर राम से परशुराम नाम मिला ।
कल्पकाल तक रहने का जिनको विष्णु जी से वरदान मिला ।।(9)
*रामचन्द्र स्वामी अध्यापक बीकानेर* 9414510329


 आज दिनांक 26अप्रैल 2020 दिन रविवार को काव्य रंगोली द्वारा अक्षयतृतीया भगवान परशुराम जी के पावन अवतरण दिवस पर प्रतियोगिता की अध्यक्षा महोदया श्रद्धेया डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी ,कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय दादा श्री अनिल गर्ग जी,एवं कार्यक्रम प्रेरणास्त्रोत आदरणीय श्री नन्द लाल मणि त्रिपाठी जी को सादर प्रणाम करते हुए आज के सुझाए विषय पर अपनी सारगर्भिक रचना प्रस्तुत कर रहा हूं -


आओ हम सुमिरन करें,ऐसा पावन नाम।
शिव के साधक का जिन्हें, कहते परशुराम।।
विष्णु के श्रीरूप का हैं, छठवां अवतार।
धरती पर ब्रह्मत्व के ,वो ही पालनहार।।
अक्षय शुक्ल तृतीया तिथि, वैशाख माह में जन्य।
मातु रेणुका जमदग्नि मुनि,की जोड़ी है धन्य।।
हिन्दू धरम पावन किया,लेकर के अवतार।
भृगुवंशी ने था किया, सहस्त्रबाहु संहार।।
अरि के मर्दन में प्रभु,तुम सम कोऊ न प्रवीण।
इक्कीस बार पृथ्वी किया,क्षत्रिय कुल से विहीन।।
अहंकार के दमन हित,लेकर के अवतार।
पाप घटाकर धरा से, कम कर दीन्हा भार।।
धनुष बाण अरु परशु प्रभु ,धारण करते हांथ।
क्रोधित होते जब कभी , नयन तरेरें माथ।।
बार-बार प्रभु आप को,हम सब नावें शीश।
रक्षा हो ब्रह्मत्व की,दीजे यह आशीष।।
 
विनीत दीक्षित " बागी"
 ओज कवि
लखीमपुर -खीरी
9455182270



अक्षय तृतीया एंव परशुराम जयंती पर आयाेजित प्रतियाेगीता काव्य रंगाेली में आज  के कार्यक्रम के  अध्यक्ष आ. इंदुजी झुनझुनवाला बैगलाैर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्ञाेत आ.नंदलालजी मणि ञिपाठी पिताबंरजी गाेरखपुर एंव काव्य रंगाेली संरक्षक दादा अनिलजी गर्ग कानपुर , इन सभी मान्यवराे काे 
  सादर नमन करते हुये मै सतीश लाखाेटिया अपनी कविता पटल पर आपके 
 अवलोकनार्थ  रख रहा हुं।
गाैर फरमाइयेगा 🙏


 पृथ्वी पर करने मंगल काम 
आये भगवन्  बनकर परशुराम 
ब्राम्हण कुल का बढाया सम्मान
धर्म कर्म के मार्ग पर चलकर 
पिता के आदेश काे कर प्रणाम 
मॉ के मस्तक काे काटकर
बनाई अपनी विशेष पहचान ।।


इसी पावन दिन करते शुरू 
बहुतेरे अपना नया काम 
लाते कुछ न कुछ नया सामान 
यह दिन अपने आप मे महान ।।


 संकट के समय आया यह त्याैहार 
यह  अक्षय तृतीया रहेगी सबकाे याद
न काेई खरेदी,न काेई व्यापार
 घर मे  रहकर  करेगे प्रार्थना, 
धन्य धान्य से भरा रहे हमारा भंडार।।


संस्कृति की हमारी ये धरा 
शुभ चाैघडीया देखती ये सदा 
इस दिन का यही महत्व 
हर पल है सुखदायक, सुखकर्ता ।।


सतीश लाखाेटिया 
नागपुर ( महाराष्ट्र ) 
फाेन - 9423051312
          9970776751


 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
-------अक्षय तृतीया-----
अक्षय तृतीय का दिवस, सर्वसिध्द है मित्र।
इस दिन जो पूजन करे, पाता शुध्द चरित्र।।1।।
गंग नहा पूजन करे, तुरत नष्ट हो पाप।
स्वर्ण भूमि गौ दान कर, पावैं पुण्य   
प्रताप।।2।।
इस दिन जो अर्पण करे, कर से कमल सफेद।
नारायण होकर मगन, करते नहीं विभेद।।3।।
अक्षय रहता है सदा, इस दिन का सत्कर्म।
वसुधा को घर मानता, यही सनातन धर्म।।4।।
गणपति को संगत मिली, वेद व्यास भगवान।
मिलकर दोनों ने दिया, महाकाव्य का ज्ञान।।5।।
भारत को भूषित किया, नारायण भगवान।
परशुराम का रूप धर, आये कृपानिधान।।6।।
इस दिन कान्हा ने किया, दान पुण्य का काम।
प्रेम सुदामा को दिया, द्रव्य सहित निष्काम।।7।।


नाम: डा.चन्देश्वर यादव
पता: कटरिया बाबू, सिकटा, सिध्दार्थ नगर, उत्तर प्रदेश।
मो0 7706049271


 परशुरामजयंती
हे मातृ भक्त हे पितृ भक्त ,
हे सारंग धनुर्धारी !
व्याधि व्यभिचार की छाई ,
हर तरफ जग में लाचारी !
भीड़ लगी है रक्तबीजों की ,
पनप शत्रु मानवता के हठधारी !
धुंध छाया अंधा धुन नभ में ,
चीत्कार उठी नर अबला संग धरा बेचारी !


हे मातृभक्त से पितृ भक्त ,
हे कर्त्तव्य निष्ठा के पुजारी !
आओ ले जन्म धारण कर परशु ,
फिर से बनो परशुराम धनुर्धारी !
धर्म ध्वजा कलंकित हुईं ,
भगवा भेष हुई दुराचारी !
सत्य पल पल घुटे ,
झूठे मक्कारों की हो रही वाहवाही !
पावन धरा पुकारती ,
आओ काटो रक्तबीजों की स्रोतस्वती क्यारी !
देर हो चली कहां खोए हो ,
हे वीर परशुराम धनुर्धारी !
विकल धरा व्यथित जग सारा ,
बढ़ गई हर तरफ रक्तबीजों की महामारी !


निराला विनती जग धरा संग ,
देख राह अब तुम्हें पुकारती !
जन्म ले लो ,
 हे विष्णु अवतारी !
धर्म ध्वजा डगमगा रही ,
भगवा पर छायी विपत्ति भारी !
थामो हाथ काल का ,
महाकाल बनों हे सारंग धनुर्धारी !
फिर से नवजीवन दो ,
पावन धरा मातृभूमि तुम्हें पुकारती !🤔
धन्यवाद 🙏
संजय निराला 
पादरी बाजार गोरखपुर
8004460167


 अक्षय काव्य समारोह-२०२०
       """"'""""""""""""""""""""""""""
सर्व आदरणीय महानुभावगण,
प्रतियोगिता प्रेरक माननीय श्री त्रिपाठी जी,
अध्यक्ष,आदरणीया इन्दु बहन जी,
संरक्षक,माननीय दादा गर्ग जी ।
भगवान परशुराम जयंती(अक्षय
तृतीया)पर काव्य रंगोली समूह
द्वारा आयोजित प्रतियोगिता
"परशुराम"विषय पर रचना 
अवलोकनार्थ प्रेषित है।



विधाः सवैय्या छंद
रचना:
         "भगवान परशुराम"
         ***************
        (१)
साहसी,पराक्रमी, बली,महान,योद्धा,
             अप्रतिम,चरित्रवान,
             ज्ञानी,अवतारी हैं ।
गुरु भक्त,पितृ भक्त,
रक्षक,न्याय,धर्म के,
              अजर,अमर,निर्भीक,
               व्रतधारी  हैं ।
शिव की आराधना में,
रहे साधनारती,
                     रौद्र,आभावान,  
            परशुराम,परशुधारी हैं।              
महाबली,तेजवान,
वीर्यवान,अतिमानव,
             भगवान परशुराम,विष्णु
               अंशावतारी  हैं। 
           (२)
ज्ञानी,तपी,संस्कारी,
आज्ञाकारी,परशुराम,
            शिव के शिष्यत्व से ही,
            विद्या सब पायी है।
शिव जी का दिव्य परशु,
पाकर परशुराम हुये,
             उन्हीं की कृपा से, दिव्य
              शक्तियाँ भी पायी है।
ऋषि जमदग्नि,
माँ रेणुका के पुण्य से,
            पाँचवीं संतान परशुराम,
              रूप आयी है ।
वैशाख,शुक्ल पक्ष,
अक्षय तृतीया तिथि,
              चिरजीवी परशुराम,
               स्मृति शुभदायी है ।नामः ओम प्रकाश खरे
पताःशिवधाम कालोनी,
    (पारसनाथ मेमो०हास्पिटल के
      सामने) विशेषरपुर,जौनपुर-२२२००१
    (उ०प्र०)


 अक्षय काव्य समारोह 2020
भगवान परशुराम


भृगु कुलोत्पन्न शरादपि शापादपि


चिरंजीवी, अष्ट अवतार यद्दयपि


अक्षय तृतीया शुभ दिन समय  


बालक जन्मा ज्ञानव्यापी II


क्रोधित जमदग्नि, पुत्र आज्ञाकारी


माता शिरच्छेदन, हिय वेदना भारी


प्रथम वरदान चाहे पुत्र परंतू  


पुनर्जीवित माता हो गयी बलिहारी II


कामधेनु कपिला गौ का हरण


चौर्य कर्म कर जब सहस्त्रार्जुन


भड़की ज्वाला होकर क्रोधित


वीर चल पड़ा करने हनन II


जमदग्नि वध से दृढ़ निश्चय


किया प्रण होकर कोपमय


इक्कीस बार रणसंग्राम दुंदुभी


सम्पूर्ण हैहेयवंश निःपात क्षत्रिय II


ब्रम्ह ज्ञान, शौर्य महान


श्रुषी दे कर्ण को ज्ञान


कोपित, जब ज्ञात विश्वासघात


शापित कर्ण, याचित सम्मान II


        स्वरचित, मौलिक


        डॉ.नीलिमा तिग्गा’नीलांबरी’
अजमेर, राजस्थान



के: काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना


अक्षय तृतीया


हमारे धर्म शास्त्रों में 
अक्षय तृतीया महान है 
इस दिन से शुभ
 कार्यों की शुरुआत है
 इस तृतीया में 
परशुराम भगवान का मान है
 नर्मदा नदी के पास
 इनका जन्म स्थान है
 शुक्ल पक्ष तृतीया में
 श्रद्धा के साथ
 दान पुण्य करने का विधान है 
दुख भरे क्षण में 
कुछ पल ऐसा आया है 
अक्षय तृतीया का
 देखो त्यौहार आया है
आओ मिलकर कुछ पल
 खुशियों के बिताते हैं
 घर में रहकर ही सब
 गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाते हैं 
जब रहेगा परिवार में
 सदैव स्नेह और प्यार
 बढ़ेगा कारोबार और होगी धन की बौछार 
जब होगा घर में शांति का वास
 तभी होगा संकटों का विनाश
 बनाए रखो आपस में विश्वास
 देखो खुशियों के संग अक्षय तृतीया आई है
 सुख समृद्धि के संग में 
खुशियां और प्रेम की बहार लाई है
 आप सभी को मेरी ओर से
 अक्षय तृतीया की ढेरों बधाई है


          
नाम दीपमाला पांडेय
पता  ४५ चंदन सदन जेल रोड माता चौक खंडवा 
मध्य प्रदेश
मो0 8839565789



नमस्कार आज अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम जी की जयंती के  अवसर पर आदरणीय  श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी की प्रेरणा से ,आदरणीया  डॉ.इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलूर की अध्यक्षता में एवं काव्यरंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर और इस कार्यक्रम के संयोजक आशुकवि आआदरणीय नीरज अवस्थी जी की गरिमामय उपस्थिति में होने वाली परशुराम जयंती प्रतियोगिता में मैं दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" अपनी कविता प्रस्तुत कर रहा हूं ।



"भगवान परशुराम"
अक्षय तृतीया के दिन जन्मे परशुराम भगवान यमदग्नि और  रेणुका के पुत्र ब्राह्मण कुल के  शान 
परम पूज्य भगवान विष्णु के थे वह छठे अवतार 
क्रोध की उनकी सीमा नहीं महिमा अगम अपार 
पिता काआज्ञाकारी बन माता रेणुका का शीश उड़ाया
फिर बड़े विवेक से भाइयों और माता का जीवन पाया  सीता स्वयंवर में शिव धनुष जब तोड़े थे श्री राम 
बहुत क्रोधित हुए थे क्षत्रिय शत्रु भगवान परशुराम 
घोर तपस्या हेतु महेंद्र गिरी पर्वत पर पाया स्थान 
परशु उनका बहुत तेज था मिला शिव से वरदान 
देश भर में बहुत मंदिर है जहां पूजा होती आज
रख उपवास व्रत प्रेम से शक्ति मांगे हिन्दू समाज 
वाद-विवाद हुआ लक्ष्मण से तब ऋषि गए खिसियाय क्षमा मांगी तब श्रीराम ने दी पूरी धटना समझाय
"दीनेश" करता नमन प्रभु को चरणों में शीश नवाय


दिनेश चंद्र प्रसाद “दीनेश"
कलकत्ता


 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


रचना  - "जय परशुराम"


  भृगुवंशी करदो कृपा, दे दो सबको ज्ञान।                  
  गाये सारा जग सुयश,बढ़े देश का मान।


  माता उनकी रेणुका, और पिता जमदग्नि,
  प्रचण्ड क्रोध था इतना,जीत पाये न अग्नि।
  जीत पाये न अग्नि, सभी उनसे थे डरते।
  शंकर के थे भक्त, दुखी जन के दुख हरते।
  सरला कहती बात, जोड़ भृगुपति से नाता।
  करके काम बखान,करो खुश रेणुका माता।


   अवतारी प्रभु विष्णु के,परशुराम था नाम।
   धर्मकर्म सभी क्षेत्र में,ऊंचा उनका काम।
   ऊंचा उनका काम,पाशुपत शिव से पाया।
   सहस्त्र बाहु पछाड़,नाम को सफल बनाया।
   कहती सरला आज,धन्य है वह महतारी।
   वीरता बनी पहचान,पूत जिसका अवतारी।।


  काटा मां का शीश था ,पितु आज्ञा‌ को मान।
  लेकर उनसे वर वहीं,दिया मातु को जान।
  दिया मातु को जान,मान जग में बहु पाया।
  माता पिता के काम,सभी उनके मन भाया।
  कहती सरला बात,बीच का अन्तर पाटा।
  जीते धुरंधर वीर, शीश दुश्मन का काटा।


डॉ सरला सिंह "स्निग्धा"
दिल्ली
9650407240
***********************


 अक्षय काव्य उत्सव 2020 
प्रेरक श्री नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर,अध्यक्ष इन्दु झुनझुनवाला जी एवम् संरक्षक श्री अनिल गर्ग जी समर्पित मेरी रचना।


हैहय वध


पालन धर्म है क्षत्रिय को  तेहि को तजि हैहय धेनु के कारन।
दम्भ में चूर अकेल महर्षि समेत अनी चढ़ि आइ संँहारन।
ध्यान धरे तरु के तर देखि के धाइ बढ़ा अरराइ के मारन।
मारेसि शीश गिरा महि पै अरु देह को बींधेसि तीर कटारन।


सालि रहा पितु को वध शूल सों लै मथनी झकझोरि रहा है।
सांँस उतप्त कढ़े अरु चैन को मीसि रहा है निचोरि रहा है।
तोरि रहा सब अंग शरीर को रक्त शिरा में हिलोरि रहा है।
लोहित नैन ते ज्वाल को माल झरै चित में विष घोरि रहा है।।


संँग लिए वनवासी उदासी लिए धनु औ फरसा कर धारे। 
सागर से उमड़े चढ़ि के बढ़ि हैहय की सब सेन संँहारे।
ताल भरे रण में सब लोहू से फूटि चले बहु भांँति पनारे।
हैहय को भुज एक हजार विदारि के काटि मही पर डारे।।


मारे नृशंस अनेक महीप समीप गए भय ते सब कांँपे।
बार अनेक मही नृपहीन कियो पदचाप को दूर से भांँपें।
पै रत धर्म विदेह अजात्मज को कबहूंँ नहि भूलि के चांँपें।
कूर को कण्ठ सदा भृगुवंशज पूर कठोर कुठार से नापे।।


शिवानन्द चौबे 
जौनपुर
मो.9554606070



 *काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना प्रस्तुत है  ----*


*भगवान परशुराम की जंयती*



विष्णु अवतार भगवान परशुराम
का अवतरण दिवस आज आया है ।
बैषाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि
जन्मे परशुराम नाम इन्होंने पाया है ।
भगवान शिव से अमोघ शस्त्र परशु
धारण करने का वरदान इन्हें मिला है ।
शस्त्र व शास्त्र के कुशल ज्ञाता
प्राणी मात्र के हित लक्ष्य इनका रहा है ।
धरती पर इक्कीस बार पापी
क्षत्रियों का संहार इन्होंने किया है ।
आठवें मानवतारा शप्तऋषि
के रूप में माना उन्हें जाता है ।
वीरता के कारक सत्य के धारक
का नमन करता संसार सारा है ।
प्राचीन काल से ही हर्षोउल्लास से
जयंती मनाने की यहाँ रही प्रथा है |
शक्ति व सामर्थ्य से परिपूर्ण जीवन
इनका आज के युग में आदर्श रहा है |
सत्ता व समाज दोनों के लिए आज
परशुराम का जीवन आदर्श अनुकरणीय है |



    सीमा निगम
डॉल्फिन प्रीमियम प्लाजा 
फ्लैट नंबर 302 ब्लाक -बी
दलदल सिवनी मोवा
रायपुर छत्तीसगढ़ 492001
मो.7869458122



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीय डाॅ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ 


रचना:  परशुराम अमृतवाणी 



बड़भागी है जमदग्नी, माता रेणुका नाम। 
तृतीया थी वैशाख की, जन्मे परशुराम। 


धन्य विप्रकुल पाय के, हरि का श्री अवतार। 
तेज पुंज की शोभा से, दमक उठा संसार। 


भाल त्रिपुण्ड दमक रहा, जटा सुहाने शीष। 
कांधे मूंज जनेऊ गल, रुद्रमाल मुनि ईश। 


ज्ञाता वेद पुराण के, श्रुति स्मृति का भेद। 
शस्त्र-शास्त्र में पारंगत, हरि विप्रन के हेत। 


शिव की कृपा से राम ने, पाये अमित वरदान। 
परशु शिवजी ने दियो तब,हो गये परशुराम। 


कामधेनु बल से छीनी, सहस्त्रबाहु जब आय। 
कियो पराजित आपने, रणभूमि में जाय। 


सहस्त्रबाहु के शोणित से, पितु तर्पण बल धाम। 
क्रोधित जग से मेट दियो, आततायी को नाम। 


परशुधारी के तेज का, प्रात करे जो ध्यान। 
बल बुध्दि अरु तेज मिले, कृपा करे भगवान। 


हाथ दाहिने श्री परशु, बांये वेद पुरान। 
सकल सृष्टि जय गूंजती, परशुराम भगवान। 


नमन करे बिरजू सदा, चारु चरित अविराम। 
शरणागत वर दीजिये, श्री परशुराम भगवान।
 
नाम:  पं बृजमोहन गौड़
पता:  20, जेल रोड, राजगढ़ 
          राजगढ़ मप्र 46566


 काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 
आदरणीया  समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत कर रही हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020
जय भृगुकुल तेजोमय राशि,
जय मुनीश गुनमय अविनाशी।
मातृ रेणुका पितु जमदग्नि,
प्रगटेयो धन्य करन ऎहू अवनी।
तेज- ज्ञानू मिली नर तन धारा
शास्त्र शस्त्र दोऊ पर अधिकारा।
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी,
दुष्ट दलन संतन हितकारी।
सहसबाहू के सुत छल कीनहा
ऋषि जमदग्नि के प्रान हर लीनहा।
कर गही तीक्ष्ण परशु कराला
लियो प्रतिशोध जाए तत्काला।
भीष्म, द्रोण अरू कर्ण महाना,
भए तव शिष्य ईश समु जाना।
त्रेता युग मुनि लीला चाहा,
राम जानकी भयेऊ बिबाहा।
एकदंत गणपति कहूं कीन्हा
पार्वती तब दंडित किन्हा।
गिरी महेंद्र प्रभु बस्यो तबही ते
पूजनीय प्रभु तुम सबही ते।-
- कुहू बैनर्जी
काशी नगर
लखीमपुर खीरी



अक्षय काव्य उत्सव २०२०


कार्यक्रम के प्रेरणस्रोत श्री नन्द लाल मणि त्रिपाठी जी, अध्यक्षा इंदू झुनझुनवाला जी, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी एवं नीरज भाई साहब आप सभी के सादर अवलोकनार्थ प्रस्तुत मेरी रचना....


                अक्षय तृतीया


शुभ तिथियों में 
एक अक्षय तृतीया है ।
जैसे हरि को प्रिय
 हरिप्रिया है।


वैशाख शुक्ल तृतीया को 
आखा तीज होती है।
सतयुग त्रेता युग प्रारंभ का 
बीज ये शुभ तिथि बोती है।


शुभ अक्षय तृतीया 
जन्म लीयो प्रभु परशुराम ने।
ज्ञान सिंधु गुण निधि 
शुभ शंकर शील धाम ने।


प्रकट हुई मां गंग धरा में
 भगीरथ वंश उद्धार किया।
दिव्य दिवस श्री वेदव्यास ने
 महाभारत लिखना स्वीकार किया।


अक्षय तृतीया शुभ दिन 
श्री बद्रीधाम कपाट खुले।
श्री बांके बिहारी श्री विग्रह 
चरणों में दर्शन भेद मिलें।


पूर्ण मनोरथ मानो उसके 
जो सहर्ष मात्र स्वीकार किया।
हो प्रसन्न दुर्वासा ऋषि ने 
द्रोपती को दान अक्षय पात्र दिया।


आशीष मोहन"देव निधि"
९४०६७०६७५२
ग्राम - पोस्ट झिरी, छपारा
जिला - सिवनी
(म.प्र.) ४८०८८७



अक्षय काव्य समारोह 2020*
 
परशुराम जयंती एवम अक्षय तृतीया पर *अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर* कार्यक्रम प्रेरक *आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर* एवं काव्य रंगोली के संरक्षक *आदरणीय आदिल गर्ग जी कानपुर* को  संबोधित व अन्य समस्त सदस्यों के अवलोकनार्थ।


छंद कुण्डलिया


(1)
*भगवान परशुराम स्तुति।*
अवतारी हे युगपुरुष, परशुराम भगवान।
युद्धकला में श्रेष्ठतम, परमवीर विद्वान।
परमवीर विद्वान, सिद्ध वैज्ञानिक भृगुसुत।
शुचि साधक शिवभक्त, धर्मरक्षक अज अच्युत।
सहस्त्रार्जुन वंश, आज घातक बीमारी।
शरणागत यह विश्व, मुक्ति दें हे अवतारी।


(2)
*अक्षय तृतीया*
अक्षय तिथि श्री विष्णु की, परशुराम अवतार।
मन के बद्रीनाथ के, खुलें सहज ही द्वार।
खुलें सहज ही द्वार, तृतीया तिथि अति पावन।
करें दान हो पुण्य, स्वर्णक्रय कर मनभावन।
करें लक्ष्मी वास, रोग दुख पातक भक्षय।
शुभ-शुभ हों सब कार्य, चुनें तिथि पावन अक्षय।


(3)
*जय परशुराम भगवान*


भृगुनन्दन हे विप्र हित, चढ़ा धनुष पर बाण।
एक करें हिन्दू सभी, करें जगत कल्याण।
करें जगत कल्याण, न हों हम ऊँचे नीचे।
वर्ग शताधिक आज, एक हों आँखें मीचे।
बना स्वयं को सेतु, करे मानव हित जन-जन।
बने सनातन विश्व, कृपा कर दें भृगुनन्दन।


श्रद्धानत,


--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
91, आगा कालोनी सिविल लाइंस सीतापुर।
261001 (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल: 9415047020


 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीय डाॅ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ 



"  भगवान परशुराम"


बैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया हैं बड़ी महान,
6वें अवतार के रूप में धरती पर आये करुनानिधान।


पिता जमदग्नि और माता रेणुका के थे पांचवे संतान,
विष्णु जी अवतरित हुए ले अवतार परशुराम भगवान।


जन्मे थे ब्राम्हण कुल में युद्ध कौशल में थे वो महान ,
अस्त्र शस्त्र के ज्ञाता और वीरता थी उनकी पहचान ।


माता पिता से प्रेम की अदभुत गाथा हैं महान ,
आज्ञा पाकर पिता की ली झटके में माता की जान।


ख़ुश ही जमदग्नि ने मांगने को कहा जब वरदान,
चतुराई और विवेक से मांग लिए माँ संग भाइयों के प्राण ।


हो गया था शक्ति पर अपनी जब उनको मान,
तोड़ धनुष शिव जी का राम ने चूर किया अभिमान।


त्रेता और द्वापर युग में भूमिका निभायी महान ,
अजर अमर हो गए तबसे परशुराम भगवान ।


उनके जैसा ना कोई हुआ शक्तिशाली भगवान,
कर्मो से रच गये इतिहास में एक अलग पहचान।


शशि कुशवाहा
लखनऊ,उत्तर प्रदेश



 *काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ प्रेषित कर रहा हु जिसका शीर्षक है*


*जय जय परशुराम कहो*



ब्राह्मण कुल में जन्मे हो तो वेदो का सम्मान करो
गायत्री के बनो उपासक,देवो का आह्वान करो
धर्म के खातिर बनो धनुर्धर,दिल मे अपने तूफान भरो
बन जाओ तुम भगवाधारी,हरदम जय श्रीराम कहो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो


तिलक लगाओ ललाट पर,दीप जलाओ घाट घाट पर
राक्षस कोई बच नही पाये,मिटा दो इनको रक्तपात कर
आख में भर लो ज्वाला,माँ रणचंडी का आह्वान करो
जिसने मारा संतो को,अब उसके रक्त का पान करो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो


कर्मठता की ज्योति जलाकर,रहो हमेशा खुद पर निर्भर 
गो रक्षा कर्तब्य निभाओ,गंगा माँ को स्वच्छ बनाओ
घर मे तुलसी वृक्ष लगाओ,पूजा पाठ बच्चो को सिखाओ
धर्म सनातन जग में फैले,ऋषियों का उत्थान करो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो


मिटा रहे अस्तित्व तुम्हारी,जिसकी कोई औकात नही
अब तो जागो हिन्दू,ये है *रक्त* कोई बरसात नही
जिस धरती पर जन्म लिया,उस मिट्टी का सम्मान करो
मौत का तांडव इन्हें दिखाकर,जय जय हिंदुस्तान कहो
उठा लो फिर से फरसा,जय जय दादा परशुराम कहो


*🖋️लेखक*
*मनीष कुमार तिवारी (मनी टैंगो)*
*ग्राम+पो०:- मिल्की ईश्वरपुरा*
*जिला:-भोजपुर*
*राज्य:-बिहार*


 


 
     संदर्भ :- परशुराम जयन्ति(26-4-20)अक्षय तृतिया



                 . .जय परशुराम
अक्षय त।तिया को जिसने जन्म लियाउसका नाम था राम
शिव ने दिव्यास्त्र परशु दिया और कहलाये परशुराम ।।
पिता जमदग्नि-माता रेणुका के घर उजाला हो गया ।
भृगुवंश में जन्म लिया पर क्षत्रिय धर्म निभाया ।।
माता-पिता के आज्ञाकारी थे,अत्याचारी उनसे डरते थे
हैहय वंशी सहस्रार्जुन था उनका बैरी
उसने जमदग्नि का किया वध, परशुराम हुए अति क्रुद्ध ।
राम ने सहस्रार्जुन का तुरन्त वध किया
अपने पिता की हत्या का बदला लिया ।
अर्जुन के वंशज बने दुश्मन और राम से संघर्ष किया
परशुराम ने हैहय वंश का समूल नाश किया ।।।
सभी क्षत्रियों से उनका बैर नहींं था
उनसे सभी क्षत्रियों को कोई डर नहीं था ।
वे ब्राम्हणों के संरक्षक थे
अत्याचारियों के दुश्मन थे ।
जय परशुराम- जय  परशुराम-जय परशुराम
देवदत्त शर्मा
ई-140  "ऋतुचक्र " शास्त्रीनगर
अजमेर (राजस्थान )305001
मो. 7597526079



[ काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नंदलालमणि त्रिपाठी पितांबर जी एवं अध्यक्ष आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बंगलुरु तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


   रचना = परशु राम दोहे


  विष्णु देखें भू पर तम, हृदय में जली अग्नि।
 षष्ठ अवतार में परशु, हरि के जनक जमग्नि।। 


परशु से कुल्हाड़ी है, राम से परशुराम।
 साहस भरा ऋषि समान, सत्य भरा दाम।।


 जब धरा पर दम्भ बढ़ा, अघ तारण है राम।
 क्षत्रीय असुर बन देख, मुनि शस्त्र लिए थाम।। 


क्षत्रिय करे बैर प्रभु से, सहस्राबाहु मरे।
 ब्राह्मण कुल में आकर, भु इक्किस बार तरे।।


 अपराजित रह जिता क्षत्री, बाँटी भू दीन को।
 प्रचंड रूप धारण कर, फेंका मैं लीन को।।


 आह्लाद त्याग के, महेंद्रगिरी आश्रम।
 किया तप्त  यज्ञ शंकर को, लिया धरा तर कर्म।।


 निरापद किया ब्राह्मण, अभियोग को मारा।
 कलारिपायट्टू से, हुआ जग खुश सारा।।


 हस्त में फरसा , विजया, मारा दैत्य सारा।
 अक्षय तृतीया जयंती, लगे जय जय कारा ।।


  कालु दहिया 
   शेरगढ़, जोधपुर, राजस्थान 
मोबाइल - 7357403948



 काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020


हे महर्षि परशुराम आपने, 
          ईश्वर अंश अवतार लिया  l 
हे भृगुकुल के गौरव मणि, 
          शस्त्र परशु को धार लिया  ll 


कठिन तपस्या दृढ़निश्चय बस,
         ऋषिवर को प्रभु माना  जाता l 
सहसबाहु भुज छेदनहारा, 
         तुमको नारायण जाना जाता ll


विष्णु के आवेशावतार, 
            शिव के परम भक्त तुम हो l 
भीष्म,द्रोण, कर्ण गुरु हो,
            शास्त्रों में साक्षात शक्ति  तुम  हो ll 


जनकराज के सभा मध्य,
           जब रघुबर ने शिव धनु तोडा l 
श्री रामचंद्र  आगे आये,
                 नम्र भाव से कर जोड़ा ll 


ऋषिवर के धनु की प्रत्यंचा,
                श्री रामचंद्र ने खीचा जब l
नारायण ने अवतार लिया,
            वंदन की थी प्रभुवर की तब ll 


कल्पांत रहेंगे परशुराम, 
                      ऐसा ग्रंथो में वर्णित है l
जन्म जयंती पर नमन आपको, 
                    कृपा रहे यह विनती है ll 


राजेश कुमार सिंह 
लखनऊ
Mo 9415254888


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना
★ विष्णु के छठे अवतार..भगवान परशुराम ★


महर्षि जमदग्नि के पुत्र परशुराम विंष्णु के छठे अवतार,
पृथ्वी पर वैदिक संस्कृति का करना चाहे प्रचार प्रसार।
शिव जी के भक्ति व घोर तपस्या से मिला परशु वरदान,
बचपन में माता से मिले विद्या को कर लिया अंगीकार।।


मात पिता व गुरु के माने जाते थे आज्ञाकारी संतान,
पशु पक्षियों की भाषा को परशुराम लेते थे पहचान।
ब्राह्मण कुल में जन्म लिए पर कर्म से रहे वह क्षत्रिय,
परशुराम जी शास्त्र व शस्त्र विद्या के हुए बड़े विद्वान।।


क्रोधी स्वभाव के नाते कहलाए विंष्णु के आवेशावतार,
इक्कीस बार उन्होंने पृथ्वी से किया क्षत्रियों का संहार।
बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुए अवतरित,
सतयुग त्रेता युग प्रारंभ, विंष्णु का इसी दिन अवतार।।


माता रेणुका का वध कर पिता आज्ञा का किया पालन,
भीष्म पितामह को भी अस्त्र शस्त्र विद्या किया प्रदान।
पिता के वध का बदला, क्षत्रियों को नष्ट करने को ठाना,
महर्षि ऋचिक की आज्ञा, पृथ्वी ब्राम्हणों को किया दान।।


कलयुग खत्म में आठ सौ वर्ष शेष, होगा कल्कि अवतार,
विष्णु का अंतिम अवतार,जब धरा पर बढ़ेगा अत्याचार।
गुरु द्रोण, भीष्म पितामह व दानी कर्ण इनके प्रिय शिष्य,
भगवान परशुराम अमर, अपने साधकों का करें उद्धार।।
★★★★★★★★★★★★★
 स्वरचित व मौलिक
सादर
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
बस्ती [उत्तर प्रदेश]
मोबाइल 7355309428


 


कविता का शीर्षक....परशुराम जी की महिमा है अपरम्पार


सिरमौर जनपद का रेणुका स्थल
शस्य श्यामल जामू की धार
वैशाख मास शुक्ल तृतीया को
लिया भगवान परशुराम ने अवतार
धन्य हुई देव भूमि हिमाचल
धन्य हुआ सकल संसार
पाप मुक्त करने को, धरा पर
हुआ विष्णु का छठा अवतार
शक्तिशाली सहस्त्रबाहु का जब
धरती पर बढ़ने लगा अत्याचार
तपस्वी जमदग्नि ऋषि,रेणुका की
तब सुनी विष्णु जी ने पुकार
अवतरित हुए देवभूमि में परशुराम
किया सहस्त्रबाहु का संहार
भयमुक्त हुई यह पावन धरती
ख़त्म हुआ अन्याय अत्याचार
ऋषि-मुनियों के रक्षक बनकर
दुष्टों पर नित किए प्रहार
पिता जमदग्नि की आज्ञा को
सदैव सहर्ष किया स्वीकार
विष्णु अवतारी परशुराम की
"चमन" महिमा है अपरम्पार ...


