अब्दुल समद राही

अब्दुल समद राही
प्रधान संपादक शबनम ज्योति,
सिलावट मोहल्ला, ढाल की गली,
सोजत सिटी-राज़स्थान
पिनकोड-306104,
मोबाइल नम्बर- 9251568499
ई मेल-
abdulsamadrahi1968@gmail.com


कविता-


"शंखनाद को छेड़ो"


अंधियारी रातों को तोड़
एक सवेरा आएगा
दुखः भरी निद्रा को तोड़
सुखः का सागर लाएगा


जात-पात के लिए लड़े हम
कोई धर्म नही कहता
कण-कण में भगवान हमारे
अन्तस मन में रहता


सत्य अहिंसा प्रेम हमारे
जीवन के अंग बन जाएं
खुशहाली के गीत भईया
मिलजुल कर हम गाएं


भटके हुए भी राह पाएं
वो दीपक हमें जलाना है
वीर शहीदों के मजार पर
पुष्प हमें चढ़ाना है


मनवता के लिए समर्पित
हमको सदा है रहना
कटु शब्द पीड़ा के हमको
कभी नहीं है कहना


उठ बैठो विश्वास करो
बेहोशी को छोड़ो
हल और कुदाले लेकर
शंखनाद को छेड़ो।


 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...