कालिका प्रसाद सेमवाल रूद्रप्रयाग उत्तराखंड नमन् करूँ माँ शारदे

नमन करूं मां सरस्वती
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पार करो मां अंधकार से
अब तार दो मां अज्ञान से
दो नयन तेरे मतवाले है
मां सरस्वती वे तेरे दीवाने है।


बसन्त उत्सव आया है
अब रसना को संवार दे मां
आप्लावित कर  रस से मां
रस रसना पर वार दे मां।


मन हर्षित कर तन हर्षित कर
कर दे हर्षित मेरे रोम रोम मां
जो आये मां शरण तुम्हारे
शब्द  सोम  रस घोल दे।


दो नयन प्यालों में अब मां
शब्द   मद  मय  घोल  दे
मधुर  बैन बोले  हम सब
सभी जनों में रस घोल दे
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कालिका प्रसाद सेमवाल
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


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