चमन सिंह नाहन 
हिमांचल प्रदेश


माँ शारदा को नमन
🙏🏻🌹🌹🌹
पटल की उपस्थिति को प्रणाम
काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय  नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी, अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी आAरचना आप सभी के अवलोकनार्थ



अक्षय तृतीया के दिन 
लिया हरि छठाअवतार
माता जिनकी रेणुका
पिता जमदग्नि ऋषि आचार्य 
अलौकिक मुखमंडल विशुद्ध ज्ञान भंडार
कर तपस्या शिव की
पाया अस्त्र पारश दान
कहलाये तब परशुराम महान।
सहस्त्रार्जुन हुए राजा महान
मति भ्रमित हो गई 
देख अद्भुध कपिला गाय
जमदग्नि ऋषि आश्रम से
जबरन ले गए बांध ।
परशुराम वापस लाये
सहस्त्रार्जुन को मार
किया सहस्त्रार्जुन कुल संघार  
सृष्टि से इक्कीस बार
लेने को बदला पिता के आघात 
ऋषि कुल में हो उत्पन्न किये क्षत्रिय काम
बन राजा देश के रहे सदा ऋषि ही जान।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"



अक्षय काव्य समारोह 2020*
 
परशुराम जयंती एवम अक्षय तृतीया पर *अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर* कार्यक्रम प्रेरक *आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर* एवं काव्य रंगोली के संरक्षक *आदरणीय आदिल गर्ग जी कानपुर* को  संबोधित व अन्य समस्त सदस्यों के अवलोकनार्थ।


गीत
***
 *मापनी-16/16(मत्त सवैया छंद)* 


 अक्षय तृतीया- दिन अति पावन,जन्मे रेणूका के  नन्दन।
आओ हम सब मिल कर करते,प्रभु परशुराम का शत बंदन।
1
जमदग्नि पुत्र अति शौर्यवान,बल बुद्धि तेज के हैं स्वामी।
हैं क्रोध पुंज जब क्रोध करें,बन जाते पल में संग्रामी।


प्रभु आज मिटाने अनाचार,आ जाओ सुन भी लो क्रंदन।
आओ हम सब मिल कर करते,प्रभु परशुराम का शत बंदन।
2
शिवभक्त परशु शर चाप रखें,नारायण के प्रभु अवतारी।
अंतर् में दया क्षमा करुणा की,सदा सुवासित फुलवारी।


हो गयी विषैली आज पवन,कर दो प्रभु आकर तुम चंदन।
आओ हम सब मिल कर करते,प्रभु परशुराम का शत बंदन।
3
माता के अति प्यारे सुत तुम,पितु के भी तुम आज्ञाकारी।
दुष्टों के हंता तुम्हीं प्रभो,मानवता के तुम हितकारी।


आ जाओ तुम्हें पुकार रहे,असुरों का तुम कर दो मर्दन।
आओ हम सब मिल कर करते,प्रभु परशुराम का शत बंदन।


--श्रीमती स्नेहलता'नीर'
रुड़की,हरिद्वार
उत्तराखंड
[4/26, 8:37 AM] कवि दयानन्द_त्रिपाठी*
        *व्याकुल*
संविलयत विद्यालय सोनवल, लक्ष्मीपुर, महराजगंज, उत्तर प्रदेश।: काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020


आदरणीय समारोह *अध्यक्ष महोदया डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर को मेरी रचना समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूँ।* कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।


परशुराम जयंती (अक्षय तृतीया) रविवार 26 अप्रैल 2020 हेतु प्रस्तुत है रचना...


हे! राम  धरा  पर  मत  आना
कपटी  मानव  की   माया  है।।


मर्यादा     को     अपना     कर 
मानव    श्रीराम    कहलाया   है
भृगुवंशी   हो    जमदग्नि     पुत्र
विष्णु अवतारी महेन्द्रगिरी की छाया है
कपटी   मानव  की   माया  है।।


चंद्रमौली  अराध्य  से  वर  पाकर
परशुराम बन दुश्मन को थर्राया है
त्रेता  औ  द्वापर  में    रामभद्र   ने
रिपुओं को 21बार धरा पे चढ़ाया है
कपटी   मानव    की    माया  है।।


कश्यप को, जीत धरा का दान किया
भीष्म, द्रोण, कर्ण   से   महारथी  को
अपने    विज्ञानों   से    तार    दिया
कामधेनु    को    मुक्त       कराकर
कल्पभव का विष्णु से वरदान लिया
चक्रसुदर्शन     दे     अचला      को 
व्याकुल    मानव   को    हर्षाया  है
कपटी    मानव    की   माया   है।।


रचना - दयानन्द त्रिपाठी
           व्याकुल
पता - पैसिया ललाईन, लक्ष्मीपुर
जनपद-महराजगंज, उत्तर प्रदेश
मोबाइल-9793839950


सम्पादक महोदय सहित निर्णायक मण्डल के सभी आदरणीय जन को आपके अनुज का सादर प्रणाम।



काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद



रचना -  जय परशुराम



भक्तगण जिन्हें शीश नवाते , वो हैं प्रभु श्री राम,  
राम ने भी जिन्हें नमन किया, वे  हैं " परशुराम "


क्षात्र तेज से सुशोभित हैं , नारायण के है अवतार ,
ब्राह्मणों  में 'नर श्रेष्ठ ' हैं , ब्रह्म ज्ञान  है अपरम्पार


पित्राज्ञा से मात सिर काटा, हैं  पितृ भक्त संतान,
वर से माँ को जीवित किया, मातृ भक्ति भी उनकी महान


महादेव से ' परशु ' पाया ,  किया  क्षत्रियों का संहार ,
अधर्मी नृपों को मारा, हुआ भूमि का हल्का भार 


सहस्त्रबाहु से नराधम का , कुल सहित संहार किया,
रघुवंशी श्री रामचंद्र को , शर "सारंग"  उपहार दिया


गौ रक्षक , धर्म रक्षक है ,' ब्रह्म वर्चस्व ' के उद् घोषक,
इक्कीस पीढ़ियां हत कर डाली,जो राजा थे कुशासक.


भीष्म,द्रोण,कश्यप आदि को, शस्त्र धरा का दान दिया ,
चिरंजीवी है ' विप्र श्रेष्ठ ' , महेन्द्र पर्वत पर वास किया.


जब जब " ब्राहणत्व " जागा है, देश ने गौरव पाया है,
" परशुराम " है आराध्य देव , सारा विप्र वर्ग हर्षाया है.



● नाम- आनन्द शुक्ला
●पता - आनन्द शुक्ला s/o काशीनाथ जी शुक्ला, शुक्ल मोहल्ला, मु.पो. - परतापुर , जिला - बाँसवाड़ा , राजस्थान
पिन- 327024



अक्षय काव्य समारोह प्रतियोगिता 2020*
*जय परशुराम जय अक्षय तृतीया*


*----    काव्य स्तुति* 
💐पुरुष महा परुषा प्रबल अग्नि ईश अवतार भए।
अक्षय तृतीया प्राकट्य तिथि तेजपुंज साकार भए।।


जय परशुराम जय परशुराम अंशब्रह्म आकार भए।
 मार्तण्ड अरु विवस्वान ज्वाज्वल्य धर्म औंकार भए।।


जमदग्नि ऋषि रेणुका सुत रिपुसूदन भवतार भए।
अलक निरंजन परम् तत्त्व अविनाशी दातार भए।।


 अजरअमर भूमण्डलव्यापी श्रेष्ठ पिनाकीवार  भए।
सत्यम शिवम भक्त महा त्रेलोक्य सनातन तार भए।।


सप्त खण्ड चौदह भुवन अण्ड पिण्ड अवितार भए।
अखिलविश्व भूमण्डल रक्षक पाहिमाम सुखसार भए।।


सन्त,देवता,ब्रह्म,अवनि,अरु गो माता कृपाकर भए।
मत्स्य,कूर्म,वराह,वामन,नरसिंह श्रृंख अवतार भए।।


गंग जमुन कावेरी कृष्णा नर्मदे रस जलधार भए।
भू,जल,अग्नि,वायु अरु व्योम शिखा मूलाधार भए।।


मूल,स्वाधिष्ठान मणि आज्ञा स्वाधि सहस्त्रवार भए।
स्निग्ध धवल योगी,बैरागी,चिरंजीव प्रेमागार भए।।


अकथ अगोचर सनत पुरोधा महन्त महाआगार भए।
भीष्म द्रोण कर्ण गुरू श्रीराम भक्त अविकार भए।।


ब्रह्म पूर्वज चतुर्युगी नारायण षष्ठमअवतार भए।
#गौतम करे प्रणाम  स्वीकार करो करतार भए।।
🙏


*****************************
--पवन गौतम बमूलिया
9116488506
पता--V/PO-बमूलिया कलां
वाया-अंता जिला (बारां) राज 315202



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020
रचना-भगवान परशुरामजी



परशुराम राम के प्रेम-स्नेह के प्रतीक।
विष्णु के छठें अवतार व सत्य के धारक।। 


सत्य व पराक्रम के है वह  प्राण प्रतीक। 
जगदुखियों के दुखों के है वो पालनहारक।।


गुरु माने जाते वो इस संपूर्ण जगत्  के।
पाया रूप में एक शास्त्र शिव से वरदान के।।


विद्युदभी फरसे का धारक परशु कहलाए।
आवेशावतार  शस्त्र के ज्ञाता के रूप में आए ।।


मातृभूमि ने नमन किया उनके चरणों को।
जब उन्होंने मुक्त कराया हमारी मां कामधेनु को।।


नाम-उषा शर्मा 'मन'
पता-बाड़ा पदमपुरा जयपुर(राज)



 काव्य रंगोली अक्षय काव्य उत्सव-2020
____________________
सम्पादक,अध्यक्ष व
        संरक्षक महोदय,
       परशुराम काव्य-रंगोली 
       प्रतियोगिता
काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 ,अक्षय तृतीया व भगवान परशुराम जन्मोत्सव के इस पावन अवसर पर सम्माननीय प्रेरक श्री नन्द लाल जी त्रिपाठी पीताम्बर;अध्यक्षा सम्माननीया डॉ.इन्दु झुनझुनवाला जी एवं काव्य रंगोली संरक्षक सम्माननीय दादा अनिल जी गर्ग को सम्बोधित करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत कर रही हूँ:--- 
          कविता 


   शीर्षक:-"अक्षय तृतीया "
            _____________
नश्वर जीवन नश्वर है तन,
लेकिन अक्षय है अन्तर्मन।
अन्तर्मन तब होता निर्मल,
प्रवाहित जब हो भक्तिजल। 
अक्षय-तृतीया परम पुनीता, 
जैसे पावन भगवद्गीता। 
भक्ति-भाव से भरती है मन,
 उत्साहित करती है जीवन।
अक्षय पुण्य दान का होता, 
बहे चिरन्तन सुख का सोता
भक्ति-भाव है मन में आता, 
हृदय-दीप तब जगमगाता।  
इसी दिवस विष्णु-अवतार,
जन्मे, धन्य हुआ संसार। 
संग शौर्य-वीरता लाए,
परशुराम प्रभु कहलाए।
दूर किया अन्याय धरा से,
वीर गर्जना हुई गिरा से।
पाप-ताप का किया क्षरण, 
अक्षय-तृतीया तुम्हें नमन्।।
           डॉ आशा शर्मा 
         23,F-2,  विवेक-
          विहार,जगतपुरा, 
          जयपुर (राजस्थान)
 मोबाइल-9414446269


 काव्य रांगोली अक्षय काव्य सम्मान२०२०समारोह आकर्षण तृतीया एंव भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आ प्रेरक नंदलाल त्रिपाठी पितांबरजी एंव अध्यक्ष डॉ झुनझुनवालाजी बैंगलोर तथा काव्य रांगोली संरक्षक आ दादा श्रीअनिल गर्ग जी मेरी रचना आपके समक्ष सादर समर्पित
 
विधा कविता
हे द्विजोतम जमदग्नि रेणु का अंशधारी।
मातृ-पितृ भक्ति श्रेष्ठ परशुधारी।
भृकुटी ने किया क्षत्रियहीन एक विंशत बारी।
सतयुग त्रेता द्वापर कल्कि भारी।
 त्रैलोक्य कांपता जिससे हो धनुर्धर गदाधारी।
 भीष्म हो सूर्य पुत्र या द्रोणभारी।
 सदगुरुज्ञान आगार शिक्षा धारी 
संहारक सहस्र अर्जुन के भुजा सहस्र पण  संधारी
 गणेश को किया एकदंत धारी।
पवनपुत्र या सूर्य पुत्र सब करते पाही  पाही माम से शरणागत धारी। 
हे दुष्टों के  संहारक महिधारी।
गुंजे यशोगान तेरा है जबतक
गंगा यमुना वारी
 हे परशुराम से राम परशुधारी
 हे शरणागत रक्षक प्रजापिता
 हे रक्षक गुरु वर तिलकधारी। 
नाम डॉ भारती राजेश पाराशर
पता खंडवा म प्र


 


 काव्य रंगोली  'अक्षय तृतीया और भगवान परसुराम प्रकटोत्सव ' ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 2020
प्रतियोगिता प्रेरक श्री नंदलाल मणी त्रिपाठी, अध्यक्ष आदरणीया इन्दु झुनझुन वाला, संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी को समर्पित एवम आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति।



कविता


अक्षय तृतीया और भगवान परसुराम प्रकटोत्सव


अक्षय तृतीया की महिमा भारी,
होते हैं पुरन मनोरथ सारी।
 त्रेता  युग का तब पड़ा चरन,
गंगा का भी हुआ अवतरन।
बद्रीनाथ धाम आज के दिन,
खोलते साधक कपाट प्रवीन।
दुष्ट भूप भये अत्याचारी,
त्राहि- त्राहि धरनी पुकारी।
धरनी धाइ श्री हरि शरन,
अक्षय तृतीया को रखे चरन।
जग हित शुभ मुहूर्त जाना,
प्रगटेउ परसुराम भगवाना।
अत्याचारी भूप बलवंता,
धरा से अंत किये भगवंता।
हरे धरनी की भार भारी,
धरनी भई परम सुखारी।
परसुराम की पावन गाथा,
गुरु जिनके हैं गौरी नाथा।
परसुराम की अद्भुत करनी,
सहस मुख नहीं जाए बरनी।
नाम-सुरेश कुमार चन्द्रा,
पता-कसनिया डिपो, वन मण्डल कटघोरा, पो-कटघोरा, जिला-कोरबा,(छत्तीसगढ़) पिन-495445,
मो.न.-8085575875


 अक्षव काव्य समारोह-2020
आदरनीय त्रिपाठी जी,अध्यक्षा महोदया इंदु जी,श्रीमान गर्ग जी 
आप सबके समक्ष प्रस्तुत है मेरी
यह विषय के अनुसार रचना



विधा  दोहा छंद


शीर्षक परशुराम राम जन्मोत्सव परशुराम जयंती
दोहे


शिवजी दीन्हों परशु है, श्री विष्णु के अवतार।
जमदग्नि पित्र मां रेणुका, अक्षय तृतीय वार।


बलशाली ओजस्वी हैं, कहें राम के अवतार।
सतयुगी न्याय देवता, करते क्रोध अपार।


वैशाख शुक्ल तृतीय को, महर्षि लियो अवतार।
शिव का फरसा धारते, पूजे जग संसार।


पित्त की आज्ञा मानके, लियो मात सिर काट।
क्रोधी है जग जानता,परशु के अलग ठाठ।


तीरों से सागर डरा,परशू तीर चलाये,
गुजरात, कच्छ गोवा में,सिमटा पीछे जाय।


जयंती परशु की मने, जुलूस रहा उमड़ा य।
जै, जै परशू बोलके,भीड़ बड़ी है आय।


सतयुग का प्रारंभ है,परशु जनम है आज।
मगन हुए माता-पिता साजा मंगल साज।


भोग भंडारा लगा,परशु जयंती आज।
शुभ मुहूर्त सब जानके,करें मंगल काज।


रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर सीजी।


 काव्यरंगोली अक्षय काव्य  सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवं
भगवान परशुराम जन्मोत्सव (जयंती)  के उपलक्ष्य में आदरणीया  प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवं अध्यक्ष आदरणीय डा.इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर तथा कार्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा आनिल गर्ग जी मां शारदा, भगवान परशुराम जी के श्री चरणों में  प्रणाम करता हूं सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं  साथ ही मैं एक रचना आपके समक्ष अवलोकनार्थ प्रस्तुत करता हूं..🙏🙏
      
          🙏भगवान परशुराम 🙏
वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया, सफल हुई कामना,
भगवन विष्णु अवतारी,श्रीपरशुराम जन्म हुआ।
धन्य हो गया इंदौर जिला, ग्राम मानपुर हर्षाया,
जानापाव पर्वतपर नई चेतना का आभास हुआ।।


भृगुश्रेष्ठ महर्षिजमदग्नि ने पूजा सम्पन्न करवाई,
देवराजइन्द्र की वरदानी महिमा सबके मन भाई।
सुन किल कारी, मातु रेणुका मन ही मन  हर्षाई,
मंगल गीतों की, घर -आंगन बज उठी शहनाई।।


मात पिता के आज्ञापालक, शस्त्र विधा के ज्ञाता,
एकादश छंदयुक्त"शिव स्तोत्र" की महिमा न्यारी।
नारी जाग्रति के पक्षधर सफल अभियान चलाया,
विष्णु के छठे अवतार चिरंजीव तेरी लीला प्यारी।।


बाल्यअवस्था में ही,पशु पक्षियों की भाषा जानी,
भीष्म,द्रोण,कर्ण,में भी शिक्षा की ज्योति जलाई।
पृथ्वी पर प्रकृति प्रेमी की अनुपम पहचान कराई,
खूंखार-कनैले उन पशुओं ने भी मित्रता निभाई।।


सकल सृष्टि के हितकारी भृगु नंदन की  जय हो,
नारायण त्रैलोक्य विजयकवच वाले तेरी जय हो।
ब्रह्मर्षि  कश्यप से वैष्णव मंत्र धारी तेरी जय हो,
भोले शंकर से विधा प्राप्त, परशुराम की जय हो।।


©®
      रामबाबू शर्मा, राजस्थानी,
     शिव कालीनी,दौसा(राज.)
      मोबाइल-9351297613



 भगवान परशुराम 
ॠचीक मुनि परम ज्ञानी ।
सत्यवती पत्नी है विज्ञानी ।
पुत्र हेतु चरू दई बनाई ।
मां को संशय तब हो जाई ।
चरू को  अदला बदला माई ।
मां की खीर बेटी ने खाई ।
ॠचीक मुनि तब घवड़ाई।
पत्नी से यो कहे समझाई ।
क्षत्रीय सुभाव पुत्र होय तुम्हारा ।
पत्नी ने तब पती निहोरा ।
गलती मां की दई बताई ।
तब पती ने व्यवस्था बनाई ।
ऋषि पुत्र होय तुम्हारा ।
पौत्र क्षत्री स्वभाव कठोरा ।
यही परशु राम कहलाये ।
विष्णु के अवतार गाये ।
महाविद्या के प्रथम ज्ञानी ।
बालकृष्ण के स्वामी जानी ।
अमरत्व का यह वर पाया।
अष्ट चिरंजीवी मे नाम पाया।
                  बालकृष्ण पचौरी
                   भिंडमध्यप्रदेश



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 हेतु मेरी रचना 



अक्षय तृतीया 


आज शुभ दिन आया है 
अक्षय तृतीया का उत्सव आया है 
अपने गुनाहों से कर ले हम तौबा 
क्षमा याचना का दिवस आया है ।



सुखी धन संपन्नता आपके आये
ऐसा शुभ दिन देखो आया है ।
सफलता की सीढ़िया आप चढ़े 
खुदा से अरदास करने का दिन आया है ।



सारे काज सिद्ध हो सभी के यहाँ 
सभी के लिए मंगलकारी दिन आया है ।
आज के दिन परशुराम लिया था जन्म 
दसां अवतार का जन्मदिन आया है ।



वेद व्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया 
गंगा मैया का लो आज अवतरण दिवस आया है ।
अक्षय तृतीया पर करते हैं ईश्वर से प्रार्थना 
रिषभ देव जी का पारणे का अवसर आया है ।।


डॉ राजमती पोखरना सुराना भीलवाड़ा राजस्थान



 काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समोराह 2020
रचना शीर्षक - भगवान परशुराम



शीर्षक भगवान परशुराम


माता रेणुका पिता जमदाग्नि
पुत्र पांचवे विष्णु के छठें अवतार
राम नाम जिनका रखा गया
दुष्टों के जो करें संहार
परशु पाया शिव तप से 
नाम हुआ तब परशुराम
जो जो करे पाप धरा पर
बिना सर काटे न हो विश्राम
ब्राह्मण कुल के तुम सौंदर्य प्रभु
21 बार किआ दुष्टों का नाश
सहस्त्रबाहु को नरक पहुँचाया
राजपाट छोड़ किआ तपस्या में विश्वास
भीष्म,द्रोण, कर्ण जिसके शिष्य बने
कल्कि अवतार का है इंतज़ार
राम को भी जिसने आशीर्वाद  दिया
हमपे करो प्रभु तुम उपकार।


नाम शुभम पांडेय गगन
पता अयोध्या फैज़ाबाद
 



हे परशुराम प्रणाम है


चारों वेद छह शास्त्र में,
 बस आपका नाम है।
बिष्णु के अवतार प्रभु,
हे परशुराम प्रणाम है।


जब धर्म पर संकट छाया था ,
आतंक राजपूतों ने ढ़ाया था 
तब परशुराम अवतार हुआ,
धरती का भार उबाड़ किया।


 पिता वचन पालन करने,
 माता की शीश काट दिए।
 वर पाकर निज पिता से 
 पिता भक्त परशुराम हुए।


कहे निकेश हे नारायण,
धन्य धन्य अवतार है।
 विश्व पुजित हे कर्मवीर,
 हे परशुराम प्रणाम है


निकेश सिंह निक्की समस्तीपुर बिहार 7250087926


 


 


शीर्षक - परशुराम की महिमा 


 अक्षय तृतीया पर जन्म ले पावन हुआ संसार, 
 जो रूप लेकर आया विष्णु का अवतार। 


 जिनके जन्मदिन पर खुलते बद्रीनाथ के धाम, 
 इस दिन शुभ मुहूर्त से होते शुभ फल काम। 


 शुक्ल पक्ष की तृतीया जो मनाते हैं जन, 
 युग से प्रारंभ हुआ था यह दिन। 


 अर्थ परशु की कुल्हाड़ी और संग  ने राम, 
 विष्णु और राम की तरह जाने लोग महान। 


 पिता जिनके जमादग्नि माता रेणुका के पुत्र पंचम, 
 रामायण में स्वयंवर में क्रोधित हो लहराया परचम। 


महेश्वर नदी पर जन्म स्थान है प्रचलित, 
 शिवजी का वरदान पा मां हुई थी प्रफुल्लित। 


शिवजी की तपस्या से महा यश कौशल पाया, 
राक्षसों,  दानवों के नाश पर जीवन सफल बनाया। 


सन्यास जीवन ले सप्त ऋषि रूप
 पाया।
अजर -अमर होकर परशुराम कहलाया।
नाम - प्रेरणा सेन्द्रे 
पता -226 ए.एम.,आई.डी.ऐ कॉलोनी,स्कीम नंबर 140 ,इंदौर 
संपर्क क्र. - 7869032169



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना
*दोहा*


सर्व सिद्ध का महूर्त है,अक्षय तृतीया नाम
परशुराम जी द्वादशी, अक्षय हित्य बने काम


*कुंडली छंद*
*परशुराम जयंती*


भगवन परशुराम जी,नमन करो स्वीकार
इस धरती पर लो अभी,अब कोई अवतार
अब कोई अवतार, जगत में धारण कर लो
कर दो तुम उद्धार,सभी की पीडा हर लो
करे मीना यह अर्ज,दे दो फिर से दर्शन
सुखमय हो संसार, कृपा कर दो भगवन


नाम-मीना विवेक जैन
पता-जैन दूध डेयरी वारासिवनी, जिला-बालाघाट, मध्यप्रदेश



आज दिनांक 26.04.2020 रविवार को भगवान परशुराम जयंती पर काव्य रंगोली अक्षय सम्मान समारोह में आदरणीय परेक नंदलाल मनी त्रिपाठी पीताम्बर एवम् अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला की बंगलॉर्वताथा कावाइक्रांगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना: गीत


हम विश्वजीत जगप्रीत मीत की रीत बताते हैं 
उस विष्णु रूप अनूप परशु की कथा सुनाते हैं ।।


जय परशुराम भगवान, जय जन जन के कल्याण ।


उत्तरांचल में सरस्वती की बहती थी निर्मल धारा 
जिसके तट पर ऋचिका ऋषि का आश्रम था बड़ा प्यारा 
राजा गाधि की सुंदर पुत्री सत्यवती बतलाते हैं 
हम विश्वजीत ...


 ऋचिका ऋषि ने परणाई थी सत्यवती गुणवान 
सत्यवती के उदर से उपजे  जमदग्नि महान 
राजा प्रसेनजित सुता रेणुका उसे परिणाते हैं 
हम विश्वजीत ...


अक्षय तृतीया वैशाख सुदी तीज में हुआ अवतरित
 पांच संतानों में सबसे छोटा रामभद्र था बड़ा अभीत 
शिव  वरदान से विष्णु खुद रेणुका घर आते हैं
 हम विश्वजीत ... 


की तपस्या शिव की रामभद्र ने पाई युद्ध- कला 
परशा धनुष दिव्य अस्त्र लो करो जग का तुम भला 
असुर निकंदन भृगुनंदन फिर असुरों को नशाते हैं 
हम विश्वजीत ...


त्रेतायुग से द्वापर कलयुग जो सदा से अजर अमर 
हुआ नहीं और होगा नहीं ऐसा जहां में धर्मधर
पाकर वर शिव का जालिमों को यमपुरी दिखाते हैं
हम विश्वजीत..


 पितृहत्या और गौ हत्या सहन न था जिनको
 राजा हैहय सहस्रार्जुन मार किया सुखी जीवन को
 इक्कीस बार जग अत्याचार मुक्त कराते हैं 
हम विशजित ...


अक्षय तृतीया करे व्रत मिले पुत्र उसको वीर
धर्मगलानी पर होते अवतरित परशुराम महावीर
 चीर अंधेरा पाप का सूर्य से प्रकट हो जाते हैं
हम विश्वजीत ,...


