डा० भारती वर्मा बौड़ाई कविता तुम से सीखे....

डा० भारती वर्मा बौड़ाई


कविता


तुम से सीखे....!
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जीवन के 
हर पल को 
कैसे जीना है
फटे और उधड़े 
रिश्तों को 
कैसे सीना है 
यह कोई तुम से सीखे....!


छोड़ उदासी 
ओढ़ के अंबर
डाल दे अपना 
कहीं भी लंगर 
संग लिए नदी/पर्वत/जंगल
कैसे उड़ना है 
यह कोई तुम से सीखे....!!


सबके अपने 
चंदा/सूरज/तारे 
सुख/दुख/सपने 
उनमें अपना कुछ 
मेल मिला कर 
कैसे चलना है 
यह कोई तुम से सीखे......!!!


टूटे अंबर
या फट जाये वसुधा 
चारों ओर चाहे 
मच जाये त्राहि 
बाधाओं को बहला/फुसला
कैसे बढ़ना है 
यह कोई तुम से सीखे..........!!!!
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई


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