हे जगकल्याण!परशु भगवान तुझको प्रणाम है 
इस भारत भू पर हो रही ..अब धर्म की शाम है 
करो  दूर देश से भ्रष्टाचार चंद्रकवि याद दिलाते हैं 
हम विश्वजीत  जगप्रीत प्रीत मीत की रीत बताते हैं।
नाम: डॉ चन्द्र दत्त शर्मा शिवाय रोहतक।
ग्राम ब्राह्मण वास जिला रोहतक हरियाणा
124001
 फोन 9671559666
*


 काव्यरंगोली द्वारा अयोजित अक्षय काव्य समारोह 2020 के माध्यम से अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में, काव्य प्रेंन आदरणीय नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी,समारोह अध्यक्ष आदरणीय डॉ.इंदु झुनझुनवाला जी ,काव्यरंगोली संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी सभी को सादर नमन करता हूँ।
मां सरस्वती के चरणों मे प्रणाम करता हूँ तथा अक्षय काव्य समारोह में एक रचना प्रस्तुत करता हूँ।


त्रेता युग के आदिकाल में अभिमानी राजाओं का शासन था,
 अत्याचार की दुनिया में उन दुष्ट नृपों का आसान था।
उनके पाप से जीवन संतों का संत्राश दिखाई देता था।
ज्ञान योग तप विद्या का अंत दिखाई देता था।


जमदग्नि ऋषि ने प्रभु इच्छा से तब पुत्रेष्टि यज्ञ कराया,
 श्रीहरि के छठवें अवतार को पुत्र रूप में पाया।
वैशाख की शुक्ल तृतीया को प्रभु ने आवेशावतार लिया,
पाप मुक्त धरती करनी है प्रण मन में अपने ठान लिया।


पिता से आज्ञा पाकर के ऋषियोँ से जाकर ज्ञान लिया,
 युद्ध कला के साथ-साथ आध्यात्मिकता को पहचान लिया।
 महादेव के परम शिष्य बन सारी विद्याएँ सीख लिया,
 परशु प्राप्त कर शिवजी से पूरे विश्व को जीत लिया।
इक्कीश बार धरा पर प्रभु ने पापी राजाओं का संहार किया, कार्तवीर्य की सहस्त्र भुजाएं प्रभु ने फरशे से काट दिया।


द्रोण भीष्म से महाबली योद्धाओं को ज्ञान प्रदान किया।
योग ज्ञान और शक्ति से मानव जीवन का कल्याण किया।


मदन मोहन बाजपई
खमरिया लखीमपुर खीरी



 अक्षय काव्य समारोह 2020
परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया पर अध्यक्ष आदरणीया इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी कानपुर को सम्बोधित व अन्य सदस्यो के अव लोकनार्थ
विषय-भगवान परशुराम


1भगवान शिव जी के थे परशुराम भक्त,
तेज,तप,त्याग,वह जन्म से ही पाये थे।
पिता जमदग्नि और माता रेणुका के पूत,
किंचित डरे न कभी शत्रु घबराये थे।
जब जब असुरो की संख्या बढी धरती पे,
असुरो को मारने के हेतु वह आये थे।
थर थर कांपते थे शत्रु नाम सुनकर,
जमकर शत्रुओं पे फरसा चलाये थे।।
(2)
नाम सुनकर छाती कांप जाती शत्रुओं की,
दानवों को मारने का वरदान पाया था।
वृध्दपन मे भी था जवानी जैसा जोश भरा,
दैत्य मारने के हेतु फरसा उठाया था।
पापी,अत्याचारी,को न दिया कभी छमादान,
गौरव तुम्हारा श्री राम जी ने गाया था।
भगवान शिव जी के आप थे अनन्य भक्त,
धर्म और न्याय की ध्वजा को फहराया था।।
रचनाकार 
डॉ0विद्यासागर मिश्र "सागर"
लखनऊ,उ0प्र0



काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ :-



जमदग्नि,ऋचिका,के ऋचिका,के भृगु,पिता 
             भृगु के पिता विशेष च्यवन, महान थे ।।
सप्त ऋषियों मे जमदग्नि, जी के पांच लाल 
             अनुज, मनुज, रूपधारी  अनुमान थे ।। 
भारद्वाज, कश्यप के कुल  गुरु  पितु, भक्त
             बीर से बिहीन पन धारी शक्तिमान थे ।।
शेष  में  विशेष   नाम   भृगुवंसी,   रामभद्र
              भृगुपति,भार्गव,जी आप भगवान थे ।।



अत्याचारियों की आरियों से बनी धारियाँ जो 
            शर्मसार हो के वो अधार अकुला गया।।
बैशाष  शुक्लपक्ष  की  तृतीया  अक्षय  बनी 
            आजब्रह्म को धरा का रूप मन भा गया।।
छठे, की  छबीली  छटा  घिरी  घन  घोर  घटा  
            अष्ट  कला  धारी देह धारी बन आ गया।।
पांच में था छोटा, जमदग्नि रेणु का, का लाल 
            परसु  को  धारे  राम, राम  में समा गया।।
                
नाम :- कवि कमलेश सोनी
पता :- सण्डीला, हरदोई
मो.  :-  9794493606


 



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक  नंदलाल मणि  त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर  अध्य्क्ष आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बंगलोर एवं काव्य रंगोली संरक्षक व सम्पादक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर   मेरी रचना  आपसभीके अवलोकनार्थ 


रचना
काव्य प्रतियोगिता 26 अप्रैल2020


                                   परशुराम


वैशाख शुक्ल तृतीया को जो  मानपुर में था आया
 देवराज वरदान से रेणुका ने पुत्र रत्न को पाया ।।
जमदग्नि और   रेणुका के     पंचम पुत्र  कहलाये
 रामभद्र था नाम जिसने धर्म ध्वजा को लहराया।।


 शिव के थे परम भक्त शिव ध्वजा    को फहराए
 पाकर शिव से परशु     प्रसाद परशुराम कहलाए ।।
परशुराम होकर भी थे   वे    राम के    परम भक्त 
भार्गव गोत्र में पिता  -आज्ञाकारी संतति कहलाए।।


 ब्राह्मण होकर भी क्षत्रिय सम व्यवहार  किया 
जीवन में ज्ञान संग क्षत्रियो सम काम    किया ।
पिता की आज्ञा से माँ भाइयो को मार   दिया।
 इक्कीस बार क्षत्रियों का पृथ्वी से संहार किया ।।


 एक बाण   संधान किया   महा सागर भी घबराया 
 गुजरात से समुद्र पीछे कर शस्त्र कौशल दिखलाया ।।
कोकण गोवा केरल गांव बना अपना प्रण पूर्ण किया
 वैदिक धर्म की पावन गरिमा      को सर्वत्र फैलाया ।।


है  चिरंजीवी  तुमको   हमारा      शत शत वंदन  हैं 
 तव   पावन   चरणों में हमारा कोटि-कोटि नमन है ।।
कलयुग में भी अविरल प्रतीक्षा आकर ज्ञान लुटाओ
सुबोध-- भाव प्रसून  तव पावन चरणों में अर्पण है ।।


सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी 
श्री राम डेरी वाली गली गुलसरभोज रोड
 गदरपुर उधम सिंह नगर 
उत्तराखंड



काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना-  अक्षय परशुराम 


विष्णु  के छठे अवतारी, 
विजया  बाण धनुर्धारी ,
शिव अस्त्र परशु वरदानी। 


जमदग्नि रेणुका पुत्र राम, 
भार्गव, भृगुवंशी, भृगुपति, 
जमदगन्य हे जिसके नाम। 


कृतवीर्य ने घमंड में छीना, 
कामधेनु था जिसका नाम, 
भार्गव ने पहुँचाया मृत्युधाम। 


माता पिता के आज्ञाकारी,
दानवीर थे देदी पूंजी सारी, 
थे ऋषि  वो  शक्तिशाली ।


विष्णु के दसवे अवतारी, 
करने कलयुग को हितकारी, 
कल्कि नाम आऐंगे अवतारी । 


नाम -ममता बारोट
पता- गुजरात, गांधीनगर,         सेक्टर ,6/ए, 472/1.
पिन. 382006
मो0 743483065



 काव्य रंगोली अक्षय काव्य उत्सव-2020
____________________
सम्पादक,अध्यक्ष व
        संरक्षक महोदय,
       परशुराम काव्य-रंगोली 
       प्रतियोगिता
 2020  परशुराम जन्मोत्सव के इस पावन अवसर पर सम्माननीय प्रेरक श्री नन्द लाल जी त्रिपाठी पीताम्बर;अध्यक्षा सम्माननीया डॉ.इन्दु झुनझुनवाला जी एवं काव्य रंगोली संरक्षक सम्माननीय दादा अनिल जी गर्ग को सम्बोधित करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत करता हूँ:--- 


       "  दोहे "


        परशुराम भगवान


छठा रूप विष्णू धरे,हुए अवतरित राम।
शिव से फिर वरदान पा, सब कहें परशुराम।।


वीरों में इक वीर हैं ,परशुराम भगवान।
परसेवा के वास्ते ,करते हैं संधान।।


शीष मातु का दे उतार, दिया पिता को मान।
वर उन से ही पा लिया ,अमर हुए भगवान।।


परशुराम सा वीर है ,जग में और न कोय।
त्राहि त्राहि सब ही करें,क्रुध भगवन जब होय।।


दान करो इस दिन अगर, दान नहीं क्षय होय।
फिर जीवन या मरण का , रहे नहीं भय कोय।।


जीवन ये चलता रहे ज्यों नदिया में नाव ।
सतकरमों का साथ हो ,पाप नहीं हो कोय।।


          प्रदाप भट्ट
         नई दिल्ली
   मोबाइल-9891144999



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020


आदरणीय समारोह *अध्यक्ष महोदया डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर को मेरी रचना समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूँ।* कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।


परशुराम जयंती (अक्षय तृतीया) रविवार 26 अप्रैल 2020 हेतु प्रस्तुत है।


रचना - 
जिन्होंने धरा को दुष्टों से संघारा है,
जिनका क्रोध जैसे कोई अंगारा है,
ऐसे महामानव की मैं गाथा सुनाने आया हूँ,
अपने शब्दों से जन्मदिवस पर पुष्प चढ़ाने आया हूँ,
वो जिसने सहस्त्रबाहु की विशाल भुजाएँ काटीं थीं,
मद में मदमाते हुए लोगों की जिह्वा अंत से छाँटी थीं
वो जिनको विष्णु का एक अवतार बताया जाता है,
वो जिनको तपस्या से बहुत प्यार  बताया जाता है,
वो जो स्वयं इस धरा पर चिरंजीवी कहलाते हैं,
वो जो हर युग मे गुरू की भांति पूजा जाते हैं,
वो जिसके हाथों में कठोर फरसा स्वयं विराजे है
वो जो इस भूलोक के स्वयं राजे और महाराजे हैं
वो जिसने इस धरा को क्षत्रीयों से विहीन किया
महेन्द्राचल पर्वत पर जिसने खुद को लीन किया
ऐसे महान विभूति को मैं पुनः फिर दोहराता हूँ
परसुराम जी के चरणों मे श्रद्धा का पुष्प चढ़ाता हूँ।


नाम- सम्राट        
पता - सिलवासा, दादर नगर हवेली
मोबाइल-8726432299


 


 *काव्य रंगोली द्वाराअक्षय तृतीया,,,,परशुराम जयंती (26 अप्रैल 2020) पर आयोजित  प्रतियोगिता हेतु।*  


*अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इंदु झुनझुनवाला जी बंगलौर,कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय नंद लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी व आदरणीय सरंक्षक*
*अनिल गर्ग जी की सेवा में समर्पित


मुक्तक


अक्षय तृतीया की शुभकामनायें,
पूरी   हो   हर   तजवीज।


सुखी धन संपन्न  बने  आप और,
हर  मित्र हरदिल अज़ीज़।।


सफलता  चूमे  हर   क़दम   और,
पायें  ऐसा वरदान   आप ।


हर कारज सिद्ध हो करे  कल्याण,
आप सब पर  अखा तीज।।


*एस के कपूर श्री हंस।।बरेली।।*


  काव्य रंगोली प्रतियोगिता हेतु दिनांक 26/4/2020
विषय..भगवान परशुराम व अक्षय तृतीया


  भगवान परशुराम जी
 व अक्षय तृतीया


भगवान परशुराम अवतारी थे
पृथ्वी पर वो अवतरित हुये थे ।
वैशाखअक्षय तृतीया को जयंती है
भगवान विष्णु के 6वें अवतारी थे ।


पिता ऋषि जमदग्नि उनके
माता रेणुका के पुत्र हुये थे ।
ऋषि जमदग्नि सप्त ऋषियों 
में से एक महान ऋषि भी थे ।


हिन्दु धर्म में त्रेता युग से
द्वापर युग तक अमर रहे ।
रामायण और महाभारत में
परशुराम जी के चर्च रहे  ।


भारद्वाज और कश्यप गोत्र 
के कुल गुरु भी माने जाते है ।
युद्ध कला के निपुण योद्धा
परशुराम जी माने जाते है ।


ब्राह्मण कुल में जन्म लिया
फिर भी योद्धा बहुत ही भारी थे
फरसा उनका अस्त्र भारी था
क्षत्रियों का भी विनाश किये थे ।



   अनन्तराम चौबे अनन्त
      जबलपुर म प्र
    9770499027
       2101 /
  मौलिक व स्वरचित



 अक्षय काव्योत्सव समारोह 2020 के अंतर्गत प्रतियोगिता अध्यक्ष आदरणीया डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बंगलौर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर के अवलोकनार्थ प्रस्तुत स्वरचित कविता।
              अक्षय तृतीया-परशुराम जयंती।
    शुक्ल तीज बैसाख तिथि पावन परम ललाम।
    परशुराम प्रभु अवतरेउ जमदग्नि ऋषि के धाम।
अक्षय तृतीय तिथि अति पावन, सुखद वरद दुःख पाप नसावन।
दिनकर उदय पूर्व स्नाना,श्री हरि पूजन सहित विधाना।
पूजन अर्चन वृत उपवासा,अक्षय तृतीय अघ सकल विनासा।
वृक्ष आंवला तर करि पूजन,लेयं प्रसाद रूप में भोजन।
अक्षय तिथि पूजइ जो कोई,सुख समृद्धि क्षय कबहुं न होई।
अति महत्व अक्षय तृतीय का, जन्म दिवस प्रभु परशुराम का।
ऋषि जमदग्नि रेणुका माता,पंचम स्वयं चारि बड़ि भ्राता।
षष्ठम विष्णु मनुज अवतारा, परशुराम जाने जग सारा।
ब्राम्हण कुल जन्में शुभ धर्मा,पर स्वभाव से क्षत्रिय कर्मा।
अस्त्र शस्त्र मंह परम प्रवीना, धनुष परशु गुरु शंकर दीन्हा।
पितु आज्ञा माता बध कीन्हां,दे वर ऋषि जीवित करि दीन्हा।
हैहय वंश महिष्मति शासक,ब्राम्हण द्रोही धर्म विनाशक।
एक दिवस ऋषि आश्रम जाई, कामधेनु गौ लिया भगाई।
लखि विरोध ऋषि का बध कीन्हां,आश्रम किय मुनि वृन्द विहीना।
देखि दशा परशु लइ धाये,काटि भुजा महि मुंड गिराये।
सहस बाहु अर्जुन को मारा,इक्किस बार वंश संहारा।
     मिलन प्रभू श्रीराम से,गिरि महेंद्र पर वास।
     चिरंजीव पूरी करंइ,हम भक्तन की आस।


नाम---सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार,जेठरा खमरिया लखीमपुर-खीरी।
मोबाइल नं--9958691078,8840477983.


 


अक्षय तृतीया परशुराम जयंती पर 'इंदु झुनझुनवाला जी की अध्यक्षता में' काव्यरंगोली संस्था द्वारा आयोजित काव्य प्रतियोगिता में संरक्षक आदरणीय श्री अनिल गर्ग जी, प्रेरक श्री नन्द लाल मणि त्रिपाठी जी, अध्यक्ष जी एवं काव्यरंगोली की पूरी टीम को समर्पित मेरी रचना



गीत : पुनः प्रतीक्षा परशुराम की


चरण    वंदना  हम करते हैं,
   परशु सहित भगवान राम की।


भीष्म-गुरू शिव-शिष्य महाभट।
   शत्रु     काँपते    सुनकर आहट।
      कुछ भी नहीं   असंभव तुम को,
        चाह  सदा   है     सत्यकाम की।



नहीं रहा जन-मन पर अंकुश।
   शासक भी  सब हुए निरंकुश।
     रक्षक  जब    भक्षक बन बैठे,
       तब  आशा बस एक नाम की।



खोज-खोज दुष्टों को मारा।
   निर्बल का तुम बने सहारा।
      व्याकुल   धरती है पापों से,
         पुनः  प्रतीक्षा परशुराम की।
नाम - अभिषेक ठाकुर 'अधीर'
पता - गरगैया, शाहजहांपुर
मो - 812781782


 


 
 
 काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 


कार्यक्रम अध्यक्ष,आदरणीया
इंदु झुन झुन बाला जी,बंगलोर प्रेरक,आदरणीय नन्द लाल मणि त्रिपाठी जी सम्पादक काव्य रंगोली गोरखपुर
संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर आप सभी को प्रणाम
परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार 26 अप्रेल 2020 रचना प्रतियोगिता हेतु सादर प्रेषित है कृपया शामिल करने की कृपा करें।


रचना --भगवान परशुराम
विशेष--साहित्य अध्ययन, लेखन


काव्य रचना ----भगवान परशुराम


बल पौरुष पा मद अहंकार,
जिस समय क्षत्रियों में ब्यापा।(१)
मनमानी अत्याचार बढ़े,
अकुलाई धरा, धर्म कांपा।।(२)
बढ़ रहे पाप है धर्म नाश,
लख आततायी क्षत्रिय तमाम।(३)
बैसाख मास अक्षय तृतीया,
अवतरित हुये प्रभु परशुराम।।(४)
जमदग्नि रेणुका के सुत को,
यह अत्याचार नही भाया।(५)
रक्षा को धर्म की ब्राह्मण सुत,
परसा थामा आगे आया।।(६)
ब्राह्मणत्व कर्म तज ब्राह्मण सुत,
वीरोचित कर्म रूप धारे।(७)
रक्षार्थ धर्म पापी क्षत्रिय,
जो जितने बीन बीन मारे।।(८)
आततायी क्षत्रियों को प्रभु ने,
कर दिया धरा से था बिहीन।(९)
कर रहे धर्म प्रतिपादित प्रभु,
बल शौर्य वीरता में प्रवीण।।(१०)
भृगुवंशी उत्तम कुल जिनका,
तप त्याग अनूठा सर्व विदित।(११
हरि अंशी प्रभु श्री परशुराम,
पृथ्वी को करते पाप रहित।।(१२)
ब्राह्मणत्व कर्म रक्षित हो धर्म,
आशीषित जिनसे हुये राम।(१३)
करते है वन्दना देव दनुज,
प्रभु श्रेष्ठ जगत के परशुराम।।(१४
नाम ----सुशील खरे "वैभव"
पता --पन्ना मध्यप्रदेश
मो0 --9993329352



 


  काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ प्रस्तुत है--


शीर्षक:- *हे परशुराम !*


पूनर्निमित हो,विचार मानव मन के, 
मिटने  मन  के  मैल  तमाम  चाहिए। 
हे प्रभू! सूनलो पुकार मेरी, धरा पर, 
अवतार   फिर  से  परशुराम  चाहिए।


मद,लोभ,मोह,माया लिप्त-तृप्त हैं, 
पापियों के इन विचारों पर विराम चाहिए। 
हे विष्णु ! हे जगत पालक! हे! ईश्वर, 
अवतार   फिर  से  परशुराम  चाहिए।


हो शौर्य अटल,शपथ अटल,और ध्यान, 
सत्य का प्रतीक ,  पावन  धाम चाहिए।
जन-जन के उर में निष्ठा का प्रमाण  चाहिए, 
अवतार   फिर  से  परशुराम  चाहिए ।


तरूण हों, युवा हों या हो कर्मवीर कोई, 
अथक सब में परिश्रम का नाम चाहिए। 
पहचान हो भारत का हे अवतारी! ऐसा, 
अवतार   फिर  से  परशुराम  चाहिए।


नाम:- पुखराज "प्राज"
पता:-  रायपुर, छत्तीसगढ़


 


 रत्ना वर्मा 
काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह  2020 
अक्षय तृतीया एवम्  भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में
आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉo 
इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर, आप सभी के अवलोकनार्थ   संबोधित मेरी रचना ....
परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार 26अप्रैल 2020


"भगवान परशुराम "


अक्षय तृतीया की महिमा भारी ।
लियो जन्म भगवान परशुराम बलशाली।
विष्णु के छठे अवतार गौरवशाली। 
जिनके गुरू भगवान शंकर नीलकंठधारी।


पिता यमदग्नि माता रेणुका के पूत।
शस्त्र व शास्त्र  के ज्ञाता अद्भुत। 
अपना धनुष दिया राम को ।
हुआ  बध रावण का तभी तो !


परशुराम पिता के आज्ञाकारी। 
यमदग्नि त्रृषि मन बहुत क्रोधाग्नि। कहा सपूत से माँ का
कटो शीश।बेटे ने दिया फरसा चलाए , तत्काल सिर काट गिराए।


खुश हो कर , यमदग्नि बचन सुनाए, मांगो वरदान जो चित्त  भाए।कहा कहौ परशुराम पिता से,पुनः माँ का शीश जुड़ाए ।


माता रेणुका  जिया हुलसाए ,
पूत तूने दियों दूध का कर्ज  चुकाए।एक ही परशुराम जेहिं 
मातृ -पितृ  त्रृण से मुक्त हुए  धन्य।  
ऐसे परशुराम को बारम्बार नमन वंदन। 
रत्ना वर्मा  
सराय ढेला
धनबाद -झारखंड



 काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 
आदरणीय समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु 
कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर 
एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर 
आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियाँ प्रस्तुत करता हूँ कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें
 धन्यवाद !


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया 
रविवार 26 अप्रैल 2020 .



विधा--दोहा 
शीर्षक--भगवान परशुराम


ऋचिका ऋषि के वंश में, परशुराम अवतार ।
त्रेता युग आरंभ जो , अक्षय तिथि का वार ।।(1)


मातु रेणुका गर्भ में, जन्म लिए भगवान।
 परम संत जमदग्नि के,  पंचम थे संतान ।।(2)


शुक्ल पक्ष वैशाख की, है यह तीज महान ।
कर्म करे जो पुण्य का, होता अक्षय दान।।(3)


 पावन दिन यह मानते ,करते व्रत उपवास ।
प्रेम भाव मन में भरे, ईश हृदय के पास।।(4)


 पड़ता इस दिन देखना , नहीं कभी शुभ वार ।
मंगल होता है सदा, सभी कर्म व्यापार।।(5)


 भक्ति भाव विश्वास से , लिया करे जो  नाम ।
परम प्रतापी राम जी , करते पूरन काम ।।(6)


रामभद्र पितु भक्त थे, पितरि वचन को पाल।
 पुनर्जीव वरदान से ,   मातृ भक्ति तत्काल ।।(7)


आराधन शिवभक्ति से , प्राप्त किये दिव्यास्त्र ।
विजयापिनाकभीमिले,फरसा जिनकाशस्त्र ।।(8)


भारद्वाज कुल गोत्र के, गुरु थे परम प्रधान।
द्रोही क्षत्रीय कुल रहे ,  भृगुवंशी भगवान।।(9)


परम ब्रम्ह श्री विष्णु के, थे छठवें अवतार ।
परसु सहित श्री राम को, प्रणमन बारंबार।।(10)


निर्भय गुप्ता 
ग्राम --लिंजीर 
पोस्ट--लोहरसिंह
जिला- रायगढ़ (छ.ग.)
मोबाइल-9826945856



 काव्य रंगोली अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम प्रकट उत्सव ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता 20 20


 
 काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह
 अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती
 के उपलक्ष में आदरणीय प्रेरक नंदलाल मणि
 त्रिपाठी पीतांबर जी एवं अध्यक्ष  आदरणीयआ
 डॉक्टर झुनझुनवाला जी बैंगलोर तथा काव्य
 रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
 रचना-
                             !! छंद!!


 वैशाख शुक्ल तृतीया को माता रेणुका के घर
 विष्णु बन लाला छठे अवतार पाए हैं
 सप्त ऋषि जमादग्नि  और उनका पूरा  कुल 
मिल सब हर्षित होकर उपहार बटाए हैं
 रेणुका के पांचवे  पुत्र पितामह       भृगु द्वारा
 ब्राह्मण पुत्र नाम संस्कार कराए हैं
 परसा दिया शिव जब देख  भृगु  ऋष परसूसे
 परशुराम उच्चार बताए हैं
 पूर्वजों की आज्ञाओ से  भृगु पति परशुराम
 करने तपस्या मन ले विचार आए हैं
 प्रसन्न हुए भोलेनाथ दिव्यास्त्र दिए हाथ
 तीर्थयात् करना प्रवीणतार बताए हैं
 घोर तपस्या की दूजी बार महेंद्र गिर
 तब भोलेनाथ फिर एक बार आए हैं
 पापियों का नाश करने राक्षसों विनाश करने
 परशुराम ए अवतार पाए  है
 युद्ध कला परिपूर्ण करना था महत्वपूर्ण
 तब भोलेनाथ युद्ध सार सिखाएं है
 विजया धनुष कमान दे दिया ऋषि महान
 परशुराम शीश बार-बार  नाभाए हैं



 नाम- अनिल प्रजापति जख्मी
 पता- ग्राम सिमथरा  तहसील भांडेर जिला दतिया मध्य प्रदेश 47 53 35
 संपर्क- 81 20 16 2013, 70 6784 7274


 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
                            【आरती】
                            
ॐ जय हरि अवतारी, स्वामी जय हरि अवतारी।
हर  समाज  की  हर  लो  स्वामी, हर हाहाकारी।। ॐ
ऋषि श्रेष्ठ जमदग्नि  पिता, श्री  रेणुका महतारी। श्री
पंच  गोपाल  लाल में  भृगुपति आप परसुधारी।।ॐ
स्रष्टि  के  संचालक   पालक, घालक  त्रिपुरारी। स्वमी
तीनो  काल  रूप  तीनो  में, आप तिलक धारी।।ॐ
पल में  ही  पापो  को  पावन, करो  पाप  हारी। स्वामी
काल बली का  कलरव भी, ना करे कलाकारी।।ॐ
त्रिविधि  ताप के पाप नसावन, हे नर तन धारी। स्वामी
एक बार फिर जन गण मन में,भर दो उजियारी।।ॐ
शुक्ल  पक्ष   बैशाष   तृतीया, अक्षय उजियारी।। स्वामी
आज ब्रह्म को धरा भा  गयी  थी  छठवीं  बारी।।ॐ
रामभद्र  भृगुपति  भृगुवंसी, भार्गव  परसुधारी।। स्वामी
नाम  अनेकानेक राम  सम  पितु  आज्ञाकारी ।।ॐ
नाथ  अनाथ  निहार रहे  हैं, ब्याकुल  नर नारी। स्वामी
चित्तमें चरण कमल चितवन की,भरो चित्रकारी।।ॐ
सच्चे  मन  से  सेवा  जो  भी, करते  नर  नारी।।स्वामी 
सत्यम  शिवम  सुंदरम का  फल, पाते संसारी।।ॐ


!! इति आरती !!
नाम :- ओम जी सोनी
पता :- सण्डीला, जिला- हरदोई



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना


प्रभु परशुराम मेरे,तुमने ही दुनिया तारी
तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी


आकर प्रभू बचा लो,संकट में मैं पड़ा हूँ
पतवार अब सँभालो, भव बीच में खड़ा हूँ
हे रेणुका के जाये, सुनलो अरज हमारी
तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी


था श्राप जो पिता का,भैया बने थे पत्थर
माना न कोई कहना, सबको दिया था अवसर
आज्ञा पिता की मानी,सिर काट मैया मारी
तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी


खुश हो पिता ये बोले,वरदान कोई लेलो
माँगा पिता से वर ये,जीवन पुनः ही देदो
माँ भाई मृत पड़े हैं, करो भूल माँफ सारी
तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी


है पर्व अक्षय तृतीया, जन्मोत्सव तुम्हारा
चरणों में ध्यान हरदम,होवे प्रभू हमारा
हे राम, कृष्ण भगवन,तुम ही हो चक्र धारी
तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी
प्रभु परशुराम मेरे ऐऐऐऐऐ.....


नाम - विष्णु असावा
पता - बिल्सी जिला बदायूँ (उत्तर प्रदेश )
मो0 नंबर - 8279714361



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह
 अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती
 के उपलक्ष में आदरणीय प्रेरक नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी,गोरखपुर  एवं अध्यक्ष  आदरणीया
 डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी,कानपुर को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
 रचना-
                           
घनाक्षरी (भगवान परशुराम जयंती के अवसर पर)
ऋषि जमदग्नि और,देवी रेणुका सुपुत्र,
          पितृभक्त सिरमौर,भारत की शान हैं।
बाल ब्रह्मचारी क्रोधी,विप्र कुल गौरव हैं,
         आशुतोष भक्त श्रेष्ठ,जग में महान हैं।
काँधे सुशोभित चाप,कर में कुठार खर,
         सुभट प्रतापी वीर ,अति बलवान हैं।
विष्णु अवतार षष्ठ ,वंदनीय  ऋषिवर,
        नाम  है  परशुराम ,एक  भगवान हैं।।1


अक्षय तृतीया तिथि,लोक शुभकारी अति,
          सरोवर नदी-कुंड ,पूत  स्नान  कीजिए।
श्रीहरि प्रभु विष्णु का,पूर्ण विधि विधान से,
       कृपा भक्ति प्राप्ति हेतु,पूजा ध्यान कीजिए।
वस्त्र धन-धान्य आदि,सामर्थ्य के अनुसार,
        निर्धन  अशक्त  जो हैं ,उन्हें दान  कीजिए।
अतिशय प्रसन्न हो,देंगे प्रभु वरदान,
        बन  हरि-भक्त  बैठ, गुणगान  कीजिए।।2


डाॅ बिपिन पाण्डेय
रुड़की (हरिद्वार )
उत्तराखंड-247667
मो0 9412956529



काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करती हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020
 
  भगवान परशुराम 


विप्र समाज का गौरव,
भारत वर्ष की पहचान।
विष्णु का अंश अवतार, 
ऐसे तपस्वी महान।


जीवन जिनका प्रेरणा, 
किर्ती जिनकी उज्वल।
दसो दिशाए हो रही, 
रोशनी से उनकी प्रज्वल।


सहस्त्र उनके बाहु,
फरसा उनका अस्त्र।
धरती कांप उठती,
जब चलाते वो शस्त्र।


रेणुका जमदग्नी पुत्र,
ऋषियों में श्रेष्ठ स्थान।
तीनो लोक देते,
सदा उन्हें सम्मान।


युगो तक अमर, 
पावन उनका नाम।
भक्तों के हदय में विराजे,
सदा भगवान परशुराम।


वैष्णवी पारसे
छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश 
7617227154



आदरणीय समारोह अध्यक्ष महोदय डा०इन्दू झुनझुनवाला जी बंगलौर कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर एंव काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी कानपुर आप सभी को अपनी रचना सादर प्रेषित कर रही हूँ अपना आशीर्वाद प्रदान करें |🙏


जय जय परशुराम भगवान
युगों युगों से कीर्ति तुम्हारी
गूंज रही अविराम
जय जय परशुराम भगवान ||


वैवर्त पुराण में वर्णित
प्रभु विष्णु के छठें अवतार
ब्राह्मण कुल में जन्म लिया
पर क्षत्रिय सा व्यवहार ||


पुत्रेष्टि यज्ञ से उत्पन्न हुए
जमदग्नि पुत्र कहलाये
शिव को तप से प्रसन्न किये
तब परशू भेंट में पाये ||


शिव दर्शन का विचार आया
कैलाश शिखर प्रस्थान किया
प्रथम पूज्य ने रोका तुमको
उनपर परशू से वार किया ||


गणपति का दांत एक टूट गया
तब मन में प्रभु तुम पछताये
तब से प्रभु गणपति जगत में
एकदन्त कहलाये ||


आज विश्व पर विपदा आई
मानव जाति रही घबराई
संकट हरो हमारे राम
भय मुक्त करो हे परशुराम||


  जय परशुराम जी
                          स्वरचित मौलिक
शिवानी शुक्ला श्रद्धा
जौनपुर उत्तर प्रदेश



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरा रचना आप सभी के अवलोकनार्थ हेतु..


विधा - काव्य
शिर्षक - भगवान परशुराम


*अक्षय तृतीया विशेष पर परशुराम*


           त्रेता युग में जन्म लिए
         बिष्णु के छठे अवतारी थे
         महर्षि भृगु के पुत्र कहयाये
         जमदग्नि के अंश प्रतापी थे
  शिवजी के प्रदत्त फरसा धारण किए
      ऐसे वीर परशुराम अवतारी थे
         विश्वामित्र से लेकर शिक्षा
         महाज्ञानी परशु कहलाये थे
    महर्षि ऋतिक का आराधना करके
           धनुष बाण प्राप्त किए थे
      बह्मर्षि कश्यप के आर्शिवाद से
   वैष्णव मंत्र का ज्ञान प्राप्त किए थे
            कैलाश गिरिश्रृंग शंकर से
          आश्रम से विद्या प्राप्त किए
      विशिष्ट दिव्यशास्त्र विद्युदभि परशु 
                 शंकर से प्राप्त किए
       महाबली भिष्म ,द्रोण,कर्ण के 
            तेजप्रतापी गुरू कहलाये
    अपने तेज प्रताप से तीनों लोक के
         भगवान परशुराम कहलाये।।


     *✍🏻महेश गुप्ता जौनपुरी*


 


 



 *काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह* 
( _अक्षय तृतीया  एवम् भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में)_ आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी ,
अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलुरू 
काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना 
 *आप सभी के अवलोकनार्थ* ---
 _(कविता-भगवान परशुराम जी_) 


भरतखंड के गौरव का गुणगान 
सदा होता आया ।
एक समय ऐसा आया,
 अन्याय का परचम लहराया ।
प्रभु विष्णु तब भृगु कुल में,
 अवतार रूप में आए।
 मात रेणुका, तात जमदग्नि
 के वे सुत कहलाए ।
इक्कीस बार क्रूर - अन्यायी
 क्षत्रियों का संहार किया ।
सुख संरक्षण पीड़ित जन को 
उनको न्याय दिया ।
सतयुग से लेकर हर युग में
 परशुराम जी आए ।
परम तपस्वी, परमवीर वह 
  न्याय देव कहलाए ।
अजर-अमर अविनाशी प्रभु ,
वे सदा चेतना देते।
रोग,शोक,दुःख बाधाओं को 
क्षण में ही हर लेते।
 *डाॅ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'* 
 150 ,छोटा बाजार दतिया (मध्य प्रदेश)
मोबाइल-9425726907



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना


हे परशुराम अवतारी
(कविता)


हे परशुराम अवतारी, तुमको बारंबार नमन। 
बारंबार नमन,प्रभु, तुमको बारंबार नमन।।


हे विष्णु के अवतारी, तुम विराट् बलधारी।
जमादग्नि के पंचम सुत, है रेणुका मातु तुम्हारी।
राम समान समाज हितकारी, मातु तुम्हें रामभद्र पुकारी।
परशुराम जग में कहलाए, हे प्रभु तुम फरसाधारी।
हे पित्रभक्त आज्ञाकारी, तुमको है करबद्ध नमन।
हे परशुराम अवतारी, तुमको बारंबार नमन।।
बारंबार नमन, प्रभु, तुमको......


हे प्रभु भृगुकुलकेतु, त्रेता-द्वापर युग के सेतु।
धराविजेता होकर भी, प्रभु बने रहे तुम साधु।
क्षत्रियों पर उपकार तुम्हारे, लखन क्षम्य किए अपराधु।
भीष्म सरीखे विद्यादेकर, प्रभु कहलाए क्षत्रिय गुरु।
हे कश्यप गोत्र कुलगुरू, तुमको है करबद्ध नमन।
हे परशुराम अवतारी, तुमको बारंबार नमन।।
बारंबार नमन, प्रभु, तुमको......


सहस्रबाहु बध करके, प्रभु किया दंभ का संहार।
कश्यप को महीदान करके, किया क्षत्रियों पर उपकार।
तुमरी महिमा अपरंपार, अब लो प्रभु, कल्कि अवतार।
पुत्रकामनाधारी हैं करते, अक्षय तृतीया  पर उपवास।
प्रभु करो मनोकामना पूर्ण, तुमको है करबद्ध नमन।
हे परशुराम अवतारी, तुमको बारंबार नमन।।
बारंबार नमन, प्रभु, तुमको......


नाम - उमा कांत "प्राज्ञहंस"
पता - कासगंज (उत्तर प्रदेश)
मो0 - 9027932065


 


अक्षय काव्य समारोह 2020 में  अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के पावन अवसर पर अध्यक्ष आदरणीया डाॅ इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर,प्रेरक आदरणीय नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के रसास्वादनार्थ सादर प्रस्तुत है:--


शीर्षक:-
जय हो ,जय हो ,जय परशुराम ।
××××××××××××××××××××


युग ॠषि के पावन चरणों में,
शत-शत वन्दन नित अविराम। 
कुटिल काल के विकट भाल पर,
शक्ति- पुंज तुम दिव्य ललाम। ।


छिन्न-भिन्न थी धर्म-व्यवस्था,
रही  सिसकती  मानवता ,
छल कपट भरा अन्याय सहज,
सर्वत्र मुखर थी दानवता। 
अवतार लिया नारायण ने ,
जय हो, जय हो ,जय परशुराम। 1।


तप,त्याग,तपस्या तेजवान,
नित गढ़ते चलते कीर्तिमान,
अपराजेय पौरुष के स्वामी,
आनन ओज अधर मुसकान। 
सह सका नहीं अपमान,किया-
क्षत्रिय कुल का काम तमाम। 2।


निज पौरुष का सम्बल दे दो,
देश-प्रेम शुचि अविरल दे दो,
मॉग रहा हूँ राष्ट्र-धर्म हित-
भाव समर्पण पल-पल दे दो। 
विश्व-विजेता भारत मेरा,
श्री-चरणों में करे प्रणाम। 3।


जय हो जय हो जय परशुराम। 


रचयिता:- हरिश्चंद्र त्रिपाठी 'हरीश '
            रायबरेली-229010(उ0प्र0)
मोबाइल -9415955693,9125908549



काव्य रंगोली ऑनलाइन प्रतियोगिता, 26 मई 2020 अक्षय काव्य सम्मान 2020
आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी एवं आदरणीय इंदु जी झुनझुनवाला
            अक्षय परशुराम
बड़ी ही पुण्यतिथि है अक्षय तृतीया ।
जिस दिन परशुराम जी ने जन्म लिया ।
जमदग्नि- रेणुका की पांचवीं संतान थे ।
विष्णु के अवतारी थे ।
शिव जी के परम भक्त थे ।
पितामह का नाम था ऋषि ऋचिका ।
 जो थे एक कुशल योद्धा ।
जन्म लिया जिस वर्ण में ब्राह्मण था ।
पर शौर्य आपका क्षत्रिय सा था ।
क्रांतिवीर सहस्त्रार्जुन ने जब जमदग्नि, कामधेनु का वध किया ।
उसी समय परशुराम ने पूरी पृथ्वी को क्षत्रिय राजाओं की तानाशाही से मुक्त करने का संकल्प लिया।
प्रतिशोध की ज्वाला प्रचंड  थी ।
पर सच पूछो तो दुर्गुणों का अंत  थी ।
जब -जब धरती पर आतंक बढ़ता है ।
तब- तब परशुराम को जन्म लेना पड़ता है ।
फरसा का अपभ्रंश है परसु
सदैव हाथ में रखने से
पदवी परशुराम की पायी ।
परशुराम जैसा जग में कोई हुआ ना होगा मतवाला ।
पिता की आज्ञा पालन खातिर मां का सिर धड़ से अलग कर डाला ।
मांगने को कहा पिता ने वरदान
मां का मांग लिया जीवन ।।
अक्षय तृतीया के दिन किए गए पाप - पुण्य अक्षय होते हैं ।
बिना मुहूर्त के ही सब काम होते हैं ।
"धर्म के मर्म को जानकर करिए कर्म ।
फिर कभी नहीं होगा तुमसे वि कर्म।।"
नाम जय श्री तिवारी
पता सिविल लाइन खंडवा मध्य प्रदेश



 काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020
 
शीर्षक - अक्षय तृतीया


अक्षय तृतीया आया पर्व


सबके मन पावन सुकर्म


परशुराम जयंती के रूप में


सारे जग में अक्षय है फल


द्रोपदी जैसी पांडव की रानी


नदी स्नान कर आंचल बहाया


दुर्वासा ने आशीर्वाद दिया


तेरी मोल चुकाऊंगा मैं


चीर हरण के समय द्रोपदी


नारायण का नाम लिया


दान का है अक्षय फल


दु:शासन चकित हो उठा


मित्र सुदामा भी इस दिन


मिलने कृष्ण के द्वार गए


दो मुट्ठी चावल का मोल


झोपड़ी से महल बनाए


दान व्रत का बड़ा है फल


जो अक्षत तृतीया को करता दान


जिसने माना जो अपनाया


जीवन धन्य सदा वो पाया!
     
विजया लक्ष्मी


 


 काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020


आदरणीय समारोह *अध्यक्ष महोदया डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली संरक्षक तथा निर्णायक मंडल को एक रचना समर्पित एवं आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूँ।* कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।


परशुराम जयंती (अक्षय तृतीया) रविवार 26 अप्रैल 2020 हेतु प्रस्तुत है।


रचना - पैगाम परशुराम की


मैं अपने बंधुजन को पैगाम सुनाने आया हूं,
परशुराम जन्मोत्सव पर गुणगान सुनाने आया हूं।
अक्षय तृतीया तिथि को,
 जमदग्नि ऋषि गुलजार हुए।
इस पावन धरती पर,
 विष्णु परशुराम अवतार हुए।
हाथ मे परशु राम नाम से,
शिवभक्त अपार हुए।
आज उनके पावन चरणों मे ,
पुष्प चढ़ाने आया हूं।
मैं अपने बंधुजन को पैगाम सुनाने आया हूं,
परशुराम जन्मोत्सव पर गुणगान सुनाने आया हूं।


धरा कलंकित न हो ,
सम्मान बचा संकल्प लिये।
दुराचारी क्षत्रियों का ,
 २१बार विध्वंस किये।
विप्र थे वो संकल्प लिये,
रौद्ररूप व्याप्त किये।
सभी विप्र और साधुजन को,
 यह भान कराने आया हूं।
मैं अपने बंधुजन को पैगाम सुनाने आया हूं,
परशुराम जन्मोत्सव पर गुणगान सुनाने आया हूं।


नाम- बिहारी अविनाश तिवारी     
पता - पूर्वी चंपारण(बिहार)
📞9905931863


 


 


 माँ शारदे को नमन
अक्षय काव्य समारोह अध्यक्षा आदरणीया इन्दु झुनझुनवाला जी, बंगलौर संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,प्रेरक श्री नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी को सादर प्रणाम करते हुए रचना प्रस्तुत करती हूँ🙏🙏🙏🙏



  शीर्षक- भगवान परशुराम
भारत देश महान मेरा
वीरो की धरा कहलाये।
महान भक्त -भगवान की,
रेनू करबद्ध नमन बखाने।
जमदग्नि के प्रिय पुत्र,
सबके मन खूब भाये।
रेणुका के लाल न्यारे,
त्रेता युग मे थे आये।
अक्षय तृतीया दिन जन्मे,
छठे विष्णु अवतार कहाये।
तेजस्वी,ओजस्वी वर्चस्वी का
गुण स्वाभाव मे पाये।
क्रूर क्षत्रियों का अंतकर,
जग वीर पुरुष कहलाये।
प्रभु शिव के परमभक्त,
शिव प्रिय आशीष पाये।
अमोघ परशु धारण कर,
जग मे परशुराम कहलाये।
हर वर्ष भारत देश मे,
परशुराम जयंती मनाई जाये।
    रेनू मिश्रा(मौलिक रचना)
प्रयागराज उत्तर प्रदेश



 काव्य रँगोली *अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020* 
*आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर* ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करती हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020
ब्राह्मण कुल गौरव भगवान परशुराम जी के,
जन्म दिवस पर सादर समर्पित


शीर्षक - *परशुराम*


छठा विष्णु अवतार परशु ,जमदग्नि रेणुका की संतान |
काट दिया सिर माँ का अपनी ,पितु आज्ञाकारी भगवान |


हुए पसन्न पिता तब बोले ,पुत्र मांग लो कुछ वरदान|
तात भ्रात ,माता को मेरी ,अभी  पुनः दो जीवनदान |


एवमस्तु कह कर ऋषि बोले,जग गाये तेरा गुणगान |


शिव की कृपा मिले अति पावन,हो अखण्ड तेरा यश गान |


कार्तवीर्य अर्जुन ने आकर ,काम धेनु की मांग करी |
कर सत्कार विनय से ऋषि ने मांग नही स्वीकार करी |


कार्तवीर्य ने इतना सुनकर ऋषि का काम तमाम किया |
गौ को बल से लगा खींचने,पर गौ ने असहाय किया |


कामधेनु को न लेपाया,कामधेनु थी स्वर्ग चली |
इस कुकृत्य से हाय अरे नृप ,तूने अपनी मृत्यु लिखी |


परशुराम की अनुपस्थित में यह घटना थी घटित हुई |
जब लौटे तो देख दुर्दशा कुपित दृष्टि थी भौंह तनी |


राजाओं का रक्त बहाकर क्षत्रिय  शून्य करी धरती |
इक्कीस बार मिटाए क्षत्रिय,विकल व्यथित सारी धरती |


ऋषि ऋचीक ने आ धरती पर, परशुराम को तब रोका |
शांत हुए तब भृगु कुमार,पृथ्वी पर बहा मलय झोंका |


धरा दान कर के ब्राह्मण को , भृगु नंदन तप हेतु चले |
परशुराम में राम बसे है राम नाम से सृष्टि चले |
मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'लखनऊ(यू पी)
मो•9336174235



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020



परशुराम जयंती अक्षय तृतीया 26अप्रैल 2020



विषय परशुराम जयंती 



आज का दिन मंगलमय आया है 
जो अक्षयतृतीया के रूप मे मनाया है 
भगवान परशुराम ने जन्म लिया आज 
भारत कि भूमी पावन बन पर्व 
मनाते सभी नर नार 


आज का मुहूर्त शुभ हो जाता 
अपने आप 
हे परशुराम मानते आपका आभार. 
सभी को मिलता धन्य धान्य
भरे रहे हम सब के भन्डार 
इस अवसर पर कि है दस्तक 
खुशियो का यह आगाज है 
परशुराम कि कृपा से 
बनते हमारे सभी काज है 


घर पर रह मनानाआज का 
त्यौहार है .
ऩही तोडे कोई नियम कानून 
परशुरामजी का पालेगा आशीष
किस्मत है भारत कि भूमी 
जहा हुये परशुराम से मुनि 


आये मेरे द्वार खुशहाली 
देजो मुझे भी यह आशीष 
प्रकृति करूगी सेवा 
तभी मिलेगा परशुराम जी का 
आशीष भर पेला 



      स्वप्निल प्रदीप जैन खंडवा मध्यप्रदेश



काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना 
आप सभी के अवलोकनार्थ


रचना - फरसा धारी परशुराम


जनमें परशुराम जी जिस दिन ,
जमदाग्नि रेणुका की संतान।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की ,
तृतीय तिथि का माहात्म्य जान।।


भ्रात मात को किया निष्कासित ,
क्रोधित पिता की आज्ञा मान ।
वर मांग पिता से परशुराम ,
लौटा लाए स्वजन ससम्मान ।


सहस्त्रार्जुन ने राज मद में ,
कामधेनु हरने  की  ठान ।
इस अधम काम को करने में ,
हर लिए जमदाग्नि के प्राण ।।


तप कठोर से शिव प्रसन्न करी ,
पाया दिव्य अस्त्रो का वरदान।
सहस्त्रार्जुन जैसे अधमों के ,
इक्कीस बार हर लिए थे प्राण।


जो नर कर पुरुषार्थ रमेश ,
मन वांछित पाता वो वरदान ।
रामभद्र ने फरसा धर कर ,
परशुराम की पाई पहचांन ।।


नाम - रमेश चन्द्र भाट
पता -टाइप-4/61-सी, अणुआशा कालोनी, पो.आ.-रावतभाटा, चितौड़गढ़, पिन-323307
मो0 9413356728



 अक्षय काव्य समारोह २०२०
प्रतिष्ठामें 
आ .डा.  इन्दुजी झुनझुनवाला , बेंगलुरू
आ .नन्दलालमणिजी त्रिपाठी पीताम्बर, गोरखपुर
आ .दादा अनिलजी गर्ग , कानपुर
      परशुराम जयंती प्रतियोगिता २०२० हेतु 
         
         हे कल्पपुरुष जय परशुराम
जब परशु प्रतीक पराक्रमका निज कर ले राम रमण करते
उद्दीप्त भाल  जमदग्निसुवन  अवतंस  धरावतरण  करते
त्रेतामें   धनुर्भंगप्रकरण   विस्मयकारी   क्यों  लगता   है 
ब्रह्मर्षिकोप तो नैसर्गिक  विचलित मन क्यों लक्ष्मण करते
जब नीलकंठका धनुर्भंग    विषपायीभक्त    कुपित  होते
अवतार विष्णुके षष्ठ   रामको पर   आशीष-वचन  करते
सत्युगमें   गिरिजानन्दनको   कर   देते  हैं  जो    एकदन्त 
तो   चक्रसुदर्शन   द्वापरमें    उनसे श्रीकृष्ण  ग्रहण  करते
कलियुगमें शिक्षा  वेद और  वेदान्तकी   पायें   कल्किदेव 
वसुधा  हो  जाय  निरामय  हम  इतना ही आवेदन  करते
अक्षया तृतीया तिथि पुण्या  वसुधाको   दे   नूतन  ऊर्जा 
भार्गव जमदग्न्य क्रांतिधर्मीका   मनुसंतति  वन्दन  करते



नन्दकुमार मिश्र आदित्य
           कविवासर बालाजी जेनरोशिया
              बाणेर , पुणे ४११०४५
                  चलभाष  ७४८८५३१९८८


  


 अक्षय काव्योत्सव २०२०....


कार्यक्रम प्रेरणास्त्रोत आदरणीय श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी जी परम आदरणीया अध्यक्षा डाॅ इंदु झुनझुनवाला जी एंव काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय श्री दादा अनिल गर्ग जी एंव नीरज भैया जी आप सभी के सादर अवलोकनार्थ  मेरी रचना प्रस्तुत है..... .. 


.........अक्षय तृतीया.......... 


तपती धरती बढता सुरज
यह शुक्ल पक्ष बैशाखी है
अवतरण हुआ प्रभु परशुराम का
अक्षय तृतीया अविनाशी है |


कलश पुजन और दिव्य आरती
संग अन्नपुर्णा पुजी जाती है
प्रसिद्ध कथा भगीरथ प्रयास की
गंगा जी धरा पर आती है |


इस तिथि जो भी शुभ कार्य हो
सफलता सुख-संपदा अपार
कृपा होवे श्री लक्ष्मी विष्णु की
मिलती खुशियो की भरमार |


मित्र सुदामा और कृष्ण की
ये मधुर मिलन की तिथि है
कृषक पुजे धरती माता को
जो आखातीज की रिति है |


सतयुग त्रेता इसी तिथि को
आरंभ हुए साकार हुए
परशुराम नर-नारायण एंव
हृयग्रीव तीन अवतार हुए |


शक्ति के अवतार प्रभु
श्री रामभद्र श्री कृपानिधान
ऋषि जमद और माता रेणुका
भृगु वंशज पाचंवी संतान |


           .....✍
 मोरध्वज अमृतलाल एड़े
 ग्राम पोष्ट    पाथरगाॅव 
 तहसील       लांजी 
जिला          बालाघाट (म.प्र.) 
पिन कोड     ४८१२२२ 
मो.न.    ६२६३२०८६८५.


 



काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीय डाॅ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


रचना........


अक्षय तृतीया/परशुराम जयंती 
——————————


विष्णु जी का छठा अवतार रूप लेकर 
भगवान परशुराम भी जन्मे इसी दिन,
पिता ऋषि जमदग्नि और माँ रेणुका के 
पाँचवे और छोटे पुत्र यह बने इसी दिन।


शिव के उपासक पाये दिव्य अस्त्र-शस्त्र
कलारिपायट्टू युद्धकला में हो गए दक्ष,
कहते हैं पुनः लेंगे अवतार कल्कि रूप में 
दसवें अवतार से होगी कलियुग समाप्ति।


सतयुग और त्रेतायुग आरंभ हुए इसी दिन 
वेद व्यास लिखने लगे महाभारत इसी दिन,
परशुराम द्वादशी और जयंती भी कहते हैं 
आज किए पुण्य के प्रभाव चलते दिनोंदिन।


धरती पर बहने गंगा माँ भी आयी इसी दिन 
खुलते कपाट बदरीनाथ धाम के इसी दिन,
श्री विग्रह चरणों के दर्शन भी होते इसी दिन 
आज करो पूजा घर में रह कर यह शुभ दिन।


दान करें हर्ष से अन्न का आज से इसी दिन 
अक्षय पात्र बन सेवा करे आज से इसी दिन,
करें प्रार्थना सर्वहितार्थ सब आज से इसी दिन 
शुभ कार्य,गृहप्रवेश,विवाह हो आज शुभ दिन।
स्वरचित 
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखंड


 



काव्य उत्सव में मंचासीन अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी, प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी एवं काव्य रंगोली के सम्पादक संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी और अक्षय काव्य उत्सव 2020में उपस्थित समस्त सुधीजनों को मेरा प्रणाम
अपनी रचना प्रस्तुत करने से पहले मैं भगवान परशुराम को शत शत नमन करती हु , भगवान जगत का कल्याण करें 
रचना  /कविता
भगवान परशुराम


पालनहार विष्णु को पृथ्वी को संतापो से मुक्त कराना था।
त्राहिमाम त्राहिमाम धरा करती 
 क्षत्रियों से उसे बचाना था ।
माता रेणुका पिता जमदग्नि के पुत्र बनकर परशुराम कहलाना था ।
अवतार विष्णु का छठवां बनकर
अद्वितीय पुत्र धर्म निभाना था ।
पिता रुष्ठ थे माता पर 
माता को न्याय दिलाना था 
पिता आज्ञा का पालन करके 
शीश काट माता को पुनः उन्हें जिलाना था
जन्मस्थली महेश्वर नर्मदा तट पर
महेंद्र गिरी पर्वत बना बसेरा था ।
मस्तक काट रिपुओं का फरसे से
लाना नया सबेरा था ।
भीष्म द्रोण और कर्ण के बनकर गुरु परशुराम को 
महाभारत में अपना पात्र निभाना था ।
संगत शस्त्र -शास्त्र की करके 
वसुंधरा पर नव परंपरा लाना था ।
शोषण कमजोरों का ना करना 
शक्तिमानों को पाठ यही पढ़ाना था। 
स्वरचित 
माधुरी मालपानी
खंडवा 
9630890628



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीय डाॅ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना........
अक्षय तृतीया/परशुराम जयंती 


 


कविता


हे! दिव्य पुँज नर तपोनिष्ठ,हे! परशुराम अर्न्तयामी।
हे! विप्र शिरोमणि विष्णु रुप,अक्षय गुण ज्ञान विपुल स्वामी।।


वैशाख मास सित पक्ष तृतीया पुनर्वसु मे अवतार लिया।
जमदग्नि-रेणुका सुत बनकर,सहस्त्रबाहु संहार किया।।


भृगुकुल मुकुट प्रचण्ड तेज,त्रेतायुग मे भू पर आये।
श्री विष्णु के षष्टमावतार,शिवशंकर भोले मन भाये।।


तप में महासूर्य जैसे,रण कौशल की महिमा अनूप।
गर्जन प्रचण्ड सब खण्ड-खण्ड,देदीप्यमान भव अन्ध कूप।।


कर्ण,द्रोण,भीष्म के शास्त्र गुरु,शर-शस्त्र निपुण परशुधारी,
उज्जवल ललाट गर्जना सिंह,काँधे तुणीर धर्नुधारी।।


क्षत्रिय रुधिर पितु तर्पण कर,प्रज्जवलित तेज कुल के धारक।
रणधीर, वीर ,हे!क्रोध रुप,गर्जित तडंग अरि संहारक।।


भुजबल मे अम्बुधि अगाध,दृग में प्रखरित हर रूद्र ज्वाल।
भृकुटि प्रचण्ड  विशाल वक्ष,जातीय गर्व B क्रूर व्याल।।


हे!कामधेनु संकट मोचक,हे!विप्रश्रेष्ठ भृगुकुल के राम।
हे!अक्षय दीप हे धर्मवीर,हे!संत-शिरोमणि शत-शत प्रणाम।


नाम--आशा त्रिपाठी
पता-जिला कार्यक्रम अधिकारी,
       विकास भवन सहारनपुर।
Pin.247001
Mob-9412968923
     
  



*अक्षय काव्य समारोह 2020*
 
परशुराम जयंती एवम अक्षय तृतीया पर *अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी* कार्यक्रम प्रेरक *आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी* काव्य रंगोली के संरक्षक *आदरणीय अनिल गर्ग जी * एवं संचालक नीरज अवस्थी जी, को संबोधित मेरी स्वरचित कविता......
                 "भगवान परशुराम"


बड़ी ही पुण्यतिथि है,अक्षय तृतीया। जिस दिन परशुराम जी ने जन्म लिया।। पितामह का नाम था ऋषि ऋचिका ।
जो थे एक कुशल योद्धा ।।१।।



हे विप्र शिरोमणि परशुराम,
 मैं तुम्हें बुलाने आयी हूं।
 देश की व्यथा कथा, 
मैं तुम्हें बतलाने आयी हूं।।२।।


कहीं पंडितों तो कहीं दलितों के साथ हो रहा अत्याचार हैं। 
श्रेता युग में जन्मे भगवान अब तुम्हारा इंतजार है।।
कलयुग की इस चौपाल में ना जाने कितना अंधकार है।
जमदग्नि रेणुका पुत्र धनुर्धारी तुम से ही सब का बेड़ापार है।।३।।


शिव पुजारी परशुराम थे।
 तेज, तप, त्याग वह जन्म से पाए थे।। जब जब बढ़ी असुरों की संख्या धरती पे तब असुरों को मिटाने धरती पर आए थे।।४।।


बुढ़ापे में भी थी जवानी जैसा जोश, दैत्य मारने हेतु फरसा वे उठाए थे।। प्रतिशोध की ज्वाला प्रचंड थी,
 पर सच पूछो तो वह दुर्गुणों की अंत थी।।५।।


पता--
     नाम- R कोमल सिंह " कोको"
ग्राम- चंदौका
पोस्ट- अन्तू (२३०५०१)
जिला- प्रतापगढ़ ( उ. प्र.)


 


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना 
आप सभी के अवलोकनार्थ


 


     
             (कविता)


 



           *महापराक्रमी               भगवान परशुराम* 



जय ब्रह्मर्षि ,जय महाप्राण ।


जय विष्णु के छठवें अवतार ।


हे भारत माँ के मुकुट शिरोमणि ।


हे वीरपराक्रमी, अजातशत्रु ।


हे जटाजूट ऋषिवीर अनोखे ।


कोटि नमन शत-शत नमन ।


मुक्त कराया कामधेनु को ।


धरती को सम्मान दिया ।


ऋषी कस्यप को सप्तद्वीप और , भूमंडल का दान दिया ।


तब आर्य -भूमि के कण-कण ने ।
आभार आपका व्यक्त किया।


नारी स्वतंत्रता पक्षधर थे ,
बहुपत्नीवाद पर वार किया ।


हर मानव को निर्भयता से जीने को तैयार किया । 


जागरण के उल्लास ,
नव-जाग्रति में अग्रसर ।
कोटि नमन शत-शत नमन ।


सारी दुनिया का दुःख हरने ।


ध्येय संजोए तुम जीवन में ।


पूजित हुए तभी जन-जन में ।


दशों दिशा में मनुज -प्रेम के ,
शौर्य-कीर्ति है छाई ।


कोटि नमन शत-शत नमन ।


भीष्म,द्रोण व कर्ण ने तुमसे ,
शस्त्र- विद्या सीखी ।


तुम हर एक प्रश्न का हल थे ।
बड़े वीर थे ,बड़े सरल थे ।


तेज-पुंज ,अविकल अविचल थे ।


रिपुओं के संहारक थे ।
भारत माँ के राजदुलारे ।


विश्व-वाटिका के गुलाब थे ।


सुरभि अलौकिक पाई ।
कोटि नमन शत-शत नमन 
नाम-- सीता देवी राठी
पता--आर, एन रोड 
कूचबिहार(पश्चिम बंगाल)
9332029419


 


 *काव्य रंगेली अक्षय काव्य सम्मान* *समारोह 2020*
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
अध्यक्षा-आ.डाॅ. इंदु झुनझुनवाला जी
बँगलोर
कार्यक्रम प्रेरणास्तोत-आ.नमदलाल मणी त्रिपाठी पितांबर गोरखपुर
संरक्षक-आ.दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,आप सभी के अवलोकनार्थ
मेरी रचना प्रस्तुत करता हूं.
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
*अक्षय तृतीया/परशुराम जयंती*
************००००***********
जिस मुहूर्त का क्षय ना हो-वो अक्षय कहलाता है!
जे काज हो अक्षय तृतीया मे-वो अक्षय हो जाता है!!


इसी दिन दु:शासन ने-द्रौपदी का चिर हरण किया!
श्रीकृष्ण ने आकर द्रौपदी को-अक्षय चिर प्रदान किया!!


भगीरथ प्रयास से देवी गंगा-इसी दिन आई धरती पर!
*परशुराम* अवतरित हूए-इसी दिन थे धरती पर!!


शाहजाॅहापुर के जलीलाबाद मे-जन्मे
थे यह पराक्रमी!
गांव जमेथा गोमती तट मे-जौनपुर थी 
कर्मभूमी!!


महर्षि जमदग्नी पिता है-और माता रेणुका है!
सभी बंधु मे स्थान ईनका-पराक्रमी यह 
चौथा है!!


विष्णु का अवतार छटा-अनन्य भक्त मात पिता का!
इक्किस बार नाश किया-पृथ्विसे अहंकारी दृष्टो का!!


एक बार महर्षि आज्ञा से-बहूत बड़ा अनर्थ किया!
काट दिया मां रेणुका सर-पितृ आज्ञा पालन किया!!


देख पराक्रम परशुराम का-ऋषी प्रसन्न
कहे मांगो वर!
सभी भाई,परशुराम कहे-जिवित कर दो माता ऋषीवर!!


नाम ईनका राम ही था-शिव प्रसन्न कर परशु पाएँ!
तब से जगत मे पराक्रमी-परशुराम ही
कहलाएँ!!


इस दिन गांवो शहरो मे-रैली निकाल सजाते है!
परशुराम जयंती ब्रम्ह समाज-पुरे उत्साह से मनाते है!!
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
*कवि-धनंजय सिते(राही)*
*मु+पोस्ट-लोधिखेड़ा,तह-सौंसर*
*जिला-छिंदवाड़ा(म.प्र )*
*पिन-480108*
*mob-9893415829*
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💐काव्यरंगोलीअक्षय काव्य 💐                    सम्मान  2020  समारोह 


अक्षय तृतीया  एवम् भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी ,
अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलुरू 
काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्मान पूर्वक सम्बोधित मेरी रचना सादर प्रेषित है -
🙏🏻आप सभीकेअवलोकनार्थ🙏🏻
    🌷भगवान परशुराम जी🌷
     के चरण कमलों में समर्पित
                  मुक्तक


 जमदग्नि माँ रेणुका के प्यारे
 अक्षय तृतीया को रूप धारे।
 थे भगवान परशुराम पधारे
 श्रीविष्णु के हुए छठे अवतारे।।


 महेन्द्र पर्वत पर घोर तप किये
 शिव से पाये दिव्य अस्त्र सारे ।
 फारसा काँधे पर है सुशोभित
 विजया धनुष कमान सँभारे ।।


 पितृ आज्ञा से मात वध कीन्हा
 फिर मात जीवन का वर लीन्हा।
अद्भुत वीरता का दिया परिचय
क्षत्रिय विहीन प्रथ्वी कर दीन्हा ।।


 शिव धनुष को जब तोडे़ राम
  क्रोध में भर आये परशुराम।
 सभा में जाकर बात सब जानी
 शांत हुए गये फिर स्वधाम।।


 अजर अमर हैं पूज्य हमारे
 चरण नमन हम करते सारे ।
 त्रिलोक को यूँ उज्जवल करते
आकाश को जैसे चाँद सितारे।।


  नाम-     डाॅ. सीमा श्रीवास्तव
              (प्राचार्य)
  पता- डाॅ.राजेन्द्र नगर 
           शिव चौक ,रायपुर
                 छत्तीसगढ़
मो.न.  9644103870


💐🌷🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌷💐



अक्षय काव्य उत्सव की अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी, प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी एवं काव्य रंगोली के सम्पादक संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी और अक्षय काव्य उत्सव 2020में उपस्थित समस्त सुधीजनों को मेरा प्रणाम और भगवान परशुराम जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ 
भगवान परशुराम को प्रणाम करते हुए मैं चंद पंक्तियां सुनाना चाहती हु 


मांगती है वसुंधरा 
    एक और परशुराम को 


पापों से मुक्ति मिले
      जननी धरा धाम को


इक्कीस बार रिपु मुक्त कर
आदि से अनन्त तक 
प्रसिद्ध किया अपने नाम को


अत्याचारी का नाश करने
वाले  
युग युगांतर तक प्रणाम
गुरु परशुराम को 


 *आयुषी मालपानी*
पता श्री कृष्ण सरोवर 
सेन्ट्रल स्कूल के पास, खंडवा 
मोबाइल  न. 9752524426 रचना -कविता


 काव्य रँगोली *अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020* 
*आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर* ,
आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं



वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया, जब काम सभी बन जाते हैं।
भृगु के कुल में स्वयं विष्णु जी, रेणुका पुत्र बन आते हैं।
नाम दिया था भृगु ने राम, शिव के थे वो शिष्य महान।
महादेव ने स्वयं दिया था, जमदग्नि पुत्र को शस्त्र का ज्ञान।
पितु हत्या से क्रोधित होकर, रजवाड़ों को मारा था।
दुष्ट, दुराचारी सब राजाओं को, परशुराम ने संहारा था।
वसुधा को इक्कीस बार, क्षत्रिय-विहीन कर डाला था।
वो परशुराम था महावीर, ना किसी से डरने वाला था।
धरती का सारा राजपाट वो, देकर दान चले जाते थे।
अन्याय-अनीति के दमन हेतु ही, अपना शस्त्र उठाते थे।
भीष्म, द्रोण और स्वयं कर्ण ने, उनसे शिक्षा पाई थी।
इन सबके अस्त्रों-शस्त्रों में, उनकी ही शक्ति समाई थी।
शारंग धनुष वो अपना खुद, सौंप राम को जाते हैं।
उसी धनुष से राम प्रभु, रावण को मार गिराते हैं।
परशुराम भगवान विष्णु के, ओजमयी अवतारी थे।
दीन-दुखी और पीड़ित के वो, रक्षक पालनहारी थे।



अभिजित त्रिपाठी "अभि"
पूरेप्रेम, अमेठी,
उत्तर प्रदेश
7755005597



*🍁काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020🍁* 


*आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।*


*सादर धन्यवाद !*


*🍁परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020🍁*


 *🍁शीर्षक - जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा  परशुराम ।🍁*


*अक्षय तृतीया आगमन पर ,पूर्ण करें सभी शुभ काम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 1।।*


*विष्णु अवतार का जन्मदिवस है ,खोलो कपाट बद्रीधाम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 2 ।।*


*त्रेतायुग की आरम्भ दिवा है,द्योतक जिसके पुरषोत्तम राम।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 3 ।।*


*विजया-परशु धारणकर्ता,अधर्म विनाशी करे सद काम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 4।।*


*उत्तर-दक्षिण पूरब-पश्चिम,सर्व दिशा आच्छादित धाम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 5 ।।*


*गौ-वध के प्रत्युतरदाता,धर्म स्थापना जिनका काम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 6।।*


*पैतृक आज्ञा अनुगामी,पुत्र धर्म का चुकाया दाम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 7 ।।*


*जमदग्नि-रेणुका पुत्र,अतुलित बल-शौर्य के है धाम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 8 ।।*


*महादानी कर्ण की धनुर्विद्या के,वही है प्रबल इष्ट गुरुग्राम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 9 ।।*


*अक्षय तृतीया-परशुराम जन्म पर,सकल साधो धर्म-पुण्य के काम ।*
*जय हो ! जय हो ! अक्षय योद्धा परशुराम ।। 10 ।।*


*उक्त स्वरचित रचना आप सभी को सादर प्रस्तुत व प्रेषित है।*


*नाम - व्हिसलब्लोअर एडवोकेट योगेंद्र सिंह शेखावत ।*
*पता - पीजी 32 राणा प्रताप सागर कॉलोनी रावतभाटा 323307 जिला- चित्तौड़गढ़ राज्य - राजस्थान (भारत) ।*
*मोबाइल - 9602330589*
*ईमेल - yogendars55@gmail.com*


 



अक्षय काव्योत्सव2020
*******************
अध्यक्ष-आदरणीय-इंदु झुनझुनावाला जी 
प्रेरक-आ.नन्दलाल मणि
त्रिपाठी जी संरक्षक-
आ.अनिल गर्गजी जी
संचालक-आ.नीरज जी
अवस्थी जी..को सादर
प्रेषित मेरी रचना.....
*******************
जय जय परशुराम...
*******************

जय-जय श्री परशुराम
भक्त जन करते प्रणाम

संहार करते शत्रुओं का 
निशदिन जपें तेरो नाम

विष्णु के छठे अवतारी
तेरी शरण में  सुखधाम

जगदग्नि रेणुका के पुत्र
पूरण कर दो सारे काम

नरनारी व देवता ध्याते
भक्त बन के आठों याम

महादेव से परशु है पाया
ब्रह्मज्ञानी में बसे श्री राम

चारों तरफ है हाहाकार
धरा पर आओ परशुराम

तेरी महिमा है अपरम्पार
मिटते संकट लेने से नाम 

*******************
💧निर्मल जैन 'नीर'💧



 अक्षय तृतिया काव्य महोत्सव (भगवान परशुराम जयन्ती समारोह)
प्रतियोगिता-2020
अध्यक्ष आ0 इन्दु जी,प्रेरणास्रोत आ0 नन्दलाल मणि त्रिपाठी जी एवं काव्य रंगोली संरक्षक आ0 दादा अनिल गर्ग जी के अवलोकनार्थ प्रस्तुत मेरी स्वरचित कविता-


*शीर्षक* "करो कृपा हे कृपानिधान"
~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय हो हे भगवान परशुराम
जय हो हे कृपानिधान,
सदा सत्य है रक्षा करने
जग में लेते तुम अवतार।


जब-जब धरा पर हुए अधर्म
आहत हुआ जब-जब सत्कर्म,
तुमने अपनी शक्ति दिखाई
दिया विश्व को अभयदान।


तेरी शरण में जो आ जाता
कष्ट मिटे सुख पा जाये,
भक्तों की रक्षा हो करते
न्याय का हर पल रखते मान।


दंभी को दण्डित करते हो
पाखंडी सदा है तेरा बैरी,
मानवता के तुम हो रक्षक
करो कृपा हे कृपानिधान।


प्रेम की अमृत वर्षा कर दो
ज्ञान की ज्योति जला दो अब,
कर्मफल की महिमा न्यारी
सदा तेरी हो जय जयकार।
-अवधेश कुमार वर्मा 'कुमार'©
Kurahwa khurd,
Maharajganj,UP273164.
~~~~~~~~~~~



*काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना प्रस्तुत है  ----*


*भगवान परशुराम की जंयती पर*


शीर्षक:-- *भगवान परशुराम*


आज निर्दयी भेड़ियों से ये धरा कांपी हैं,
दुष्ट लोग हो गए, बहुत हो गए पापी हैं।
आज सज्जन लोग जीवन के मोहताज हैं,
हे भगवान बहुत संकट में ये धरा आज हैं।


अब कोई द्रोपदी की ना बच रहीं लाज हैं,
अन्यायी ,अधर्मी लोग ही बने सरताज हैं।
हे परशुराम तुम अब ले आओ तलवार,
जल्दी ही धरा पर , ले लो अब अवतार।


देव धरा पर अब असुरों की हुई बहुत भरमार है,
संकट में आई धरा तब ही तुमने लिया अवतार हैं।
अपने धनुष की गर्जना से तुमने किया हाहाकार,
दुष्टो से बचाया हम सबको किया था बेड़ा - पार।


अब देर ना करो तुम जल्दी आ जाओ भगवान,
अपना तेज दिखा के दे जाओ सबको ज्ञान।
तलवार को तुम निकालो दूर ही रहने दो म्यान,
दुश्मनो का सर्वनाश करो चलाओ तीर-कमान।


जब टूटा था शिव धनुष तपस्या हो गई थी भंग,
आये तब राजदरबार में सब रह गए थे दंग।
*अजनबी* करता है आपसे विनती बारम्बार,
हे विष्णु लो अवतार सब करें आपकी जय जयकार।


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*
जिला:-- अलवर, ( राजस्थान)



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना 
आप सभी के अवलोकनार्थ


रचना परशुराम
शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि 
अक्षय तृतीया जिसका नाम
जामदग्नेय घर जो जन्म लिये
परशुराम है जिनका नाम ।।
माँ रेणुका की आँख का तारा 
जामद्ग्नेय का राज दुलारा
ऐसे मातृ पितृ भक्त को
हमारा कोटि कोटि है प्रणाम ।।
पित्राज्ञा से मातृ शीश उतारा 
जिवित किन्हा उम्हे दोबारा 
शिव से शिक्षा दीक्षा पाकर
दाहिने धनुषधारी और परशु वाम ।।
धीर वीर गंभीर जगत में 
तप करते जो अविराम है
गौ संतों की जो रक्षा करते
दुष्टों संग करते है जो संग्राम ।।
शस्त्र और शास्त्र के तुम ज्ञाता 
शरणागत के हो भाग्य विधाता
शुभाशिष जो सबको देते
सबके पूरे करते है जो काम ।।
विष्णु के हो तुम अवतारी 
अपरंपार है महिमा तुम्हारी 
कार्तवीर्य जब पितृ वध किन्हा 
पहुचाया है उसे आप सुरधाम ।।
नाम - अभय चौरे
पता -हरदा जिला हरदा म.प्र. पिन-461331
मो0 992627330



 *काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह  2020*
*****************
अक्षय तृतीया एवम्  भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में
आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉo 
इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर, आप सभी के अवलोकनार्थ   संबोधित मेरी रचना ....
परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार 26अप्रैल 2020


*भगवान परशुराम जी*
के चरणों में समर्पित
*******************
*******************
आज का दिवस अति मंगलकारी,
दिवस अक्षय तृतीया है शुभकारी,
भगवान परशुराम ने जन्म लिया,
धर्म रक्षा और गौ माता की रक्षा की।


ब्राह्मण कुल में जन्म लिया,
शिव भक्तों में सबसे ऊपर नाम रहा,
शिव ने अपना परशु धनुष दे आशीष दिया,
शस्त्र-शास्त्र विद्या में  महान थे।


पिता जमदग्नि के कहने से,
माता रेणुका का सिर काट दिया,
पिता भक्ति का रूप दिखाकर,
माता रेणुका को पुनः जीवित कर दिया।


धरा क्षत्रियों से रहित किए,
किए इक्कीस बार विनाश,
स्वयं तपस्वी बन कर के,
महेंद्र गिरी पर किया निवास।


परशुराम जी की भक्ति से,
हरिवंश पुराण भरा हुआ
जो नर इसका का वाचन करे,
वह भक्ति भाव जन कल्याण करें
********************
*कालिका प्रसाद सेमवाल*
*मानस सदन अपर बाजार*
*रूद्रप्रयाग उत्तराखंड*


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरा रचना आप सभी के अवलोकनार्थ हेतु..
मेरी कविता :


भगवान परशुराम
**************
ऋषि पुत्र एक ब्राह्मण थे वो, पराक्रमी और वीर।
गुण थे क्षत्रिय वाले उनमें, शिवभक्त थे वो धीर।


भक्ति से शिव प्रसन्न हो गए, दिया परशु वरदान।
धारण कर उस अस्त्र को सदा, कहलाए परशुराम।


त्रेता युग में जन्म लिया था, विष्णु के थे अवतार।
सहसबाहु का करने आए, धरा पर वो संहार।


कितने आतताइयों का तब, कर दिया था संहार।
और क्षत्रियविहीन हो गई, धरा ये इक्कीस बार।


क्षत्रिय शोणित कुंड बनाया, किया पितर का तर्पण।
और दक्षिणा में ऋत्विज को, किया धरा ही अर्पण।



शस्त्रों में थे निपुण बड़े वो, शास्त्र का रखते ज्ञान।
भीष्म पितामह, द्रोण, कर्ण सब, शिष्य बड़े थे महान।


मन में नारी जाति के लिए, था गहरा सम्मान।
उनके हित के लिए चलाया, करते वृहत अभियान।


क्रोधी भी थे, साथ साथ ही, थे विद्वान व कुलीन।
गिरि महेन्द्र पर जाकर ही वो, हो गए तप में लीन।
                          ©️®️
                     रूणा रश्मि "दीप्त"
                      राँची , झारखंड


दिनांक -- 26/04/2020



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीय डाॅ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


रचना........


अक्षय तृतीया/परशुराम जयंती 
————————
विष्णु के छठे अवतार हुए ,
वीरता का अद्भुत कौशल्य दिखाया था!
दुष्ट पापियों का संहार करके, दुनिया को बतलाया था!


पाप बड़ा फिर से इस धरती पर,
हे प्रभु कुछ उपचार करो!
अंत करने पापी राक्षसों का,
हे परशुराम अवतार धरो!


त्याग समर्पण तुम से सीखा,
आज्ञाकारी का अर्थ सबको बतलाया था!
निर्दोषों को बचाकर पापियों का वध करके,
फरसा अपना सबको दिखलाया था!


महामारी फैली हुई दुनिया में वायरस की,
इससे हम सबकी रक्षा प्रभु परशुराम करो!
फैल गया है दुनिया में पाप बहुत अब देखा नहीं जाता!
हे प्रभु परशुराम एक बार फिर से अवतार धरो!


स्वरचित मौलिक रचना
लेखक अमित राजपूत निवासी उत्तर प्रदेश गाजियाबाद
दिनांक  26/ 4/ 2020



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम् भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में  आदरनिय प्रेरक नंदलाल मनि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरनिया डॉक्टर इंदु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
 
रचना
भगवान परशुराम
------------------------
परशुराम बना दो शब्द मिलाकर
"कुल्हाड़ी"और फिर "राम"
विष्णु अवतार ये भी
श्री राम चन्द्र जैसे ही
इसीलिए ही परशुराम।
शक्ति इनकी विष्णु के सम है
राम की भांति सहनशील
नाम उनके अनेकों हैं
भार्गव, भृगुपती, भृगुवंशी भी
जमादगीनी और रेणुका
पंचम संतान थे वे
पिता जमादगानी भी कम नहीं
वे सप्तऋषि में से एक हुए।
कहा जाता है कि परशुराम
विष्णु के छठे अवतार हुए
शुरवीरता के तो वो
इक साक्षात उदहारण थे।
त्रेता युग में रामायण
और द्वापर युग में महाभारत
इन दोनों ही युगों में वो
साक्षात ही तो विराजमान भी थे।
परशुराम के जन्म को लेकर
हर प्रदेश की अपनी इक कथा है
कोई मध्यप्रदेश में जन्म माने
तो किसी ने शिव का वरदान
माना है।
भारद्वाज और कश्यप गोत्र के
कुल गुरु भी परशुराम ही थे
ब्राह्मण कुल में जन्मे थे
पर सुयोग्य योद्धा भी थे।
वरदान मिला था शिव जी से
वो असुर, दानव संहारेंगे
शिवजी के उपासक थे वो
"कलारीपायात्तू"की शिक्षा
शिवजी ने दिए।
वैदिक काल के अंत में वे
योद्धा से सन्यासी बन गए
दुर्गम स्थानों में जाकर उन्होंने
तपस्या भी आरंभ किए
कलियुग में परशुराम राम को
ऋषि के रूप में पूजा जाता
आठवें मानव तारा के रूप में
उन्हें सप्तऋषि में गिना जाता।


नाम शकुंतला (पावनी )
पता  चंडीगढ़ (U.T)
मोबाइल नंबर 7087839219



 काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी  पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


रचना÷


हे सनातनी के प्राण पुरुष ,हे नारायण के अवतारी ,
तुम धर्म संत के रक्षक हो, हे परशुराम फरसा धारी ।
हे धर्म ध्वजाधारी भगवन,हे मानवता के प्राण पुरुष ,
अक्षय वर देने वाले हो अक्षय तृतीया के अवतारी ।


तुम हो गुरुओं के गुरु श्रेष्ठ तुम हो अभिमान के संघारक,
तुम शस्त्र शास्त्र के दानी हो मानव जीवन के उद्धारक ।
हम करवद्ध प्रार्थना करते हैं निज शिष्य हमे स्वीकार करो ,
देकर के अपना वरद ज्ञान इस धरती का कल्याण करो ।


नाम- कृष्ण कुमार पाठक कन्हैया 
पता- कालपी, जालौन उ. प्र.
मो0- 9696662249



काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान २०२० समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान श्री परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नंदलालमणि त्रिपाठी पीतांबर जी एवं अध्यक्ष आदरणीया डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ सादर प्रस्तुत । 


गीत  -' भगवान परशुराम ' 


राम सहित ये परशुराम जी नाम बड़ा है राम का , 
सहस्रार्जुन का वध करने तक काम नहीं विश्राम का । 


भोलेनाथ को गुरु बनाया विद्युदभि परशु को पाया, 
दुष्टों का विध्वंशक बनकर
भगवान धरा पर आया ।
ऋषि-मुनियों की रक्षा करने अवतार हुआ है राम का।।१।। 
  सहस्रार्जुन का वध करने तक काम नहीं विश्राम का ।। 


श्री कृष्ण के विजय कवच संग सारंग धनुष के धर्ता, 
रक्षक, दानी, वीर, तपस्वी युग द्रष्टा पालन कर्ता । 
भृगुकुल के गौरव भृगुवंशी नाम किया धरा धाम का ।।२।। 
 सहस्रार्जुन का वध करने तक काम नहीं विश्राम का ।। 


ब्राह्मण होकर कर्म क्षत्रिय के ब्राह्मण की रक्षा हेतु , 
क्षत्रिय-हीन मही प्रण करके 
लहराये धर्म ध्वजा केतु ।। 
पिता-वध प्रतिशोध की ज्वाला उद्घोष किया संग्राम का ।।३।। 
  सहस्रार्जुन का वध करने तक काम नहीं विश्राम का ।।


सुनील नागर " सरगम"  
खुजनेर, जिला - राजगढ़ ( ब्यावरा) म. प्र.



*काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह  2020*
*****************
अक्षय तृतीया एवम्  भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में
आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉo 
इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी सहित पटल के समक्ष एक रचना


 *दो मुक्तक* 


मात पिता का नित हम सबको कर्ज़ चुकाना पड़ता है।
सहस्रबाहु का मर्दन करने दर्प मिटाना पड़ता है।
अहंकार की क्षत्रियता जब सीमा से पार चले,
तब तब परशुराम को अपना परशु उठाना पड़ता है।


सूनी माँगों का संताप मिटा दो।
माँ की ममता का कुछ मोल चुका दो।
देश में पनपती आसुरी शक्तियां को,
अपना परशुराम सा रूप दिखा दो।


डॉ राजीव पाण्डेय
वेबसिटी ,गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल-09990650570



दिनाँक - 26/04/2020
दिन - रविवार
विषय - अक्षय
विधा - लावणी छंद गीत (16 - 14)
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*काव्य रंगेली अक्षय काव्य सम्मान* *समारोह 2020*
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अध्यक्षा-आ.डाॅ. इंदु झुनझुनवाला जी
बँगलोर
कार्यक्रम प्रेरणास्तोत-आ.नमदलाल मणी त्रिपाठी पितांबर गोरखपुर
संरक्षक-आ.दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,आप सभी के अवलोकनार्थ
मेरी रचना प्रस्तुत करती हूं.
********************************
जिसका होता कभी नहीं क्षय , वह अक्षय कहलाता है ।
अक्षय तीज दिवस यह अनुपम , अक्षय याद दिलाता है ।।


मात रेणुका पिता जमदग्नि , पावन गृह में जन्म लिए ।
छठे रूप अवतार विष्णु का , पुत्र रूप में प्राप्त किए ।
धन्य भूमि यह भारत जिसमें , अक्षय दिन यह आता है ।।
जिसका होता कभी नहीं क्षय , वह अक्षय कहलाता है ।।


जन्म दिवस यह परशुराम का , श्री हरि ने अवतार लिए।
धरा पाप से मुक्त किए प्रभु , विप्रों का उद्धार किए ।
इस दिन में शुभ कार्य पूर्ण हों , वह अक्षय रह जाता है ।
जिसका होता कभी नहीं क्षय , वह अक्षय कहलाता है ।।


हे विप्र शिरोमणि श्री गुरुवर , जन्म पुनः अब धर लीजै ।
अनाचार से कंपित धरती , मुक्त पाप से कर दीजै ।
अक्षय चीर बढ़े नारी का , कृष्ण रूप मन भाता है ।
जिसका होता कभी नहीं क्षय , वह अक्षय कहलाता है ।।


धरा नीर नभ पवन अनल नद , गिरि घाटी निर्झर कानन ।
दया धर्म ममता करुणा सच  , अक्षय हैं ये अति पावन ।
अक्षय भू भंडार हमारा , सबकी क्षुधा मिटाता है ।
जिसका होता कभी नहीं क्षय , वह अक्षय कहलाता है ।।
*********************************
✍️इन्द्राणी साहू"साँची"✍️
    भाटापारा (छत्तीसगढ़)     
★★★★★★★★★★★★★★


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान २०२० समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान श्री परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नंदलालमणि त्रिपाठी पीतांबर जी एवं अध्यक्ष आदरणीया डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ सादर प्रस्तुत । 
विषय-परशुराम जयंती 
विधा-गीत 
*************************
पुण्य पुहुप यदि खिले वृंत पर,धन्य-धन्य है माली ।
थे जमदग्नि सुत परशुधर ,तेजोमय बलशाली। 


कुक्षि रेणुका वंदनीय वह,जिससे प्रकटा दिनकर ।
काँप उठी थी जिनके भय से,कुटिल कालिमा थर-थर। 
जिनके सम्मुख सत्य धर्म का ,संभव था न निरादर। 
जो निज बल से न्याय नीति का,करते थे रखवाली ।


थे जमदग्नि सुत---


नाश सहस्त्रबाहु का करना,द्योतक था नय बल का ।
मूर्त काल थे अन्यायी हित,और शत्रु अघ छल का ।
रक्षित था उनके तप बल से,नित अधिकार निबल का । पाप ध्वजा को काट जिन्होंने ,खंड-खंड कर डाली ।


थे जमदग्नि सुत---


वेद बसा था जिनके मुख में,अरु कृपाण था कर में। 
इकलौते वे ब्राह्मण जिनके,प्रखर दीप्ति थी शर में। 
मारे जिनने नृपति निरंकुश,सत्रह बार समर में। 
अहंकार में डूबी सत्ता,जब भी थी मतवाली। 


पुण्य पुहुप यदि खिले वृंत पर,धन्य-धन्य है माली ।
थे जमदग्नि सुत परशुधर,तेजोमय बलशाली। 


अनुराधा पाण्डेय 
द्वारका नई दिल्ली 
A-270, A ब्लॉक, सेक्टर-8


 


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में प्रेरक आदरणीय नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी! अध्यक्ष आदरणीया डॉ. इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलोर! तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी! को संबोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ सादर प्रस्तुत है।


*"परशुराम-भगवान"* (दोहे)


¶शुक्ल पक्ष वैशाख की, तिथि है तीज महान।
भार-हरण भू-अवतरे, परशुराम-भगवान।।१।।


¶पले रेणुका-गर्भ में, पिता जमदग्नि नाम।
साहस की प्रतिमूर्ति हैं, परशुराम सुखधाम।।२।।


¶अवतारी निष्काम हैं, ब्रह्म सनातन कर्म।
परशुराम शुभ नाम है, वाहक संस्कृति-धर्म।।३।।


¶परशुराम जी विष्णु के, हैं छठवें अवतार।
साथ परशु को ले फिरें, करते हैं हुंकार।।४।।


¶काट दिया माँ-शीश को, पाकर पितु-आदेश।
परशुराम शाश्वत लगें, मूर्त रूप आवेश।।५।।


¶परशुराम पितु भक्ति की, अद्भुत बने मिसाल।
पितु वर पा जीवित किया, माँ-भ्राता तत्काल।।६।।


¶सीय-स्वयंवर में दिखे, दो अवतार अनूप।
परशुराम सह राम भी, एक समय दो रूप।।७।।


¶भृगुपति भृकुटि विलोक से, प्रखर परशु की धार।
रिक्त धरा क्षत्री-करे, एकविंश है बार।।८।।


¶दे निज धनु श्री राम को, चक्र कृष्ण को दान।
फहराया ध्वज-धर्म को, भीष्म-कर्ण-दे ज्ञान।।९।।


¶सातों ऋषियों संग में, परशुराम का नाम।
अष्टम तारक रूप में, पूजित धरती-धाम।।१०।।


भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
^^^^^^^^^^^^^^^^^


( *काव्य रंगोली अक्षय काव्य* *सम्मान समारोह 2020)*


आदरणीय समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,
कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर
एंव काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,
आप सभी को मेरा नमस्कार और आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी कविता प्रस्तुत है-


                  *अक्षय* 
( आयुष्मान भगवान परशुराम)


जमदग्नि ऋषि को मिला इन्द्र से वरदान
भार्या तुम्हारी देंगी भगवान को जन्मदान,
वैशाख शुक्ल की तृतीया को
पृथ्वी पर अवतरित होंगे भगवान।


मिलेगा तुम्हारे पुत्र को अविराम जीवनकाल
पराजय ना कर सकेगा कोई चाहे हो कोई कितना शक्तिमान,


मानपुर के जानापाव पर्वत पर होगा इनका जन्म
पितामह भृगु करेंगे इनका नाम संस्करण।


विष्णु के थे छ्ठे अवतार
त्रेता युग में जन्में भगवान,


लोभी कार्तवीर्य अर्जुन का किया संहार
लाये वापस कामधेनु गाय ससम्मान।


करके पिता का अनुपद
भाईयों सहित किया मां का वध,


होकर प्रसन्न पितृ भक्ति से
जमदग्नि ने कहा मांगो कोई वर।


मांगा तब भाइयों सहित मां का जीवनदान
किया था मैंने इनका संहार 
भूल जाए ये  वो बात।


ये थी पशुराम की अमरकहनी
अब है अक्षय तृतीया की बारी-


अक्षय तृतीया का दिन है बड़ा फलदायी
करना दान और स्नान बड़ा
आज के लिऐ  सुखदायी,
 
 अक्षय तृतीया साल मे आए          एकबार
इस दिन जपें  नाम पशुराम।


करें दान तो पाए मान सम्मान
 और गंगा स्नान से मोक्षधाम,


जायें कहां लॉकडाउन में
करने ये शुभ काम
जब माता पिता के चरणों में 
 ही है चारों धाम।


पूजा आरती कर करें इन्हें प्रणाम
पा लें इनका अक्षय वरदान।।


पूजा प्रसाद
तिनसुकिया (असम)


 


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2
अक्षय काव्य समारोह अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु,
संरक्षक- आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर|
प्रेरक -श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी जी गोरखपुर को संबोधित करते हुए भगवान परशुराम जी पर मेरी कविता सादर प्रस्तुत है।


       दादा परशुराम जी
_________________________


जमदग्नि के पुत्र हुए थे
नाम था परशुराम जी,
छठवें विष्णु अवतार हुए थे
रामभद्र  भगवान जी।

मां रेणुका के गर्भ से जन्मे
दादा परशुराम जी,
सब भाईयों में सबसे छोटे
थे छठवें विष्णु भगवान जी|


पित्रभक्त से जिनकी ख्याति
तीनलोक में छायी थी,
शौर्य कलाएं देख के जिनकी
धरती भी हर्षायी थी|


ब्राह्मण कुल के व्योंम फलक में
नया सूर्य उग आया था
धर्म बचाने रामभद्र ने
जब विजया घनुष उठाया था।।


फरसे को हथियार बनाकर
परशुराम कहलाये थे,
अार्तजनों की रक्षा कर
और दुष्टो को दहलाये थे।


महादेव को खुश करके तुम
दिव्य शक्तियां पाये थे,
कार्तवीर्य की सहस्त्र भुजा को
बाणों से गिरवाये थे‌।


भीष्म द्रोण जैसे गुरुओं को
नीति ज्ञान सिखलाये  थे ,
युद्ध कला में निपुण कराकर
दिव्यास्त्र दिलवाये थे।


द्वापर त्रेता से महेंद्र शिखर पर
हे जग पालन तुम रहते हैं
जब पाप बड़े कलयुग में तो
तुम आओगे सब कहते हैं||


नाम - दीपक सती प्रसाद।
पता- उत्तराखंड (चमोली)
मो०- 8755921474


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना


जय परशुराम


जय परशुराम जय परशु के राम ।


विष्णु के छठे अवतार हो तुम। अक्षय तृतीया के मानवतार हो तुम।


जय परशुराम जय परशु के राम।
शास्त्र -शस्त्र के प्रकांड विद्वान,
सतयुग- त्रेता युग में रहे विख्यात, कलयुग के अमर प्राण हो तुम।


जय परशुराम जय परशु के राम।
भृगुवंशी जमदग्नि के पुत्र ,
रेणुका की पंचम संतान हो तुम ।


ब्राह्मण कुल में जन्में,
फरसे की पहचान हो तुम।


२१बार धरती क्षत्रिय विहीन की।   क्षत्रियों की तानाशाही हीन की।


जय परशुराम जय परशु के राम।


महेंद्रगिरी है वास तेरा।
सन्यासी योद्धा अद्भुत मान तेरा।


जीवन में ओज भरते हो ।
जन का कल्याण करते हो।
जन- जन गायें नाम तेरा।।


स्वरचित रचना
प्रीति शर्मा "असीम"
नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020  समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नंदलाल मणि त्रिपाठी पितांबर जी एवं अध्यक्ष आदरणीया डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरे रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


तीन कुण्डलियाँ प्रेषित


परशुराम जयंती पर कुण्डलियाँ
--------------------------------------
                       1


गाथा जिनकी है सुनो, नाम है परशुराम।
बल शाली अति कोटि के, अवतारी श्री राम।।
अवतारी श्री राम ,करें शिव शंकर पूजा।
थर -थर काँपे दुष्ट,नहीं ब्राम्हण सम दूजा।।
करे 'निरंतर' कर्म, अचंभित सब ऋषि काया।
किया चूर जब दंभ, दूर अधर्म की माया।।


                      2


छाया गुरुकुल भार से, लिए राम अवतार।
मुक्त किया आतंक से, विजय मिली हर बार।।
विजय मिली हर बार, हुआ ब्राह्मण उजियारा।
चला सनातन धर्म, मिटा तम का अँधियारा।।
नित्य 'निरंतर' भाव, सदा मन को है भाया।
भरा अजब हुंकार,सिमट आये सब छाया।।


                       3
आशा ब्राह्मण हैं करें, अर्पित जीवन प्राण।
धर्म बचाने के लिए, संकल्पित हैं त्राण।।
संकल्पित हैं त्राण, घ्राण आतंक न भाये।
वीरों में शूरवीर, परशु के राम कहाये।।
नम्र 'निरंतर' ध्यान, सहे जब पितृ कटु भाषा।
तब मातु और भ्रात,पुनर्जीवित प्रण आशा ।।


अर्चना पाठक निरंतर
अम्बिकापुर
छत्तीसगढ़


अक्षय काव्य उत्सव की अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी, प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी एवं काव्य रंगोली के सम्पादक संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी और अक्षय काव्य उत्सव 2020में उपस्थित समस्त सुधीजनों को मेरा प्रणाम और भगवान परशुराम जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ
भगवान परशुराम को प्रणाम करते हुए रचना सादर प्रेषित है।


प्रखर प्रणम्य चेतना जमदग्न्य को प्रणाम है।
विष्णु के अवतारी पुत्र धन्य को प्रणाम है।
सब दुर्जनों के काल शिव शिष्य हैं अनूप जो
प्रज्ञप्रिय परशुराम ब्रह्म रुप को प्रणाम है।।1


मचा हुआ आतंक हे देवता पधारिये।
अरि अति सूक्ष्मतम को निज परशु से सँघारिये।
त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही भारत भूमि
फिर एक बार प्रभु जी हम सबको उबारिये।। 2


धीरेंद्र द्विवेदी
ग्राम बभनियांव
पोस्ट लार रोड
जनपद देवरिया


अक्षय काव्य समारोह 2020
भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर अध्यक्ष - आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी
कार्यक्रम प्रेरक - आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी
काव्य रंगोली के संरक्षक - आदरणीय अनिल गर्ग जी एवं
संचालक - आदरणीय श्री नीरज अवस्थी जी  को संबोधित मेरा स्वरचित कविता अवलोकनार्थ सादर प्रस्तुत......


भगवान परशुराम


जमदग्नि - रेणुका का लाल ,
परमज्ञानी - हृदय विशाल ,
परम शिवभक्त फरसाधारी ,
विष्णु के आवेश अवतारी ,
दिव्य छटा शौर्य अभिमान ,
शिव फरसा आपका पहचान ,
ब्रह्मक्षत्रिय का विहंगम रूप ,
नहीं कोई जग आप सम रूप ,
माता - पिता का आज्ञाकारी ,
दुष्टों पर रहे अकेले ही भारी ,
धरा पर मच गया कोहराम ,
चहुंओर त्राहिमाम - त्राहिमाम ,
भद्र साधु - संत हो रहा तंग ,
बढ़ गया है आततायी आतंक ,
भटक रहा जनमानस मेधा ,
जरूरत आन पड़ी ज्ञानी सुमेधा ,
हे विप्र ! कुल भूषण परशुराम ,
ले अवतार आ जाओ धरा धाम ।
              - महेश सिंह ✍️
            अरविंद नगर , बिलासपुर
              ( छत्तीसगढ़ )
         


( *काव्य रंगोली अक्षय काव्य* *सम्मान समारोह 2020)*


आदरणीय समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,
कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर
एंव काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,
आप सभी को मेरा नमस्कार और आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी कविता प्रस्तुत है-


*रचना -* प्रभु परशुराम जी की वंदना


भए प्रकट अक्षय तीज प्रभु,
पातक-प्रबल-विनाश हित।
स्तुति करहिं नर, देव, मुनि,
गंधर्व, किन्नरहु मुदित।।१।।


नयन-कमल, विशाल मस्तक,
पुष्ट वक्ष अति सोहते।
त्रिपुंड भाल, विशाल कर,
कटि छाल-मृग अति मोहते।।२।।


प्रभु पितृ भक्ति से सुशोभित,
काट मां को सर लियो।
जु भए प्रसन्न ऋषि पिताजी,
मांग वर त्यौं कर लियो।।३।।


निज क्रोध काल कराल व,
संताप सबके काटते।
अति दुष्ट, अन्यायी, मनुज,
के मुंड भूमि पाटते।।४।।


रवि कोटि तेज, अति पराक्रमि,
त्रिलोक कीरत छाई है।
कविन कोटि कल्पना कर,
नाम महिमा गाई है।।५।।


नाम - ऋषभ शर्मा
पता - ठाटीपुर, मुरार, ग्वालियर, ४७४००१
मोबाइल - 9926604220
स्वरचित


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
परशुराम
---------------------
*माह शुक्ल बैसाख को, लिए मनुज अवतार।*
*ब्राह्मण का सम्मान ले, प्रभु आए संसार।।*


नमन करें वंदन प्रभुवर का, जग के तारणहार तुम्हीं।
इस जग का आधार तुम्ही हो, इस जग का का संहार तुम्हीं।।


छठा विष्णु अवतार धरा पर , वसुधा का कल्याण करे।
परशु धार कर राम रूप में, प्रभु मानव का रूप धरे।
सुत जमदग्नि रेणुका के ऋषि, पंचम के तुम वंशज थे।
तेजोमय जमदग्नि सप्तऋषि, शक्तियुक्त सुत अग्रज थे।
जब-जब धर्म पड़ा संकट में, अवतारे हर बार तुम्हीं।
नमन करे वंदन..................।।


त्रेता युग रामायण जीवन, अमर सदा ही धाम रहा।
शिवजी के वरदान रहे तुम, रामभद्र ही नाम रहा।
युद्ध कला में दक्ष रहे थे, फरसा अनुपम अस्त्र सदा।
ब्राह्मण कुल में जन्मे यद्यपि,  योद्धा थे ले शस्त्र सदा।
असुरों से धरती की रक्षा, अंतस मन आधार तुम्हीं।
नमन करें वंदन.................।।


धनुष कमान दिया था शिव ने, 'विजया' नाम प्रदान किया।
ब्राह्मण कुल की शान रहे तुम, सदा ज्ञान का दान दिया।
दृढ़ निश्चय गुण आज्ञाकारी, पिता मान का ध्यान धरे ।
सहज मातु का वध करके भी, धरे वचन सम्मान वरे।
धन्य धरा के वीर पुत्र हो, धर्मग्रंथ का सार तुम्हीं।
नमन करें वंदन ...............।।


क्रांतिवीर्य सहस्त्रार्जुन ने, अंत पिता का अगर किया।
क्षत्रिय कुल का नाश करेंगे, शपथ पिता की वहीं लिया।
परशु हस्त धर तब प्रभुवर ने,  क्षत्रिय कुल का नाश किया।
कश्यप मुनि की आज्ञा से फिर, गिरिमहेंद्र पर वास किया।
परशुराम मन धरे सप्त ऋषि, सन्यासी व्यवहार तुम्हीं।
नमन करें वंदन ................।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*930540560*


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान


आदरणीय इन्दु झुनझुन वाला जी
आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी
आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी
को सादर समर्पित एवं सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति


विषय---परशुराम जयंती
विधा-----चौपाई


शिव का धनुष टूट जब जाता ।
व्याकुल परशु राम सुन आता ।।
अक्षय तीज धरा पर आये ।
शांत वेश मुख तेजी छाये ।।    1


तिलक लगे मस्तक मन मोहे ।
गोरे तन पर भष्मी सोहे ।।
वल्कल धारण तरकस बाँधे ।
धनुष बाण कर फरसा काँधे ।। 2


पूछे सभा बीच में जाके ।
धनु को तोड़ा किसने आके ।।
क्रोध में मुख लाल हो आया ।
टेढ़ी भोंहे बहुत डराया ।।  3


कठिन वचन बोल रहा भाई ।
तू छल विनय करे समझाई ।।
बोले राम हाथ को जोड़े ।
धनुष तेरा इक दास तोड़े ।।  4


धनुष खींच शंका मिट पाई ।
देत परशु राम फिर दुहाई ।।
राम प्रभाउ परशु फिर जाना ।
हृदय पुलक हो प्रभु को माना।।5


अरूणा साहू
केलो विहार कालोनी
रायगढ़
मोबाइल----981924249
दिनांक---26/4/2020
पिन कोड---496001


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020


अक्षय काव्य उत्सव की अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी, प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी एवं काव्य रंगोली के सम्पादक संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी और अक्षय काव्य उत्सव 2020 के समस्त सुधी जनों को सादर प्रणाम करती हूँ


भगवान परशुराम जी के चरणों मे
शब्द पुष्प समर्पित करती हूँ।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
स्तुति
विधा छन्द मुक्त


विष्णु के अवतार प्रभु
विप्र  कुल  शिरमौर
करजोर विनती करूँ
अरज सुनो प्रभु मोर।


रेणुका नन्दन  मातु  दुलारे
ऋषि जमदग्नि के पुत्र हे प्यारे
जग में छाया गहन अंधियारा
हरो प्रभु  दारुण  दुख सारा।


जटाजूट वल्कल तन धारे।
मुँख मे वेद परसु कर धारे
धनुष तुरिण कांधे पर साजे
शौर्य देख अरिदल उर कापें।


विपुल बार महि जीति गोसाईं
दीन्ही विप्र जन  मन  हरषाई
एकदन्त  गणपति  को कीन्हा।  
शिव मनाये तप कीन्ह कठोरा।


वेद पुराण  करे  यशगाना
हे परमेश्वर कृपा निधाना
करो कृपा हे दुख भव भंजन
चरण कमल में करते वन्दन।


मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर,सरगुजा
    छत्तीसगढ़


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम् भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी ,कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम् काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को समर्पित एवम् आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी प्रस्तुति-
भगवान विष्णु के अवतार कहलाए।
प्रभु परशुराम के भक्त बन जाए।
अक्षय तृतीया परशुराम जयंती रूप में मनाई जाती।
हिंदूपंचांग वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को आती।।
परशुराम का अर्थ- कुल्हाड़ी है।
भगवान विष्णु के तो साक्षात ये अवतारी हैं।।
पिनाक धनुष के खण्डित होते ही क्रोधित हुए।
अपने परशु सम्भाले हुए सीता स्वयंवर में उपस्थित हुए।।
हे ! भगुवंशी धरती पर अत्याचार बढा़।
कल्कि के रूप में तुम अपनी फिर से सहेजो धरा।।
दिव्य अस्त्र-शस्त्र में निपुण हो तुम।
हे ! ब्राह्मण, परशुराम के वीर गुणों को सुन।।
कलारिपाट्टू की शिक्षा तुमने शिवजी से प्रस्थापित की।
क्षत्रिय नाश की घोर प्रतिज्ञा जमदग्नि पुत्र ने की।।
महेंद्र गिरी पर अद्य भी तुम्हारा है, निवास स्थान ।
माता-पिता आज्ञापालन में है, विद्यमान ,सर्वत्र यह ज्ञान।।
नाम-श्री मती रूपा व्यास,
पता-व्यास जनरल स्टोर, दुकान न.7,नया बाज़ार, रावतभाटा, जिला-चित्तौड़गढ़, पिन कोड-323307(राजस्थान)
मोबाईल न.-9461287867,9829673998


प्रतियोगिता की अध्यक्षता कर रहीं  आदरणीया डॉ0 इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलोर कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर एवम काब्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर को संबोधित करते हुए मेरी रचना।
नाम -संगीता शर्मा कुंद्रा
पता - #2315
        सैक्टर  38/ सी
         चण्डीगढ़
मोबाइल -9814799348
              7009012633


रचना -परशुराम जी पर


रेणुका माता , जमदग्नि पिता का था यह लाल।
क्षत्रियों से वहीन कर पृथ्वी को किया था लाल।।


अक्षय तृतीया के दिन जन्मे थे ,परशुराम है नाम,
छठे अवतार बन पृथ्वी पर अवतरित हुए परशुराम।।


त्रेता युग में जनक, दशरथ जैसे राजाओं से सम्मान पाया।
श्री राम का सीता स्वयंवर में अभिनंदन कर मान बढ़ाया।।

द्वापर में कृष्ण का समर्थन कर सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया।
इन्हीं से कर्ण जैसे धनुर्धर ने असत्य वचन कर श्राप था पाया।।


भीषम,द्रोण ,कर्ण को शस्त्र विद्या प्रदान की, क्रोध में आकर,
गणेश जी का दंत गिराया, तब गणेश जी ने एकदंत नाम था पाया।


अपने कार्य पूरा कर वे, पहुँचे महेंद्रगिरी पर्वत पर तपस्या करने को।
कलयुग में कलगी अवतार का गुरू बन दिलाएंगे पाप से मुक्ति धरती को।।


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ


परसु, धार आये  पर, सुधार, ने  वसुंधरा
         जमदग्नि रेणुका के आखरी करार थे।।
पहले थे राम, परसु शिव से मिला था वो
         अष्ट कला से युक्त छठवां अवतार थे।।
क्षत्रिय विहीन धरा किया था इक्कीस बार
         नेत्र मानो लाल लाल आग के अंगार थे।।
पितुभक्त ऐसे कि माँ का सर दिया उतार
         मातु भक्त इतने कि आँचल का प्यार थे।।


प्रकटा प्रकाश पुंज पावन प्रभा को  लिए
         समता  समानता  में  तुल्य आसमान थे।।
सुधि ना सुधा कि करी वसुधा सुधारि व्रत
         विंदु विंदु में भी सुख सिंधु के समान थे ।।
चार अग्रजों में  उग्र  भृगु  वंश के थे अंश
        भाव का वसन्त प्रीति का ही प्रतिमान थे।।
अवतार  भी  रहे  निहार हो  के तार तार
          सप्त नव खण्ड मे अखण्ड गतिमान थे।।
 
नाम : राहुल सोनी
पता : फतेहपुर


इस प्रतियोगिता के प्रेरक आदरणीय श्री नंद लाल मणि त्रिपाठी जी, प्रतियोगिता की अध्यक्षा आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी एवं  काव्य रंगोली  समूह के संरक्षक महोदय आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी,  प्रभु परशुराम जयंती के उपलक्ष में आयोजित काव्य प्रतियोगिता  हेतु कविता सादर समर्पित है़ :--


रचना --
  *आओ आओ प्रभु परशुराम*


आओ आओ प्रभु परशुराम फिर आ जाओ
हे परशुराम आओ आओ फिर आ जाओ


प्रभु परशुराम फिर आज तुम्हारा वंदन है
प्रभु परशुराम फिर आज नमन अभिनंदन है


करते स्मरण निरंतर निशिदिन भक्त तुम्हें
सुमिरन करते 'हरि' बार-बार अनुरक्त तुम्हें


हे पार्श्वराम बन परशुराम फिर आ जाओ
फिर आकर अत्याचार अनीति मिटा जाओ


कितने ही शासक आज हुए फिर अतिचारी
फिर सहस्त्रबाहु उन्मत्त हुए अत्याचारी


उत्पात मचाते सहस्त्रबाहु फिर दीख रहे
असहाय संत जन देख देख कर खीझ रहे


दानवी क्रूरता निर्ममता
ललकार रही
पीड़ित मानवता रह-रहकर चित्कार रही


पिट रहे साधु-संतों की चींखें
गूँज रहीं
निर्दोष साधुओं की मृतात्मा
पूछ रहीं


प्रभु परशुराम हो कहाँ आज फिर आ जाओ
आकर फिर अपना रौद्र रूप दिखला जाओ


आओ आओ हे परशुराम फिर
आ जाओ
प्रभु परशुराम आओ आओ फिर आ जाओ
नाम-- हरी प्रकाश अग्रवाल 'हरि' पता-- 356/208/62, आनंद      विहार, आलमनगर रोड, लखनऊ-226017
मो0--08840002652


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
🌹🌹अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🙏🙏🙏


अक्षय अवतरण दिवस यह दो अक्षय कीर्तीयों का
महावीर महान परशुराम और निर्मल गंगा का...
आरंभ दिवस यह दो नये युगों का
कृष्ण लीला काल का, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का...
कही यह दिवस प्रारंभ हैं तो
कही अंत हैं महायुद्ध महाभारत का....
नाथों के नाथ बद्रीनाथ के प्रथम दर्शन का
हे परमपिता ... 🙏🙏
अक्षय दिवस पर यह अक्षय विनंती...
जैसे अक्षय किया चैत्र तृतीया का यह दिवस....
वैसे ही अक्षय करो, मानवता को...
वैसे ही अक्षय करो, प्रेम को
संस्कारों को, विश्वास को...


स्वरचित
श्रीमती मयुरा नंदन माणके
इंदौर म.प्र.
88174421


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 अक्षय तृतीया एवं भगवान् परशुराम जयंती के अवसर पर अध्यक्ष आदरणीय इंदू जी झुनझुनवाला, कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय श्री नंदलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवं संरक्षक आदरणीय दादा अनिल जी को संबोधित मेरी रचना
आप सभी के अवलोकन में सादर प्रस्तुत.....


**फिर एक बार आओ....**


आज जरूरत फिर आन पड़ी परशुराम भगवान की,
शत्रुओं का नाश करने
ओर पृथ्वी के सम्मान की | |🙏


अक्षय सुख, अक्षय शांति, अक्षय स्वास्थ्य लाओ,
हे विष्णु के अवतारी,
इस धरा पर फिर एक बार आओ | |🔱


खुद को भगवान समझने लगा है
आज का इंसान |
दूसरों को मार समझता ख़ुद को,
सर्व शक्तिमान | | 💪


पाप का घड़ा भर गया है प्रदूषण चारों ओर,
जहरीले जीवों ने,
मचा रखा है शोर | |😞


अल्प काल में हो रही मृत्यु से बचाओ |
है चिरंजीव बलशाली,
हमारी रक्षा करने आओ,
हमारी रक्षा करने आओ | |🙏


नाम =भूपेंद्र काले
Mob.=9617804849
पता = 181 धार रोड इंदौर. {M .P. }


*काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020* प्रतियोगिता


*प्रतियोगिता की अध्यक्षता आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर अक्षय तृतीया पर मेरी कविता आपके अवलोकनार्थ भेज रहा हूं।


अक्षय तृतीय


ये मुहूर्त है अक्षय तृतीय
पोथी पत्र न देखना कभी
नए कार्य का आरंभ हो
ओ अक्षय हो जायेगा सभी ॥


कोई सेवा काम भी हो
कर दो कोई दान धर्म
पावन पुण्य प्राप्त हो
मिट जाए सब पाप कर्म ॥


पुण्य काल में देव स्मरण
सपरिवार घर में हो पूजा
अक्षय तृतीया पुण्य मुहूर्त
इससे बडा न कोई दूजा ॥


संकट सब मिटै अब
दैव आचरण कर ले अब
हो रोग निवारण तन के
हो धन संपदा अक्षय सब ॥


डॉ. सुनील कुमार परीट
पत - 1260 शारदा सदन, एयरपोर्ट रोड,
महादेव नगर, सांबरा 591124 जि बेलगांव
कर्नाटक
ईमेल - dr.sunilparit@gmail.com
मो. 8867417505
यह हमारी स्वरचित एवं मौलिक रचना है।


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 अक्षय तृतीया एवं भगवान् परशुराम जयंती के अवसर पर अध्यक्ष आदरणीय इंदू जी झुनझुनवाला, कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय श्री नंदलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवं संरक्षक आदरणीय दादा अनिल जी को संबोधित मेरी रचना
आप सभी के अवलोकन में सादर प्रस्तुत.....
कविता


बैशाख मास की शुक्ल पक्ष तिथि,
अक्षय तृतीया का शुभ दिन आया है।
आज की इस बिकट परिस्थिति में प्रभू,
तेरे लिए सबने एक दीप जलाया है।


चलो बिष्णु भगवान की करें आराधना,
छठा अवतार परशुराम की करें उपासना,
और गंगा मैया से यह करें प्रार्थना,
आओ हम सब मिलकर ये करें कामना,
दूर हो यह संकट जो हम सब पर छाया है।


करोना नामक राक्षस का प्रभू सहांर करो,
माता अन्नपूर्णा हमारे घर के भंडार भरो,
अक्षय लाभ मिलता है होते सफल सब काम है,
आज के दिन तन मन से जो करता दान है,
सिद्धि मुहुर्त पर पुण्य कमाने का दिन आया है।


सत सत नमन अब हमारी बिनती स्वीकार करो,
तेरे चरणों में हम सब ने अपना शीश झुकाया है।


आप सभी अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं


सुशी सक्सेना इंदौर
आल्टस रेजिडेंसी
N सेक्टर


आदरणीय श्री नंदलाल त्रिपाठी जी,अध्यक्षा आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी एवम् काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी!
प्रभु परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित काव्य प्रतियोगिता हेतु अपनी यह मौलिक रचना आप सभी को सादर समर्पित करती हूँ-🙏
***********************
शीघ्र जन्म लो धरा पे भगवन,
हे परशुराम उपकार करो।
मानव,दानव बन बैठा है,
इस दानव का संहार करो।
हे परशुराम उपकार करो।।
***********************
छाया है चहुँ ओर अँधेरा,
धरती डाँवाडोल हो रही।
नारायण का रूप बनाकर,
तुम धरती का कम भार करो।
हे परशुराम उपकार करो।।
************************
जाने कितने वार हुए हैं,
इस कलियुग में मुनि, संतों पर।
चीत्कार कर रहा है हृदय,
हम सबकी नैया पार करो।
हे परशुराम उपकार करो।।
**************************
द्वापरयुग वा त्रेता युग मेंं,
की थी तुमने धर्म की रक्षा।
अपने कोड़ों से अधमों पर,
तुम बारम्बार प्रहार करो।
हे परशुराम उपकार करो।।
**************************
कल्कि बन आ जाओ धरा पर,
सत्य,पराक्रम के तुम धारी।
जमदग्नि वा रेणुका के सुत,
यह विनती अब स्वीकार करो।
हे परशुराम उपकार करो।।
***************************
नाम-मुक्ता गुप्ता
कनकपुर रोड,मया बाजार
अयोध्या


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ रचना,
26-4-2020,


नमन करूँ परशुराम को:-


नमन करू परशुराम को,
अपना शीश नवाय.


अक्षय त्र्रतीया दिवस,
जानापाव पर्वत प्रगटाये.


जमद्ग्नी पिता,रेणुका माता,
पंचम पुत्र जण्माये.


विष्णुजी के छठवें वंशावतार,
रामभद्र कहलाये.


जमद्ग्नी पुत्र जमदग्न्य,
भार्गव,भ्रगुपति,भ्रगुवंशी.


शिवजी से फरसा पा,
नाम परशुराम कहलाये.


नमन करू परशुराम को,
अपना शीश नवाय.


पिता आज्ञा मान,
शीश मातुश्री का दिया उडाये.


प्रसन्न पिता से वर में,
भ्राताओ -माँ का जीवन पाये.


कैलाश गये शिव मिलन को,
गणेश पर फरसा दिया चलाये.


एक दाँत प्रहार कियो,
गणपति एकदंत कहलाये.


ब्राह्मण कुल जन्मे,भ्रगुक्रपा से,
गुण छत्रीयो के पाये.


नमन करू परशुराम को,
अपना शीश नवाय.


सहसबाहु अर्जुन ने,
कामधेनु गौ लई चुराये.


क्रोधित हो वध किना सहसबाहु का,
कामधेनु लई छुड़ाये.


सहसबाहु पुत्रगण मिल,
पिता जमदग्नि वध किना.


छत्रीयहीन करहूँ धरा,
संकल्प लिया उठाय.


इक्कीस बार
छत्रीयहीन कर धरा,
संकल्प लिया निभाये.


नमन करू परशुराम को,
अपना शीश नवाय.


अतिवीर जैन "पराग"
पूर्व उपनिदेशक,
रक्षा मंत्रालय,
B-34- GF,सिल्वर सिटी,कंकर खेडा,मेरठ मोबाइल :9456966722.


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020 अक्षय तृतीया एवं भगवान् परशुराम जयंती के अवसर पर अध्यक्ष आदरणीय इंदू जी झुनझुनवाला, कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय श्री नंदलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवं संरक्षक आदरणीय दादा अनिल जी को संबोधित मेरी रचना


      मत्तगयंद सवैया छंद ( सात भगण दो गुरु )



धार लिया कर में फरसा ऋषि रूप धरा जग में प्रभु आए।
काज किए शुभ आ कर ये नृपराज धरा पर मार गिराए।
पालनहार रचे रचना सब लोग तुम्हें मिल आज मनाए।
रूप धरा हरि ने नव ये सब कष्ट हरे जन पीर मिटाए।



पाप बढ़ा भव में जब ही तुम ब्राह्मण को हथियार थमाया।
क्षत्रिय नाश किया पल में भव से प्रभु दानव राज मिटाया।
कष्ट हरे पल में तुम ने सब ने मिल मंगल गान सुनाया।
श्राप दिया तुमने जिस को वह युद्ध यहाँ फिर जीत न पाया।


स्वरचित
संदीप कुमार बिश्नोई
गाँव दुतारांवाली तह0 अबोहर पंजाब


*काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020*


प्रतियोगिता-प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी एवं अध्यक्ष आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी, बैंगलोर, आपका सादर अभिवादन। आप सभी के अवलोकनार्थ मेरी रचना निवेदित है -


शीर्षक - *जय परशुराम अवतारी*


गाथा अमर अमिट जिसकी, दिग-दिगंत में अनुगूँजित है;
जिसके उद्यम से वसुधा प्रतिक्षण अबतक आलोकित है।
कौन यहां त्रिभुवन का जेता, है विदेह अतुलित दानी है;
परशुराम भगवान, वही, हां, विश्वेश्वर नर अवतारी हैं।


मुख पर अमित तेज ब्रह्म का सकल शास्त्र की गंगा;
भुजदंड विक्रमी धनुष-बाण, कर महाकाल का फरसा।
धरा तपस्वी वेश ज्ञान, तप, दया  कांतिमय मुखमंडल;
है विराट क्षत्रिय समान, मुख-पौरुष का आभामण्डल।


नमन करो मानव विराट, नवयुग त्रेता का ध्वजवाहक;
है जन्मदिवस अक्षय तृतीया, अक्षय कीर्ति का धारक।
है नमन, करो स्वीकार, परम हे पितृभक्त! जगतारक;
हे भृगुवंशी जमदग्निपुत्र, हे कार्त्तवीर्य कुल संहारक ।


तुम जीवमात्र का पोषण कर, प्रकृति का अंचल भरकर;
देते निज पौरूष का परिचय, विजितों को तज-तजकर।
नर-नारी की समता का, नृप को राजधर्म समझाकर;
विचर रहे भारत की गौरव गाथा को फिर से गढ़कर।


लेखनी कर रही नमन तुम्हें, हे तेजपुंज! अविनाशी;
हे धर्म न्याय के प्रति पालक हे ज्ञान, शील अनुगामी।
युग-युग से पूजित सर्वसिद्ध, कल्कि भावी गुरु ज्ञानी;
जय परशुराम भगवान, जयति हे नरपुंगव अवतारी।।


*डाॅ○ विनोद कुमार
विशाल नगर काॅलोनी,
वाराणसी।*


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य  में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी,अध्यक्ष आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी को संबोधित करते हुए मेरी मौलिक रचना-


विषय-परशुराम जयंती
विधा- घनाक्षरी छंद


पुण्य शुक्ल पक्ष तिथि, वैशाख की तृतीया में,
शुभ मुहूरत वाली,अखतीज आ गई।
कर में परशु लिए, जन्में विप्र शिरोमणि,
पाप पिसी धरती पे,खुशियाँ ही छा गई।
मात-पितृ भक्ति रही,विश्व में विख्यात तभी,
आसथा की जन-जन, अलख जगा गई।
धरती को निशिचर, मुक्त कई बार किया,
परशु की धार धर्म, अपना निभा गई।


माता रेणुका की कोख ,धन्य हुए जमदग्नि,
विप्र घर विष्णु जी, लिए अवतार हैं ।
छांट-छांट पापियों को, फरसे से काट दिये,
दुःखी माता धरती का, हरे अधिभार हैं ।
हो गये प्रसन्न तप,साधना से भोलेनाथ,
वर दे कलारिपट्टू , किये उपकार हैं ।
नमन है शत शत, ऐसे विप्रवर को जो,
धरती का वीरता से, करते शृंगार हैं ।


स्वरचित- मोनिका पांडेय 'मनु'


नाम-मोनिका पांडेय 'मनु'
मोबाईल-8808171306
पता-सागर गेट ,झाँसी



काव्यरंगोली अक्षय काव्य समारोह 2020 अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
प्रस्तुत


       🌹 परशुराम जयंती कुंडलिया🌹
       
धरती   पुलकित   हो  गई, धन्य   हुआ  संसार।
ईश  विष्णु ने  जब लिया, स्वयं  छठा  अवतार।
स्वयं   छठा  अवतार,  कहलाये  रामभद्र  जग।
पाकर सुत अति वीर,खुशी अति दौड़ी पित रग।
मातु   रेणुका  'अनिल', सदा   हैं  सेवा   करती।
पाया  शुचि   वरदान, सदा   ये   महके   धरती।


भृगुवंशी   फरसा  लिये,  दाता  शिव  भगवान।
महाकाल  के   भक्त   हैं,  ऊर्जा   राम  समान।
ऊर्जा   राम   समान,  सदा   दुष्टों   पर   भारी।
काटा   माँ   का  शीश,  पिता  के  आज्ञाकारी।
परशुराम   से    बहुत,   डर   गये    हैहयवंशी।
हर  युग  में  प्रभु अमर,  ग्रन्थ कहते; भृगुवंशी।


अनिल कुमार यादव
"अनुराग"
ग्राम - संभावा तहसील - गौरीगंज
जनपद - अमेठी ( उ० प्र०)


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान २०२० समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष में आदरणीय प्रेरक नंदलाल मणि त्रिपाठी पितांबर जी, अध्यक्ष आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी को संबोधित करते हुए मेरी मौलिक रचना
विषय-अक्षय तृतीया


कितना पावन दिन कहलाए
प्रभु परशुराम धरती पर आए
जन्म लिया ब्राह्मण के घर
गुड थे सारे क्षत्रिय के पर
सारे जग के पालनहार
विष्णु जी के छठे अवतार
करने जन जन का कल्याण
मनुष्य बन धरती पर पधारे
भक्ति कोई इनसे सीखे
परम भक्त शिव के कहलाए
पिता की एक आज्ञा पर
मां का सर धरती पर गिराया
और फिर अपनी चतुराई से
पुन मां को जीवित कर दिखलाया
प्रभु परशुराम अक्षय हैं
और युगो युगो से धरती पर है
दान पुण्य का महत्व बताते
दीन -दुखियों की मदद करोगे
तुम भी अक्षय फल पाओगे


कंचन जयसवाल
नागपुर महाराष्ट्र
मो-  ८९९९२८९३४४


कार्यक्रम अध्यक्ष
आदरणीया इन्दु झुनझुनवाला जी, बंगलौर
काव्यरंगोली संरक्षक
आदरणीय अनिल गर्ग जी, कानपुर
कार्यक्रम प्रेरक
आदरणीय नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी, गोरखपुर आप सभी को समर्पित


भृगुवंशी  परशुराम
----------------------
वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की, अक्षय तृतीया को धरा पर आए,
भगवान विष्णु ही  परशुराम बन, विप्रकुल  शिरोमणि  कहलाए,
अश्वत्थामा,  राजा बलि,  महर्षि  वेदव्यास,  हनुमान,  विभीषण,
कृपाचार्य, परशुराम, ऋषि मार्कंडेय, थे अमरता का कलश पाए ।


परशुराम का जन्म हुआ ब्राह्मणों में, पर क्षत्रिय-धर्म निभाया था,
वे कुशल धनुर्धारी योद्धा थे, महादेव से एक फरसा भी पाया था,
योद्धा स्वरूप  भगवान परशुराम, धर्म का पाठ  पढ़ाया करते थे,
सीता स्वयंवर में धनुष टूटा देख के, उनको क्रोध बहुत आया था ।


श्रीराम को सौंप  धनुष अपना, सन्यासी जीवन था अपना लिया,
केवल फरसे को  अपना के उन्होंने, परशुराम नाम को बल दिया,
उनके धर्म सत्य न्याय साधना को, कभी भुला नहीं सकते हैं हम,
उनके क्षत्रिय-धर्म और कर्मों को, हिन्दू धर्म-ग्रन्थों ने अमर किया ।


शिवनाथ सिंह
'शिविपल सदन' 645  ए/ 460, जानकी विहार कालोनी,
जानकीपुरम, लखनऊ- 226031
मोबाइल- 9451086722


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह  2020
अक्षय तृतीया एवम्  भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में
आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉo
इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर, कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक श्री अनिल गर्ग जी कानपुर, आप सभी के समक्ष समर्पित


"भगवान परशुराम "


हे परशुराम हे परशुराम
पुनः लो कर मेँ अब धनुषबान
हे परशुराम हे परशुराम
*****************
तुम रक्षक मनु के वंशज के
लो कर कृपाण अब सजधज के
अवतार प्रभु के अंशज के
अधर्म हरो हे कृपा निधान .
हे परशुराम हे परशुराम ...
*******************
तुम सा ना कोई पितृ भक्त
आज्ञा के पालक अथक शक्त
जमद्ग्नि का बहता रक्त
मर्यादा के हो सकल विधान .
हे परशुराम हे परशुराम
********************
बढ़ रही अधर्मौ की छाया
विकसित हेँ काम क्रोध माया
पल पल शोषण करतीं माया
आ, सुनो भारती का आव्हान
हे परशुराम हे परशुराम .
      *********
विनोद मिश्र सुरमणि
9893437616


अक्षय काव्य-समारोह 2020
प्रतियोगिता की अध्यक्षा आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,
कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर,
एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर, आप सभी को समर्पित


छंद
अक्षय-तृतीया


आशुतोष भोले शिवशंकर महेश्वर की, साधना का सुविधान अक्षय तृतीया है।


साथ-साथ जगदीश विष्णु कमलेश्वर की,
अर्चन का साध्यमान अक्षय तृतीया है।
दोनों आदिदेवों को प्रसन्न करने का यही,
एकमात्र संविधान अक्षय तृतीया है।
भावना मनुष्य के लिये वसुन्धरा पे सुनो,
ईश्वर का वरदान अक्षय तृतीया है।।


2


जीवन को सफल बनाने के लिए सुपर्ब,
अक्षय तृतीया वाला व्रत करते चलो।
विष्णु और शिव की कृपा का भी खुलेगा कोष,
रिद्धि-सिद्धियों को निज गेह  भरते चलो ।
विधिपूर्ण भावना से पूजन करो अनित्य,
धर्म की धरा पे निज पग धरते चलो ।
पीर आपकी हरेंगे करुणानिधान खुद,
आप दुखी प्राणियों के की पीर हरते चलो।।


परशुराम


ऋषियों में पूज्य, वंदनीय जगती तल के,
रेणुका सुवन जमदग्नि के दुलारे हैं ।
पितृ भक्ति के उदाहरण हैं परशुराम,
ज्ञान की सुरम्य वाटिका के उजियारे हैं ।
विकट खलों के लिए, दुष्ट दानवों के लिए, कठिन कठोर कर मेंं परशु धारे हैं ।
विप्र वंश गौरव हैं भावना जगत पूज्य,
जितने हमारे हैं, वे उतने तुम्हारे हैं।।


2


आज सारा जग त्राहिमाम करता है अस्तु,
फरसा सु धार कर आइए परशुराम ।
अदृश्य तमीचर कोरोना वायरस इसे ,
अपने प्रताप से मिटाईये परशुराम ।
कुछ नीच इसका प्रसार करने में लगे ,
उन पापियों को निपटाईये परशुराम।
भारत को फिर से निवेदन है भावना का, विश्व में शिरोमणि बनाइये परशुराम।।


डॉ0 शोभा दीक्षित 'भावना',  लखनऊ संपादक, अपरिहार्य/निजी सचिव,ग्रेड-3,
उत्तर प्रदेश शासन।
मो0  9454410576,
9140945022


*काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020* प्रतियोगिता


*प्रतियोगिता की अध्यक्षा आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,
कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर,
एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,
अक्षय तृतीया पर मेरी कविता आपके अवलोकनार्थ भेज रही हूं।


जब जब बही माता की अश्रुधार,
भगवान प्रकट हुए बनके परशुराम ।
शुक्ल वैशाख की अक्षय तृतीया में,
विष्णु भगवान का छठवां अवतार परशुराम ।
पिता जमदग्नि माता रेणुका के पुत्र दुलारे,
विप्र समाज के पथ प्रदर्शक शान हमारे परशुराम ।
कश्यप विश्वामित्र कल्कि ऋषि को गुरु मानकर,
शास्त्र तपोबल योग बल से सिद्ध हुए प्रभु परशुराम ।
तेजस्वी,बलशाली,शौर्यवान,
न्यायभक्त,क्रांति दूत जग में कहलाए परशुराम ।
विश्वासघात का दंड कर्ण को, कार्तिवीर्य का घमंड चूर किया,
अधर्मी का संहार करने को उठ गए प्रतापी परशुराम ।
आशुतोष उपासक,न्याय के दानी,गणेश को किया एकदंत,
पितृ आज्ञा से भ्राता,माता का मर्दन कर डाले देव परशुराम ।
मोहन से पाया चक्र सुदर्शन,शंकर से फरसा उपहार,
देव इंद्र से परशु पाकर
कहलाए विप्र परशुराम ।
सुलग रही है धरती आज भी,धधक रही है ज्वाला,
अन्याय,अधर्म का संहार करने को आओ,विनती तुमसे है परशुराम ।


सुधा रानी शर्मा,
मुंगेली, छत्तीसगढ़
मोबाइल नं-  9993853358


*अक्षय काव्य समारोह 2020*

परशुराम जयंती एवम अक्षय तृतीया पर *अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर* कार्यक्रम प्रेरक *आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर* एवं काव्य रंगोली के संरक्षक *आदरणीय आदिल गर्ग जी कानपुर* को  संबोधित व अन्य समस्त सदस्यों को मेरी संबोधित रचना ।


मेरे प्रभु परशुराम


जिनके भव्य ललाट व आॅंख में
हजारों सम्राटों की चमक चमकती हैं।
जिनके धवल वस्त्रों से
सहज-सरल साधुताई झलकती है।
जिनकी अमृतमय वाणी से
ऋषियों की ज्ञानगंगा निसरती है।
सत्संग में जिनके
' सवॅभूतहिते रत: ' की महक महकती है।
प्रेम, करुणा, वात्सल्य की जो
साक्षात मूर्ति दिखाई पड़ती है।
जिनके तेजस्वी नयनों से उपासना झलकती है।
ऐसे अनंत महिमा मेरे प्रभु परशुराम की,
इस दुनिया में सदा चमक चमकती रहती है।


    डॉ सुरेश वी देसाई
      गुजरात।
       ‌


प्रतियोगिता की अध्यक्षता कर रहीं  आदरणीया डॉ0 इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलोर कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर एवम काब्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर को संबोधित करते हुए मेरी रचना 


रचना -आज्ञाकरी पराक्रमी परशुराम


हुआ अधर्म जब भी पृथ्वी पर
तब अवतरित हुआ कोई ना कोई इस पर
माता रेणुका ने वीर पुत्र को जन्म दिया
अक्षय तृतीया के पावन दिन,
परशुराम जी का जन्म हुआ
पिता जमदग्नि के  कहने मात्र से
माँ का शीश काट दिया


ब्राह्मण कुल में जन्मे वो नहीं थे कोई साधारण
क्षत्रिय सा तेज़ था उनमे,
परशु किया उन्होंने धारण

महा तपस्या कर शिव से आशीष पाया
जो नहीं कर पाए प्राप्त सभी देवता
उन शस्त्रों को परशुराम ने पाया
असत्य पर सत्य की जीत को "विजया" धनुष उठाया
पढ़ा मैने जब शास्त्रों को
द्वापर व त्रेता युग में इनकी वीरता का वर्णन पाया
ऐसा आज्ञाकारी वीर आज तक ना कोई हो पाया
ब्रह्मण हो कर भी जिसने, क्षत्रिय धर्म हो निभाया
षष्ठम अवतार विष्णु जी का, परशुराम है कहलाया
नाम -अरुण गुप्ता
पता -बाला जी नगर, बदायूँ, उत्तर प्रदेश -243601
मोबाइल -9027366982
स्वरचित


सादर नमन,
             परशुराम जयंती (अक्षय तृतीया) के सुअवसर पर आयोजित काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 आनलाइन प्रतियोगिता के प्रणेता श्री नंदलालमणि त्रिपाठी'पीताम्बर' जी गोरखपुर , अध्यक्ष आदरणीया  इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर ,कार्यक्रम संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर को समर्पित एवं सभी सज्जनों के अवलोकनार्थ काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान2020 हेतु मेरी रचना-


वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को, जन्मे शिवभक्त परशुराम जी।
आसुरी शक्ति शमित करके, बनाने धरा को पुण्यधाम जी।।


जनकपुर 'जानकी स्वयंबर' त्रेता में, जब हुआ शिव धनुषभंग।
काँप गयी धरती, डोल गया शेषफन।।


परशुराम जी देखे ,जनकपुर शिव धनुष टूटा है।
आये वहाँ तत्क्षण, आराध्य द्रोही का लेखाजोखा है।।


क्रोधित परशुराम जी,परशा दिखा-दिखाकर हारे हैं।
सभा कुपित हो चहुँओर से, राम-लखन को निहारे है।।


लखन आगे आकर बोले, मुनिवर द्रोही हम है।
मान रखने धनुष तोड़े, सूर्यवंशी हम हैं।।


असाध्य को साधा मैनें, नही देखा अकाट्य।
जनकपुर में हो रहा, आखिर कैसा नाट्य।।


वार का प्रतिकार कर रहा, मान न रहा हार।
प्राणों का इसे भय नही, क्या है इसका सार।।


लखन बोले- सार न समझे शुन्य का, शुन्य से जीवन न जाने।
लड़ रहे शेष से मुनिवर, शेष को बिना पहचाने।।


लखन सोचे, अब मुनिवर कहेगें हाय !राम!!
किन्तु रामजी पहले बोले, अपराध हेतु क्षमा भगवन! परशुराम!!


परशुराम जी शीतल हुये, पाकर "राम" शीतलता।
अंश द्वारा मिली है , अंश को अमरता।।


नाम-डाँ.जितेन्द्र"जीत"भागड़कर
ग्राम-कोचेवाही, लाँजी
जिला- बालाघाट, म.प्र.


काव्यरंगोली अक्षय काव्य समारोह 2020 अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
प्रस्तुत मेरी कविता।


         "श्री परशुराम जी"


जय -जय परशुराम तुम्हारी , निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।


करते सबका कल्याण , रखते सबका ध्यान  , ना करते अभिमान।


हो विष्णु , राम के अवतारी
हो परम  , सनातन धर्म के  पुजारी।


माता रेणुका की संतान , हो शिव के परम भक्त करते हम आपका गुणगान।


करते सबका उद्धार , देते सबको वरदान , ना करते किसी से द्वेष देते सबको शरण।


देते शिक्षा जीवन जीने की , कराते सबकी नैया पार, है ऐसे परम उदार करते रक्षा सभी की।


आते है धरती पर जब-जब बढ़ता अत्याचार , करते बुराई का अंत , बचाते सबके प्राण।


जीवन का सारांश हो , हो जीवन की गाथा, ऐसे प्रभु श्री परशुराम की करते हम वंदना करते उनको नमन।


धन्यवाद ।
नाम-पवन मोहनलाल रायकवार
खंडवा(म.प्र)450001
मोबाइल- 8319796445


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना -
            भगवान परशुराम
          -------------------------


शस्त्र  -  शास्त्र   दोनों   के   ज्ञाता  ।
ब्राह्मण  कुल  के  भाग्य - विधाता।। (1)


भृगु  -  कुल    के   पुण्य   प्रताप ।
जन्में  विष्णु   ले  छठां  अवतार।। (2)


अन्याय - अनीति  के भक्षक है।
सत्  - जन   के   वे  रक्षक  हैं ।। (3)


पितु  आज्ञा, प्रथम  प्रणाम।
नहिं  तोड़ा  मातु  सम्मान।। (4)


निज शारंग धनुष राम का दिये ।
रावण संहार  तब  राम   किये ।। (5)


शिव  भक्त  में  जिनका  प्रथम स्थान।
नाम  है  उनका, भगवन  परशुराम ।। (6)


नारी - जाति  का  करते  थे  सम्मान ।
नित्  हित  में  चलाते  थे  अभियान।। (7)


क्रोध       रूप         उनका       विकराल     ।
छोड धरा, गिरि महेंद्र पर बनाया निज स्थान।। (8)


छेड  दो  फिर दुष्टों के  प्रति  संग्राम।
हे  दयानिधि !  भगवन   परशुराम ।।(9)


धरा  पर  लो  फिर   से  अवतार ।
हे दयानिधि! भगवन  परशुराम ।।(10)


नाम -  अतुल मिश्र ✍️
पता -  गायत्री नगर, अमेठी
मो. -  8957549858


काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।
धन्यवाद


वीर की मैं वीरता का लेखनी में भार लिखूँ ।
शत - शत जनम मैं चरणों में वार लिखूँ ।।
लिया  अवतार  इस  धरा  इक  बार फिर ।
षष्ठी रूप हरि का मैं छन्द में संवार लिखूँ ।।
शौर्य का बखान गाऊँ कीर्ति यश गान गाऊँ ।
करि वन्दन चरणों का सदा उपकार लिखूँ ।।
पितृ आज्ञा शीश धर करि दिया मातु वध ।
पराकाष्ठा पितु भक्ति विश्व में सिखाया है ।।
कुल का बढ़ाया मान माँग एक वरदान ।
प्राण दान माँग माँ की ममता को पाया है ।।
रामभद्र भृगुवंशी कुल के ध्रुव तारे बने ।
शिवकी करि भक्तिफल फरसे को पाया है ।।


गीत छन्द कविता मैं लिख सकूँ पर कैसे ।
जमदग्नि रेणुका सुत के मैं जीवन का सार लिखूँ ।।
पितु के गौरव की शान माँ रेणुका का अभिमान ।
हुआ धन्य वार जो उस वार का आभार लिखूँ ।।


नाम - शिवाँगी मिश्रा
पता - लखीमपुर - खीरी


अक्षय काव्य समोराह 2020
परशुराम जयंती पर अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी कार्यक्रम प्रेरक नंदलाल मणि पीताम्बर जी एवं काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय आदिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना


राम से परशुराम
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शुक्ल पक्ष की वैशाख तीज आई बड़ी निराली ।
विष्णु के छटे अवतार राम जन्म उत्सव ले आई ।।


वीर पुत्र को पाकर माँ रेणुका फूली ना समाई ।
पिता यमदग्नि  गर्वान्वित हो उठे जब राम उनके घर पधारे ।।


पिता का आदेश सुनकर चल पड़े शिव तप को ।
घोर तपस्या कर प्रसन्न किया शिव को।।


देवो के देव महादेव ने दर्शन दिये राम को ।
असुर विनाश का आदेश दिया फिर राम को ।।


शक्तिशाली राम ने अपना पराक्रम दिखाया ।
असुरो पर विजय कर उनका विनाश कर डाला ।।


शिव ने प्रसन्न होकर परशूशश्त्र दे डाला ।
तबसे राम परशुराम कहलाये ।।


लेखिका - ज्योति नरवाला
उम्र -24
पता- कोटा राजस्थान
मोबाइल- 8890204744


काव्य रंगोली अक्षय सम्मान समारोह 2020


अक्षय काव्य उत्सव  20 20 की अध्यक्ष आदरणीया  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी प्रेरक संपादक काव्य रंगोली आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी के समक्ष रचना प्रस्तुत है


                 कविता
            =========
तिलक जनेऊ धारण किये
ब्राह्मण कुल में आए तुम     अक्षय तीज तिथि था उस दिन
अग्रज बन बस छाये तुम


नाम परशुराम  है जिनका
जमदग्नि के पुत्र वही
नहीं सहे अन्याय कभी भी
धरा से क्षत्रिय मिटाये तुम


हो विष्णु अवतार तुम्हीं
तुम कुलश्रेष्ठ कुल नायक हो
अक्षय बन संग सभी के
उर पर हो बस छाये तुम


रख लो हृदय में इन्हें सभी जन
उन्नत ही फल पाओगे
है तो पूज्य सभी जन के ये
अब तो मान भी जाओ तुम
नाम= डाँ०अजीत कुमार श्रीवास्तव "राज़"
c/oकृमोलशा  मेडिकल्स
गाँधी कला भवन के सामने
बस्ती, उ०प्र० -272001
मो०न०=9336815954


: *काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020*
प्रतियोगिता की अध्यक्षा आदरणीय डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,
कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर,
एवं काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर,
सभी को मेरा प्रणाम।


*"भगवान परशुराम"*


ऋषि जमदग्नि कुलभूषण, मातु रेणुका के नयनो के तारे।
भीष्म, द्रोणाचार्य अरु कर्ण के, गुरु श्रेष्ठ विप्र जगत प्यारे।।


बैसाख माह शुक्ल तृतीय को, जगत में आगमन हुआ।
भृगुकुल भूषण परशुराम ने, विष्णु का अंशावतार लिया।।


गुरु ऋचीक से ज्ञान मिला, दिव्य वैष्णव शार्ङ्ग धनु लिया।
ऋषि कश्यप से अविनाशी वैष्णव नाम मन्त्र प्राप्त किया।।


"शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" छन्द काव्य रचे जमदग्नये।
शिव दिव्य विद्युदभि परसु पा कर राम से परशुराम हुये ।।


सनातन धर्म के रक्षक तुम विश्वबंधु नाम उजियारे।
सती अनुसूया लोपामुद्रा सह स्त्रि-चेतना की राह सँवारे।।


सहस्रार्जुन अरण्य पधारे, कपिला कामधेनु निहारे।
बाहुबल के मद में धृत से जमदग्नि कपिला को हारे।।

आक्रोषित हो उठा परसु, सहस्रबाहु की भुजा विदारे।
मातृ-पितृ क्षति से क्रोधित, जगत के सब क्षत्रिय संहारे।।
अंजना कण्डवाल 'नैना'
पता- पौड़ी गढ़वाल 'उत्तराखण्ड'
मो0 न0-7249986495


प्रतियोगिता की अध्यक्षता आदरणीय डॉ0 इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलोर कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी गोरखपुर एवम काब्य रंगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर को संबोधित करते हुए मैं अपनी रचना पोस्ट कर रहा हूँ।
       रचना
--------------------
भगवान परशुराम को शत-शत प्रणाम है।
त्रेता से लेकर द्वापर तक इनका नाम है।।
भारत में कितने मंदिर मिलते हैं आपके,
दुनिया में प्रभू आप सभी से महान  है।
भगवान विष्णु के छठें अवतार रूप में,
पृथ्वी पे आये आप प्रभू परशुराम है।
बैशाख शुक्ल तृतीया को जन्म हुआ था,
क्रोधाग्नि प्रभू आपकी दुनिया में आम है।
आप त्रेता द्वापर में भी रहे अमर,
यमदग्नि पिता रेणुका माता का नाम है।
माँ गंगा हुई अवतरित अक्षय तृतीया को,
माँ गंगा आपको सदा मेरा प्रणाम है।
श्री कृष्ण सुदामा मील अक्षय तृतीया को,
ये मित्रता दुनिया में बड़ी ही महान है।
तृतीया को गाय को पिलाओ पानी गुड़ खिला,
दो दिन ग़रीबों को ये ही अच्छा काम है।
भगवान परशुराम कृपा कीजिये हमपे,
मेरे हृदय में आपका बड़ा सम्मान है।
सेवा करे जो गाय की अक्षय तृतीया को,
"आशिक़" सदा ही दुनिया में उसका नाम है।
नाम--रमेश चंद्र सेठ
      (आशिक़जौनपुरी)
पता--ग्राम रामदासपुर नेवादा
पोस्ट--शीतला चौकियाँ
जनपद--जौनपुर (उ0प्र0)
पिन--222001
मो0नं0-- 9451717162
जन्म तिथि 18 जनवरी 1949


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना -


मन जब भी हारा है, तन तब ही हारा है,
जो कभी नहीं हारा  है ..तो परशुराम वो,
जब भार बड़ा भू पे, तब हा-हा-कार मचा,
त्रास लोक का देख के ,राम पधारे भू पे।
लिए हाथ में परसा, करके टेड़ी भ्रकुटी,
जन उद्धार के नेता, तो वो जमदग्न्य थे,
धर्म मूल था जिनका,  स्वीकार नहीं अधर्म,
दशमदेव थे सदा , तारे कष्ट जगत् में ।। 1।।


लोक कल्याण व्रत था , अन्याय नहीं स्वीकार,
क्रोध उद्दीप्त कपाल ,  तो वो भार्गव भू पे,
क्षत्रिय विहीन धरा , बार एकविंश रही ,
कोई प्रतिकार नहीं , राम प्रताप यही।
आज भी देखें भूजन, राह परशुराम की ,
उद्धार करेंगे वो ही,  भू पे इस नाम का ,
अन्याय बढ़़ा है यहाँ ,इमान है नित्य घटा,
उतरों उद्धार करो …जग का रेणु पुत्र ।।2।।
उतरों उद्धार करो …जग का रेणु पुत्र ।।आवृत्ति।।


सादर प्रस्तुति
© डॉ.अमित कुमार दवे,
खडगदा,डूँगरपुर,राजस्थान,भारत
9 414 567 296


काव्य रंगोली अक्षय सम्मान समारोह 2020
अध्यक्षा माननीया डॉ इंदु झुनझुनवाला जी,प्रेरक माननीय नंदलाल मणि त्रिपाठी जी
, एवं संरक्षक माननीय दादा अनिल गर्ग जी की पावन उपस्थिति में भगवान परशुराम पर निम्न रचना सादर प्रस्तुत
************************
परम प्रतापी ब्रह्मर्षि को
बारंबार प्रणाम।
गूंज रहा तीनों लोकों में
परशुराम का नाम।।
जमदग्नि रेणुका के सुत थे
विष्णु के अवतार।
नतमस्तक हो भक्तिभाव से
पूज रहा संसार।।
अनाचार जब बढ़ा धरा पर
आयी बड़ी समस्या ।
खुश करने शिवशंकर को
की थी घोर तपस्या।।
अति प्रसन्न हो महादेव ने
सौंपी थी कुल्हाड़ी।
शुरू किया वध क्षत्रियों का
कांपी धरती सारी।।
बहुत विकल है धरा आज फिर
करती करूण पुकार।
पीड़ा हरने जन जन की प्रभु
आ जाओ एक बार।।
✍️ विजयव्रत कंठ
रोसड़ा समस्तीपुर बिहार
मोबाइल 9771136617


अक्षय काव्य उत्सव 2020
आदरणीया इंदु जी झुनझुन वाला बंगलोर,(कार्यक्रम अध्यक्षा)
आदरणीय नन्द लाल मणि त्रिपाठी जी,(सम्पादक काव्य रंगोली)
आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी,(संरक्षक काव्य रंगोली)
श्री परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में लिखे गए दोहे-
परशुराम जमदग्नि- सुत, शंकर-प्रिय अभिराम।
भृगु मुनि के वंशज रहे,लीला- ललित-ललाम।।


मातु-नाम है रेणुका,भ्राता पाँच महान।
सबसे लघु भ्राता परशु,पर, प्रिय पितु की शान।।


पिता-प्रेम में हो मगन,बधे स्वयं निज मातु।
मुदित पिता से पुनि किए, प्राण-दान की बात।।


परशु राम श्री राम इव, विष्णु-रूप-अवतार।
हुए अवतरित धरा पर,अक्षय तृतीया वार।।


त्रेता से द्वापर तलक,परशु-काल-विस्तार।
कलियुग में भी आगमन,कल्कि-नाम-अवतार।।


किया शम्भु-धनु भंग जब,त्रेता में प्रभु राम।
होकर अति क्रोधित परशु,पहुँचे मण्डप-धाम।।


परशु राम श्री राम मिल,किए कार्य अनुकूल।
विष्णु-रूप दो शक्ति का,मेल न हो प्रतिकूल।।


धेनु-पिता प्रतिशोध में,कर क्षत्रिय-कुल-नाश।
राक्षस-कुल संहार कर,किया है धर्म-विकास।।


गिरि महेंद्र आवास है,जन्म नर्मदा-तीर।
शस्त्र फावड़ा प्रखर अति,परशु राम बहु वीर।।


परशु राम ऋषि आठवें,हैं सप्तर्षि समान।
यही तृतीया अक्षया, तिथि है परम महान।।
               ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                   9919446372


कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीया डॉ इन्दु झुनझुनवाला बंगलौर, प्रेरक आदरणीय नन्दलाल मणि त्रिपाठी, संपादक काव्य रंगोली एवं काव्य रंगोली संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी को समर्पित रचना :


"अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती"


       (वीर छंद)


आये परशुराम भगवान, पावन अक्षय तृतीया तिथि को.,
देने दुनिया को सद्ज्ञान, वीर बनो यदि जीना है तो.,
स्वाभिमान और सम्मान, की रक्षा कर हर कीमत पर.,
राक्षस असुरों के संहार, हेतु समर्पित कर अपने को.,
हो रहा जगत में पापाचार, हाहाकार मचा पृथ्वी पर.,
धरती का कम कर अधिभार, पाप विनाशक बन चलते रह.,
परशुराम के इस सन्देश, का प्रचार ही प्रासंगिक है.,
गो द्विज रक्षण का उपदेश, करते रहो प्रसारित जग में.,
कभी नहीं सहना अन्याय, अन्यायी को मार गिराओ.,
स्थापित करते रहना न्याय, धर्म युद्ध का शंखनाद कर.,
रावण कौरव भी हैं आज, इन्हें कुचल दो परशुराम बन.,
लिये कुल्हाड़ी बरसे गाज, दुष्ट पतित निशिचर राक्षस पर.,
अस्त्र-शस्त्र का करो प्रयोग, जब भी देखो पाप-दरिंदा.,
परशुराम का है यह योग,क्रान्तिवीर्य का वध कर डाले.,
क्रान्तिवीर्य था अधम अपार, क्षत्रिय राजा घोर अपावन.,
कंपित था सारा संसार,विप्र विरोधी इस दानव से.
परशुराम पा शिव वरदान, लगे गिराने सकल असुर को.,
स्वयं बने थे हरि अवतार, छठवां विष्णु कहाये जग में.,
देवों का करने सत्कार, आये थे इस भूमण्डल पर.,
किये धर्म का गहन प्रचार, लिये कुल्हाड़ी-चक्र सुदर्शन.,
कलि बनकर लेंगे अवतार, कलियुग में श्री परशुराम जी.
कलियुग का होगा उपकार, ऐसी आशा है शास्त्रों को।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


*अक्षय काव्य उत्सव-2020*
*प्रभु परसुराम पर दोहावली*


शुक्ल पक्ष बैसाख का, पावन दिवस तृतीय।
परसुराम का अवतरण, जग में है स्मरणीय।।


धूप दीप नैवेद्य घी, अक्षत चंदन फूल।
परसुराम की अर्चना, कर इनसे मत भूल।।


परसुराम भगवान है, श्रीहरि के अवतार।
निज भक्तों के जो सदा, करते बेड़ा पार।।


ब्राम्हण कुल में अवतरित, क्षत्रिय सम व्यवहार।
परसुराम प्रभु ने किया, दुष्टों का संहार।।


क्रोधी ऋषि के रूप में, जग प्रसिद्ध है कंत।
तोड़ दिया था क्रोध में, श्री गणेश का दंत।।


परमभक्त शिवनाथ के, प्रभुवर गुण की खान।
रखते अपने साथ है, फरसा तीर कमान।।


उपस्थित है कलिकाल में, चिरंजीव भगवान।
पितु महर्षि जमदग्नि के, ज्ञानवान संतान।।


परम प्रतापी वीर है, मातु रेणुका लाल।
आते सबके काम है, संकट में विकराल।।


त्रेता-द्वापर में मिले, राम-कृष्ण से नाथ।
काज किया अति नेक था, देकर उनका साथ।।


भार्गव जी के भक्त है, पृथ्वी के सब जीव।
पशु-पक्षी अरु प्रकृति से, प्रभु को प्रेम अतीव।।


श्लेष चन्द्राकर,
पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27,
महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन - 493445,
मो.नं. 9926744445


काव्य रंगोली अक्षय सम्मान समारोह 2020


अध्यक्षता माननीय डा० झुनझुन वाला जी
प्रेरक माननीय नन्दलालमणि त्रिपाठी जी एवं
संरक्षक माननीय दादा अनिल गर्ग जी की पावन उपस्थिति में भगवान परशुराम जयन्ती पर एक सादर प्रस्तुति...


बैशाख मास की शुक्ल पक्ष में
तृतीया तिथि को भगवन जन्मे
नाम था जिनका परशुराम जी
माता जिनकी रेणुका।


अक्षय तृतीया सँग मनाते
स्नान,पूजा कर ध्यान लगाते
विष्णु के ऐसे अवतार कहे
हनुमान सँग अश्वत्थामा की भांति
पृथ्वी पर सशरीर रहे(हैं)।


त्रेतायुग में भगवान राम ने
शिव धनुष जब तोड़ा था
परशुराम जी का महेंद्र पर्वत पर
ध्यान उसी से भंग हुआ था।


क्रोध में आकर श्री राम से वो
मिलन हुआ तो क्रोध भूल गए
प्रणाम किया जब प्रभु राम जी को
वो अपना सुदर्शन चक्र दे गए।


प्रकृति प्रेमी, प्रकृति संरक्षक
सारी सृष्टि से वो बातें करते
पशु-पक्षियों सँग खंखार जानवर
सब उनसे बेहद प्यार ,थे करते।


शस्त्र, शास्त्र के समान उपयोगी
ऐसे थे भगवान श्री परशुराम योगी।


नाम- ✍️अनूप बसर
पता- 2/7 आवास विकास-2nd
जिला- बुलंदशहर
पिन-203001
राज्य-उत्तरप्रदेश
मो०न०- 9870688757


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना - "हे राम तुम परशुराम हो"


जो विष्णु रूपी अवतार धारते परशु अपने हाथ  में ।
जमदग्नि ऋषि के पुत्र थे क्रोधाग्नि थी जज्बात  में ।।


वैशाख शुक्ल की तृतीया को,जगतारन ने अवतार लिया
फिर जगत का उद्धार कर  अरि-पापी का संहार किया
पितुभक्त सा शिवभक्त भी यह जगत दिखला दिया
है कर्म निज स्वभाव भी यह झलकती थी बात में ।।


हर युग में  नूतन नाम था हर मुख पे बस सम्मान था
दशरथ हों या फिर जनक हों वह स्वयंवर अभिराम था
जब क्रोध क्रोध से लड़ पड़ा परशु उठा ली हाथ में
  पर झुक गये थे राम आगे जो खड़े थे  साथ में ।।


क्षत्रिय विहीन इक्कीस बार यह उर्विजा बनकर रही
प्रभु राम ने प्रतिकार ना कर उद्गार से मन जीत ली
कल्याण का व्रत धार कर दोनों खड़े थे सामने
है दिवस शुभ दिन आज का दीपक जलेंगे रात में ।।


तुम राम हो परशुराम हो तुम रेणुपुत्र कहाते हो
तुम युग प्रणेता बन दिशा देते हो समम्नात् में ।।
सादर प्रस्तुति
डा0 रजनी रंजन
   घाटशिला झारखंड


केसेवा में,
काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करतीं हूँ। कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020
*##*अक्षय तृतीया* *विशेष:भगवान परशुराम** *महिमामृतम्*##*


*दोहा-*
अक्षय तृतीया तिथि यही, त्रेता का आरम्भ ।
परशुराम के अवतरण, का है यह प्रारम्भ।।


*चौपाई-*
शुक्ल दिवस बैशाख महाना,तृतीया तिथि अक्षय तुम जाना।
प्रभु करि कृपा तुमहि पर  नाना, शुभ कारज सकल सिद्ध जाना।।


पितु जमदग्नि कहै सुत न्यारा,  मातु रेणुका के चक्षु तारा।
श्री विष्णु आवेशावतारा,नामहि परशुरामअति प्यारा।।

परम वीर ओजस्वी जाना,गुण अरु कर्म क्षत्रिनहि समाना।
वर पाये प्रभु शिव से नाना,विप्र पुत्र बन गये भगवाना।।


मातु पितु भगत अति सुखराशी,हरिअवतार सदा अविनाशी।
अन्त तक महेन्द्र गिरि वासी,त्रय युग से इह लोक निवासी।।


शिव से मिलन गये इक बारा, श्री गणपति बाधा करि डारा।
मुनि रिसियाये किये प्रहारा,अस कपिल एकदन्त करि डारा।।


हैहय दुष्ट सकल कुल घाती,करि उत्पात फुलावै छाती।
परशुराम उनके प्रतिघाती,एकइस बार बुझै कुल बाती।।


बहुतहि शस्त्र-अस्त्र के ज्ञाता, द्रोण कर्ण को ज्ञान प्रदाता।
ब्राह्मण पर अनुरक्ति विशेषा,सदैव क्षत्रियों पर अति रोषा।


पितु पर प्रेम अनत रखियाहीं, पितु करि आज्ञा सिर धरियाहीं।
मातु शीश धड़ से बिलगाहीं, पितु सन मातु वरद मा पाहीं।।


*दोहा-*
परशुराम भगवान की ,महिमा बडी़ महान।
विनती जो जन नित करें, ते पावे कल्यान।।


*स्वरचित-*
*डाॅ०निधि*
**अशोक विहार कालोनी*
*अकबरपुर,अम्बेडकर नगर


*अक्षय काव्य उत्सव २०२० - काव्यरंगोली*


*परशुराम जयंती* एवम *अक्षय तृतीया* पर अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी, बैंगलोर कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी, गोरखपुर एवं काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा आदिल गर्ग जी कानपुर, आप सभी महोदया और महोदय को नमन ।


*शीर्षक : अक्षय तृतीया*


हे गजवंदन ! हे गणेश !
   श्री लक्ष्मीपति, विष्णु महेश !


ज्ञान दो, विज्ञान दो...
  पंचतत्त्व को प्राण दो...


हे महालक्ष्मी ! हे महामाया !
  अचल कर दो अपनी छाया...


अक्षय तृतीया को अक्षय वर दो...
  अखिल विश्व का कल्याण कर दो...


माँ अन्नपूर्णे ! अभय वर दो...
   देश में धन- धान्य भर दो...


अक्षय पात्र का वरदान दो माँ...
   भूख का निदान दो माँ...


माँ जान्हवी ! विस्तार दो ना...
   सुख- समृद्धि का द्वार दो ना...


भगीरथ- सा भव्य श्रम हो...
   ज़िन्दगी में अब न भ्रम हो...


दिव्य तीन वरदान दो माँ... !
    अमृत कलश का मान दो माँ !


अक्खा तीज, अक्षय तृतीया है,
    इस दिवस पर महादान दो माँ...।।
*डॉ मीरा त्रिपाठी पांडेय*
                 *मुंबई, महाराष्ट्र*


काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020🍁*


*आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करता हूं कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।*


*सादर धन्यवाद !*


*🍁परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार 26 अप्रैल 2020🍁*


शीर्षक- जय जय परशुराम


करुणा के राम है
क्रोध के परशुराम है
ये ही दो नाम हिन्दुत्व का सम्मान और अभिमान हैं
बोलो जय जय परशुराम।।।
कृपा निधान की क्षमा, और दुष्टों का सँहार ,
परसे की शक्ति अपार
बोलो जय जय परशुराम।।।।
जब-जब पड़े धर्म पर भारी अधर्म
तब-तब प्रभु , लिए जन्म धारा पर
सूर्य सा तेज ,जल सी शीतलता,
कर्म ,वीरता और पितृ आज्ञा है ,जिनके बखान ,,
बोलो जय जय परशुराम ।।
भारत की इस पावन धरती पर जन्म लिया ,
दुष्टो का सँहार किया,,
प्रभु प्राकट्या भक्तो का उद्धार किया।।
बोलो जय जय परशुराम।।
कृष्ण , राम की पावन धरती
श्री परशुराम की न्योछावर धरती,
हिंदुत्व की रक्षा,वीरता का पाठ पढ़ाया
स्वयं सेना का ज्ञान कराया ।
भृगुवंशी वीर आपके चरणों मे वंदन बारम-बार
करुणा के सागर ,,,
ज्ञान की गंगा ,,
क्रोध की ज्वाला,,
विराट रूप प्रभु जन-जन के पालन हार
प्रभु रेणुका मैय्या के लाल।।
बोलो जय जय परशुराम।।


*नाम - प्रिया चारण
*पता - नाथद्वारा ,राजसमंद राजस्थान
*मोबाइल - 8302854423


परशुराम जयंती एवम अक्षय तृतीया पर अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर एवं काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर  एवं सुधी जनों को निवेदित  दोहा चौपाई **


भगवान  परशुराम जयंती ( वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया)


परशुराम जमदग्नि सुत, मातु  रेणुका  लाल!
शिव कश्यप के शिष्य तुम, ब्राह्मण कुल महिपाल!!
जय - जय  परशुराम भगवाना , भक्ति ओज गुण शील निधाना!
शक्ति प्रबल शिव प्रेम निशानी , परशु विशेष  कहें मुनि ज्ञानी!
वामन राम मध्य अवतारा ,षष्टम विष्णु रूप  महि धारा!
शुक्ल  वैशाख   पर्व तृतीया, पंचम पुत्र वंश यश दीया!
राजा सहस्रबाहु इक बारा, समर जीत आयो ऋषि द्वारा!
नाना भाँति कीन्ह नृप स्वागत, प्रेम भाव उत्तम  लखि  आगत!
कामधेनु महिमा जब जानी, लालच दम्भ ह्रदय अभिमानी!
पिता मृत्यु सुन क्रोध अपारा, ब्रह्म तेज जमदग्नि कुमारा!
भृगुवंशी  जमदग्नि किशोरा, प्रण कठोर कीन्हा अति घोरा!
   कार्तवीर्य अर्जुन वध कीन्हा, अन्यायी दुर्लभ फल दीन्हा!
मन उद्वेग  गए   कैलाशा, शंकर शिवा मिलन गुरु पासा!
परशु प्रहार क्रोध  में   कीन्हा ,  एकदंत  गणपति कर दीन्हा!
धनुष भंग पर क्रोध अपारा , विस्मय  मिटा जानि अवतारा!
द्वापर कृष्न सुदर्शन दीन्हा, भीष्म द्रोण को शिक्षा दीन्हा!
कर्ण श्राप कलियुग को दीक्षा, भक्त शिरोमणि लेत परीक्षा!
विष्णुपुराण  भागवत   गाथा, रामचरित मानस  गुण गाता!


अजर - अमर  भगवान  हैं, परशुराम जस नाम!


महेंद्रगिरि  अनुपम स्थली, नमन ज्ञान शुचि धाम!


राजकिशोर मिश्र राज प्रतापगढ़ी


*🍁काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह रविवार 26 अप्रेल 2020🍁*


*आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत कर रही हूँ, आदरणीय कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।


सादर धन्यवाद ।


                      " भगवान परशुराम"
अधर्म का धरा पर बढ़ता है जब -जब भी अंधियारा।
तब भगवान मनुज रूप धर करते जग मैं उजियारा।।
कभी राम रूप मैं आते हैं प्रभु तो कभी परशुराम बन।
भगवान विष्णु धरती से पाप मिटाते मनुष्य रूप धर।।
नारायण के छठवें अवतार मैं जन्मे ऋषि अवतारी।
वैशाख मास की अक्षय तृतीया को सुत जाये महतारी।।
सप्तऋषियों मैं स्थापित जमदाग्नि के पुत्र बलशाली।
माता रहीं रेणुका उनकी उच्च ब्राह्मण कुल वाली।।
माता-पिता के पुनीत तप से प्रकटे जमदाग्नि के लाल।
महाशिव के आशीष से उन्होंने धरती पर फैलाया प्रताप।।
अपने परशु से महि को क्षत्रिय विहीन किया इक्कीस बार।
क्रोध था प्रचंड उनका अन्याय का किया सदैव प्रतिकार।।
रामभद्र, भार्गव, भृगुपति, भृगुवंशी नामों से हुए विख्यात।
अपने कुल को किया अलंकृत जमदग्न्य ऋषि उनके तात।।
कठोर तपस्या और भक्ति से नीलकण्ठ को किया प्रसन्न।
पाया वर तप फलस्वरूप वे दैत्यशत्रु और दानवों को
मारने मैं होंगे सक्षम।।
युद्ध कला मैं दक्ष वे महाप्रतापी हिन्दू धर्म के रहे रक्षक।
दिव्यास्त्रों के धारक और ज्ञाता अनीति के सदैव रहे भक्षक।।
माता-पिता के प्रति रहे समर्पित समर्पण भाव को मन मैं धारा।
पित्राज्ञा मैं रहे सदा रत वे संसार मैं आठवें मानवतारा।।
✍️✍️  डॉ. निर्मला शर्मा
🙏🙏  दौसा, राजस्थान


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना-


परशु हस्त शोभा बना, परशुराम है नाम ।
लिए विष्णु अवतार हैं ,हाइहाया था धाम ।


जमादग्नि के पुत्र हैं, मातु रेणुका नाम।
परमवीर थे रामभद्र, ब्राम्हण कुल सुखधाम ।।


शुक्ल पक्ष वैशाख की ,तिथि तृतीय है जान।
अक्षय रहता धन सदा ,भृगुपति जन्म महान ।।


क्रोध अग्नि जलती ह्रदय ,क्रोध बना है अस्त्र।
परशुराम धारे परशु,यही प्रमुख है शस्त्र ।


वीरों के जो वीर हैं, रक्षा करते धर्म।
गाथा स्वर्णिम है लिखी, करके महान कर्म।।


नाम-गीता गुप्ता 'मन'
पता-उन्नाव,उत्तरप्रदेश


*🍁काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह रविवार 26 अप्रेल 2020🍁*


*आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत कर रही हूँ, आदरणीय कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।


सादर धन्यवाद ।


                      वीर योद्धा परशुराम....


डरा   सहमा  रहता   जिनसे   सदैव  ब्रह्मांड  सारा  था
कौन   जीतता  आप से   सहस्त्रार्जुन भी  तो  हारा  था
किया  दशरथ   नन्दन   से  जब   शिव   धनुष  खंडित
वो   तुम्हीं    थे   जिस  ने    राम    को   ललकारा   था
डरा सहमा रहता जिनसे....................................


धरती  के  आठ  चिरंजीव देवताओं में नाम तुम्हारा था
ब्राह्मण  होते   हुये  भी   क्षत्रियों   का   वेश   धारा  था
उभारा   था    धरती   को   कैसे   क्षत्रिय   विहीन  कर
आप  करते भी  क्या  बचा  ओर  कोई  नहीं  चारा  था
डरा सहमा रहता जिनसे....................................


विष्णु  के  अवतार  आप   यह  जानता  जग  सारा  था
गणेश  ने  की  अवज्ञा   तो  उसका  दाँत  तोड़ डारा था
हुआ  काल   भी   आपके   सामने  हारकर  नतमस्तक
बड़े बड़े देवताओं व ऋषि मुनियों में सम्मान तुम्हारा था
डरा सहमा रहता जिनसे....................................


कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद
रामगंजमंडी कोटा राजस्थान
8209809358


*राशि श्रीवास्तव, चंडीगढ़*
*सेवा में,*
काव्य रँगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020
आदरणीया समारोह  अध्यक्ष  डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत करतीं हूँ। कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल 2020


महिमा आपकी अपरंपार
नमन करे सारा संसार


एक अलौकिक दिव्य विभूति
विष्णु के छठे अवतार


ब्राह्मण कुल में हो जन्मे
युद्ध कला में बड़े प्रगाढ़


जब दुष्टों के बढ़ते दुराचार
परशु से करते हो वार


राम अलावा तोड़ सके ना
आपका कोई धनुष, नर-नार


क्रोध से थरथर कांपे पापी
रक्षा को करते हैं पुकार


मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम 
महा ज्ञानी हैं परशुराम


शत शत नमन आपको करते
पूजनीय है आपका धाम


राशि श्रीवास्तव
चंडीगढ़


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना-


काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना-


तेज,निडरता,साहस,बल,जब मिलकर एकाकार हुये।
विष्णु के श्री रूप भृगुप्ति अवनी पर अवतार हुए।


कर डाला सर्वस्व समर्पित,
गुरु,ज्ञान,गौरक्षा में।
दिखलाया प्रतिबिम्ब जगत को,
बल,बुद्धिप्रतिबद्धता ने।


संयम और सिद्धियों के बल,
जग के तारणहार हुए।
विष्णु के श्री रूप भृगुपति,
अवनी पर अवतार हुए।।


धन्य है वो विप्रकुल औऱ,
नमन है उस महतारी को।
जन्म दिया जिस कोंख से उसने,
महाबली अवतारी को।।


बलधारी उस वीर के सम्मुख,दैत्य परास्त हर बार हुए।
विष्णु के श्री रूप भृगुपति, अवनी पर अवतार हुए।।


      नीलम मुकेश वर्मा
     झुंझुनू राजस्थान।


*🍁काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह रविवार 26 अप्रेल 2020🍁*


*आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर,कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत  आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर, एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर ,आप सभी के अवलोकनार्थ निम्न पंक्तियां प्रस्तुत कर रही हूँ, आदरणीय कृपया प्रतियोगिता समारोह में शामिल करने की कृपा करें।


सादर धन्यवाद ।


भगवान हे परशुराम नित्य वन्दन है,
        वंदना हमारी एक बार सुन लीजिए।
त्राहि-त्राहि धरती पर हो रही है चहुंओर,
       धरती का घोर अनाचार सुन लीजिए।
आताताई फैले है सहस्त्रबाहु के सदृश,
    मानवों की थोड़ी चीत्कार सुन लीजिए।
असहाय,गंगा, गाय, धर्म, ब्रह्मणत्व सभी,
      पीड़ा हरने प्रभु पुकार सुन लीजिए।


हे परशुराम छठे विष्णु अवतारी प्रभु,
   मुझ पर आप कुछ कृपा कर दीजिए।
भगवान शिव की अनन्य भक्ति लिए आप,
     ऐसी ही अनन्य भक्ति उर भर दीजिए।
चाहता हूं शस्त्र और शास्त्र का कराके ज्ञान,
    राष्ट्र के निमित्त कुछ दिव्य वर दीजिए।
धर्म को बढ़ाने व अधर्म को मिटाने हेतु,
      एक बार प्रभु शीश कर धर दीजिए।


कवि अनूप सत्यवादी
  लखनऊ  उत्तरप्रदेश
  9305413741


अध्यक्ष आदरणीया इंदु झुनझुनवाला जी,प्रेरक आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर  काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा आदिल गर्ग जी परशुराम जयंती प्रतियोगिता हेतु रचना ...


शीर्षक:-- *भगवान परशुराम*


आज निर्दयी भेड़ियों से ये धरा कांपी हैं,
दुष्ट लोग हो गए,बहुत हो गए पापी हैं।
आज सज्जन लोग जीवन के मोहताज हैं,
हे भगवान बहुत संकट में धरा आज हैं।


अब कोई द्रोपदी की बच रहीं लाज हैं,
अन्यायी ,अधर्मी लोग ही बने सरताज हैं।
हे परशुराम तुम अब ले आओ तलवार,
जल्दी ही धरा पर , ले लो अब अवतार।


देव धरा पर अब असुरों की बहुत  भरमार है,
संकट में आई धरा तब तुमने लिया अवतार हैं।
अपने धनुष की गर्जना से तुमने किया हाहाकार,
दुष्टो से बचाया हम सबको किया था बेड़ा - पार।


अब देर ना करो तुम आ जाओ भगवान,
अपना तेज दिखा के दे जाओ सबको ज्ञान।
तलवार को तुम निकालो दूर रहने दो म्यान,
दुश्मनो का सर्वनाश करो चलाओ तीर-कमान


 


 


 


अक्षय काव्य प्रोन्नत


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुरामजी की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम प्रेरक आदरणीय नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवं आदरणीया अध्यक्ष डॉ. इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर एवं संरक्षण आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित करते हुए मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना


विषय- भगवान परशुराम जी
विद्या - छंद


दोहा-
       गजानन को नमन करूं, शारदे धरूं ध्यान।
         सर्व समर्पण मां करूं,दो मां सुकर्म ज्ञान।।


कवित्त छंद-- 
वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया पुण्य महान, जन्मे अद्य दिवस द्विज परशुराम था।


मां रेणुका पिता जमदग्नि रा सुत महान,भूमि भार हरण उनका पुण्य काम था।


देखो जिनका गुरु कैलाशपति था महान, धर्म परशु लिया विजया धनु नाम था।


भीष्म द्रोण कर्ण से थे जिनके शिष्य महान, मातृ पितृ भक्ति में जिनका बड़ा नाम था।।( 1 )


इक्कीस बार भूमि को क्षत्रिय विहिन किया, ऋषि मुनि हेतु परशुराम सुखकारी।


जनता रक्षा हेतु कर जोड़ आह्वान किया, परशुराम मिटा दो छाई जो महामारी।


बिलख रही धरती पापियों ने पाप किया,भृगुवंशी आओ बनकर सुरक्षाकारी।


अन्याय दुष्टों सबका हे द्विज उद्धार किया, पुकारे नर नारी आओ हे परशुधारी।। ( 2 )
नाम- देवराज शर्मा
गांव मूण्डवाड़ा, सीकर,राज0
पिन 332023
सम्पर्क सूत्र- 8432241964


नाम -कविता शरद विश्वकर्मा
पता -खंडवा मध्य प्रदेश
शीर्षक - परशुराम पर आधारित मेरी रचना
************************
*ले हाथ में कुदाल और बोल बंदे मातरम तन पर माटी को उछाल और बोल बंदे मातरम*
*धर्म और कर्म दोनों लेकर अपने हाथ में इस देश को संभाल और बोल वंदे मातरम*


हे वीरों की इस धरती पर
एक वीर और जन्मा था
युद्ध कौशल में निपुण
ब्राह्मण कुल  का सपना था


भगवान विष्णु का अवतार लिया
रेणुका का पांचवा रत्न बन धरती पर दुष्टों का संहार किया।

रामभद्र भार्गव जगदंन्य नाम से पहचान बनी
हर घर में पूजनीय हूये नाम और शान बनी


ऐसे पराक्रमी परशुराम परशु यानी कुल्हाड़ी शस्त्र से परशुराम कहलाए
हो सभी के पूर्ण काम जो  जन्म ले अक्षय तृतीया के दिन आए


की तपस्या शिवजी की तो
वरदान पाया
राक्षस और देत्यो से लड़ने को विजय धनुष बाण आया


शिव जी के भक्त  अक्षय फल बन चारो दिशा में कीर्ति फैलाई
ऋषि बनकर अपनी हस्ती बनाई


वीर परशूराम को सतयूग से त्रेतायूग का आरंभ माना जाता
सारे शुभ कामों का अक्षय फल जाना जाता


भगवान परशुराम  उनकी कीर्ति का गौरव सदा रखेगे याद
उनकी कृति उनके यश को भूलेंगे ना हम  यह है खुद से आगाज
कविता शरद विश्वकर्मा खंडवा मध्य प्रदेश


काव्य रंगोली अक्षय काव्य सम्मान समारोह 2020


आदरणीया समारोह अध्यक्ष डॉक्टर इंदु झुनझुनवाला जी बैंगलोर , कार्यक्रम के प्रेरणा स्त्रोत आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी गोरखपुर , एवं काव्य रंगोली के संरक्षक दादा अनिल गर्ग जी कानपुर , आप सभी को प्रणाम करती हूँ। आप सभी के अवलोकनार्थ रचना प्रस्तुत करती हूँ कृपया प्रतियोगिता में शामिल करने की कृपा करें ।धन्यवाद


परशुराम जयंती अक्षय तृतीया रविवार  26 अप्रैल  2020


जय परशुराम


जय, जय,जय,जय परशुराम।
सकल लोक में गूंज रहे हैं तेरे नाम।।
अवतरित हुए अक्षय तृतीया दिन ,
सूरज की नव किरण आयी धरा फिर।
मानव कल्याण किए लेकर  विष्णु के छठे अवतार ,
रोक न सके कोई तेरे कदमों की रफ्तार।
जय,जय,जय, जय परशुराम।
सकल लोक में गूंज रहे हैं तेरे नाम।।
आँचल फैलाकर माताएं पुकारें तुम्हें जब-जब
राक्षसों के जंजीर से वसुंधरा को मुक्त किए तब-तब
ऋषि जमादग्नि तथा रेणुका के प्यारे वीर लाल,
हितैषी वर्षा कर किए जन-जन निहाल।
जय, जय,जय,जय परशुराम।
सकल लोक में गूंज रहे हैं तेरे नाम।।
अद्वितीय शक्ति है तेरे फारसा में
अप्रतिम सुमन खिलाते भक्तजन जलसा में
हे शिव उपासक तेरी महिमा है अपार ,
वंदना करूँ तेरी करके निश्चल भाव संचार।
जय,जय,जय,जय परशुराम।
सकल लोक में गूंज रहे हैं तेरे नाम


      नाम:-   रीतु प्रज्ञा
    पता :-  करजापट्टी , दरभंगा, बिहार
संपर्क संख्या:-9973748861


संदर्भ ;- परशुराम जयन्ती


आदरणीया डाँ. इन्दु झुंझुनूवालाजीं,आदरणीय नंदलाल मणि त्रिपाठीजी,आदरणीय आदिल गर्गजी को मेरा नमस्कार ।आपने परशचराम पर पुन: कविता भेजने का अवसर दिया,इसके लिए आभार । कविता का शीषर्षक है-


            छठे अवतार भगवान परशुराम
           ----------------------------------------
भृगुकुल शिरोमणि ऋषि जमदग्नि के घर उजाला हुआ
जब विष्णु ने राम के नाम से छठा अवतार लिया ।
माता रेणुका के दुलारे,थे पिता के आज्ञाकारी
आशुतोष शिव के परम भक्त,ब्राम्हणों के हितकारी ।
शिव से दिव्यास्त्र परशु पाया,राम परशुराम कहलाया ।
हैहयवंशी सहस्रार्जुन ने जमदग्नि का वध किया
उसे मारकर परशुराम ने बदला लिया,हैहयों ने संघर्ष किया
परशुराम ने 21 वीं बार में हैहय वंश का समूल नाश किया।
जब जनकपुर में रघुवंशी राम ने शिव धनुष तोड़ा
परशुराम तमतमाते आये,रघुवंशी की तरफ मुंह मोड़ा।
परशुराम का विष्णु धनुष रघुवंशी के पास चला गया
तब परशुराम ने रघुवंशी को विष्णु का अवतार माना ।
परशुराम ने राम को प्रणाम किया,महेन्द्रगिरि को चला ।
वे थे अत्याचारियों के विरोधी,ब्राम्हणों के सरक्षक
अन्य क्षत्रियों से बैर नहीं था, थे उनके भी रक्षक ।
    देवदत्त शर्मा
           ई-140,  "ऋतुचक्र " शास्त्रीनगर
           अजमेर ( राजस्थान )305001
मो. 7597526079
       




    काव्य रंगोली अक्षय सम्मान २०२० , समारोह अक्षय तृतीया एवम् भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम् अध्यक्ष आदरणीया डॉक्टर इंदु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रंगोली के संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को संबोधित मेरी रचना ।


     "भगवान परशुराम"


विष्णु के छंठे अवतार हो तुम ,
पितृ भक्ति की मिसाल हो तुम ।
द्वापर से लेकर त्रेता तक ,
इस धरती का श्रृंगार हो तुम ।
रामभद्र ,भार्गव ,भृगुपति
इत्यादि नामों से विख्यात हो तुम ।
सप्तऋषि के घर में जन्मे,
वीरता के साक्षात् उदाहरण हो तुम ।
शिव जी के परम भक्त हो तुम ,
युद्ध कला में सिद्धहस्त हो तुम ।
दैत्य , दानवों और राक्षसों ,
के लिए काल का रूप हो तुम ।
भीष्म , द्रोणाचार्य , कर्ण के ,
गुरु के रूप में पूज्य हो तुम ।
अक्षय तृतीया के दिन जन्मे ,
ब्राह्मण कुल का मान हो तुम ।
महेंद्र गिरि में रहते हो तुम ,
राम नाम के साथ हो तुम ।
दिव्य अस्त्रों से सुशोभित ,
भगवान परशुराम हो तुम ।
जगदीश्वरी चौबे
साकेत नगर लंका
वाराणसी
9473662766


*अक्षय काव्य सम्मान समारोह २०२०*


सर्वप्रथम,मां सरस्वती के चरणों में वंदन, रचना कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी, प्रेरक आदरणीय श्री नन्द लाल मणि त्रिपाठी जी,
संपादक काव्य रंगोली  एवं काव्यरंगोली संरक्षक आदरणीय दादा श्री अनिल गर्ग जी, मेरे मार्गदर्शक एवं कार्यक्रम संचालक महोदय श्री नीरज अवस्थी जी और समारोह के प्रतिभागी समस्त विद्वतजनों को सादर प्रणाम करते हुए अक्षय तृतीया विषय पर अपनी रचना प्रस्तुत कर रही हूं -


           *अक्षय तृतीया*


वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है अक्षय।
इस दिन मिलता पुण्य शाश्वत,होता न जिसका क्षय।।


अक्षय तृतीया तिथि ईश्वर की।अवतारे नर-नारायण इस दिन।
प्रेरणा स्रोत बने धरती पर  उनको पूजे लोग निशदिन।।


यही वह शुभ दिन जब खुले श्री बद्री धाम। बांके बिहारी श्री विग्रह
चरणों के दर्शन देते आठो याम।


आज के दिन हीं पतित-पावनी मां गंगा प्रकट हुई । उद्धारी भगीरथ वंशबेल धरती तब धन्य हुई।।


संयोग यही वह दिव्य दिवस जब हुआ शुरू महाभारत लेखन।
और यही वह दिन भी है जब हुआ महाभारत युद्ध समापन।।


आज के दिन हीं हुआ युग परिवर्तन द्वितीय चरण शुभारंभ।
पधारे श्रीराम धरती पर, हुई रामायण आरंभ।।


आज के दिन ही बालसखा मिले कृष्ण- सुदामा।
मुट्ठी भर चावल मोल बिके अक्षय निधि अतुलित धामा।।


आज के दिन ही दुर्वासा ऋषि ने दिया अक्षय पात्र दान।
वनवासी जीवन में बने सहायक, पांडवों को श्री कृष्ण के वरदान।।


विश्वव्यापी महामारी का फैला है आतंक।
अक्षय तृतीया की महिमा अनंत।
दान-पुण्य की महत्ता बलवंत।
विश्वास यही भारत होगा विजेता दिग दिगंत।।


धन्यवाद।
डॉ. उर्मिला पोरवाल बैंगलोर


अक्षय काव्य सप्लीमेंट्री


अक्षय काव्य समारोह अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु,
संरक्षक- आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर|
प्रेरक -श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी जी गोरखपुर को संबोधित करते हुए भगवान परशुराम जी पर मेरी कविता सादर प्रस्तुत है।


भगवान परशुराम


    आज है अक्षय तृतिया का दिन ,
     आज का दिन है बड़ा    महान।
    .आज के दिन अवतार    लिया,
    परशुराम भगवान जय परशु राम भगवान ।
    जय जय  परशुराम     भगवान ॥


   पिता जगदगिन माँ रेणुका की पाँचवी संतान
   जय परशुराम भगवान,  जय परशुराम भगवान ।
   छठा अवतार लीनें स्वयं विष्णु भगवान ।
   माता पिता की आज्ञा का करें सदा  सम्मान।
    इकीस बार कीना दुष्टों का संघार ,
   किया धरती का उद्धार किया दुनियाँ का उद्धार । 
    जय परशुराम भगवान जय परशुराम भगवान ॥


    ये मृग वंशी अवतार वामन कुल की है शान ।
    महर्षि ऋचिक के पौत्र जो ब्रह्म   की संतान ।
   इनकी तपस्या से प्रसन्न हुए शंकर भगवान ।
   खुश हुए शंकर भगवान शस्त्र दिया  परशु ,
   राम बने परशुराम  जय परशुराम भगवान ।
.जय परशुराम भगवान जय परशु राम भगवान ॥


    युगों युगों से तेरा मान तू हर युग का भगवान ।
   तू आज भी है साक्षात इसका भी है प्रमाण ।
   तू करता सबका कल्याण है इस युग का भगवान ।
...जय परशुराम भगवान जय परशुराम भगवान ॥
  .जय ब्रह्म विष्णु भगवान जय परशुराम भगवान ॥


निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद


अक्षय काव्य समारोह अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु,
संरक्षक- आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर|
प्रेरक -श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी जी गोरखपुर को संबोधित करते हुए भगवान परशुराम जी पर मेरी कविता सादर प्रस्तुत है।
परशुराम जीशत-शत नमन


 आज है अक्षय तृतीया  मंगल पावन दिन,
 आज ही तो बिना विचारै होते शुभ लग्न।
आज परशुरामजयन्ती करें शत- शत नमन,
बांकेबिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण चरण-दर्शन।
 
विष्णु के छठे अवतार ,शिव के परम भक्त, क्रोधी स्वभाव तोड़ा श्रीगणेश का एकदंत। अश्वमेध यज्ञ कर जीत लिया था पूराजगत,   निज हित नकुछ ले, किया दान सर्वस्व हित।


पिता ऋषि जमदग्नि,माँ रेणुका की सन्तान, भीष्म पितामह , कर्ण को दिया शस्त्र -ज्ञान।
परशुराम- जीवन .देता संयम विवेक - ज्ञान,
न्याय प्रिय परशुराम थे वीर,पराक्रमी ,महान।


थे ऐसे पितृभक्त मां का शीश काटगिराया,
आज्ञा का रखा मान पिता से वचन बंधाया। गुणी पुत्र ने भाइयों माँ को जीवित कराया,
धरा को इक्कीसबार क्षत्रिय-रहित कराया।


धनुषतोड़ श्रीराम ने दिया उन्हें सुदर्शनचक्र,
त्रैतायुग धर्मरक्षार्थ दिया कृष्ण को वहीचक्र।
रामायण,महाभारत में हुआ वीर -आगमन,
आज का दिन विशेष पर्व और महत्त्वपूर्ण


आशा जाकड़ इंदौर


काव्य रंगोली अक्षय काव्य समारोह 2020 अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष में आदरणीय प्रेरक आदरणीय डाँ इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु तथा काव्य रंगोली संरक्षक आदरणीय अनिल गर्ग जी को संबोधित करते हुए मेरी रचना डॉ गीता पांडेय "बेबी" जबलपुर मध्य प्रदेश "परशुराम की महिमा" परशुराम की महिमा का गुणगान करते हैं राम के छठवे अवतार परशुराम हम बारं बार प्रणाम करते हैं।

वैशाख शुक्ल तृतीया को  मां रेणुका पिता जमदग्नि ने किया था ऐसा यज्ञ।
उस यज्ञ से उत्पन्न हुए परशुराम शिव भक्त थे। परशुराम रखते फरसा तीर कमान,
ब्राह्मण कुल में जन्मे परशुराम भक्ति और शक्ति के प्रतीक भगवान विष्णु के अवतार
शस्त्र और शास्त्र के विधाता अब देश में कैसा संकट आया है
एक वायरस ने कैसा कहर मचाया है
पूरी दुनिया में फैली है महामारी
अब नव अवतार लो भगवान
किसी रूप में आ जाओ प्रभु वंदन
जय जय परशुराम जय जय परशुराम
गीता पाण्डेय जबल पुर


अक्षय काव्य समारोह अध्यक्ष आदरणीय इंदु झुनझुनवाला जी बेंगलुरु,
संरक्षक- आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी कानपुर|
प्रेरक -श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी जी गोरखपुर को संबोधित करते हुए भगवान परशुराम जी पर मेरी कविता सादर प्रस्तुत है।


प्रभु परशुराम ज़ी पर कविता


विष्णु के अवतार हैं वो
अन्याय के प्रतिकार हैं वो
फरसा जिनका शस्त्र है।
क्रोध ही जिनका अस्त्र है।


अन्याय के वो नाशक हैं।
अत्याचार के वो विनाशक हैं।
उनके जैसा कोई वीर नहीं
वो पाप के संहारक हैं


जिनकी ख्याति है सदियों से
जिनकी अमरता हैं नदियों सी
जिनकी गाथा अजर अमर है।
जिनकी वीरता जगत प्रसिद्ध है।


राम और कृष्ण जैसे हैं
प्रभु परशुराम ज़ी एैसे हैं


ओमप्रकाश झा,दरभंगा


*मंच को सादर नमन*
काव्यरंगोली अक्षय काव्य सम्मान 2020 समारोह अक्षय तृतीया एवम भगवान परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आदरणीय प्रेरक नन्दलालमणि त्रिपाठी पीताम्बर जी एवम अध्यक्ष आदरणीया डॉ0 इन्दु झुनझुनवाला जी बंगलौर तथा काव्य रँगोली संरक्षक आदरणीय दादा अनिल गर्ग जी को सम्बोधित मेरी रचना आप सभी के अवलोकनार्थ
रचना


कैसे मने अक्षय तृतीया
वैभव ,समृद्धि, खुशहाली का ये त्यौहार...हर ओर छाई उदासी बन कहर महामारी की किसान, मज़दूर, कारीगर
दुकानदार सब उदास
हर बाज़ार सूना
हर गली वीरान
हर शख्स सहमा
देख रोज़ बढ़ते संक्रमण
के आंकड़े हैं कैद सभी अपने घरों में सीमित संसाधनों में
जीते जीवन अपना अपना
ऐसे में क्या त्योहार कोई
क्या खुशी कोई
जब पूरा देश सुलग रहा
इस अनजान दर्द से
कैसे मने अक्षय तृतीया
वैभव ,समृद्धि और खुशहाली का ये त्यौहार फिर ऐसे में।।


नाम :मीनाक्षी सुकुमारन
पता: ए -1401 एग्जॉटिका फ्रेस्को, नोएडा (यू .पी)


*भारत भाग्य विधाता*


तुम युगसृष्टा,
युगनिर्माता,
युग के वाहक,
युवा तुम्ही...
कश्ती साहिल
तक ले जाये,
तुम हो बाँकुरों,
हवा वही...
तुम दीपक की
दीपशिखा,
सूरज की तीव्र किरण तुम,
अन्तर्पट को विजित करे जो,
अंतर्मन का प्रण तुम,
तुम भाई,
तुम बहन राष्ट्र के,
तुम ही पितु,
तुम माता...
अरे युवाओं,
तुम ही हो,
भारत के,
भाग्यविधाता........


कवि सिद्धार्थ अर्जुन
छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय


भगवान परशुराम जयंती  मां शारदा भगवान परशुराम प्रेरक नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर  जी एवं अध्यक्ष डॉक्टर इंदु झुनझुनवाला संरक्षक अनिल गर्ग दादा जी के चरणों में प्रणाम एक रचना
   आज परशुराम  जयंती हम मनाते है
सबको भोजन प्रसाद घर पहुंच  पाते हैं
जन्म सफल हो गया  भगवान का
ब्राह्मण हमें  बताते हैं
शोभा यात्रा सड़क पर निकले
देवता पुष्प   बरसाती हैं
   अलग अलग   सवारी है
नाचते न र नारी है
बच्चे आज नए पोशाक पहने
साबका मन खुश   पाते हैं
परशुराम जी खुश होते हैं
गांव गांव धर्म मैं है
लगता होली दिवाली है
मिठाई बतीसा प्रसाद है
थाली भर   खात  है
  नगर जग होता है
सब लोग  प्रसाद पाती है
सब भजन  गाते हैं


झंडा घर पर लगाते हैं
बच्चे  बुजुर्ग सब साथ है
तिलक    कपार लगा है
चेहरे प र तेज दिखा है


संतोष अग्रवाल (सागर)
साली चौका मध्य प्रदेश
मोबाइल_9977219315
दिनांक 26 अप्रैल 20 20
कविता रचना✍🌹


परसुराम "
----------------
नाम राम शास्त्र शस्त्र प्रवीण अपारा,
कोमल राम सह कठोर परसु कुठारा!


राम कुल समेत रावण भवतारा,
परसुराम क्षत्रप कुल दर्प संहारा!


भृकुटि विवक्ष विलक्षण रूपा,
पिताभक्त शिव शक्ति अनूपा!


न्याय सुधर्म अनुरक्षक मनीषी,
योगनिष्ठ विराजत महेन्द्रगिरि!


रेणूका-जमदग्नि ऋषि के जाये,
शिव विद्युद्भि परशु राम कहाये!


सुनि पिनाक भञ्जन चहुदिश घोषा,
पहुंचे स्वयंबर स्थल अति संक्रोधा!


सुन परसुराम क्रोध संधानित कटु वाणी,
शेषनाग संक्रोध संभाले राम मृदु वाणी!


सरल तरल मृदुल वाणी बोले रघुवीर,
चाप चढ़ाते टूट गया मुझसे धनुगंभीर!


शिवधनुष भंजक होंगे श्री हरि अवतारा,
शंकासमाधानार्थ उठाये सकोप कुठारा!


वैष्णव धनुष प्रत्यंचा संधानोगे हे राम,
मानूं आपको अवतार विष्णु भगवान!


खींच प्रत्यंचा विश्मित किये श्रीराम,
देख प्रकट विष्णु,बिभोर हुए परसुराम !


ब्रह्म सनातन सुसंस्कृति संपोषक,
परसुराम ब्राह्मण तेजस कुलभूषक !


-अंजनीकुमार'सुधाकर'
~~~~~~~~~~~
महोदय कृपया मेरी इस रचना को सम्मिलित करने का कष्ट करें।🙏
पता:
अंजनीकुमार तिवारी
ए-1,ड्रीम सीटी,खमतराईरोड,बिलासपुर 495001 (छग)


काव्य रंगोली अक्षय काव्य समारोह 2020*


*भगवान परशुराम जयन्ती**


परशुराम जी उर्वीपालक के छठवें अवतारी थे,
जमदग्नि और रेणुका के पञ्चम सुत आज्ञाकारी थे।
शारङ्ग दिया ऋषि ऋचीक ने कश्यप ने वैष्णव मंत्र दिया,
शिवजी ने त्रैलोक्य कवच संग में कल्पतरू मंत्र दिया।
आशुतोष से जब विद्युदभि दिव्य अस्त्र परशु वो पाए,
उसी समय से पूरे भव में परशुराम फिर वो कहलाए।
ऋषि कश्यप की शिक्षा का उन्होंने ऐसा मान दिया,
पूरी धरती जीत लिया और ऋषि कश्यप को दान दिया।
यह धरती क्षत्रिय मुक्त हेतु इक्कीस बार संहारा है,
आज जयन्ती पर उनके चरणों में नमन हमारा है।
नीरज कुमार द्विवेदी, बस्ती - उत्तरप्रदेश


साल में एक बार आता है प्यारा अक्षय तीज
और पूरी हो जाती है कई कई रसमे रीत
बरगद के पेड़ में पूरा होता है गुड्डे गुड़ियों का पवित्र विवाह
हनी पकवान बना होता है सरोराहआगमन की तैयारी में फेरे होते हैं
और मंगल गायन होते हैं
ऐसा पवित्र पर्व जिसमें विन मुहूर्त विवाह होते हैं
झूम जाता है और याद आती है
गीत कोई गाता और नाचती सारी बारात
खुशियों के दीप जलाना है
घर आंगन को महकाना  है
सजे लिए हुए दीप थाल लाये
प्यारी सी गुड़िया और गुड्डे को साथ लाए हैं
पूजा इनकी होती है और होता विवाह
फिर शाम में होती है मधुर गीत गुलजार
गीत कोई गाता है, देते कोई बधाई
हर कोई लाते फूल माला मीठे
खुश हो हो देते नव विवाहित जोड़े को बधाई
*कु0 तृप्ति चौबे (राखी)*


सभी रचनाये अच्छी है कोई भावपक्ष कोई कलापक्ष ओर बहुत सी रचनाये अति श्रेष्ठ है यह सभी रचनाये एक साथ वेबसाइट पर लगाने का प्रयास किया गया है।।


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